Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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| छब्बीस भंगों का स्थापना यंत्र |
असंयोगी भंग ६ १. आनुपूर्वी (१) ४० ४. आनुपूर्वियाँ २. अनानुपूर्वी (१) ०
५. अनानुपूर्वियाँ (३) ० ० ३. अवक्तव्य (१) ०० ६. अवक्तव्यक (३) ०० ००
द्विक संयोगी भंग १२ १. आनुपूर्वी
अननानुपूर्वी (१) ० २. आनुपूर्वी
अनानुपूर्वियां (३) ० ० ३. आनुपूर्वियां (३) 808080 अनानुपूर्वी (१) ० ४. आनुपूर्वियां (३) 808080 अनानुपूर्वियां (३) ० ५. आनुपूर्वी
अवक्तव्य (३) ०० ६. आनुपूर्वी
अवक्तव्यक (३) ०० ७. आनुपूर्वियां (३) 808080 अवक्तव्य
(१) ०० ८. आनुपूर्वियां (३) 8००० अवक्तव्यक (३) ०० ९. अनानुपूर्वी (१) ०
अवक्तव्य (१) ०० १०. अनानुपूर्वी (१) ०
अवक्तव्यक (३) ०० ११. अनानुपूर्वियां (३) ० ० ० अवक्तव्य
(१) ०० १२. अनानुपूर्वियां (३) ० ० ० अवक्तव्यक
त्रिक संयोगी भंग ८ १. आनु. (१) . अना. (१) ० अव. २. आनु. (१) १० अना. (१) ० अव. ३. आनु. (१) 80 अना. (३) ० ० ० अव. ४. आनु. (१)
अना. (३) ० ० ० अव. (३) ०० ५. आनु. (३) 8० ० ० अना. (१) ० अव. (१) ०० ६. आनु. (३) 8० ० ० अना. (१) ० अव. (३) ०० ०० ७. आनु. (३) 808080 अना. (३) ० ० ० अव. (१) ०० ८. आनु. (३) 808080 अना. (३) ० ० ० अव. (३) ०० ००
(नोट-कोष्टक में (१) का अर्थ है एक वचनान्त (३) का अर्थ है बहुवचनान्त) इन भंगों का समुत्कीर्तन-वर्णन इसलिए किया जाता है कि असंयोगी छह और संयोगज बीस भंगों में से वक्ता जिस भंग से द्रव्य की विवक्षा करना चाहता है, वह उस भंग से विवक्षित द्रव्य को कहे। इसी कारण यहाँ नैगम और व्यवहारनयसंमत समस्त भंगों का कथन करने के लिए इन भंगों को यन्त्र में स्थापित किया है। अनुयोगद्वार सूत्र
( १५६ ) Illustrated Anuyogadvar Sutra
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