Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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(उत्तर) अनानुपूर्वी का स्वरूप इस प्रकार है-एक से लेकर असंख्यात पर्यन्त एक-एक की वृद्धि द्वारा निष्पन्न श्रेणी में परस्पर गुणाकार करने से प्राप्त राशि में से आदि और अन्त के दो भंगों से न्यून भंग अनानुपूर्वी हैं।
201. (Question 4) What is this Ananupurvi ?
(Answer) Place uncountable numbers starting from one and progressively adding one. Multiply all these numbers of this arithmetic progression and subtract 2 (depicting the ascending and descending sequence) from the result. This final result is called ananupurvi (random sequence).
This concludes the description of ananupurvi (random sequence). औपनिधिकी कालानुपूर्वी : द्वितीय प्रकार
२०२. (१) अहवा ओवणिहिया कालाणुपुची तिविहा पण्णत्ता । तं जहा(१) पुवाणुपव्वी, (२) पच्छाणुपुबी, (३) अणाणुपुब्बी।
२०२. (१) अथवा औपनिधिकी कालानुपूर्वी तीन प्रकार की है। जैसे(१) पूर्वानुपूर्वी, (२) पश्चानुपूर्वी, (३) अनानुपूर्वी। ANOTHER AUPANIDHIKI KAAL-ANUPURVI
202. (1) Also, this Aupanidhiki kaal-anupurvi (orderly time-sequence) is of three types—(1) Purvanupurvi, (2) Pashchanupurvi, and (3) Ananupurvi.
(२) से किं तं पुवाणुपुची ?
पुवाणुपुची समए आवलिया आणापाणू थोवे लवे मुहुत्ते दिवसे अहोरत्ते पक्खे मासे उदू अयणे संवच्छरे जुगे वाससए वाससहस्से वाससतसहस्से पुबंगे पुवे तुडियंगे तुडिए अडडंगे अडडे अववंगे अववे हूहुयंगे हूहुए उप्पलंगे उप्पले पउमंगे पउमे णलिणंगे णलिणे अत्थनिउरंगे अत्थनिउरे अउयंगे अउए नउयंगे नउए पउयंगे पउए चूलियंगे चूलिए सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया पलिओवमे सागरोवमे ओसप्पिणी उस्सप्पिणी पोग्गलपरियट्टे तीतद्धा अणागतद्धा सम्बद्धा। से तं पुवाणुपुब्बी।
आनुपूर्वी प्रकरण
( २८९ )
The Discussion on Anupurvi
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