Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 110
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०१ ||३३|-2 पडियत्ति-३, दीव० (२१५) आभरण-वत्य-गंधे उप्पल-तिलए व पुढवि-निहि-रयणे वासहर-दह-नईओ विजया वक्खार-कप्पिदा । (२१६) कुरु-मंदर मावासा कूडा नक्खत्त-चंद सूराय एवं भाणियव्वं ।१६७४ (२१७) कहि णं भंते देवद्दीवगाणं चंदाणं चंददीवा नामं दीवा पन्नत्ता गोयमा देवदीवस्स पुरथिमिल्लाओ वेइयंताओ देवोदं समुदं बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं देवदीवगाणं चंदाणं चंददीवा नामंदीचा पत्रता सच्चेव वत्तवव्या जाव अट्ठो रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पञ्चस्थिमेणं देवदीवं असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्य णं देवदीवगाणं चंदाणं चंदाओ नाम रायहा- णीओ पत्रत्ताओ कहि णं मंते देवद्दीवगाणं सूराणं सूरदीवा नाम दीवा पत्रत्ता गोचमा देवदोवस्स पञ्चस्थिमिल्लाओ वेइयंताओ देवोदं ससुई वारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्य ण देवदीवगाणं सूराणं सूरदीवा नामंदीवा पन्नत्ता तघेव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरस्थिमेणंदेवदीवं असं जाई जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं कहि णं भंते देवसमुद्दगाणं चंदाणं चंददीवा नामं दीवा पत्रत्ता गोचमा देवोदगस्स समुद्दगस्स पुरथिमिल्लाओ वेदियंताओ देवोदगं समुदं पञ्चस्थिमेणं वारस जोयण-सहस्साई तेणेव कमेणं जाव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पञ्चत्थिमेणं देवोदगं समदं असंखेनाई जोवणसहस्साइं ओगाहित्ता एस्थ णं देवोदगाणे चंदाणं चंदाओ नाम रायहाणीओ पन्नत्ताओ तं वेव सव्वं एवं सूराणवि नवरि-देवोदगस्स पथिमिल्लाओ वेइयंताओ देवोदगसप पुरस्थिमेणं वारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता रायहाणीओ सगाणं सगाणं दीवाणं पुरथिमेणं देवोदगं समुदं असंखेजाई जोयणसहस्साई एवं नागे जखे भूतेवि चउण्हं दीवसमुद्दाणं कहिणं भंते सयंभूरमण- दोवगाणं चंदाणं चंददीवा नाम दीवा पन्नता सयंभुरमणस्स दीवस्स पुरथिमिल्लातो वेतिवंतातो सयंभुरमणोदगं समुदं बारस जोयणसहस्साई तहेव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरस्थिमेणं सबंपुरसणोदगं समुदं पुरथिमेणं असंखेजाई जोवण तं चेव एवं सूराणवि सयंभूरमणस्स पच्चस्थिमिलातो वेदियंताओ रायहाणीओ सकाणं सकाणं दीवाणं पञ्चत्येिमिल्लाणं सयंभुरमणोदं समुदं असंखेजा सेसं तं चेव कहि णं भंते सयंभूरमणसमुद्दकाणं चंदाणं, सयंभुरमणस्स समुद्दस्स पुरथिमिल्लाओ वेतियंतातो सयंमुरमणं समुदं पञ्चस्थिमेणं वारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता सेसंतं चेव एवं सूराणवि सयंभुरमणस्स पञ्चथमिल्लाओ सयंमुरमणीदं समुद्द पुरथिमेणं बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरस्थिमेणं सयंभुरमण समुदं असंखेन्जाई जोवणसहस्साइंओगहित्ता एत्थणं सयंपूरमण जाय सूरादेवा।१६८1-167 ((२१८) अस्थिण मंते लवणसमुद्दे वेलंधराति वा नागराया अग्घाति वा खन्नाति वा सिंहाति वा विजातीति वा हासवुड्ढीति वा हंता अस्थि जहा णं मंते लवणसमुद्दे अत्यि चेलंधराति वा नागराया अग्धाति वा जाव हासदुड्ढीति या तहा णं वाहिरएसुवि समुद्देसु अस्थि वेलंधराइ वा नागरायाअग्धाति वा जाव विजातीति वा हासवुड्ढीति वा नो तिणढे समढे।१६९।-168 (२१९) लवणे ण भंते समुद्दे किं ऊसितोदगे पत्थडोदगे खुभियजले अखुभिवजले गोयमा लवणे णं समुद्दे ऊसितोदगे नो पत्थडोगे पुभियजले नो अक्खुभियदले जहा णं भंते लवणे समुद्दे ऊसितोदगे नो पत्थडोदगे खुभियजले नो अक्खुभियजले तहाणं बाहिरगा समुद्दा किं ऊसितोदगा पत्थडोदगा खुभियजला अक्खुभियजला गोयमा बाहिरगा समुद्दा नो ऊसितोदगा पत्थडोदगा नो खुभियजला अक्षुभियजला पुत्रा पुत्रप्पपाणा वोलट्टपाणा बोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठति For Private And Personal Use Only

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