Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 397
________________ अजीव द्रव्य के सामान्य विशेष नाम ( १९ ) अविसेसिए अजीवदव्वे, विसेसिए धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए अद्धासमए य । अविसेसिए पोग्गलत्थिकाए विसेसिए परमाणुपोग्गले दुपएसिए जाव अणतपएसिए । से तं दुनामे । (१९) अजीवद्रव्य को अविशेषित नाम मानने पर धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, आकाशास्तिकाय, पुद्गलास्तिकाय और अद्धासमय ये विशेषित नाम होंगे। पुद्गलास्तिकाय को भी अविशेषित नाम मानने पर परमाणुपुद्गल, द्विप्रदेशिक यावत् अनन्तप्रदेशिक स्कन्ध, विशेषित नाम कहलायेंगे। यह द्विनाम का स्वरूप है। GENERAL AND SPECIFIC NAMES OF NON-LIVING SUBSTANCE (19) When Ajiva dravya (non-living substance) is taken to be a general name, the specific names are Dharmastikaya (motion entity), Adharmastikaya (rest entity), Akashastikaya (space entity), Pudgalastikaya (matter entity), and Addhakala (time). When Pudgalastikaya (matter entity) is taken to be a general name, the specific names are-Paramanu-pudgala (ultimate-particle of matter), and aggregates of two to infinite space-points (or paramanus). This concludes the description of Dvinama (bi-named). विवेचन - इन सूत्रों में अविशेषित और विशेषित इन दो अपेक्षाओं से द्विनाम का वर्णन किया है। तात्पर्य यह है कि प्रत्येक वस्तु सामान्य - विशेषात्मक है । संग्रहनय सामान्य अंश को और व्यवहारनय विशेष को प्रधानता देकर स्वीकार करता है । संग्रहनय द्वारा गृहीत अविशेषित - सामान्य - एकत्व में व्यवहारनय विधिपूर्वक भेद करता है । इन दोनों नयों की दृष्टि से ये नाम अविशेषित और विशेषित बन जाते हैं। सम्मूर्च्छिम जीव वे हैं जो गर्भ के बिना ही उत्पन्न हो जाते हैं। इनका जन्म न तो देव - नारकों की तरह नियत स्थान से ही होता है और न ही गर्भ से । व्युत्क्रान्तिक का तात्पर्य नामाधिकार प्रकरण ( ३३१ ) The Discussion on Nama Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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