Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 417
________________ भाव प्रकरण THE DISCUSSION ON BHAAVA भाव वर्णन : छह नाम २३३. से किं तं छनामे ? छनामे छबिहे पण्णत्ते। तं जहा-(१) उदइए, (२) उवसमिए, (३) खइए, (४) खओवसमिए, (५) पारिणामिए, (६) सन्निवातिए। २३३. (प्रश्न) छह नाम क्या है? (उत्तर) छह नाम के छह प्रकार कहे हैं-(१) औदयिक, (२) औपशमिक, (३) क्षायिक, (४) क्षायोपशमिक, (५) पारिणामिक, और (६) सान्निपातिक। CHHAHA NAMA (SIX-NAMED) 233. (Question) What is this Chhaha nama (Six-named) ? __ (Answer) Chhaha nama (Six-named) is of six types9 (1) audayik, (2) aupashamik, (3) kshayik, (4) kshayopashamik, (5) parinamik, and (6) sannipatik. विवेचन-भाव जीव का गुण भी है, और पर्याय भी है। जीव का समग्र स्वरूप समझने के के लिए उसकी विभिन्न पर्यायों को जानना आवश्यक है। कर्मों के उदय, उपशम आदि से होने वाला जीव का स्पन्दन या स्वरूप भाव है। भाव के छह प्रकार हैं (१) औदयिकभाव-ज्ञानावरण आदि आठ प्रकार के कर्मों के विपाक-फल का अनुभव करने को उदय कहते हैं। इस उदय का अथवा उदय से निष्पन्नभाव पर्याय (उदयोप्राप्त 0 अवस्था) का नाम औदयिकभाव है। संसारी जीव को कर्म का उदय निरन्तर होता रहता है। ॐ नरक-मनुष्य आदि अवस्थाएँ उदय निष्पन्न भाव हैं। (२) औपशमिकभाव-सत्ता में रहते हुए भी कर्मों का उदय में नहीं रहना अर्थात् आत्मा में कर्म की निज शक्ति का कारणवश प्रकट न होना या प्रदेश और विपाक दोनों प्रकार के कर्मोदय का रुक जाना उपशम है, जैसे राख से आच्छादित अग्नि छिपी रहती है, उसी प्रकार " इस उपशम अवस्था में कर्मों का उदय नहीं होता है, किन्तु वे सत्ता में रहते हैं। जैसे मिट्टी युक्त जल की मिट्टी नीचे दब जाने पर ऊपर जल स्वच्छ दिखाई देता है। मिट्टी नीचे दबी रहती है। " इस उपशम से निष्पन्न भाव को औपशमिकभाव कहते हैं। यह भाव सादि-सान्त है। ॐ भाव प्रकरण ( ३४९ ) The Discussion on Bhaava Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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