Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३८
जीबाजीयाभिगम - ३/ति.-१/१३० इत्थी परिसा नपंसगा, पोतया तिविधा पन्नता तं जहा-इत्थी पुरिसा नपुंसगा तत्य णं जेते संमुच्छिमा ते सव्वे नपुंसगा।९७1-96
(१३१) एतसिणंभंते जीवाणं कति लेसाओ पन्नत्ताओ गोयमा छलेसाओ पत्रत्ताओतंजहाकण्लेसा जाय सुक्कलेसा ते णं भंते जीवा किं सम्मदिट्ठी मिच्छदिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी गोयमा सम्मदिट्ठीवि मिच्छदिट्ठीवि सम्मामिच्छदिट्ठीवि ते णं भंते जीवा किं नाणी अन्नाणी गोयमा नाणीवि अन्नाणीवितिण्णि नाणाई तिणि अन्नाणाई भयणाए तेज भंते जीवा किं पणजोगी वइजोगी कायजोगी गोयमा तिविधावि ते णं भंते जीवा किं सागारोवउता अणागारोवउत्ता गोयमा सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि ते णं भंते जीवा कओ उववनंति-किं नेरइएहितो उपवति तिरिक्खजोणिएहितो उववजति पुच्छा गोयमा असंखेजवासाउयअकम्पमूमग-अंतरदीवगवजेहिंतो उववजंति तेसि णं भंते जीवाणं केवतियं कालं ठिती पन्नत्ता गोयमा जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेजतिभागंतेसिणं मंते जीवाणं कति समुग्धाता पनत्ता गोयमा पंच समुग्धाता पनत्ता तं जहा-वेदणासमुग्धाए जाव तेयासमुग्धाए ते णं भंते जीवा मारणंतियसमुग्धाएणं किं समोहता मरंति असमोहता परंति गोयमा समोहतावि मरंति असमोहतावि मरंति तेणं भंते जीवा अनंतरं उव्यट्टित्ताकहिं गच्छंति कहिं उववनंति - किनेरइएसु उववजंति तिरिक्खजोणिएसु उययजंति पुच्छा गोयमा एवं उव्वट्टणा भाणिवव्या जहा वक्कंतीए तहेव, तेसिणं भंते जीवाणं कति जातीकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा पत्ता गोयमा वारस जातीकलकोडीजोणीपमहसयसहस्सा [जोणीसंगहलेस्सादिट्ठी नाणे य जोग उवओगे उक्वायठिईसमुग्धाय चयणं जातीकुलविधी उ] भुयपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं भंते कतिविधे जोणीसंगहे पत्रत्ते गोयमा तिविहे जोणीसंगहे पन्नते तं जहा-अंडया पोयया समुच्छिमा एवं जहा खहयराणं तहेव नाणत्तंजहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुव्यकोडी उबट्टित्ता दोच्चं पुढविं गच्छति एवं जातीकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा भवंतीति मक्खायं सेसं तहेव उरपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते पुच्छा जहेव भूयपरिसप्पाणं तहेव नवरं-ठिती जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणं पुवकोडी उव्वट्टित्ता जाव पंचमि पुढविं गच्छति दस जातीकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा गोवमा दुविधेजोगीसंगहे पत्रत्तेतं जहा-पोयया यसमुच्छिमाय पोयया तिविधा पन्नतातं जहा इत्थी पुरिसा नपुंसगा तत्थ णंजेते संमुच्छिमा तेसव्वे नपुंसगा तेसिणं भंते जीवाणं कति लेस्साओ पन्नत्ताओ सेसं जहा पक्खीणं नाणत्तं-ठिती जहण्णणं अंतोपुतं उक्कोसेणं तिण्णिपलिओवमाइं उव्वट्टित्ता चउत्थिं पुदविं गच्छंति दस जातीकुलकोडी जलयरपंवेदियतिरिक्खजोणिया पुच्छा जहा भुयपरिसप्पाणं नवरं-उबट्टिता जाव अधेसत्तमि पुढवि अद्धतेरस जातीकुलकोडीजोणीपमुह (सयसहस्सा] पत्रता चारिदियाणं भंते कति जातीकुलकोडीजोणिपमुह-सतसहस्सा पन्नता गोयमा नव जातीकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा समक्खाया तेइंदियाणं पुच्छा गोयमा अट्ठ जातीकुल [कोडीजोणीपमुहसयसहस्सा) समक्खाया बेइंदिवाणं पते कइ जातीकुल कोडीजोणीपमुहसतसहस्सा पुच्छा गोयमा सत्त जातीकुलकोडीजोणीपमुहाँसतसहस्सा समक्खाया।९८1-97
(१३२) कइणंभंते गंधंगा कइणं मंते गंधगसया पन्नत्ता गोयमा सत्त गंधंगा सत्त गंधंगसया पत्रत्ता कइ णं भंते पुष्फजातींकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा पत्रता गोयमा सोलस पुष्फ
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162