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१५३. (प्रश्न १) नैगम-व्यवहारनयसम्मत आनुपूर्वी द्रव्य क्या (लोक के) संख्यातवें भाग का स्पर्श करते हैं ? या असंख्यातवें भाग का, संख्यातवें भागों का अथवा असंख्यातवें भागों का अथवा सर्वलोक का स्पर्श करते हैं ?
(उत्तर) एक द्रव्य की अपेक्षा वे संख्यातवें भाग का स्पर्श करते हैं, असंख्यातवें भाग का, संख्यातवें भागों का, असंख्यातवें भागों का अथवा देशोन सर्व लोक का स्पर्श करते हैं अनेक द्रव्यों की अपेक्षा तो नियमतः सर्वलोक का स्पर्श करते हैं। (4) KSHETRANUPURVI : SPARSHANA-DVAR ____153. (Question 1) Do the naigam-vyavahar naya sammat kshetranupurvi dravya (area-sequential substances conforming to coordinated and particularized viewpoints) have spatial contact with countable fraction of the universe (occupied space), with uncountable (infinitesimal) fraction, with countable sections, with uncountable sections, or with the whole universe ? __ (Answer) With respect to a single anupurvi (sequential) substance, they have spatial contact with countable fractions, with uncountable fraction, with countable sections, with uncountable sections of the universe and with slightly less than the whole universe. But with respect to many substances, as a rule, they have spatial contact with the whole universe.
(२) अणाणुपुब्बीदव्वाइं अवत्तव्ययदव्याणि य जहा खेत्तं, नवरं फुसणा भाणियव्या।
(२) अनानुपूर्वी और अवक्तव्यक की स्पर्शना का कथन पूर्वोक्त क्षेत्र द्वार के अनुरूप समझना चाहिए, क्षेत्र के बदले यहाँ स्पर्शना (स्पर्श करता है) कहना चाहिए।
(2) As regards ananupurvi (non-sequential) and avaktavya (inexpressible) the aforesaid statement with regard to kshetra-duar should be repeated here changing kshetra (area) to sparsh (contact). अनुयोगद्वार सूत्र
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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