Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
परिवत्ति-१, वैमाणिय- २
१२१
(३७) सोहम्मीसाणेसुं णं मंते कप्पेसु देवाणं कति समुग्धाया पन्नत्ता गोयमा पंच समुग्धाया पन्नत्ता तं जहा-वेदणासमुग्धाते कसायसमुग्धाते मारणंतियसमुग्धाते वेउव्वियसमुग्धाते तेजससमुग्धाते एवं जाव अच्चुया गेवेद्धनुत्तराणं पुच्छा गोयमा पंच-वेदणासमुग्धाते जाव तेजससमुग्धाते नो चेव णं वेउदियसमुग्धातेणं वा तेयासमुग्धातेणं या समोहणिसु वा समोहण्णंति वा, समोहणिस्संति या सोहम्मीसाणेसु णं भंते कप्पेसु देवा केरिसयं खुह पिवासं पच्चणुभवमाणा विहरंति गोयमा तेसि णं देवाणं नत्थि खुह-पिचासा एवं जाव अनुत्तरोववातिया सोहम्मीसाणेसु णं भंते कप्पेसु देवा किं एगत्तं पभू विउब्वित्तए पुहत्तं पभूविउच्चित्तए गोयमा एगत्तंपि पभू विउब्वित्तए पुहत्तंपि पभू विउव्वित्तए एगत्तं विउव्वेमाणा एगिंदियरूवं वा जाय पंचेंदियरूवं वा विउव्वंति पुहत्तं विउब्वेमाणा एगंदियरुवाणि वा जाव पंचेंदियरूवाणि वा ताई संखेज्जाई पि असंखेज्जाइंपि सरिसाइंपि असरिसाई पि संबद्धाई पि असंबद्धाई पि रुवाई विउव्वंति विउब्वित्ता ततो पच्छा जहिच्छिताई कज्जाई करेति एवं जाव अधुओ, गेवेजा देवा किं एगतं पभू विउच्चितए पुहत्तं पभू विउवित्तए गोयमा एगत्तं पि पभू विउव्वित्तए पुहतं पि पुंभू विउब्वित्तए नो चेव णं संपत्तीए विउबिसु वा विउव्वंति वा विउब्विस्संति वा एवं अनुत्तरोववातिया सोहम्मीसाणेसु णं मंते कप्पेसु देवा केरिसयं सातासोक्खं पचणुभवमाणा विहरंति गोयमा मणुण्णे सद्दे मणुण्णे रूवे मणुण्णे गंधे मणुण्णे रसे मणुण्णे फासे पचणुभवमामा विहरंति जाव गेवेजा अनुत्तरोववातिया पुच्छा गोयमा अनुत्तरासद्दा जाब अनुत्तराफासा पचणुभवमाणाविहरति सोहम्मीसाणेसु णं भंते कप्पेसु देवा केरिसगा इड्ढीए पन्नत्ता गोयमा महिड्ढीया महजुइया महाबला महायसा महेसक्खा महाणुभागा जाव अधुओ गेवेज्जा देवा पुच्छा गायमा सव्वे समिड्ढीया समजुइया समबला समयसा समाणुभागा समसोक्खा अनिंदा अप्पेसा अपुरोहिया अहमिंदा नामं ते देवगणा पन्नत्ता समणाउसो [ एवं अनुत्तरावि] | २१८ | 217
(३३८) सोहम्मीसाणेसु णं भंते कप्पेसु देवा केरिसया विभूसाए पन्नत्ता गोयमा दुविहा पन्नत्ता तं जहा - भवधारणिजा य उत्तरवेउब्विया य तत्थ णं जेते भवधारणिज्जा ते णं आभरणवसणरहिता पगतित्या विभूसाए पन्नत्ता तत्थ णं जेते उत्तरेबउब्विया ते णं हारविराइयवच्छा जाव दस दिसाओ उज्जीवेभाणा पभासेमाणा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा विभूसाए पन्नत्ता सोहमीसा
सुमंते कप्पे देवीओ केरिसियाओ विभूसाए पन्नत्ताओ गोयमा दुविधाओ पत्रत्ताओ तं जहामय- धारणिजाओ य उत्तरवेउब्वियाओ य तत्थ णं जाओ भवधारणिजाओ ताओ णं आभरणवसणरहिताओ पगतित्याओ विभूसाए पत्रत्ताओं तत्य णं जाओ उत्तरदेउव्वियाओ ताओ णं अच्छराओ सुवण्णसद्दालाओ सुवण्णसद्दालाई वत्थाई पवर परिहिताओ चंदाननाओ चंदविलासिणीओ चंदद्धसमनिडालाओ चंदाहियसोमदंसणओ उक्का बिव उज्जोबेमाणीओ विघणमरीइसूरदिप्पंततेय अहियरसण्णिकासाओ सिंगारागारचारूवेसाओ पासादीयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरुवाओ पडिलवाओ सेसेसु देवादेवीओ नत्यि जाच अछुतो गेवेज्जादेया केरिया विभूसाए पत्ता गोयमा गेवेज्जादेवाणं एगे भवधारणिजे सरीरए आभरणवसणरहिते पगतित्थे विभूसाए पन्नत्ते एवं अनुत्तरावि २१९/-218
( ३३९) सोहम्मीसाणेसु णं भंते कप्पेसु देवा केरिसए कामभोगे पद्यणुभवमाणा विहति गोयमा इस गंधे इरसे इट्ठेफासे पचणुभवमाणा विहरंति एवं जाव गेवेजा अनुत्तरोववातियाणं अनुत्तरा सद्दा जाव अनुत्तरा फासा | २२०/-219
149
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162