Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 79
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जीवाजीवाभिगम - ३/दो०/१७८ उत्तिगारासोलसविहेहिंरवणेहिं उवसोणिया तंजहा रयणेहि जाब रिटेहिं ।१४०1-139 (१७८) तस्स णं सिद्धायतणस्स णं उत्तरपुरस्थिमेणं एस्थ णं महं एगा उबवावसभा पन्नता जहा सुधप्मा तहेव जाव गोमाणसीओ उववायसमाए वि दारा मुहमंडलवा उल्लोए भूमिभागे तहेव जाव मणिफासो तस्स णं बहुसमरमणिजस्सभूमिभागस्स यहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगा मणिपेढिया पन्नत्ता-जोयणं आयाम- विखंभेणं अद्धजोयणं वाहल्लेणं सव्यमणिमई अच्छा जाय पडिरूवा तीसे णं मणिपेढियाए उप्पि एत्य णं महं एगे देवसवणिजे पन्नत्ते तस्स णं देवसयणिजस्स वण्णओ उववावसभाए णं उप्पिं अट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता तीसे णं उववायसभाए उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं महं एगे हरए पन्नत्ते से णं हरए अद्धतेरसजोयणाई आयामेणं छ जोधणाई सक्कोसाई विक्खंभेणं दस जोयणाइंउव्वेहेणं अच्छे सण्हे वण्णओजहेय नंदाणं पुक्खरिणीगंजाब तोरणवण्णओ तस्स णं हरयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं महं एगा अभिसेयसभा पन्नता जहा समासुधम्मातंचेव निरवसेसंजाव गोमाणसीओ भूमिभाए उल्लोए तहेव तस्सणं बहुसमरमणिन्नस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्य णं महं एगा मणिपेढिया पत्नत्ता-जोयणं आवाम-विक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा तीसे णं मणिपेडियाए उप्पिं एत्थ णं महं एगे सीहासणे पन्नत्ते सीहासणवण्णओ अपरिवारो तत्थ णं विजयस्स देवस्स सुबहू अभिसेकभंडे संनिक्खित्ते चिट्ठति अभिसेयसभाए उप्पि अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिछत्ता तीसेणं अभिसेयसभाए उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थणं महं एगा अलंकारियसभा पन्नत्ता अभिसेवसभा यत्तव्वया जाच सीहासणं अपरिवारं तत्थ णं विजयस्स देवस्स सुबहू अलंकारिए भंडे संनिक्खिते चिट्ठति अलंकारियसभाए उपिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्ताइछत्ता तीसे णं अलंकारियसभाए उत्तरपुरथिमेणं एत्थ णं महं एगा ववसायसभा पन्नत्ता अभिसेवसभा वत्तब्वचा जाव सीहासणं अपरिवारं तत्थ णं विजयस्स देवस्स महं एगे पोत्ययरयणे सनिक्खित्ते चिट्ठति तस्स णं पोस्थवरयणस्स अयमेवालवे वण्णावासे पत्रत्ते तं जहा-रिद्रुमईओ कंबियाओ तवणिजमए दोरे नाणामणिमए गंठी अंकमयाइं पत्ताई वेरुलियमए लिप्पासणे तवणिजमई संकला रिठ्ठामए छादणे रिटअठामई मसी वइरामई लेहणी रिट्ठामयाई अक्खराइं धम्पिए लेखे ववसायसभाए णं उप्पिं अनुमंगलगा झया छत्तातिछत्ता तीसे णं ववसायसभाए उत्तरपुरस्थिमेणं महं एगे बलिपीढे पत्रत्ते -दो जोयणाई आयामविखंभेणं जोयणं वाहल्लेणं सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवेतस्स णं बलिपीढस्स उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं महं एगा नंदापुक्खरिणीपनत्ताजंचेवमाणं हरयस्सतं चेव सव्वं ।१४१४-140 (१७९) तेणं कालेणं तेणं सपएणं विजए देवे विजयाए रायहाणीए उववातसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूसंतरिते अंगुलस्स असंखेजतिभागमेत्तीए ओगाहणाए विजयदेवत्ताए उववण्णे तए णं से विजए देवे अहुणोचवण्णमेत्तए चेव समाणे पंचविहाए पजत्तीए पज्जत्तिभावं गच्छति तं जहा-आहारपञ्जत्तीए सरीरपजत्तीए इंदियपज्जत्तीए आणापाणुपनत्तीए भासपणपजत्तीए तए णं तस्स विजयस्स देवस्स पंचविहाए पनतीए पजत्ति भावं गयस्स समाणस्स इमेवारूवे अन्झस्थिए जाव समुप्पज्जित्या-किं मे पुब्बि करणिज्जं किं मे पच्छा करणिज्जं किं मे पुदि सेयं किं मे पच्छा सेयं किं मे पुविपि पच्छावि हिताए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियताए भविस्तति तए णं तस्स विजयस्स देवस्स सामाणियपरिसोववण्णगा देवा विजयस्स देवस्स इमं एतारूवं अज्झस्थियं चितियं पत्थियं पणोगयं संकप्पं समुप्पण्णं समभिजाणित्ता जेणेव विजए देवे तेणेव For Private And Personal Use Only

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