Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
View full book text
________________
ODUPROOROOROROOROOROOROOROORPALOYALYAYOYAYOYATOVAVOTATOUT
(१) डोडिणी ब्राह्मणी ___किसी ग्राम में डोडिणी नाम की ब्राह्मणी रहती थी। उसकी तीन पुत्रियाँ थीं। उनका विवाह करने के समय माँ के मन में विचार हुआ कि 'जमाइयों के स्वभाव को जानकर मुझे अपनी पुत्रियों को वैसी शिक्षा-सीख देनी चाहिए, जिससे उसी के अनुरूप व्यवहार कर वे अपने जीवन को सुखी बना सकें।'
ऐसा विचार कर उसने अपनी तीनों पुत्रियों को बुलाकर सलाह दी-"सुहागरात के समय जब तुम्हारे पति सोने के लिए शयन-कक्ष में आयें तब तुम कोई न कोई कल्पित दोष लगाकर उनके मस्तक पर लात मारना। तब वह जो कुछ तुमसे कहें वह दूसरे दिन आकर मुझे बता देना।"
पुत्रियों ने माता की बात मान ली और रात्रि के समय अपने-अपने शयन-कक्ष में बैठकर पति की प्रतीक्षा करने लगीं।
जब ज्येष्ठ पुत्री का पति शयन-कक्ष में आया, तब उसने कल्पित दोष लगाकर उसके मस्तक पर एक लात मारी। लात लगते ही पति ने उसका पैर पकड़कर कहा-"प्रिये ! पत्थर से भी कठोर मेरे सिर पर तुमने जो केतकी पुष्प के समान कोमल पग पारा, उससे तुम्हारा चरण दुखने लगा होगा।" इस प्रकार कहकर वह उसके पैर को सहलाने लगा।
दूसरे दिन बड़ी पुत्री ने आकर रात वाली घटना माँ को सुनाई। सुनकर ब्राह्मणी बहुत हर्षित हुई। जमाई के इस बर्ताव से वह उसके स्वभाव को समझ गई और पुत्री से बोली"तू अपने घर में जो करना चाहेगी, कर सकेगी। क्योंकि तेरे पति के व्यवहार से लगता है कि वह तेरी आज्ञा के अधीन रहेगा।"
दूसरी पुत्री ने भी माता की सलाह के अनुरूप अपने पति के मस्तक पर लात मारी। तब उसका पति थोड़ा रुष्ट हुआ और उसने अपने रोष को मात्र शब्दों द्वारा प्रकट किया"मेरे साथ तूने जो व्यवहार किया वह कुल-वधुओं के योग्य नहीं है। तुझे ऐसा नहीं करना
चाहिए।" ऐसा कहकर वह शान्त हो गया। Pal प्रातः दूसरी पुत्री ने भी सब प्रसंग माता को कह सुनाया। माता ने संतुष्ट होकर उससे
कहा-"बेटी ! तू भी अपने घर में इच्छानुरूप प्रवृत्ति कर सकेगी। तेरे पति का स्वभाव ऐसा है कि वह चाहे जितना रुष्ट हो, लेकिन क्षण मात्र में शान्त-तुष्ट हो जायेगा।"
तीसरी पुत्री ने भी किसी दोष के बहाने अपने पति के मस्तक पर लात मारी। इससे पति के क्रोध का पार नहीं रहा और डाँटकर बोला-"अरी दुष्टा ! कुल-कन्या के अयोग्य यह
व्यवहार मेरे साथ क्यों किया?" फिर मार-पीटकर उसे घर से बाहर निकाल दिया। तब ॐ रोती-कलपती माँ के पास आई और सब घटना कह सुनाई।
___ ( १३१ )
The Discussion on Upakram
K
उपक्रम प्रकरण
PHOTopHoPHOTOHOTODHODIEODYEOS
ADDINDIAN
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org