Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडिवत्ति-३, दीव० नो तिट्टे समझे ते णं सुकिला मणो य तणा य एत्तो इट्ठतराए चैव जाव वण्णेणं पत्रत्ता तेसि णं भंते मणीण य तणाय य केरिसए गंधे पन्नत्ते से जहानामए-कोढपुडाण वा पत्तपुडाण वा चोयपुडाण वा तगरपुडाण वा एलापुडाण वा चंपापुडाण वा दमणापुडाण वा कुंकुमपुडाण वा चंदणपुडाण वा उसीरपुडाण वा मरुवापुडाण वा जातिपुडाण वा जूहियापुडाण वा मल्लियापुडाण वा व्हाणमल्लियापुडाण वा केतकिपुडाग वा पाइलिपुडाण वा नोमालियापुडाण वा वासपुडाण वा कप्पूरपुडाण वा अनुवासि उब्मिजमाणाण वा निभिज्जमाणाण वा कोट्टेजमाणाण वा रुचिजमागाण या उकिकरिजमाणाण वा विक्खरिजमाणाण वा परिभुजमाणाण वा भंडाओ वा भंड साहरिजमाणाणं ओराला मणुष्णा मणहरा घाणमणणिव्युतिकरा सव्वतो समंता गंधा अभिणिस्सवंति वे एयावे सिया नो तिणट्टे समट्टे ते णं मणी य तणा य एत्तो इट्ठतराए चेव जाव गंधेणं पत्रत्ता तेसि णं भंते मणीण य तणाण य केरिसए फासे पत्ते से जहानामए-आईगेति वा रुएति वा चूरेति वा नवणीतेति वा हंसगद्भतूलीति वा सिरीसकुसुमणिचएति वा बालकुमुदपतरासीति वा भवे एतारूवे सिया नो तिष्ठे सट्टे ते णं मणी व तणी य एतो इट्ठतराए चेव जाव फासेणं पत्रत्ता तेसि णं भंते मणीण य तणाण य पुव्यावरदाहिपुत्तरागतेहिं वाएहिं मंदायं मंदायं एइयाणं वेइयाणं कंपियाणं चालिवाणं फंदियाणं घट्टियाणं खोभियाणं उदीरियाणं केरिसए सद्दे पत्रत्ते से जहानामए- सिविचाए वा संदभाणीयाए वा रहवररस वा सत्तस्स सम्झयस्स सघंटपस्स सपडागस्स सतोरणवरस्स सदिधोसम्स सखिखिणहेमजालपेरंतपरिखित्तस्स हेमवय-चित्तविचित्त- तेणिस-कणगनिजुत्तदारुयागस्स सुपिणद्धारकमंडलधुरगस्स कालायससुकयणेमिजंतकम्मस्स आइण्णवरतुगरगसुसंपउत्तस्स कुसलनरछेयसारहिसुसंप - रिगहितस्स सरसतबत्तीसतोणमंडितस्स सकंकडवडेंसगरस सचावसरपहरणावरणहरिय-जोह जुद्धसम्स रायंगणंसि वा अंतेपुरंसि वा रम्यंसि वा मणिकोटिमतलंसि अभिक्खणं-अभिक्खणं अभिघट्टिमाणरस ओराला मणुष्णा मनहरा कण्णमणणिव्युतिकरा सव्वतो सर्पता सद्दा अभिणिस्सर्वति भवे एतारूवे सिया नो तिणट्टे समड़े से जहानामएवेवालियाए वीणाए उत्तरनंदामुच्छिताए अंके सुपइट्टियाए कुसलनरनारिसुसंगपग्गहिताए चंदनसारनिम्मियकोणपरिघट्टियाए पचसकालसमंयसि मंद-मंद एइयाए वेड्याए कंपियाए चालियाए फंदियाए घट्टियाए खोभियाए उदीरियाए ओराला मणुण्णा मनहरा कण्णमणणिब्युतिकरा सव्वतो समंता सद्दा अभिणिस्सवंति भवे एयारूवे सिचा नो तिणठ्ठे समठ्ठे से जहानामए- किण्णराण वा किंपुरिसाण वा महोरगाण वा गंधव्वाणा वा भद्द्सालवनगयाण वा नंदनवणगयाण वा सोमनस्वणगचाण वा पंडगवनगयाण वा महाहिमवंत मलय-मंदरगिरि-गुहसमण्णागयाण वा एगतो सहिताणं संमुहागयाणं समुपविद्वाणं संनिविद्वाणं पमुदियपक्कीलियाणं गीयरति-गंधव्यहरिसियमाणं ग प कत्यं गेयं पयबद्धं क्खित्तायं पवत्तायं मंदापं रोचियावसाणं सत्तसरसमण्णगयं अट्टरससुसंपत्तं एक्कारसालंकारं छद्दोसविप्पमुक्कं अट्ठगुणोववेचं गुंजायंकुहरोवगूढं रत्तं तिट्ठाणकरणसुद्धं सकुहरगुंजतवंस तंती- तल-ताल-लय-गहसुसंपउत्तं मधुरं समं सललियं मनीहरं मउयरिभि यपयसंचारं सुरतिं सुणतिं वरचारुरूवं दिव्वं नवं सज्जं गेयं पगीयाणं भवे एवारूवे सिया गोमा एवंभूए सिया १२७/-126 (१६५) तरस णं वनसंडरस तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहुईओ खुड्डा खुड्डियाओ वावीओ पुक्खरिपीओ दीहियाओ गुंजालियाओ सरसीओ सरपंतियओ सरसरपंतियाओ बिलपंतियाओ For Private And Personal Use Only ५७

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