Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 01 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
परिचय
वियाहपण्णत्तिसुत्त के विभिन्न नाम और उनके निर्वचन ३, प्रस्तुत आगम का परिचय, वर्ण्य विषय, महत्त्व
एवं आकार ४.
वियाहपण्णत्तिसुत्तं ( भगवईसुत्तं ) विषय-सूची
प्राथमिक
प्रथम शतक
प्रथम शतक गत १० उद्देशकों का संक्षिप्त परिचय ५
प्रथम उद्देशक - चलन
समग्र शास्त्र-मंगलाचरण ७, मंगलाचरण क्यों और किसलिए? ७, प्रस्तुत मंगलाचरण भाव रूप ७, नमः पद का अर्थ ७, अरहन्ताणं पद के रूपान्तर ओर विभिन्न अर्थ ८, अर्हन्त ८, अरहोन्तर ८, अरथान्त ८, अरहन्त ८, अरहयत् ८, अरिहंत ८, अरुहन्त ८, सिद्धाणं पद के विशिष्ट अर्थ ८, आयरियाणं पद के विशिष्ट अर्थ ९, उवज्झायाणं पद के विशिष्ट अर्थ ९, सव्वसाहूणं पद के विशिष्ट अर्थ ९, साधु के साथ 'सर्व' विशेषण लगाने का प्रयोजन ९, 'सव्व' शब्दक' वृत्तिकार के अनुसार तीन रूप १०, 'ण्मो लोए सव्वसाहूणं' पाठ का विशेष तात्पर्य १०, श्रव्य - साधु ओर सव्यसाधू का अर्थ १०, पाँचों नमस्करणीय और मांगलिक कैसे १०, द्वितीय मंगलाचरण : ब्राह्मी लिपि को ' नमस्कार - क्यों और कैसे ? ११, शास्त्र की उपादेयता के लिए चार बातें १२ ।
प्रथम शतक : विषयसूची मंगल १२, प्रथम शतक का मंगलाचरण १२, श्रुत भी भाव तीर्थ है १३ । प्रथम उद्देशकः उपोद्घात १३, भगवान् महावीर का राजगृह आगमन १३, भगवान् महावीर के विशेषण १३, गौतम गणधर की शरीर एवं आध्यात्मिक सम्पदा का वर्णन १४, राजगृह में भगवान् महावीर का पदार्पण एवं गौतम स्वामी की प्रश्न पूछने की तैयारी १५, प्रस्तुत शास्त्र किसने, किससे कहा १६ ।
'चलमाणे चलिये' आदि पदों का एकार्थ- नानार्थ १६, चलन आदि से सम्बन्धित नौ प्रश्नोत्तर १७, (१) चलन, (२) उदीरणा, (३) वेदना, (४) प्रहाण, (५) छेदन, (६) भेदन, (७) दग्ध, (८) मृत, (९) निर्जीर्ण इन नौ के अर्थ १७, तीन प्रकार के घोष १८, उपरोक्त नौ में से चार एकार्थक और पांच भिन्नार्थक १८, चौबीस दंडकगत स्थिति आदि का विचार १८, नैरयिक चर्चा १८, नारकों की स्थिति आदि के सम्बन्ध में प्रश्नोत्तर २२, स्थिति २२, आणमन-प्राणमन तथा उच्छ्वास - निःश्वास २२, नारकों का आहार २२, परिणत, चित्त, उपचित आदि २३, 'आहार' शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त २३, पुद्गलों का भेदन २३, पुद्गलों का चय-उपचय २३, अपवर्तन २३, संक्रमण २३, निधत्त करना २३, निकाचित करना २४, चलित-अचलित २४, देव – असुरकुमार चर्चा २४, असुरकुमार देवों की स्थिति (आयु), श्वास- निःश्वास, आहार आदि विषयक प्रश्नोत्तर २४-२५, नागकुमार चर्चा २६, सुपर्णकुमार से लेकर स्तनित कुमार देवों के विषय में स्थिति आदि सम्बन्धी आलापक २७, नागकुमार देवों की स्थिति के विषय
[२५]