Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परिवत्ति-१ -- यमणुस्सा य कहि णं मंते संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति गोयमा अंतो मणुस्सखेत्तो जाव अंतोमुहुत्ताउया चेव कालं करेति तेसि णं भंते जीवाणं कति सरीरंगा पनत्ता गोयमा तिणि सरीरगा पत्रत्तातं जहा-ओरालिए तेयए कम्मए संघयण-संठाण-कसाय-सण्णा-लेसाजहा बेइंदिघाणंइंदिया पंच समुग्धाया तिणि असण्णी नंपुसगा अपछत्तीओ पंच, दिट्ठिदसण-अन्नाण-जोग-उवओगा जहा पुढविकाइयाणं आधारोजहा वेइंदियाणं उबवातो नेरइय-देव-तेउ-वाउ-असंखाउवज्जो अंतोमहत्तं ठिती समोहतावि असमोहतावि मरंति कहिं गच्छति नेरइय-देव-असंखेनाउबजेसु दुआगतिया दुगतिया परित्ता असंखेना पन्नत्ता समणाउसो से तं संपुच्छिममणुस्सा से किं तं गव्यवक्कैतियमणुस्सा गदभवक्कैतियमणुस्सा तिविहा पन्नत्तातं जहा कम्मभूमगा अकम्पभूपगा अंतरदीवगा एवं मणुस्सभेदो भाणियव्योजहा पत्रवणाए जावछउमत्था य केवली व ते सपासओदुबिहा पन्नत्ता तं जहा-पज्जत्तगा य अपनत्तगा य तेसि णं मंते जीवाणं कति सरीरंगा पत्रत्ता गोयमा पंच सरीरमा पन्नत्ता तं जहा-ओरालिए जाव कम्मए सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जइमागं उककोसेणं तिण्णि गाउयाई छच्चेर संघयणी छच्चेव संठिया ते णं भंते जीवा किं कोहकसाई जाव लोभकवासाई अकसाई गोयमा सव्वेवि ते णं भंते जीवा किं आहारसण्णोवउत्ता जाव नोसण्णोवउत्ता गोयमा सव्वेवि तेणं मंते जीवा किं कण्हलेसा जाव अलेसा गोयमा सव्वेवि सोइंदियवउत्ताजाव नोइंदियवउत्तावि सत्त समुग्धाया तं जहा-वेयणासमुग्धाए जाव केवलिप्तमुग्धाए सण्णीवि नोसण्णीनोअसण्णीवि इथिययावि जाव अवेपावि पंच पञ्जत्ती पंच अपजत्ती तिविहावि दिट्ठी चत्तारि दसणा नाणीवि अन्नाणीवि-जे नाणी ते अत्यंगतिया दुनाणी अत्येगतिया तिनाणी अत्यंगतिया चउनाणी अत्थेगतिया एगणाणी जे दुन्नाणी ते नियमा आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी य जे तिन्नाणी ते आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी ओहिनाणी य अहवा आभिणिबोहियनाणि सुयनाणी मणपज्जयनाणी व जे चउनाणी ते नियमा आभिणिबोहियनाणि सुयनाणी ओहिनाणी मणपञ्जवनाणी यजे एगनाणी ते नियमा केवलनाणी एवं अन्नाणीवि दुअन्नाणी तिअन्नाणी पणजोगीवि वइकायजोगीवि अजोगीचि दुविहे उवओगे आहारो छद्दिसि उववाओ अहेसत्तम-तेउवाउअसंखेज्जवासाउयवस्नेहि ठिती जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं दुविहावि परंति उव्यट्टित्ता नेरइयाइसु जाव अनुत्तरोववाइएसु अत्यंगतिया सिद्धांति बुझंति मुचंति परिनिव्वायंति सच्चदुक्खाणं अंतं करेंत ते णं मंते जीवा कतिगतिया कतिआगतिया पन्नत्ता गोयमा पंचगतिया चउआगतिया परित्ता संखेजा पन्नत्ता सेत्तं मणुस्सा।४२।-41 (५०) से किं तं देवा देवा चउब्विहा पन्नत्ता तं जहा-भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया एवं पेदो भाणियब्यो जहा पन्नवणाए ते समासओ दुविहा परत्ता तं जहा-पनत्तगा य अपनत्तगा य तेसि णं तओ सरीरंगा-वेउब्बिए तेयए कम्मए ओगाहणा दुविहा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेरब्बिया य तत्थ णं जासा भवधारणिज्जा सा जहन्नेणं अंगुलप्स असंखेनइभागं उक्कोसेणं सत्त रयणीओ तत्य णं जासा उत्तरवेउव्यिया सा जहन्नेणं अंगुलस्स संखेजइभागं उक्कोसेणं जोयणसयसहस्सं सरीरगाछणहं संघयणाणं असंघयणी नेवट्टी नेर छिरा नेव पहारू जे पोग्गलाइट्ठा कंता पिया सुभा मणुण्णा मणामा ते तेसिं सरीरसंघायत्ताए परिणमंति किंसंठिया गोयपा दुविहा पन्नत्ता तं जहा-अवधारणिज्जा य उत्तरवेउब्बिया य तत्व णं जेते भवधारणिज्जा ते णं समचउरंस For Private And Personal Use Only

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