Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 42
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडियत्ति-३, उद्देसो-ने.-२ विभंगनाणीवि सेला णं नाणीवि अन्नाणीवि तिणि जाव अधेसत्तमाए इमीसे णं भंते रयणप्पभाए किं रणजोगी वइजोगी कायजोगी तिणिवि एवं जाव अहेसत्तमाए इसीसे गं भंते रयणप्पमाए पुढवीए नेरइया किं सागरोवउत्ता अणागारोवउत्ता गोयमा सागरोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि एवं जाद अहेसत्तमाए पुढवीए इमीसे णं भंते स्यणप्पभाए पुढवीए नेरइया ओहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति-पासंति गोपमा जहन्नेणं अछुट्टगाउयाई उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई सक्करणमाए जहण्णेणं तिनि गाउयाई उक्कोसेणं अट्ठाई एवं अद्धद्धगाउयं परिहायति जाय अधेसत्तमाए जहणेणं अद्धगाउपं उक्कोसेणं गाउयं इमीसे णं भंते रयणप्पमाए पुढवीए नेरइयाणं कति समुग्याता पत्रत्ता गोयमा चत्तारि समुग्याता पनत्ता तं जहा-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्याएवेउब्बियसमुग्घाए एवंजाव अहेसत्तमाए।८९।-88 (१०५) इमोसे णं भंते रयणप्पभाए पुढचीए नेरइया केरिसयं खुप्पिवासं पचणुभवमाणा विहरंति गोयमा एगमेगस्स णं रयणप्पभापुढविनेरइयस्स असल्भावपट्ठवणाए सब्बोदधी या सब्दपोग्गले वा आसगंसि पक्खियेजा नोचेवणं से रयणपभाए पुढवीए नेरइए तिते वासिता वितण्हे वा सिता एरिसया णं गोयमा रयणप्पभाए नेरइया खुधप्पिवासं पञ्चणुदभवमाणा विहरंति एवं जाव अधेसत्तमाए इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया किं एकत्तं पभू विउब्वित्तए पुहत्तंपि पभू विउव्चित्तए गोयमाएगत्तंपिपभूविउव्दित्तए एगतं विउव्येमाणा एगं पहं मोग्गररूयं वा मुसुंदिरूवं वा एवं-मोगर-मसुंढि-करवत-असि-सत्ती-हल-गता-मुसल-चकका नाराय-कृत-तोमर-सूल लउडभिंडमाला य जाव मिंडमालरूवं वा पुहतं विउव्येमाणा मोग्गररूवाणि वा जाव भिंडमालरूयाणि या ताई संखेजाई नो असंखेनाइं संवद्धाइंनो असंवद्धाइं सरिसाइं नो असरिसाई विउव्वंति विउब्चित्ता अण्णमण्णस्स कायं अभिहणमाणा-अभिहणमाणा वेयणं उदीरेंति उज्जलं विउत्तं पगाढं कक्कसं कडुपं फरुसं निदुरं चंडं तिव्यं दुक्खं दुगंदुरहियासं एवं जाव धपण्यमाए छट्ठसत्तमासुण पुढवीसु नेइाया बहू महंताई लोहियकुंथुरूवाइं वइरामयतुंडाइं गोमयकीडसमाणाई विउब्वंति विउविता अन्नमन्नस्स कायं समतुरंगेमाणा-समतुरंगेमाणा खायमाणा-खायमाणा सयपोरागकिमिया विव चालेमाणा-वालेभाणा अंतो-अंतो अनुप्पविसमाणा-अनुप्पविसमाणा वेदणं उदीरेंति-उज्जलं जाव दुरहियासं इमीसे णं भंते स्यणप्पभाए पुढवीए नेरइया कि सीतवेदणं चेति उसिणवेदणं वेदेति सीओसिणवेदणं वेदेति गोयमा नो सीयं वेदणं वेदेति सिणं वेदणं वेदेति नो सीतोसिणं वेदणं वेदेति एवं जाच बालुयप्पभाए पंकप्पभाए पुच्छा गोयमा सीपि वेदणं वेदेति उसिणंपि वेदणं वेदेति नो सीओसिगवेदणं वेदेति ते बहुतरगा जे उसिणं वेदणं वेदेति ते थोवतरगा जे सीतं वेदणं वेदेति, घूमप्पमाए पुच्छा गोयमा सीतंपि वेदणं वेदेति उसिणंपि वेदणं वेदेति नो सीओसिणवेदणं वेदेति ते वहतरगा जे सीतवेदणं वेदेति ते थोवतरकाजे उसिणं वेदणं वेदेति, तमाए सीयं वेदणं वेदेतेि नो उसिणं वेदणं वेदेति नो सीतोसिणं वेदेति एवं अहेसत्तमाए नवरं-परमसीयं इमोसे णं मंते रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया केरिसयं निरयभवं पचणुभवमाणा विहरंति गोयमा ते णं तत्थ निच्च भीता निञ्चं छुहिया निच्चं तत्था निच्चं तसिता निच्चं उब्विग्गा निचं उपप्पुआ निच्चं परमसुभमउलमणुबद्धं निरयमवं पच्चणुभवमाणा विहरंति एवं जार अधेसत्तमाए अहेसतमाए णं पुढवीए पंच अनुत्तरा महतिमहालया महानरगा पन्नता तं जहाकाले महाकाले रोरुए महारोए अप्पतिट्ठाणे तत्य इमे पंच महापुरिसा अनुत्तरेहि दंडसमादाणेहिं कालमासे कालं किच्चा 143] For Private And Personal Use Only

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