Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 37
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २८ जीवाजीयाभिगम - ३/ने-१/९० तनप्पभाए तिभागूणाई अट्ठ जोयणाइं तमतमपभाए अट्ठ जोयणाई इसीसे णं भंते रयणप्पभाए पुडवीए घणवायवलए केवतियं याहल्लेणं पत्रत्ते गोवमा अद्धपंचमाई जोयणाई बाहल्लेणं सक्करप्पभाए पुच्छा गोपमा कोसूणाई पंच जोयणाई बाहल्लेणं एवं एतेणं अभिलावेणंवालुयप्पभाए पंच जोयणाई बाहल्लेणं पंकप्पमाए सकोसाइं पंच जोयणाई वाहल्लेणं धूमप्पभाए अद्धछट्टाई जोवणाई बाहल्लेणं तमप्पभाए कोसूणाइंछजोयणाई वाहल्लेणं अहेसतमाए छ जोयणाई वाहल्लेणं इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए तनुवायवलए केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमर छक्कोसेणं वाहल्लेणं, एवं एतेणं अभिलावणं-सक्करप्पभाए सतिभागे छक्कोसे बाहल्लेणं वालुयप्पभाए तिभागूगे सत्तकोसं बाहल्लेणं पंकप्पभाए पुढवीए सत्तकोसं वाहल्लेणं धूमप्यभाए सतिभागे सत्तकोसे बाहलेणं तमप्पमाए तिभागूणे अट्ठकोसे बाहल्लेणं अधेसतमाए पुढबीए अट्ठकोसे याहल्लेणं इसीसे णं भंते एयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलयस्स छज्जोयण शाहल्लम्स खेत्तच्छेएणं छिन्नमाणस्स अस्थि दव्याई वोणतो काल-नील-लोहित-हालिद्द-सुक्किलाइंजावहता अस्थि सक्करप्पभाए णं भंते पुढवीए घणोदधिवलयस्स सतिभागछजोयणवाहल्लस्स खेत्तच्छेदेणं छिन्नमाणस्स जाव हंता अन्थि एवं जाव अधेसत्तमाए जं जस्स बाहलं इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवाए घणवातवलयम्स अद्धपंचमजोयणवाहालस्स खेत्तच्छेदेणं छिजमाणस्स जाव हंता अस्थि एवं अस्थि एवं जाव अहंसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं एवं तनुवायवलयस्सवि जाव अधेसत्तमाए जं जप्स बाहल्लं इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलए किसंठिते पन्नत्ते गोयमा बट्टे वलयामारसंटाणसंटिते पत्रत्ते जे णं इमं रयणप्पमं पुढविं सवतो संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठति इमीसे णं भंते रघणपमाए पढवीए घणवातबलए किसंठित्ते पन्नत्ते गोयमा वट्टे वलयागार, जेणं इसीसेणं स्वणप्पभाए पुढवीए धणोदधिवलवं सब्बतो समंता संपरिस्खिवित्ताणं चिट्ट एवं जाव अहेसतनाए घणवातवलए, इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए तनुवातवलए किप्तंटिते पन्नत्ते गोयमा वट्टे वलयागार जे णं इसीसे रयणप्पभाए पुढवीए घनवातवलयं सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिठ्ठइ एवं जाव अधेसत्तमाए तनुवातवलए इमा णं भंते रयणप्पभा पुढवी केवतियं आयामविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेयेणं पत्रत्ता गोयपा असंखेजाई जोयणसहस्साई आयाम-विखंभेणं असंखेनाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पन्नत्तेएवं जाव अधेसतमाइमा णं भंते रयणप्पभा पुढवी अंतेय मज्झे यसव्वत्य समा बाहल्लेणंपन्नत्ता हंता गोयमाएवं जाव अधेसत्तमा।७७1-77 (९१) इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढचीए सव्यजीवा उववण्णपुव्वा सव्वजीवा उववण्णा गोयपाइमीसे णं रयमप्पभाए पुढवीए सव्वीवा उववण्णपुव्वा नो चेवणं सव्यजीवा उववण्णा एवं जाव अहेसत्तमाए इसा णं भंते रयणप्पभा पुढवी सव्वजीवेहिं विजढपुब्बा सव्वजीवेहिं विजढा गोयमा इमा णं रवणप्पभा पुढची सव्वजीवेहिं विजढपुव्वा नो चेव णं सब्वजीवविजढा एवं जाव अधेसत्तमा इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए सव्वपोगला पविठ्ठलुव्वा सबपोग्गला पविट्ठा गोयपासब्यपोग्गला पविठ्ठपुवा नो चेवणं सव्वपोग्गला पबिट्ठा एवंजाब अधेसत्तमाए, इमाणभते रयणप्पभा पुढयी सव्यपोग्गलेहिं विजढपुव्वा सव्वपोग्गला विजढा गोयमा सचपोग्गलेहिं विजढपव्या नो चेवगं सव्यपोग्गलेहि विजढा एवं जावअधेसत्तमा ७८1-77 (९२) इसा णं भंते रवणप्पभा पुढवी किं सासता असासता गोवमा सिय सासता सिव असासता से केणद्वेणं भंते एवं बुच्चइ-सिय सासता सिय असासता गोयमा दबयाए सासता For Private And Personal Use Only

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