Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 393
________________ (१४) वाणव्यंतर नाम को अविशेषित मानने पर पिशाच, भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किंपुरुष, महोरग, गंधर्व, ये नाम विशेषित नाम हैं। इन सबमें से भी प्रत्येक को अविशेषित नाम माना जाये तो उनके पर्याप्त अपर्याप्त भेद विशेषित नाम कहलायेंगे। (14) When Vanavyantar (interstitial god) is taken to be a general name, the specific names are-Pishach, Bhoot, Yaksh, Rakshas, Kinnar, Kimpurush, Mahorag, and Gandharma. When each one of these is taken to be a general name, the specific names would be their fully developed and underdeveloped forms. (१५) अविसेसिए जोइसिए, विसेसिए चंदे सूरे गहे नक्खत्ते तारारूवे एतेसिं पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेया भाणियवा। (१५) ज्योतिष्क नाम विशेषित माना जाये तो चन्द्र, सूर्य, ग्रह, नक्षत्र और तारारूप नाम विशेषित हैं। इनमें से भी प्रत्येक को अविशेषित नाम मानने पर उनके पर्याप्त, अपर्याप्त भेद विशेषित नाम कहे जायेंगे। __ (15) When Jyotishk (stellar god) is taken to be a general name, the specific names are-Chandra (moon), Surya (sun), Graha (planet), Nakshatra (heavenly body), and Tara (star). When each one of these is taken to be a general name, the specific names would be their fully developed and underdeveloped forms. (१६) अविसेसिए वेमाणिए, विसेसिए कप्पोवगे य कप्पातीतए य। अविसेसिए कप्पोवए, विसेसए सोहम्मए ईसाणए सणंकुमारए माहिंदए बंभलोगए लंतयए महासुक्कए सहस्सारए आणयए पाणयए आरणए अच्चुतए। एतेसि पि अविसेसिय-विसेसिय-पज्जत्तय-अपज्जत्तयभेदा भाणियव्वा। नामाधिकार प्रकरण ( ३२७ ) The Discussion on Nama For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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