Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 420
________________ चित्र परिचय १६ पाँच भाव (१) उदय भाव - कर्मों का फल -विपाक देने की स्थिति में आना । जैसे - बीज वृक्ष बनकर फल देने की स्थिति में आ गया है । (१) उदय निष्पन्न भाव - मनुष्य, पशु आदि योनियाँ । Illustration No. 16 (२) उपशम भाव - भीतर कर्मों की सत्ता रहते हुए भी ऊपर से अनुदय की स्थिति । जैसे- राख से दबी आग या मिट्टी से नितरा हुआ पानी । (२) उपशम निष्पन्त्र भाव में आत्मा के क्रोध आदि कषाय शान्त रहते हैं । (३) क्षय भाव - चार घाति या आठों कर्मों का सम्पूर्ण क्षय होना । जैसे- चित्र में बताया है मिट्टी हट जाने से पानी बिलकुल स्वच्छ हो गया है। कर्मरूपी अंकुर पूर्ण रूप से जलकर राख हो गये हैं। (३) क्षय निष्पन्न भाव में अरिहंत तथा सिद्ध अवस्था प्राप्त होती है । (४) क्षयोपशम भाव - उदय प्राप्त कर्मों का क्षय तथा अनुदीर्ण कर्मों का उपशम होना । जैसे- पानी का कुछ भाग पूर्णतः स्वच्छ है तथा कुछ भाग की मिट्टी नीचे जम जाने से ऊपर पानी स्वच्छ दीखता है। (४) क्षायोपशम निष्पन्न भाव-जैसे आचार्य हेमचन्द्र सूरि श्रुत ज्ञानावरण का विशेष क्षयोपशम होने से विपुल साहित्य का निर्माण कर सके। (५) पारिणामिक भाव - प्रतिक्षण नये-नये पर्यायों में जाना। इसके दो भेद हैं- (१) सादि पारिणामिक | जैसे - वृक्ष, पर्वत, बादल गुड़, घी आदि । (२) अनादि पारिणामिक जैसे-लोक, अलोक आदि । - सूत्र २३५ - २५९ FIVE BHAAVA (STATES) (1) Udaya bhaava – Maturing of karmas to the stage of fruition. For example a seed has grown into a tree and come to the stage of giving fruits. (1) Udaya nishpanna bhaava-Genuses like human, animal etc. (2) Upasham bhaava-In spite of being in existence the karmas do not come to fruition, they remain dormant. For example a cinder covered with ash or water with settled impurities. (2) Upasham nishpanna bhaava-The passions like anger remain in pacified state. (3) Kshaya Bhaava-Complete destruction of four vitiating karmas or all the eight karmas. For example water becomes clean by removing all impurities. All the karmas in form of sprouts are burnt to ash. (3) Kshaya nishpanna bhaava-Attainment of the state of Arihant and Siddha. (4) Kshayopasham bhaava-The destruction of karmas coming to fruition and pacification of non-fruiting karmas. For example one part of the water is absolutely pure and another appears clean due to settled impurities. (4) Kshayopasham nishpanna bhaava-For example Acharya Hemchandra could write vast literature because of the extreme destruction-cumpacification of Shrut jnanavaran karma. (5) Parinamik-To undergo transformation every moment. It has two kinds — (i) Sadi-parinamik like tree, hill, clouds, jaggery, butter, etc. (ii) Anadi-parinamik like universe, space, etc. -Sutra: 235-259 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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