Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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जीवाजीपाभिगम - ३/टी०/२८८ हनक्खत्तताराख्वा ते णं भंते देया किं उड्ढोववण्णगा जाव गतिसमावण्णगा गोयमा ते णं देवा नो उड्ढोरवण्णगानो कप्पोववण्णगा विमाणोववण्णगा नो चारोववण्णगा चारद्वितीया नो गतिरतिया नो गतिसमावण्णगा पक्किट्टगसंठाणसंठितेहिं जोयणसतसाहस्सिएहिं तावस्वेत्तेहिं साहसियाहि य बाहिराहिं परिसाहिं महताहतनट्ट-गीत-वादित-रवेणं दिब्बाइ भोगयोगाइं धुंजमाणा महया उक्किट्ट सीहनायबोलकलकलरवेणं पक्खुभितमहासमुद्दरवभूतं पिव करेमाणा सुहलेस्सा मंदलेस्सा मंदायलेस्सा चित्तंतरलेसा अण्णमण्णसमोगाढाहिं लेसाहिं कूडा इव ठाणहिता ते पदेसे सव्वतो समंता ओभासेति उज्जोवेति तति पभासेंति तेसिं णं मते देवाणं जाहे इंदे चवति से कहमिदाणि पकरेति गोयमा ताहे चत्तारि पंच वा सामाणिया देवा तं ठाणं उवसंपज़ित्ताणं विहरंति जाव तत्थ अण्णे इंदै उववण्णे भवति, इंदडाणे णं भंते केवतियं कालं विरहओ उववातेणं गोयमा जहपणेणंएककं समयंउकोसेणं छम्मासा।१८०1-179
(२८९) पुक्खरवरण्णं दीवं पुक्खरोदे नापं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते [सब्बतो समंता संपरिक्खित्ताणंचिट्टति पुक्खरोदेणं भंतेसमुद्दे किं समचककबालसंठिते विसमचककवालसंठिते गोयमा समचककवालसंटिते नो विसमचककबालसंठिते पुक्खरोदे णं भंते समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं परत्ते गोयमा संखेजाई जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं संखेजाई जोयणसयसहस्साई परिक्खेवणं पन्नत्ते से णं एगाए परमवरवैदियाए एगेणं वनसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते दोण्हवि वण्णओ पुस्खरोदस्स णं समुदस्स कति दारा पन्नत्ता गोयमा चत्तारि दारा पन्नत्ता तहेव सव्वं पुक्खरोदसमुद्दपुरस्थिमपेरते वरुणवरदीवपुरस्थिमद्धस्स पञ्चत्थिर्मणं एत्थणं पुक्खरोदस्स विजए नामंदारे पनते एवं सेसाणवि, दारंतरंमि संखेनाई जोयण-सयसहस्साइं अबाहाए अंतरे पत्ते पदेसा जीवा य तहेव से केणटेणं भंते एवं बच्चतिपुक्खरोदे समुद्दे पुक्खरोदे समुद्दे गोयमा पुखरोदस्स णं समुद्दस्स उदगे अच्छे पत्थे जच्चे तणुए फलिहवण्णाभे पगतीए उदगरसे पनत्ते सिरिधर-सिरिप्पभा यत्थ दो देवा महिड्ढीया जाव पलि
ओवमद्वितीया परिवसंति से एतेणटेणं जाव निच्चे पुक्खरोदे णं मंते समुद्दे कति चंदा पभासिंसु वा पभासेति वा पभासिस्संति वा संखेज्जा चंदा पभासेंमु वा जावसंखेजा तारागणकोडकोडीओ सोभं सोधेसु वा सोभंति वा सोभिस्संति वा।१८१-१1-180-1
(२९०) पुक्खरोदण्णं समुदं वरुणवरे नाम दीवे वट्टे वलयागारे जाव चिट्ठति तहेव समचककवालसंठिते केवतियं चकवालविक्खंभेणं केयइयं परिक्खेवेणं पन्नत्तागोयमा संखिलाई जोयणसयसहस्साई चकवालविकृखंभेणं संखेजाई जोयणसतसहस्साइं परिक्खेवेणं पत्रत्ते पउमवरवेदियावणसंडवण्णओ दारंतरं पदेसा जीवा तहेव सव्वं, से केणद्वेणं मंते एवं बुच्चइवरुणवरे दीवे वरुणवरे दीवे गोयमा वरुणवरे णं दीवे तत्य-तस्थ देसे तहि-तहिं बहुईओ खुड्डाखुड्डियाओ जाब बिलपंतियाओ अच्छाओ जाव सझुण्णइयमहुरसनइयाओ वारुणिवरोदग- पडिहत्याओ पत्तेयं-पत्तेयं पउमवरवेइयापरिक्खित्ताओ पत्तेयं-पत्तेयं वणसंडपरिक्खित्ताओ वण्णओ पासादीयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरुवाओ पडिरूवाओ तिसोपाण-तोरणा तासुणंखुड्डा-खुड्डियासु जाव विलपंतियासु वहवे उप्पातपव्वया जाय पक्खंदोलगा सब्बफालियामया अच्छा जाव पडिरूवा तेसु णं उप्पायपव्यएसु जाव पक्खंदोलएसु बहूई हंसासणाई जाव दिसासोवत्थियासणाई सव्वफालिपामयाइं अच्छाई जाव पडिरूवाई वरुणवरे पं दीवे तत्थ-तस्थ देसे तर्हि तहिं बहवे आलिघरगा
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