Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 82
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ७३ पडियत्ति-३, दीय० तिणि परिसाओ सत्त अणिया सत्त अणियाहिवी सोलस आयारक्खदेवसाहस्सीओ अण्णे य बहवे य विजयरायधाणिवत्थव्वगा वाणमंतरा देवा य देवीओ य तेहिं सामाविएहिं उत्तरवेउब्रिएहि य वरकमलपतिहाणेहिं सुरभिवरवारिपडिपुन्नेहिं चंदणकयचच्चाएहिं आविद्धकंठगुणेहिं पउपुप्पलपिधाणेहिं सुकुमालकरतलपरिणहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवणियाणं कलसाणं रूपामवाणं मणिमवाणं जाव अट्ठसहस्सेणं मोमेजाणं कलसाणं सच्चोदएहिं सव्यमट्टियाहिं सव्वतुवरेहिं सव्व फेहिं सब्दगंधेहिं सव्यमल्लेहिं सब्बोसहिसिद्धत्यएहिं य सव्वढिए सबजुतीए सव्ववलेणं सव्यसमुदएणं सव्वायरेणं सच्यविमूतीए सबविभूसाए सव्वसंभमेणं सव्यपुष्फगंधमल्लालंकारेणं सव्यदिव्यतुडियसद्दसण्णिणाएणं महया इढीए महया जुतीए महया बलेणं महया समुदएणं महया परतरियजमगसमगपरडुपवादितरवेणं संख-पणय - गडह- पेरि-झलरि-खरमुहि-हुइक्क मुरवमुइंग-दंदुहि-निग्घोसनादितरवेणं महया-महया इंदाभि- सेगेणं अभिसिंचंति तए णं तस्स विजयस्स देवस्स महया-महया इंदामिसेगसि बट्टमार्णसि अप्पेगतिबा देवा विजयं रावहाणि नवोदगं नातिमट्टियं पविरलफुसियं रयरेणविणासणं दिव्यं सुरभि गंधोदगवासं वारांति अप्पेगतिया देवा विजयं रायहाणि निहतरयं नवरयं भट्ठरय पसंतरयं उवसंतायं करेंति अप्पेगतिया देवा विजयं रावहाणि सर्दिभतरवाहिरियं आसियसम्मनितोवलित्तं सित्तसुइसम्मट्ठ-रत्यंतरावणवीहियं करेंति अप्पेगतिया देवा विजयं रायहापिं मंचातिमंचकलितं करेति अप्पेगतिया देवा विजयं रायहाणिं नानाविहरागोसियझय-पडागर्तिपडागमंडितं करेंते अप्पेगतिया देवा विजयं रावहाणि लाउल्लोइय-महियं गोसीस-सरसरत्तचंदण ददरदिण्णपंचंगुलितलं करेंति अप्पेगतिया देवा विजयं रायहाणिं उवचियबंदणकलसं वंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं करेंति अप्पेगतिया देवा विजयं रायहाणिं आसत्तोसत्तविपुलववग्धारितमलामकलावं करेंति अप्पेगइया देवा विजयं रावहाणि पंचवणणसरससुरभिमुक्क्रपुष्फपुंजोववारकलितं करेंति अप्पेगइया देवा विजयं रावहाणिं कालागरुपवरकंदुरुक्क-तुरुक्क-धूवडझंत-पघमघेतगंधद्धवाभिरामं सुगंधवरगंधगधि गंधपट्टिभ्यं करति अप्पेगइवा देवा हिरगवास वासंति अप्पेगइया देवा सुवपणवासं वासंति अप्पेगइया देवाएवंरयणवासं पुष्फवासं मल्लवासं गंधवासं चुण्णदासं वत्थवासं आभरणवासं अप्पेगइया देवा हिरणविधि पाएंति एवं-सुवण्णविधि जाय आमरणविधिं अपेगतिया देवा दुतं नट्टविधिं उवदंसेति अप्पेगतिया देवा विलंबितं नट्टविहिं उवदंसेंति अप्पेगतिया देवा दुतविलंबितं नाम नट्टविधि उवदंसेंति अप्पेगतिया देवाअंचियं नट्टविधि उवदंसेति अप्पेगतिया देवा रिभितं नट्टविधि उवदंसेंति अप्पेगतिया देवा अंचितरिभितं नट्टविधि उवदंसेंति अप्पेगतिया देवा आरभडं नट्टविधिं उवदंति अप्पेगतिया देवा मसोलं नट्टविधिं उपदंसेंति अप्पेगतिया देवा आरभडभसोलं नट्टविधि उवदंसेति अप्पेगतिया देवा उप्पायनिवायपसतं संकुचिय-पसारियं रियारिवं भंत-संभंतं नाम नट्टविधि उवदंसेंति अप्पेगतिया देवा चम्विधं वाइयं वादेति तं जहा-सतं विततं धणं झसिरं अप्पेगतियादेवा चयिधं गेयं गायंति तं जहा-उक्खित्तं पवत्तं मंदायं रोइयावसाणं अप्पेगतिया देवा चऽविध अभिनवं अभिनवंति तं जहा-दिलृतियं पाडिसुचं सामन्नतोविणिवातिवं लोगपज्झावसाणियं अप्पेगतिया देवा पीणंति अप्पेगतिया देवा तंडति अप्पेगतिया देवा लासेंति अप्पेगतिया देवा बुक्कारेंति अप्पेगतिया देवा पीणंति तंडवेति लासेंति दुक्काति अप्पेगतिया देवा अप्फोति अप्पेगतिया देवा वग्गंति अप्पेगतिया देवा तिवति छिंदंति अप्पेगतिया देवा अप्फोडेंति विगंगंति For Private And Personal Use Only

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