Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 161
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १५२ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवाजीवाभिगम सब्ब० / ९ / ३७८ - एतेसि णं मंते पढमसयसिद्धाणं अपढमसमयसिद्धाणं य कयरे कयरेहिंती जाव गोयमा सव्वत्योवा पढमसमयसिद्धा, अपढमसमयसिद्धा अनंतगुणा एतेसि णं भंते पढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयनेरइयाणं पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं पढमसमयमणूसाणं अपढमसमयमणूसाणं पदमसमयदेवाणं अपढमसमयदेवाणं पढमसमयसिद्धाणं अपढमसमय- सिद्धाणं य कतरे कतरेहिंतो जाब गोयमा सव्वत्थोवा पढमसमय सिद्धा, पढमसमयमणूसा असंखेजगुणा अपढमसमयमणूसा असंखेजगुणा पढमसमयनेरइया असंखेजगुणा पढमसमयदेवा असंखेजगुणा पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा अपढमसमयनेरइया असंखेगुणा अपढमसमयदेवा असंखेअगुणा अपढमसमयसिद्धाअनंतगुणा अपढमसमयतिरिक्नजोणिया अनंतगुणा सेत्तं दसविहा सव्वजीवा सेत्तं सव्वजीवाभिगमे । २७३ ।-272 नवमी सव्वजीवा परियत्ति समत्ता १४ जीवाजीवाभिगम-समत्तं तइयं उवंगं समत्तं For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 159 160 161 162