Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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परिवत्ति-३, ई.वि.
११९ पोग्गलपरिणामे कतिविहे पन्नत्ते गोयमा दुविहे पत्रत्ते तं जहा सुब्भिसहपरिणामे य दुमिसद्दपरिणामे य चक्खिदियपुच्छा गोयमा दुविहे पत्रत्ते तं जहा-सुरूवपरिणामे य दुरूवपरिणामे य घाणिंदयपुच्छा गोयमा दुविहे पत्रत्तेतं जहा-सुभिगंधपरिणामे य दुमिगंधपरिणामे य, रसपरिणापे दुविहे पन्नत्ते तं जहा-सुरसपरिणामे य दुरसपरिणामेय फासपरिणामे दुविह पत्रत्तेतं जहा-सुफासपरिणामे य दुफासपरिणाने य से नूणं मंते उच्चावएसु सद्दपरिणापेसु उच्चावएसुरूवपरिणामेसु एवं गंधपरिणामेसु रसपरिणामेसु फासपरिणामेसु परिणममाणा पोग्गला परिणमंतीति वत्तब्वं सिया हंता गोयमा उच्चावएसु सद्दपरिणामेसुपरिणममाणा पोग्गला परिणमंतिति वत्तव्वं सिया से नूणं मंते सुभिसद्दा पोग्गला दुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति दुन्भिसद्दा पोग्गला सुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति हंता गोयमा सुब्भिसद्दा पोग्गला दुब्मिसद्दत्तए परिणमंति दुनिसद्दा पोग्गला सुभिसद्दत्ताए परिणमंति से नूणं भंते सुरूवा पोग्गला दूरवत्ताए परिणमंति दुरूवा पोग्गला सुरूवत्ताए परिणमंति हंता गेयमा एवं सुधिगंधा पोग्गला दुब्मिगंधत्ताए परिणति दुन्मिगंधा पोग्गला सुदिपगंधत्ताए परिणमति हता गोयमा एवं सुरसा दूरसत्ताए हंता गोयमा एवंसुफासा दुफासत्ताए हंता गोयमा।१९।-191
तयाए पडिवत्तीए इंदिय विसयाधिकारो समत्तो.
-:दे वा पि का रो :(३०७) देवे णं भंते महिड्ढीए जाव महाणुमागे पुब्बामेव पोग्गलं खिविता पभू तमेव अनुपरियट्टित्ताणं गिण्हित्तए हंता पभूसे केणटेणं मंते एवं वुच्चति-देवेणं महिड्ढीएजाव महाणुभागे पव्यामेव पोग्गलं खिवित्ता पमू तमेव अनुपरियहिताणं गिण्हितए गोयमा पोग्गले णं खित्ते समाणे पव्यामेव सिग्घगती भवति तओ पच्छा मंदगती भवति देवे णं पुव्बंपि पच्छावि सीहे सीहगती चेव तरिए तरियगती चेव से तेणटेणं गोयमा एवं वुच्चति-देवेणं महिड्ढीए जाव महाणुभागे पुव्यामेद पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेव अनुपरियट्टित्ताणं गेण्हित्तए देवे णं भंते महिड्ढीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता दालं अछेत्ता अभेत्ता पभू गढित्तए नो इणढे समढे देवे णं पते महिड्दीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता दालं छेत्ता भेत्ता पमू गदित्तए नो इणडे समढे देवेणं भंते महिढीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता बालं अच्छेत्ता अभेत्ता पभू गढितए नो इणडे समढे देवे णं भंते महिड्डीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता बालं छेत्ता भत्ता पभू गढितए हंता पभूतं चेवणं गंठि छउमत्थे मणूसे णं जाणति न पासति एसुहुमं च णं गढेजा देवे णं भंते महिड्डीएजाव महागुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता बालं अच्छेत्ता अभेत्ता पभू दीहीकरित्तए वा हस्सीकरित्तए वा नो इणद्वे सपढे [देवे णं मंते महिड्डीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइता बालं छेत्ता मेत्ता पभू दीहीकरित्तए वा हस्सीकरितए या नो इण? समढे देवेणं भंते महिट्टीए जाव महाणुमागे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता बालं अच्छेत्ता अमेत्ता पभू दीहीकरित्तए वा हस्सीकरित्तए या नो इणढे समढे देवे णं भंते महिड्दीए जाव महाणुभागे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता बालं छेत्ता मेत्ता पमू दीहीकरित्तए वा हस्सीकरित्तए वा हंता पभूतं चेवणं गठिं छउमत्ये मणूसे नजाणति नपासति एसुहसंचणंदीहीकरेज वा [हस्सीकरेजवा ।१९३।-192
- जो इस-उद्दे स ओ :(३०८) अस्थि णं भंते वंदिम-सूरियाणं हेट्ठिपि तारारूवा अणुपि तुल्लावि समपि तारारूवा तुल्लावि उपिपि तारारूवा अणुंपि तुल्लाविहंता अस्थि से केणद्वेणं भंते एवं वुधति-अत्थिणं चंदिम
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