Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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(iv) (१+१+१)+(१+१+१) *** *** (१)+(१+१+१)* ***
= (१०)-२ सम्भाव्यताएँ (v) (१+१+१+१)+(१+१+१) **** *** (१+१+१) ***
= (१०)–२ सम्भाव्यताएँ (vi) (१+१+१+१)+(१+१)+(१+१+१+१) **** ** . ****
= (१०)-१ सम्भाव्यता (vii) (१+१+१+१+१)+(१)+(१+१+१+१) ***** * ****
= (१०)-१ सम्भाव्यता (viii) (१+१+१+१+१)+(१+१+१+१+१) ***** *****
= (१०)-१ सम्भाव्यता
अल्पबहुत्व-अवक्तव्य द्रव्य सबसे अल्प है। क्योंकि द्विप्रदेशी स्कन्धों को संघात और भेद के निमित्त कम मिलते हैं।
अनानुपूर्वी द्रव्य इनकी अपेक्षा अधिक है, क्योंकि परमाणु बहुत से द्रव्यों की उत्पत्ति में निमित्त बनते हैं।
आनुपूर्वी द्रव्य इनसे असंख्य गुणा अधिक होते हैं, क्योंकि तीन प्रदेश से यावत अनन्त प्रदेशी तक सब आनुपूर्वी द्रव्य हैं। इन्हें संघात और भेद के निमित्त सबसे अधिक मिलते हैं।
आनुपूर्वीद्रव्यों के विषय में द्रव्य और प्रदेशार्थता की अपेक्षा जो पृथक्-पृथक् निर्देश किया है, वही उन दोनों के लिए भी समझ लेना चाहिए कि द्रव्यार्थता की अपेक्षा असंख्यात गुणे और प्रदेशार्थता की अपेक्षा अनन्तगुण हैं।
अनुयोगद्वार सूत्र
( १९६ )
Illustrated Anuyogadvar Sutra
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