Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 40
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडियत्ति-३, उदेसोने..२ परमकिण्हा वण्णेणं एवं जाव असत्तमा पुढवीए।८४1-83 (९८) इसीसे णं मंते रयणप्पभाए पुढवीए नरका केरिसया गंधेणं पत्रत्ता गोयमा से जहानामए अहिमडेति वा गोमडेति वा सुणमडेति वा मज्जारमडेति वा मणुस्समद्देति वा महिसमडेति वामूसगडेति वा आसमडेति वा हस्थिरडेति वा सीहसडेति वा वग्यपडेति वा बिगपडेति वा दीवियमडेति वा मचकुहिय-विणट्ठ-कुणिमवावण्णदुरभिगंधे असुइविलीणविगय-बीभच्छदरिसणिज्जे क्रिमिजालाउलसंसत्ते भवेयालवे सिया नो इणढे समढे गोयमा इमीसे णंरवणप्पभाए पदवीए नरगा एत्तो अणिट्टतरका चेव अकंततरका चेव जाब अमणामतरका चेव गंधेणं पन्नत्ता एवं जाव अधेसतमाए पुढवीए इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए नरया केरिसया फासेणं पत्रत्ता गोरमा से जहानामए असिपत्तेइ वा खुरपत्तेइ वा कलंबचीरियापत्तेइ वा सत्तग्गेइ वा कुंतणेइ वा तोमरगेति नारायग्गेति वा सूलग्गेति वा लउलागेति वा भिंडिमालग्गेति वा सूचिकलावेति वा विच्छुकंटएति वा कवियच्छूति या इंगालेति वा जालेति वा मुम्मुरेति वा अञ्चिति वा अलाएति वा सुद्धागणीइ व भवे एपारवे सिया नो तिणढे समढे गोयमा इसीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए नरगा एतो अणिठ्ठतरका चैव जाव अमणामतरका चेव फासे णंपन्नता एवं जावअर्धसत्तमाए पुढवीए इमीसेणंभंते रयणप्पभाए पुढवीए नरका केमहालया पन्नत्ता गोयमा अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमदाणं सव्वव्यंतरए सव्वखुडाए घट्टे तेलापूवसंठाणसंटिते वट्टे रथचक्कवालसंठाणसंठिते बट्टे पुक्खरकणियासंठाणसंटिते वट्टे पडिपत्रचंदसंठाणसंठिते एककं जोयणसतसहस्सं आयामविक्खंभेणं जाय किंचिविससाहिए परिक्खेवेणं देवे णं महिड्ढीए जाव इणामेव-इणामेत्तिकट्ट इमं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तक्खुत्तो अनुपरियट्टित्ताणं हव्यमागच्छेज्जा से णं देवे ताए उक्किट्ठाए जाव दिव्वाए देवगतीए वीतिवयमाणे-वीतिवयमाणे जहण्णेणं एगाहं वा दुयाहं वा तियाह वा उक्कोसेणं छम्मासेणं वीतिवएजा-अत्थेगतिए वीतिवएज्जा अस्थेगतिए नो वीतिवएज्जा एमहालता णं गोयमा इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए नरगा पत्रत्ता एवं जाव अधेसत्तमाए नवरंअधेसत्तमाए अस्थैगतिय नरगं वीतिवएजा अत्येगइएनरगे नो वीतिवएजा।८५/-84 (९९) इमीसेणंभंतेरयणप्पभाए पुढवीए नरगाकिमयापनत्ता गोयमा सव्ववइरामयापनत्ता तत्यणं नरएसु वहवे जीवाय पोगलाय अवक्कमति विउक्कमंति चयंति उवयनंति सासता णं ते नरगादच्वट्ठयाएवण्णपनवेहिंजावफासपञ्जवेहिंअसासयाएवंजावअहेसत्तमाए।८६।85 (१००) इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया कतोहितो उववनंति-किं असण्णीहितो ज्ववनंति सरीसिवेहितो, पक्खीहतो, चउप्पएहितो, उरगेहितो, हस्थियाहितो, मच्छमणुएहितो उववनंति गोयमा असणीहितो उववनंति जाव मच्छपणुएहितो वि उदयशंति।८७-१।-86.1 (१०१) असण्णी खलु पढमं दोच्चं च सीरसिवा ततिया पक्खी । सीहा जंति चउत्थिं उरगा पुण पंचमि जंति ॥८-1 (१०२) छष्टिं च इत्यीयाओमच्छा मणुयाय सत्तमिजंति जाव अधेसत्तपाए पुढवीए नेरइया नो असरणीहितो जाव नो इत्थियाहिंतो उववजंति मच्छमणुस्सेहिंतो उववनंति इमासे भंते एयणप्पभाए पुढचीए नेरइया एक्कसपएणं केवतिया उववर्जति गोयमा जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा उक्कोसेणं संखेजा वा असंखिज्जा वा एवं जाव अधेसत्तमाए इमीसेणं भंते रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया समए-समए अवहीरमाणा-अवहीरमाणा केवतिकालेणं अवहिता सिता गोयमा ते For Private And Personal Use Only

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