Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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पश्चानुपूर्वी का स्वरूप
१३३. से किं तं पच्छाणुपुब्बी ?
पच्छाणुपुब्बी-(६) अद्धासमए, (५) पोग्गलत्थिकाए, (४) जीवत्थिकाए, (३) आगासत्थिकाए, (२) अधम्मत्थिकाए, (१) धम्मत्थिकाए। से तं पच्छाणुपुब्बी।
१३३. (प्रश्न) पश्चानुपूर्वी क्या है ?
(उत्तर) पश्चानुपूर्वी का स्वरूप इस प्रकार है कि (६) अद्धासमय, (५) पुद्गलास्तिकाय, (४) जीवास्तिकाय, (३) आकाशास्तिकाय, (२) अधर्मास्तिकाय, और (१) धर्मास्तिकाय। इस प्रकार विलोम-विपरीत क्रम से स्थापना करना पश्चानुपूर्वी है। PASHCHANUPURVI
133. (Question) What is this Pashchanupurvi ?
(Answer) Pashchanupurvi is like this—(6) Addhakala (time), (5) Pudgalastikaya (matter entity), (4) Jivastikaya (life entity), (3) Akashastikaya (space entity), (2) Adharmastikaya (rest entity), (1) Dharmastikaya (motion entity). Things arranged in such descending sequential order is called pashchanupurvi (descending sequence).
This concludes the description of pashchanupurvi (descending sequence). अनानुपूर्वी
१३४. से किं अणाणुपुवी ?
अणाणुपुब्बी एयाए चेव एगादियाए एगुत्तरियाए छगच्छगयाए सेढीए अण्णमण्णभासो दुरूवूणो। से तं अणाणुपुवी।
१३४. (प्रश्न) अनानुपूर्वी क्या है ?
(उत्तर) एक से प्रारम्भ कर एक-एक की वृद्धि करने पर छह पर्यन्त स्थापित श्रेणी के अंकों में परस्पर गुणाकार करने से जो राशि आये, उसमें से आदि (पूर्वानुपूर्वी)
और अंत (पश्चानुपूर्वी) के दो रूपों (भंगों) को कम करने पर अनानुपूर्वी बनती है। आनुपूर्वी प्रकरण
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The Discussion on Anupurvi
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