Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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(Answer) This Aupanidhiki kshetra-anupurvi (orderly area-sequence) is of three types—(1) Purvanupurvi, (2) Pashchanupurvi, and (3) Ananupurvi. पूर्वानुपूर्वी
१६१. से किं तं पुवाणुपुवी ? पुवाणुपुब्बी-(१) अहोलोए, (२) तिरियलोए, (३) उडलोए। से तं पुवाणुपुब्बी। १६१. (प्रश्न) पूर्वानुपूर्वी का क्या स्वरूप है ?
(उत्तर) (१) अधोलोक, (२) तिर्यक्लोक, और (३) ऊर्ध्वलोक, इस क्रम से (क्षेत्र-लोक का) निर्देश करना पूर्वानुपूर्वी हैं।
इस प्रकार पूर्वानुपूर्वी का वर्णन समाप्त हुआ। PURVANUPURVI
161. (Question) What is this Purvanupurvi ?
(Answer) Purvanupurvi is like this—(1) Adholoka (lower world), (2) Tiryak-loka (middle world), and (3) Urdhvaloka (upper world). Areas (worlds) arranged in such ascending sequential order is called purvanupurvi (ascending sequence).
This concludes the description of purvanupurvi (ascending sequence). पश्चानुपूर्वी
१६२. से किं तं पच्छाणुपुवी? पच्छाणुपुवी-(३) उड्डलोए, (२) तिरियलोए, (१) अहोलोए। से तं पच्छाणुपुची। १६२. (प्रश्न) पश्चानुपूर्वी क्या है ?
(उत्तर) पूर्वानुपूर्वी के क्रम के विपरीत (१) ऊर्ध्वलोक, (२) तिर्यकलोक, (३) अधोलोक, इस प्रकार का क्रम कथन करना पश्चानुपूर्वी है।
इस प्रकार पश्चानुपूर्वी वर्णन समाप्त हुआ। अनुयोगद्वार सूत्र
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Illustrated Anuyogadvar Sutra
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