Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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जीवाजीवाभिगम - ३/१०/१४८
एते कमेणं उज्जिय नेयव्या चत्तारि एगप्पमाणा नाणत्तं ओगाहे विक्खंभे परिक्खेवे पढम बितिय ततिय चउक्काणं ओग्गही विक्खंभो परिक्खेवो व मणिओ चउत्थे चउकूके छ जोयणसयाई आयामविक्खंमेणं अद्वार सत्ताणउए जोयणसए परिक्खेवेणं पंचमचउकूके सत्त जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं बावीसं तेरसुत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं छट्ठचउक्के अट्ठ जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं पणवीसं अगुणत्तीसे जोयणसते परिक्खेवेणं सत्तमचउक्के नव जोयणसयाई आयाम विक्खंभेणं दो जोयणसहस्साई अड्डपन्नत्ताले जोयणसए परिक्खेवेणं ।११३-२।-112-2 ( १४९) जस्स य जो विक्खंभो ओगाहो तस्स तत्तिओ चेव
पदम पीयाण परिरतो ऊणो सेसाण अहिओउ
||२६|| -1
(१५०) सेसा जहा एगुरुवदीवस्स जाव सुद्धदंतदीवे देवलोगपरिग्गहा णं ते मणुयगणा पन्नत्ता समणाउसो, कहिं णं भंते उत्तरिल्लाणं एगूरुयमणुस्साणं एगूरुवदीवे नामं दीवे पत्रत्ते गोयमा जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं सिहरिस्त वासधरपव्ययस्स पुरत्थिमिल्लाओ चरिमंताओ लवणसमुद्दतिष्णि जोयणसयाई ओगाहिता एत्थ णं उत्तरिल्लाणं एगूरुयमणुस्ताणं एगूरुयदीवे नामं दीवे पत्रत्ते तहेव उत्तरेणं विभासा भाणितव्या से तं अंतरदीवग्गा ।११३।-122
( १५१ ) से किं तं अकम्पभूमगमणुस्सा अकम्पभूमगमणुस्सा तीसविधा पन्नत्ता तं जहापंचहि हेमवएहिं [पंचहिं हिरण्णवएहिं पंचहिं हरिवासेहिं पंचहिं रम्मगवासेहिं पंचहिं देवकुरूहिं] पंचहि उत्तरकुरूहिंसेत्तं अकम्पभूमगा से किं तं कम्मभूमगा कममभूमगा पन्नरसविधा पत्रत्ता तं जहा पंचहिं भरहेहिं पंचहिं एरवएहिं पंचहिं महाविदेहेहिं ते समासतो दुविहा पन्नत्ता तं जहा-आरिया मिलेच्छा एवं जहा पत्रवणापदे गाय सेत्तं आरिया सेत्तं गदभवकंतिया सेत्तं मणुस्सा ॥११४/- 123 तचाए पडिवत्तीए मणुस्साधिगारो समत्तो •
-: देवाचिका रो :
( १५२ ) से किं तं देवा देवा चउब्विहा पन्नत्ता तं जहा भवणवासी वाणमंतरजोइसिया वेमाणिया 199५/- 114
(१५३) से किं तं भवणवासी भवणवासी दसविहा पन्नत्ता तं जहा असुरकुमार जहा पत्रवणापदे देवाणं भेदो तहा भाणितव्यो जाव अनुत्तरोबवाइया पंचविधा पन्नत्ता तं जहा विजयवेजयंत जाव सव्ववसिद्धगा सेत्तं अनुत्तरोववाइया ।११६/- 115
( १५४) कहि णं भंते भवणवासिदेवाणं भवणा पन्नत्ता कहिं णं भंते भवणवासी देवा परिवसंति गोयमा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउतरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए एवं जहा पन्नवणाए जाव भवणा पासादीया दरिसणिजा अभिरुवा पडिरूवा एत्थ णं भवणवासीणं देवाणं सत्त भवनकोडीओ बायत्तरिं भवणावाससयसहस्सा भवंतित्तिमक्खाता तत्थ णं बहवे भवणवासी देवा परिवसंति-असुरा नाग सुवण्णाय जहा पत्रवणाए जाव विहरति । ११७/-116
(१५५) कहि णं भंते असुरकुमाराणं देवाणं भवणा पत्रत्ता पुच्छा एवं जहा पत्रवणा ठाणपदे जाव विहरति कहि णं भंते दाहिणिल्लाणं असुरकुमारदेवाणं भवणा पुच्छा एवं जहा ठाणपदे जाव चमरे एत्थ असुरकुमारिंदे असुरकुमारराया परिवसति जाव विहरति 19921-117
(१५६) चमरस्स णं भंते असुरिंदस्स असुरकुमाररणो कति परिसाओ पन्नत्ताओ गोयमा तओ परिसाओ पत्रत्ताओ तं जहा समिता चंडा जाया अस्मितरिया समिता मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाया चमास्स गं भंते असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो अभितरियाए परिसाए कति
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