Book Title: Karmagrantha Karmaprakruti Panchasangraha
Author(s): Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad
Publisher: Hemchandracharya Granthamala Ahmedabad
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 00000000000000000000 &00000000000000000000000 • कर्मग्रंथ-कर्मप्रकृति-पंचसंगह. मूलमात्रम् । प्रकाशिकाश्रीमद् हेमचन्द्राचार्यबन्धमाला, अमदावाद. Cover printed at the Phenix P. Works, Ahmedabad. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ સદગત શા. સાંકલચંદ ચુનીલાલ. મુ. અમદાવાદ, Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Prasta sa se so so so so sax अर्हम् | * कर्मग्रंथ कर्मप्रकृति-पंचसंग्रह मूलमात्र । श्रीमदाचार्य श्री विजयनीतिसूरिजीना उपदेशथी द्रव्यसहायक शेठ. चुनीलाल गोकलदास. घांचीनीपोळवाळा प्रकाशक, हेमचन्द्राचार्य ग्रन्थमालाना कार्यवाहक कोचिननिवासी शाह पोपटलाल मूळजी अमदावाद. पहेली आवृत्ति सम १९२४, AAAAAAAA20 2020 प्रत ५०० . Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आ ग्रन्थशेठ चुनीलाल गोकलदासमा सुपुत्र सांकलचंद चुनीलालना स्मरणार्थ छपाख्यो छे. मुद्रक- जैन एडवोकेट प्रेसना : मालीक- शा. चीमनलाल गोकलदास. ठे-घोकांटावाडी अमदावाद. Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ ॐ॥ ॥ श्री परमगुरुभ्यो नमः ॥ ॥ अथ श्री देवेंद्रसूरिविरचिताः ॥ नव्याः पञ्चकर्मग्रन्थाः ॥ ॥ कर्मविपाकनामा प्रथमः कर्मग्रन्थः ।। मलगाथा, सिरिवीरजिणं वंदिय कम्मविवागं समासओ वुच्छं। कीरइ जिएण हेउहिं जेणं तो भण्णए कम्मं ॥१॥ पयइठिइरसपएसा तं चउहा मोअगस्स दिहंता। मूलपगइउत्तर पगई अडवनसयभेयं ॥ २ ॥ इह नाणदंसणावरणवेयमोहाउनामगोयाणी । विग्धं च पणनवदुअहवोसचउतिसयदुपणविहं ॥३॥ मइसुअओहीमणकेवलाणि नाणाणि तत्थ मइनाणं । वंजणवग्गह चउहा मणनयणविणिंदियचउका ॥४॥ . Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अत्युग्गहइहावा यधारणाकरणमाणसेहिं छहा । इअ अहवीसभेचं-चउदसहा वीसहा व सुअं ॥ ५॥ अक्खर सन्नी सम्म साई खलु सपजवसियं च । गमिषं अंगपविहं सत्तवि एए सपडिवक्खा ॥६॥ पजयअक्खरपयसंघाया पडिवत्ति तह य अणुओगो। पाहुडपाहुडपाहुड वत्थपुवो य ससमासा ॥ ७ ॥ अणुगामिवढमोणयपडिवाईयरविहा छहा ओही । रिउमइविउलमई मणनाणं केवलमिगविहाणं ॥८॥ एसिं जं आवरणं पडुव्व चक्खुस्स तं तयावरणं । दंसण चउ पण निदा वित्तिसमं दसणावरणं ॥ ९ ॥ चक्खुद्दिहिअचक्खू सेसिंदियओहिकेवलेहिं च । दसणमिह सामन्नं तस्सावरण तयं चउहा ।। १० ॥ सुहपडिबोहा निदा निहानिदा य दुक्खपडिबोहा। पयला ठिओवविट्ठस्त पयलपयला उ चकमयो ॥११॥ दिणचिंतियत्थकरणी थीणद्धी अद्धचक्किअद्धबला। महुलित्तखग्गधारा लिहणं व दुहा उ वेअणियं ॥ १२ ॥ ओसन्नं सुरमणुए सायमसायं तु तिरिअनिरएसु। Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मजं व मोहणीयं दुविहं दंसणचरणमोहा ॥ १३॥ दसणमोहं तिविहं सम्म मोसं तहेव मिच्छतं । सुद्धं अद्धविसुद्धं अविसुद्धं तं हवइ कमसो ॥१४॥ जिअअजिअपुण्णपावासवसंवरबंधमुक्खनिजरणा । जेणं सदहइ तयं संमं खइगाइबहुभेअं ॥ १५॥ मीसा न रागदोसो जिणधम्मे अंतमुहु जहा अन्ने । नालिअरदीवमणुणो मिच्छं जिणधम्मविवरीअं ॥१६॥ सोलस कसोय नव नोकसाय दुविहं चरित्तमोहणियं । अण अप्पच्चक्खाणा पच्चक्खाणा य संजलणा ॥ १७॥ जाजीववरिसचउमासपक्खग्गा निरयतिरियनरअमरा। सम्माणुसव्वविरईअहखायचरित्तघायकरा ॥ १८ ॥ जलरेणुपुढविपवयराईसरिसो चउनिहो कोहो। तिणिसलयाकऽहिअसेलत्थंभोवमो माणो ॥ १९ ॥ मायावलेहिगोमुत्तिमिढसिंगघणवंसिमुलसमा। लोहो हलिइखंजणकदमकिमिरागसामाणो ॥ २० ।। जस्सुदयो होइ जिए हासरईअरइसोगभयकुच्छा। सनिमित्तमन्नहा वा तं इह हासाइमोहणियं ॥ २१ ॥ Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुरिसिस्थितदुभयं पइ अहिलासो जव्वसा हवइ सो उ। थीनरनपुंवेउदओ फुफुमतणनगरदाहसमो॥ २२ ॥ सुरनरतिरिनिरयाऊ हडिसरिसं नामकम्म चित्तिसमं । बायालतिनवइविहं तिउत्तरसयं च सत्तही ॥ २३ ॥ गइजाइतणुउवंगा बंघणसंघायणाणि संघयणा । संठाणवण्णगंधरसफासअणुपुब्विविहगगई ॥ २४ ॥ पिंडपयडित्ति चउदस परघानस्सासआयवुजोयं । अगुरुलहुतित्थनिमिणोवधायमिअ अह पत्तेआ ॥२५॥ तसबायरपजत्तं पत्तेयथिरं सुभं च सुभगं च । सुसराइज जसं तसदसगं थावरदसं तु इमं ॥ २६ ॥ थावरसुहुमअपज साहारणअथिरअसुभदुभगाणि । दुस्सरणाइजाजसमिअनामे सेअरा वीसं ।। २७॥ तसचउथिरछक अथिरछक्कसहुमतिगथावरचनकं । सुभगतिगाइविभासा तयाइसंखाहि पयडीहिं ॥२८॥ गइयाईण उ कमसो चपणपणतिषणपंचछछकं । पणदुगपणट्टचउदुग इय उत्तरभेअपणसही ॥ २९ ॥ अडवीसजुश्रा तिनवइ संते वा पनरबंधणे तिसयं । Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बंधणसंघायगहो तणूसु सामण्णवण्णचऊ ॥३०॥ इअ सत्तही बंधोदए य न य सम्ममीसया बंधे। बंधुदए सत्ताए वीसदुवीसवण्णसयं ॥ ३१॥ नरयतिरिनरसुरगई, इगबिअतिअचउपणिंदिजाईयो । ओरालविउव्वाहारगतेअकम्मणपणसरीरा ॥३२॥ बाहरु पिट्टि सिर उर, उयरंग उवंग अंगुलीपमुहा । सेसा अंगोवंगा पढमतणुतिगस्सुवंगाणि ॥ ३३ ॥ उरलाइपुग्गलाणं निबद्धबझ्झंतयाण संबंधं । जं कुणइ जउसमं तं उरलाईबंधणं नेयं ॥ ३४ ॥ जं संघायइ उरलाइपुग्गले तणगणं व दंताली । तं संघायं बंधणमिव तणुनामेण पंचविहं ॥ ३५ ॥ ओरालविउव्वाहारयाण सगतेअकम्मजुत्ताणं । नवबंधणाणि इयर दुसहियाणं तिन्नि तेसिं च ॥३६॥ संघयणमद्विनिचओ, तं छद्धा वजरिसहनारायं । तह य रिसहनारायं नारायं अद्धनारायं ॥ ३७॥ कोलिअ बेवर्ल्ड इह रिसहो पट्टो थ कीलिआ वज्ज । उभओ मक्कडबंधो नारायं इममुरालगे । ३८॥ Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समचउरंस निग्गोह साइखुजाइ वामण हुंडं । संठाणा वण्णा किण्ह नीललोहियहलिइसिया ॥३९ सुरहीदुरही रसा पण तित्तकडुकसायअंबिला महुरा । फासा गुरुलहुमिउखरसीउण्हसिणिद्धरुक्खट्ठा ॥४०॥ नीलकसिणं दुगंधं तित्त कडुरं गुरुं खरं रुक्खं । सीशं च असुहनवगं, इकारसगं सुभं सेसं ॥४१॥ चउहगइव्वणुपुठवी गइपुग्विदुगं तिगं नियाउजु । पुव्वीउदओ वक्के सुहअसुहवसुट्टविहगगई ॥४२॥ परघाउ दया पाणी परेसि बलिणं पि होइ दुद्धरिसो। उससणलद्धि जुत्तो हवेइ जसासनामवसा ॥ ४३ ॥ रविबिंबे उ जियंग तावजुअ यायवाउ न उ जलणे । जमुसिणफासस्स तहिं लोहियवण्णस्स उदउत्ति ४४ अणुसिणपयासरूवं जियंगमुज्जोयए इहुज्जोया । जइ देवुत्तरविक्किअजोइसखज्जोअमाइव्व ॥४५॥ अंग न गुरु न लहुरं जायइ जोवस्त अगुरुलहुउदया तित्थेण तिहुअणस्स वि पुज्जो से उदओ केवलिणो४६ उंगोवंगनिअमणं, निम्माएं कुणइ सुत्तहारसमं । Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवधाया उबहम्मइ सतणुवयवलंबिगाइहिं ॥४७॥ बितिचउपणिंदियतसा बायरओ बायरा जिया थूला। निअनिअपज्जतिजुआ, पज्जत्ता लद्धिकरणेहिं ॥४८॥ पत्तेथ तणू पत्तेउदएण दंतअट्ठिमाइ थिरं । नाभुवरि सिराइ सुहं सुभगाओ सव्वजणइट्ठो ॥४९॥ सुसरा महुरसुहझुणी आइज्जा सव्वलोअगिइझवओ जसो जसकित्तीओ थावरदसगं विवज्जत्थं ॥५०॥ गोश्र दुहुच्चनीअं कुलाल इव सुघडभुंभलाइ। विग्धं दाणे लाभे भोगुवभोगेसुवीरिए अ॥५१॥ सिरिहरिअसमं एअंजह पडिकूलेण तेण रायाइ। न कुणइ दाणाइअं एवं विग्घेण जीवो वि ॥५२॥ पडिणीअत्तणनिन्हवउवधायपोसअंतराएणं । अच्चारायणयाए आवरणदुर्ग जियो जयइ ॥५३॥ गुरुभत्तिखंतिकरुणावयजोगकसायविजयदाणजुओ । दढधम्माइ अज्जइ सायमसायं विवज्जयो ॥५४॥ उम्मग्गदेसणा मग्गनासणा देवव्वहरणेहिं । दसणमोहं जिणमुणिचेइअसंघाइपडिणीयो ॥५५॥ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (८) दुविहंपि चरणमोहं कसायहासाइविसयविवसमणो । बंधइ नरयाऊ महारंभपरिग्गहरओ रुद्दो ॥ ५६ ॥ तिरिआउ गूढहियओ, सढो ससल्लो तहा मणुस्साउ पयईइ तणुकसाओ, दाणरुई मइिझमगुणो थ ॥५७ अविरयमाइ सुराउ, बालतवोकामनिजरो जयइ ।। सरलो अगारविल्लो, सुहनामं अन्नहा असुहं ॥५॥ गुणपेही मयरहिओ, अझ्झयणइझावणारुई निञ्च ।। पकुणइ जिणाइभत्तो, उच्चं नी इअरहा उ ॥५९॥ जिणपूआविग्धकरो, हिंसाइपरायणो जयइ विग्छ । इय कम्मविवागोअ, लिहिओ देविंदसूरीहिं ॥६०॥ krkonkakt+ktkakkarte ॥ इति कर्मविपाकनामा प्रथमः कर्मग्रंथः॥ Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ ॐ नमोऽहते ॥ ॥ अथ कर्मस्तवनामा द्वितीयः कर्मग्रन्थः ॥ तह थुणिमो वीरजिण, जह गुणठाणेसु सयलकम्माई। बंधुदयोदीरणयासत्तापत्ताणि खविआणि ॥ १ ॥ मिच्छे सासणमोसे, अविरयदेसे पमत्तअपमत्ते । निअट्टिअनिअट्टिसुहुमुवसमखीणसजोगिअजोगिगुणा २ अभिनवकम्मग्गहणं, बंधो ओहेण तत्थ वीससयं । तित्थयराहारगदुगवज्ज मिच्छंमि सतरसयं ॥ ३॥ नरयतिग जाइथावरचउ हुंडायवछिवट्टन पुमिच्छं । सोलंतो इगहिअसय, सासणि तिरिथीणदुहगतिगं ॥४ अणमज्जागिइसंघयणचउ निनजोअकुखगइस्थित्ति । पणवीसंतो मीसे, चउसयरि दुहालयअबंधा '. ५॥ सम्मे सगसयरिजिणाउबंधि वइरनरतिबिअकसाया नरलदुगंतो देसे, सत्तट्ठी तिय कसायंतो ॥ ६ ॥ Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेवहीपमत्ते सोग अरइ अथिरदुग अजसअस्सायं । वुच्छिज्ज छच्च सत्त व, नेइसुराउं जया निकं ॥७॥ गुणसहि अप्पमत्ते, सुराज बंध तु जइ इहागच्छे । अन्नह अहावन्ना, जं आहारगदुगं बंधे ॥ ८ ॥ अडवन्न अपुव्वाइमि, निददुगंतो छपन्न पणभागे। सुरदुगपणिदिसुखगइतसनवउरलविणुतणुवंगा ॥९॥ समचकरनिमिणजिणवन्नअगुरूलहुचउ छलंसि तीसंतो चरमे छवीसबंधो, हासरइकुच्छभयभेओ ॥ १० ॥ अनिअट्टिभागपणगे, इगेगहीणो दुवीसविहबंधो। पुमसंजलणचउण्हं, कमेण डेओ सतर सुहुमे ॥११॥ चउदंसणुच्चजसनाणविग्घदसगं ति सोलसुच्छेयो । तिसु सायबंध छेयो, सजोगिबंधंतुणंतो अ ॥ १२ ॥ उदओ विवागवेअणमुदीरणमपत्ति इह दुवीससयं । सतरसय मिच्ने मीससम्मआहारजिणणुदया ॥ १३ ॥ सुहुमतिगायवमिच्छं, मिच्छतं सासणे इगारसयं । निरयाणुपुब्विणुदयो, अणथावरइगविगलअंतो ॥१४॥ मीसे सयमणुपुठवीणुदया मीसोदएण मीसंतो। Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउसयमजए सम्माणुपुविखेवा बिअकसाया ॥१५॥ मणुतिरिणुपुवि विउवदुहगणाइजदुगसतरछेओ। सगसीइ देसि तिरिगइआउ निउजोअतिकसाया॥१६॥ अच्छेओ इगसी, पमत्ति आहारजुअलपक्खेवा। थीणतिगाहारगदुगडेओ छस्सयरि अपमत्ते ॥ १७॥ सम्मत्तंतिमसंघयणतिअगच्छेओ बिसत्तरि अपुठवे। हासाइछक्कतो, छसट्ठि अनिअट्टि वेअतिगं ॥ १८॥ संजलणतिगं छोयो, सही सुहुमंमि तुरिअलोभंतो। उवसंतगुणे गुणसट्ठि रिसहनारायदुगअंतो ॥ १९ ॥ सगवन्न खीण दुचरमि, निद्ददुगंतो अ चरमि पणवन्ना। नाणंतरायदंसणचउ यो सजोगि बायाला ॥ २० ॥ तित्थुदया उरलाथिरखगइदुग परित्ततिग छसंठाणा । अगुरुलहुवन्नचउ निमिणतेअकम्माइसंघयणं ॥ २१ ॥ सूसर दूसर सायासाएगयरं च तीस वुच्छेओ। बारस अजोगि सुभगाइजजसन्नयरवेअणि ॥२२॥ तसतिग पणिदि मणुआउगइ जिणुच्चं ति चरमसमयंतो उदउव्वुदीरणया, परमपमत्ताइसगगुणेसु ॥ २३॥ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एसा पयडीतिगूणा, वेअणियाहारजुअलथीणतिगं । मणुआउ पमर्त्तता, अजोगि अणुदीरगो भयवं ॥२४॥ सत्ता कम्माण छिइ, बंधाइअलद्धअत्तलाभाणं ।। संते अडयालसयं जा उवसमु विजिणु बिअतइए ॥२५ अपुव्वाइयचउक्के, अण तिरिनिरयाउविणु बिबालसयं सम्माइचउसु सत्तगखयंमि इगचत्तसयमहवा ॥२६॥ खवगं तु पप्प चउसु वि, पणयालं निरयतिरिसुराउ विणा सत्तग विणु अडतीसं, जा अनिअघि पढमभागो ॥२७॥ थावरतिरिनिरयायवदुग थीणतिगेग विगल साहारं । सोलखओ दुविससय, बिसि बिअतिथकसायंतो २८ तइयाइसु चउदसतेरबारछपणचउतिहिअसय कमसो। नपुइथिहासछगपुंसतुरिअकोहोमयमायखओ ॥२९॥ सुहुमि दुसय लोहंतो, खीणदुचरिमेगसय दुनिदखओ। नवनवइ चरमसमए, चउदंसणनाणविग्धंतो ॥ ३० ॥ पणसीइ सजोगि अजोगि दुचरिमे देवखगइगंधदुगं । फासवण्णरसतणुबंधणसंघायपण निमिणं ॥३१॥ संघयणअथिरसंठाणछक अगुरुलहुचउ अपज्जतं । Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सायं व असायं वो, परितुवंगतिग सुसर निअं ॥३२॥ बिसयरि खओ अ चरिमे, तेरस मणुयतसतिग जसाइज। सुभगजिणुच्च पणिंदिअ, सायासाएगयरडेयो ॥३३॥ नरअणुपुव्वि विणा वा, बारस चरमसमयंमि जो खविउं पत्तो सिद्धिं देविंदवंदिरं नमह तं वीरं ॥ ३४ ॥ ************** **** ॥ इति कर्मस्तवाख्यो द्वितीयः कर्मग्रंथः ॥ కలల లల మ ంతం వందల మంది తల రంగం పంతులనం Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ अथ बंधस्वामित्वाख्यस्तृतीयः कर्मग्रन्थः॥ बंधविहाणविमुक्कं, वंदिअ सिरिवद्धमाणजिणचंदं । गइआईसु वुच्छं, समासओ बंधसामित्तं ॥ १ ॥ [गइ इंदीए य काए, जोए वेए कसोय नाणे य । संजम दसण लेसा, भव सम्मे सन्नि आहारे ॥ २ ॥] जिण सुरविउवाहारदु, देवाउ अ निरयसुहुमविगलतिगं एगिदि थावरायव, नपु मिच्छं हुंड व ॥ ३ ।। अण मझागिइसंघयण, कुखगनिअ इस्थि दुहगथीणतिगं उज्जोअ तिरिदुगं तिरिनराउ नरउरलदुग रिसहं ॥१॥ सुरइगुणवीसवज्ज, इगसउ ओहेण बंधहिं निरया। तित्थविणा मिच्छि सयं, सासणि नपुचउ विणा छनुई विणु अणवीस मोसे, बिसयरि सम्मंमि जिणनराउजुआ इअ रयणाइसु भंगो, पंकाइसु तित्थयरहीणो ॥६॥ अजिणमणुआउ ओहे, सत्तमिए नरदुगुच्चविणु मिच्छे Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इगनवई सासाणे, तिरिआउ नपुंसचउवज्जं ॥ ७ ॥ अणचउवीसविरहिया, सनरदुगुच्चा य सयरिमीसदुगे सतरसओ ओहि मिच्छे, पजतिरिआ विणु जिणाहारं विणु निरयसोल सासणि, सुराउ अणएगतीस विणु मीसे ससुराउ सयरि सम्मे, बीअकसाए विणा देसे ॥ ९ ॥ इअ चउगुणेसु वि नरा, परमजया सजिण ओहु देसाई जिणइक्कारसहीणं, नवसय अपजत्ततिरियनरा ॥१०॥ निरयव्व सुरा नवरं, ओहे मिच्छे इगिंदितिगसहिआ । कप्पदुगे वि अ एवं, जिणहीणो जोइभवणवणे ॥११॥ रयणु व्व सणकुमाराइ आणयाइ उज्जोअचउरहिआ। अपज्जतिरिअ व नवसयमिगिंदिपुढविजलतरुविगले १२ छनवइ सासणि विणु सुहुमतेर केइ पुण बिंति चउनवई तिरिअनराऊहिं विणा, तणुपजत्तिं न जति जओ॥१३॥ ओहु पणिदितसे गइतसे जिणिकारनरतिगुच्चविणा । मणवयजोगे ओहो, उरले नरभंगु तम्मिस्से ॥ १४ ॥ आहारछग विणोहे, चउदससउ मिच्छि जिणपणगहीणं सासणि चउनवइ विणा, तिरिअनराऊ सुहुमतेर ॥१५॥ Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रणचउवोसाइ विणा,जिणपणजुश्र सम्मिजोगिणो सायं विणु तिरिनराज कम्मे, वि एवमाहारदुगि ओहो ॥१६॥ सुरओहो वेउव्वे, तिरियनराउ रहियो अ तम्मिस्से। वेअतिगाइमबिअतिअकसाय नव दु च पंचगुणा ॥१७ संजलणतिगे नव दस, लोहे चउ अजइ दुति अनोणतिगे बारस अचक्खुचक्खुसु, पढमा अहखाय चरमचक॥१८ मणनाणि सग जयाई, समइअअ चऊ दुन्नि परिहारे। केवलदुगि दो चरमाजयाइ नव मइसुओहिदुगे ॥१९॥ अड उवसमि चन वेअगि, खइए इकार मिच्छतिगि देसे सुहुमि सहाणं तेरस, आहारगि निअनिअगुणोहो॥२०॥ परमुवसमि बटुंता, आउ न बंधंति तेण अजयगुणे । देवमणुआनहीणो, देसाइसु पुण सुराउविणा ॥२१॥ ओहे अहारसयं, आहारदुगणमाइलेसतिगे। तं तित्थोणं मिच्ने, साणाइसु सव्वहिं ओहो ॥२२॥ तेऊ नरयनवूणा, उज्जोअचऊ नरयबार विणु सुका । विणु नरयबार पम्हा, अजिणाहारा इमा मिच्ने ॥२३॥ सव्वगुणभव्वसन्निसु, बोहु अभव्वा असन्नि मिच्छ सम Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७ सासणि असन्नि सन्निव्व, कम्मणभंगो पाहारे ॥ २४ ॥ तिसु दुसु सुक्काइगुणा, चऊ सग तेरत्ति बंधसामित्तं । देविंदसूरिलिहिअं नेयं कम्मत्थयं सोउं ||२५|| ॥ इति बंधस्वामित्वाख्यस्तृतीयः कर्मग्रंथः ॥ *** ॥ अथ षडशीतिकाख्यश्चतुर्थः कर्मग्रन्थः ॥ **+2103 नमिअ जिणं जिश्रमग्गणगुणठाणुवओगजोगलेसाओ । बंद्धपबहूभावे, संखिजाई किमवि वुच्छं ॥ १ ॥ [नमिअ जिणं वक्तव्वा, चउदसजिणठाणपसु गुणठा था । Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जोगुवओगो लेसा, बंधोदयोदोरणा सत्ता (पाठांतरं) चउँदस जिअठाणेसु, चउदस गुणठाणगाणि जोगा य । उवयोगलेसबंधोदओदीरणासंत अट्टपए ॥ २॥ तह मूल चउदमग्गणठाणेसु बासहि उत्तरेसु च । जियगुणजोगुवओगालेसप्वबहुं च बहाणा ॥ पाठा० घउदस मग्गणठाणेसु मूलपएसु बिसहि इअरेसु । जिअगुणजोगुवओगालेसप्पबहुत्त छ हाणा ॥३॥ चउदस गुणेसु जियजोगुवओगलेसा य बंधहेऊ य । बंधाइअ चउ अप्पाबहुं च तो भाव संखाई ॥ पाठा० चउदस गुणठाणेसु, जिअजोगुवओगलेस्सबंधा य । बंधुदयुदीरणाओ, संसप्पबहुं च दसठाणा ॥ ४॥] इह सुहुमबायरेगिंदिबितिचजअसन्निसन्निपंचिंदि। अपजत्ता पजत्ता, कमेण चउदस जिअहाणा ॥५॥ बायरअसन्निविगले, अपज पढमबिअ सन्निअपजत्ते। अजयजु असन्निपजे, सव्वगुणा मिच्छ सेसेसु ॥ ६ ॥ अपजत्तछकि कम्मुरलमीसजोगा अपजसन्नीसु। ते सविउठवमीस एसु, तणुपज्जेसु उरलमन्ने ॥७॥ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९ सव्वे सन्निपजत्ते, उरलं सुहुमे सभासु तं चउसु । बायरि सविउविदुगं, जसन्निस बार उवओगा ॥ ८ ॥ पजचउरिंदिअसन्निसु, दुदंस दुअनाण दससु चरकुत्रिणा । सन्निअपज्जे मणनाणचक्खुकेवलदुगविहूणा ॥ ९ ॥ सन्निदुगि बलेस अपजबायरे पढम चउ ति सेसेसु । सत्तह बंधुदीरण, संतुदया यह तेरससु ॥ १० ॥ सत्तबेगबंधा, संतुदया सत्त अठ चत्तारि । सत्त 5 छ पंच दुगं, उदीरणा सन्निपज्जते ॥ ११ ॥ गइ इंदिए य काए, जोए वेए कसायनाणेसु ॥ संजमदंसणलेसा, भवसम्मे सन्निआहारे ॥ १२ ॥ सुरनरतिरिनिरयगई, इगबिअतिअचउपििद छक्काया भूजलजलणाऽनिलवणतसा य मणवयणतणुजोगा ॥ वेअ नरित्थिनपुंसा, कसाय कोहमयमायलोभति । मइसुयव हिमण केवलविभंगमइसानाणसागारा ॥ १४ ॥ सामाइअ बेा परिहारसुहुम यहखाय देस जय अजया चक्खु अचक्खु खोही, केवलदंसण अणागारा ॥१५॥ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किण्हा नीला काऊ, तेऊ पम्हा य सुक्क भविअरा। वेअग खइगुवसम मिच्छ मीस सासाण सनिअरे ॥१६॥ आहारेश्वर भेआ, सुरनिरयविभंगमइसुलोहिदुगे। सम्मत्ततिगे पम्हासुक्कासन्नीस सन्निदुगं ॥ १७ ॥ तमसन्निअपज्जजुअं, नरे सबायरअपज तेउए । थावर इगिंदि पढमा,चउ बार असन्नि दु दु विगले १८ दस चरम तसे अजयाहारगतिरितणुकसायदुचनाणे । पढमतिलेसाभविअरअचक्खुनपुमिच्छि सव्वेवि ॥१९॥ पजसन्नी केवलदुगे, संजममणनाणदेसमणमीसे । पण चरम पज वयणे,तिय छ व पजिअर चरकुंमि २० थीनरपणिदि चरमा, चउ अणहारे दु सन्नि छ अपज्जा ते सुहुमअपज विणा, सासणि इत्तो गुणे बुच्छं ॥२१॥ पण तिरि चउ सुरनरए,नरसन्निपणिंदिभव्वतसि सव्वे इगविगलभूदगवणे, दु दु एगं गइतसबभवे ॥२२॥ वेअ तिकसाय नव दस, लोभे चउ अजय दुति अनाणतिगे। बारस अचरकुचरकुसु, पढमा अहखाइ चरम चक २३ Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१ मणनाणि सग जयाई, समइअअ चउ दुन्नि परिहारे केवलदुगि दो चरमाजयाइ नव मइसुओहिदुगे ॥२४॥ अड उवसमि चउ वेअगि, खइए इक्कार मिच्छतिगि देसे सुहुमे य सहाणं तेरस जोगे आहारसुक्काए ॥ २५ ॥ असन्निसु पढमदुर्ग, पढमतिलेसासु छच्च दुसु सत्त । पढमतिमदुगअजया, अणहारे मग्गणासु गुणा ॥२६॥ सच्चेअर मीस असञ्चमोस मण वइ विउविधाहारा । उरलं मीसा कम्मण, इअ जोगा कम्ममणहारे ॥२७॥ नरगइ पणिदि तस तणु, अचख्कु नर नपु कसाय सम्मदुगे। सन्नि छलेसाहारग, भव मइ सुथ ओहिदुगि सम्बे २८ तिरि इथि अजय सासण,अनाण उवसम अभवमिच्छेसु तराहारदुगुणा, ते उरलदुगण सुरनरए ॥ २९ ॥ कम्मुरलदुर्ग थावरि, ते सविउविदुग पंच इगि पवणे। छ असन्नि चरिमवइजुअ,ते विउविदुगण चउ विगले३० कम्मुरलमीस विणु मण,वइ समइअ अ चक्खु मणनाणे उरलदुगकम्म पढमंतिममणवइ केवलदुगंमि ॥ ३१ ॥ Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ मणवइउरला परिहारि सुहुमि नव ते उ मीसि सविउव्वा देसे सविउन्विदुगा, कम्मुरलमीस अहखाए ॥३२॥ तिअनाण नाण पण चउ, दंसण बार जिअलक्खणुवयोगा विणु मणनाण दुकेवल, नव सुरतिरिनिरयअजएसु ॥ ३३ तस जोअ वेळा सुक्काहार नर पर्णिदि सन्नि भवि सव्वे नयोअर पण लेसा, कसाय दस केवलदुगुणा ॥ ३४॥ चउरिंद असनि दुअनाणदंसण इग बिति थावरि अचख्कु । ति अनाण दंसणदुर्ग, अनाणतिगि अभन्नमिच्छदुगे३५ केवलदुगे निअदुगं, नव ति अनाण विणु खड़अअहखाए दंसणनाणतिगं देसि मीसि अन्नामिसं तं ॥ ३६ ॥ मणनाणचक्खुवज्जा, अणहारि तिन्निदंसण चउनाणा चउनाणसंजमोव समवेअगे ओहिदंसे अ ॥ ३७ ॥ दो तेर तेर बारस, मणे कमा अठ दु चउ चउ वयणे चउ दु पण तिन्नि काए, जिन्ागुणजोगोवओगन्ने ३८ छसु लेसासु सठाणं, एगिंदि असन्निभूदगवणेसु । पढमा चउरो तिन्नि उ, नारयविगलग्गिपवणेसु ॥ ३९ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २३ ) अहखाय सुहुम केवलदुगि सुक्का छावि सेसठाणेसु । नरनिरयदेव तिरिओ, थोवा दु असंखणंतगुणा ॥४०॥ पण चउतिदु एगिंदी, थोवा तिन्नि अहिया अनंतगुणा तस थोव संखग्गी, भूजलानिलहि वणता । ४१ । मणवयणकायजोगी, थोवा असंखगुणा अणतगुणा । पुरिसा थोवा इत्थि, संखगुणाांतगुण कीवा ॥४२॥ माणी कोही माई, लोभी अहि मणनाणिणो थोवा । ओहि असंखा मइसुत्र, अहिअ सम असंख विभंगा।४३ केवलातगुणा, मइसुअन्नातिगुण तुल्ला । सुहुमा थोवा परिहार संख अहवाय संखगुणा ॥ ४४ ॥ बेा समई संखा, देस असंखगुणणतगुण अजया । थोव असंख दुणंता, ओहि नयण केवल अचक्खु ॥४५॥ पच्छाणुपुवि लेसा, थोवा दोसंखणंत दो अहिया । अभविअर थोवणता, सासण थोवोवसम संखा ॥ ४६ ॥ मीसा संखा वेग, असंखगुण खइा मिच्छ दु अनंता सन्निर थोवताणहार थोवेअर असंखा ॥४७॥ सव्वजिअद्वाण मिच्छे सग सासणि पापज्जसन्निदुगं Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४) सम्मे सन्नी दुविहो, सेसेसु सन्निपज्जत्तो ॥४८॥ मिच्छदुगि अजइ जोगाहारदुग्णा अपुवपणगे उ। मणवइउरलं सविउव्व, मौसि सविउवदुग देसे ॥१९॥ साहारदुग पमत्ते, ते विउवाहारमास विणु इअरे । कम्मुरलदुगताइममणवयण सजोगि न अजोगि॥५०॥ तिअनाण दुर्दसाइमदुगे अजइ देसि नाणदंसतिगं । ते मीसि मीसा समणा, जयाइ केवलदुगंतदुगे ।। ५१॥ सासणभावे नाणं विउवगाहारगे उरलमिस्त । नेगिदिसु सासाणो, नेहाहिगयं सुअमयंपि ॥५२॥ छसु सवा तेउतिगं, इगि छसु सुक्का अजोगि बल्लेसा बंधस्स मिच्छ अविरइ,कसाय जोग त्ति चउ हेक॥५३।। अभिगहिअमणभिगहिआभिनिवेसिअसंसइअमणाभोग। पण मिच्छ बार अविरइ,मणकरणाऽनिअमु छ जिअवहो। नव सोल कसाया पनरजोग इअउत्तरा उ सगवण्णा। इगचउपणतिगुणेसु, चउतिदुइगपञ्चओ बंधो ॥५५॥ चउमिच्छमिच्छविरइपच्चइया सायसोलपणतीसा । जोग विणु तिपच्चइआहारगजिणवज्ज सेसायो ॥५६।। Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पणपन्नं पन्ना तिअछहिअचत्त गुणचत्त छचउदुगवीसा। सोलस दस नव नव सत्त हेउणो न उ अजोगिमि५७॥ पणपन्न मिच्छि हारगदुगूण सासाणि पन्न मिच्छ विणा मीसदुगकम्मअण विणु.तिचत्त मीसे अह छचत्ता ॥५८ सदुमीसकम्म अजए अविरइकम्मुरलमीसबिकसाए। मुत्तु गुणचत्त देसे, छवीस साहारदु पमत्ते ॥५९ ॥ अविरइ इगार तिकसायवज्ज अपमत्ति मीसदुगरहिआ चउवीस अपुव्वे पुण, दुवीस अविउविआहारा ।६०। अछहास सोल बायरि, सुहुमे दस वेअसंजलणति विणा खीणुवसंति अलोभा,सजोगि पुव्वुत्त सग जोगा ॥६१ अपमत्तता सत्तह मीसअपुवबायरा सत्त । बंधइ छस्सुहुमो एगमुवरिमाऽबंधगा जोगी ॥६२॥ आसुहुम संतुदए, अठ वि मोह विणु सत्त खीणमि । चउ चरिमदुगे अह उ, संते उपसंति सत्तुदए ॥६३॥ उइरंति पमत्तता, सग 5 मीस 5 वेअआउ बिणा । छग अपमत्ताइ तओ, छ पंच सुहुमो पणुवसंतो॥६४॥ पण दो खीण दु जोगी, णुदीरगजोगि थोव उवसंता Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ संखगुण खीण सुहुमानिअट्टिअपुव्व सम यहिआ || ६५ जोगि पमत्त इयरे, संखगुणा देससासणामीसा | । ६९ । विरइ जोगिमिच्छा, असंखचउरो दुवे पंता | ६६ || उवसमखयमीसोदयपरिणामा दु नव हार इगवीसा । तिभेा सन्निवाइअ, सम्मं चरणं पढमभावे ॥६७॥ बीए केवल जुालं, सम्मं दाणाइलद्धि पण चरणं । तइए सेसुवओगा, पालदी सम्मविरइदुगं ||६८|| अन्नाणमसिद्धत्तासंजमलेसाकसायगइवेच्या । मिच्छं तुरिए भव्वाभवत्तजिअत्तपरिणामे चंउ चउगईसु मीसगपरिणामुदएहिं चउ सखइ एहिं । उवसमजुएहिं वा चउ, केवलि परिणामुदयखइए ॥ ७० ॥ खयपरिणामे सिद्धा, नराण पण जोगुवलमसेढीए । इअ पनर सन्निवाइाभेआ वीस असंभविणो ॥ ७१ ॥ मोहे व समो मीसो, चउघाइसु अठकम्मसु य सेसा धम्माइ पारिणामिअभावे खंधा उदइए वि ॥७२॥ सम्माइचउसु तिग चउ, भावा चउपणुवसामगुवसंते । चउ खीणापुव्वे तिन्नि सेसगुणठाणगेग जिए ॥ ७३ ॥ | Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सखिज्जेगमसंखं, परित्तजुत्तनिअपयजुअंतिविहं । एवमणंतं पि तिहा, जहन्नमज्जुक्कसा सव्वे ॥७॥ लहु संखिज्जं दुच्चिअ,अयो परं मज्झिमं तु जा गुरुअ जबूढीवपमाणय, चउपल्लपरुवणाइ इमं ॥७॥ पल्लाण वहिअ सलागपडिसलागमहासलागक्खा । जोयण सहसोगाढा, सवेइअंता ससिहभरिआ ७६॥ ता दीवुदहिसु इक्किक्कसरिसवं खिविअनिहिए पढमे पढमं व तदंत चिअ, पुण भरिए तम्मि तह खीणे७७ खिप्पइ सलागपल्लेगुसरिसवो इय सलागखवणेणं । पुण्णो बीथो अ तओ, पुव्वं पि व तम्मि उद्धरिए।७८ खीणे सलाग तइए, एवं पढमेहिं बीअयं भरसु । तेहिं तइयं तेहि अ, तुरियं जा किर फुडो चउरो।७९।। पढमतिपल्लुद्धरिआ, दीवुदही पल्लचउसरिसवा य । सबो वि एस रासी, रुवूणो परमसंखिज्ज ॥८॥ रूवजुधे तु परित्तासखं लहु अस्स रासि अन्भासे ॥ जुत्तासंखिज्ज लहु, आवलिआसमयपरिमाणं ॥८॥ बितिचउपंचमगुणणे, कमा सगासंखपढमचउसत्ता । Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गंता ते रूवजुया, मजा रूवूण गुरु पच्छा ॥ ८२ ॥ इय सुत्तत्तं अन्ने, वग्गियमिकसि चउत्थयमसंखं । होइ असंखासंखं, लहु रूवजुअं तु तं मज्ज ।८३॥ रूवूणमाइमं गुरू, तिवग्गिउं तत्थिमे दस क्खेवे । लोगोगासपएसा, धम्माधम्मेगजिअदेसा ।८४॥ ठिइबंधज्झवसाया, अणुभागा जोग डेथ पलिभागा । दुण्ह य समाण समया, पत्तेअनिगोअए खिवसु । पुणरवि तंमि तिवग्गिय, परित्तणंत लहु तस्स रासीणं। अब्भासे लहु जुत्ताणतं अभवजिअमाणं ॥८६॥ तबग्गे पुण जायइ, णंताणंत लहु तं च तिक्खुत्तो । वग्गसु तहवि न तं होइ एंतखेवे खिवसु छ इमे ॥८॥ सिद्धा निगोअजीवा, वणस्सइ काल पुग्गला थेव। सवमलोगनहं पुण, तिवग्गिउ केवलदुगंमि ॥८॥ खिने गंताणंत, हवेइ जिहं तु ववहरइमज्झं । इय सुहुमत्थविधारो, लिहियो देविंदसूरीहिं ॥८९॥ ॥ इति षडशीतिकाख्यश्चतुर्थकर्मग्रन्थः ॥ Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ॐ परमगुरुभ्यो नमः ॥ ॥अथ शतकनामा पञ्चमः कर्मग्रन्थः॥ नमिश्र जिणं धुवबंधोदयसत्ताघाइपुण्णपरिअत्ता । सेअर चउहविवागा, वुच्छं बंधविह सामी य ॥ १ ॥ वण्णचउतेअकम्मागुरुलहुनिमिणोवघायभयकुच्छा । मिच्छकसायावरणा, विग्धं धुवबंधिसगचत्ता ॥२॥ तणुवंगागिइसंघयणजाइगइखगइपुग्विजिणुसास । उज्जोयायवपरघातसवीसागोअवेयणियं ॥३॥ हासाइजुअलदुगवेअआउ तेवुत्तरी अधुवबंधो । भंगा अणाइसाइ, अणंतसंतुत्तरा चउरो ॥ ४ ॥ पढमविआ धुवउदइसु, धुवबंधिसु तइअवजभंगतिगं । मिच्छम्मि तिन्निभंगा, दुहावि अधुवा तुरिथभंगा ॥५ निमिण थिरअथिर अगुरुअ,सुहअसुहं तेह कम्म चउवन्ना नाणंतराय दंसण, मिच्छं धुवउदय सगवीसा ।। ६॥ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थिरसुभिअर विणु अधुवबंधी मिच्छ विणु मोहधुवबंधी। निहोवघायमीसं, सम्मं पणनवइ अधुवुदया ॥७॥ तसवण्णवीससगतेअकम्म धुवबंधि सेस वेयतिगं । आगिइतिग वेधणिय, दुजुअल सग उरल सासचऊद खगइतिरिदुग नीय, धुवसंता सम्ममीसमणुअदुगं। विउविकारजिणाउ, हारसगुच्चा अधुवसंता ॥९॥ पढमतिगुणेसु मिच्छं, निअमा अजयाइअठगे भज्ज । सासाणे खलु सम्म, संतं मिच्छाइ दसगे वा ॥१०॥ सासणमीसेसु धुवं, मीस मिच्छाइनवसु भयणाए । आइदुगे अण नियमा, भइआ मीसाइ नवगम्मि ॥११ आहारगसत्तगं वा, सव्वगुणे बितिगुणे विणा तित्थं । नोभयसते मिच्छो, अंतमुहुत्तं भवे तित्थे ॥ १२ ॥ केवलजुअलावरणा, पण निदा बारसाइमकसाया । मिच्छंति सव्वघाई, चउनाणतिदसणावरणा ॥१३॥ संजलण नोकसाया, विग्घं इअ देसघाइय अघाई ॥ पत्तेअतणुकाऊ, तसवीसा गोअदुग वण्णा ॥ १४ ॥ सुरनरतिगुञ्च सायं, तसदस तणुवंग वइरचउरसं । Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परघासगतिरिआउ,वण्ण चउ पणिदि सुभखगइ॥१५॥ बायाल पुण्णपगई, अपढमसंठाणखगइसंघयणा । तिरिदुग असाय नीओवघाय इग विगल निरयतिगं१६॥ थावरदस वण्णचउक्क घाइपणयालसहिअ बासीई ॥ पावपयडि त्ति दोसु वि, वण्णाइगहा सुहा असुहा ॥१७॥ नामधुवबंधिनवगं, दसण पणनाण विग्ध परघायं । भय कुच्छ मिच्छ सासं,जिणगुण तीसा अपरियत्ता॥१८॥ तणुबह वेअ दुजुअल,कसाय उज्झोअगोयदुगनिदा । तसवीसाउ परित्ता, खित्तविवागाऽणुपुवीओ ॥१९॥ घणघाइ दुगोथ जिणा,तसितिगसुभगदुभगचउसासं जाइतिग जिअविवागा, आऊ चउरोभवविवागा॥२०॥ नामधुवोदय चउतणुवधायसाहारणियर जोअतिगं । पुग्गलविवागि बंधो, पयइछिइरसपएसत्ति ॥२१॥ मूलपयडीण अडसत्तगबंधेसु तिन्नि भूगारा। अप्पत्तरा तिअ चरो, अवहिआ न हु अवत्तव्यो ।२२॥ एगादहिगे भूओ, एगाइ उणगम्मि अप्पतरो । तम्मत्तोअवयिओ, पढमे समये अवत्तव्वो ॥२३॥ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३२) नव छ चउदंसे दुदु, ति दु मोहे दु इगवीस सत्तरस । तेरस नव पण चउ ति दु, इको नव अह दस दुन्नि ॥२४ तिपणछअनवहिया, वीसा तोसेगतीस इग नामे । छस्सगअहति बंधा, सेसेसु य ठाणमिकिकं ॥२५॥ वीसयरकोडिकोडी, नामे गोए य सत्तरी मोहे । तीसयर चउसु उदही, निरयसुराउमि तित्तीसा ॥२६॥ मुत्तै अकसोय ठिइं, बार मुहुत्ता जहन्न वेयणिए । अट्टहनामगोए सु सेसएसं मुहत्तंतो ॥ २७ ॥ विग्यावरणअसाए, तीसं अहार सुहुमविगलतिगे। पढमागिइसंघयणे, इस दुसुवरिमेसु दुगवुढी ॥२८॥ चालीस कसाएसु, मिउलहुनिद्धण्हसुरहिसियमहुरे । दस दोसढसमहिया, ते हालिदंबिलाईणं ॥२९।। दस सुहविहगइउच्चे, सुरदुग थिरछक्क पुरिसरइहासे । मिच्छे सत्तरि मणुदुग, इच्छीसाएसु पण्णरस ॥३०॥ भयकुच्छअरइसोए, विउवितिरिउरलनिरयदुगनीए । तेअपण अथिरछक्के, तसचउ थावर इग पणिंदि ॥३१॥ नपु कुखगइ सासचउ, गुरुकक्खडरुक्खसीयदुग्गंधे। Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वीस कोडाकोडी, एवइयाबाह वाससया ॥३२॥ गुरु कोडिकोडि अंतो, तित्थाहाराण भिन्नमुहु बाहा। लहुठिइ संखगुणूणा, नरतिरियाणाउ पल्लतिगं ॥३३॥ इगविगल पुवकोडिं, पलियासंखंस आउचउ अमणा। निरुवकमाण छमासा, अबाह सेसाण भवतंसो ॥३४॥ लहुठिइबंधो संजलणलोहपणविग्घनाणदंसेसु । भिन्नमुहुत्तं ते अट्ठ, जसुच्चे बारस य साए ॥ ३५॥ दो इगमासो पख्खो, संजलणतिगे पुमट्ठवरिसाणि । सेसाणुकोसाओ, मिच्छत्तठिईइ जं लद्धं ॥ ३६ ॥ अयमुक्कोसो गिंदिसु, पलियाऽसंखंसहीणलहुबंधो। कमसो पणवीसाए, पन्ना सय सहस्स संगुणियो ३७॥ विगलि असन्निसु जिट्ठो, कणि?ओ पल्लसंखभागूणो । सुरनरयाउ समादससहस्स सेसाउ खुड्ड भवं ॥३८॥ सवाण वि लहुबंधे, भिन्नमुहु अवाह आउजितु वि । केइ सुराउसमं जिणमंतमुहू बिंति आहारं ॥३९॥ सत्तरस समहिया किर,इगाणुपाणुंमि हुँति खुड्डभवा । सगतीससयतिहुत्तर, पाणू पुण इगमुहुत्तंमि ॥१०॥ Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३४) पणसहिसहस्सपणसय, छत्तीसा इगमुहुत्त खुडभवा । श्रावलिया दोसय, उत्पन्ना एग खुभवे ॥ ४९ ॥ अविरयसम्मो तित्थं, आहारदुगामराउ य पमत्तो । मिच्छद्दिकी बधइ, जिहठि सेसपयडीणं ॥ ४२ || विगलसुहुमाउगतिगं, तिरिमणुया सुरविउविनिरयदुगं । एगिंदिधावरायत्र, आईसोणा सुरुक्कोसं ॥ ४३ ॥ तिरिउरलदुगुज्जोअं, छिवट्ट सुरनिरय सेस चउगइआ । आहारजिणमपुवो, नियट्टि संजलणपुरिसलहुं ॥४४॥ सायजसुच्चावरणाविग्धं सुमो विउविछ सन्नि । सन्नीवि उ बायरपज्जेगिंदी उ सेसाणं ॥ ४५॥ उको जहण्णीयर, भंगा साई अणाइ धुव अधुवा । चउहा सग जहन्नो, सेसतिगे आउचउसु दुहा ॥ ४६ ॥ चक्रभेओ अजहन्नो, संजलणावरणनवगविग्घाणं । सेसतिगि साइअधुवो, तह चउहा सेस पयडीणं ॥४७॥ साणाइअपुव्र्वते, अयरंतो कोडिकोडिओ नहिगो । बंधो नहु हीणो न य, मिच्छे भव्वियरसनिमि ॥४८॥ जइ लहुबंधो बायर, पज्ज संखगुण सुहुमपज हिगो । Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -- C&F ३५ एसिं अप्पजाण लहू, सुमेर अपजपजगुरु ॥ ४९ ॥ लहु बिच पज्जअपज्जे, अपज्जेयरवि गुरुहिगो एवं | ति चउ असन्निसु नवरं, संखगुणो विश्रमणपज्जत्ते ५० तो जड़ जिको बंधो, संखगुणो देसविरय हस्सिरो । सम्मचउ सन्निचउरो, ठिइबंधाणुकमसंखगुणा ॥ ५१ ॥ | सव्वाण वि जिठिइ, असुहा जं साइसंकिलेसेणं । इअरा विसोहिओ पुण, मुत्तं नरअमरतिरिआउं ॥ ५२ ॥ सुहमनिगोआइखणप्पजोग बायरयविगला मणमणा । अपज लहु पढमदु गुरू, पजहस्तिहारो असंखगुणो ॥ ५३ असमत्ततमुकोसो, पज्जजहन्नियरु एव ठिइठाणा । अपजेयरसंखगुणा, परमपजबिए असंखगुणा ॥५४॥ पइखणमसंखगुणविरिय अपन पइठिइमसंखलोगसमा । अज्झवसाया अहिया, सत्तसु आउसु असंखगुणा ॥ ५५ ॥ तिरिनिरयतिजोयाणं, नरभवजुअ सचउपल्ल तेसहं । थावरच उइगविगलायवेसु, पणसीइसयमयरा ॥ ५६ ॥ अपढम संघयणा गिइखगइअणमिच्छदुभगथीपतिगं । नि नपुइत्थि दुतीसं, पणिदिसु अबंध ठिइपरमा । ५७ । Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ विजयाइस गेविज्जे, तमाइ दहिसय दुतीस तेसहं । पणसीइ सययबंधो, पल्लतिगं सुरविउव्विदुगे ॥ ५८ ॥ समयादसंखकालं, तिरिदुग नीएसु आउ तमुहु | जरलि असंखपरट्टा, सायठिई, पु०त्रकोणा ॥ ५९ ॥ जलहिसयं पणसीयं, परघुस्सा से पििदतसचउगे । बत्तीसं सुहविहगइपुमसुभगतिगुच्चचउरंसे ॥६०॥ असुहखगइजाइआगिइसंघयणाहारनिरयुजोयदुगं । थिरसुभजसथावरदसनपुइत्थीजुअल सायं ॥ ६१ ॥ समयादंतमुहुत्तं, मणुदुगजिणवइरउरलुवंगेसु । तित्तीसयरा परमो, तमुहु लहु वि आउजिये ॥ ६२ ॥ तिवो सुहसुहाणं, संकेसबिसोहिओ विवज्जयो । मंदरसो गिरिमहिरयजलरेहासरिसकसाएहिं ॥ ६३ ॥ चउठालाई असुहा सुहन्ना विग्घदेस (घाइ ) आवरणा । पुमसंजलणिगदुतिचउघाणरसा सेस दुगमाई ॥६४॥ निंबुष्ठुरसो सहजो, दुतिचउभागकढिइक्कभागंतो । इगठाणाई असुहो. असुहाण सुहो सुहाणं तु ॥ ६५॥ तिवमिगथावरायव, सुरमिच्छा विगलसुहुमनिरय तिगं । Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७ तिरिमणुआउ तिरिनरा, तिरिदुगबेवड सुरनिरया ॥ ६६ ॥ विउब्विसुराहारगदुगं, सुखगइवन्नचनतेयजिणसायं । समचउपरघातसदस, पणिदिसासुच्च खवगाउ ॥६७॥ तमतमगा उज्जोयं, सम्मसुरा मणुयजरलदुगवइरं । अपमन्तो अमराउं, चउगइ मिच्छा न सेसाणं ॥ ६८ ॥ थीणतिगं अणमिच्छं, मंदरसं संजमुम्मुहो मिच्छो । वियतियकसाय अविरय, देस पमत्तो अरइसोए ॥६९॥ अपमा हारगदुगं, दुनिद्दा सुवन्नहासरइकुच्छा | भयमुवधायमपुव्वो, अनियट्टी पुरिससंजलणे ॥७०॥ विग्धावरणे सुमो मणुतिरिआ सहमविगलतिगआउ । वेउविछक्कममरा, निरया उज्जोयउरलदुगं ॥ ७१ ॥ तिरिदुगनियं तमतमा, जिणमविरय निरयविणिगथावरयं आसुह मायव सम्मोव सायथिरसहजसासियरा ॥७२॥ तसवन्नतेयचउमणुख गइ दुगपणिदिसासपरघुच्च । संवयणागिइ नपुथ्वीसुभगियरति मिच्छ चउगइआ७३ चकतेअवन्न वेअणि नामणुक्कोस सेसधुवबंधी । घाई जहन्नो गोए दुविहो इमो चउहा ॥ ७४ ॥ Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेसमि दुहा इगदुगणुगाइजाअभवणंतगुणिआणू । खंधा उरलोचियवग्गणा उ तह अगहणंतरिया ॥७५॥ एमेव विउव्वाहारतेअभासाणुपाणमणकम्मे । सुहमा कमावगाहो, जणूणंगुलअसंखसो ।। ७६ ॥ इकिकहिया सिद्धाणतंसा अंतरेसु अग्गहणा । सवत्थ जहन्नुचिया, नियणंतसाहिआ जिहा ॥ ७७॥ अंतिमचउफास दुगंधपंचवन्नरसकम्मखंधदलं । सबजियणंतगुणरसमणुजुत्तमणतयपएस ॥७८॥ एगपएसोगाढं, निअसवपएसओ गहेइ जिओ। थोवो आउ तदंसो, नामे गोए समो अहिओ ॥७९॥ विग्यावरणे मोहे, सव्वोवरि वेअणीय जेणप्पे । तस्स फुडत्तं न हवइ, ठिईविसेसेण सेसाणं ॥ ८० ॥ निअजाइलद्धदलिआणंतंसो होइ सव्वघाईणं । बझ्झंतीण विभज्जइ, सेसं सेसाण पइसमयं ॥८१॥ सम्मदरसम्वविरई अणविसंजोअदंसखवगे अ। मोहसमसंतखवगे, खीणसजोगीअर गुणसेढी ॥८२॥ गुणसेढी दलरयणाणुसमयमुदयादसंखगुणणाए । Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३९ एअगुणा पुण कमसो, असंखगुण निज्जरा जीवा ॥ पलिआसंखसमुहु, सासणइअरगुण अंतरं हस्सं । गुरु मिच्छि बे छसही, इयरगुणे पुग्गलद्धेतो ॥ ८४ ॥ उद्धारअद्धवित्तं पलिय तिहा समयवासस्य समए । केसवहारो दीवोदहिआउत साइपरिमाणं ||८५ ॥ दवे खिते काले, भावे चउह दुह बायरो सुहुमो । हो तुस्सप्पिणिपरिमाणो पुग्गलपरहो ॥८६॥ उरलाइसत्तगेणं, एगजिओ मुअइ फुसिय सव्वअण् । जत्तिअकालि स धूलो, दव्वे सुहुमो सगन्नयरा ॥८७ लोगपएसोसप्पिणिसमया अणुभागबंधाणाय । जह तह कममरणेण, पुछा खित्ताइ थुलियरा ॥८८॥ प्पयरपयडिबंधी, उक्कडजोगी अ सन्निपज्जत्तो । कुणइ परसुक्कोसं, जहन्नयं तस्स वच्चासे ॥ ८९ ॥ मिच्छ अजयचउ आऊ, बितिगुणविणु मोहि सत्त मिच्छाइ छहं सतरस सुहुमो, अजया देसा बितीकसाए ||१०|| पण अनिअट्टी सुखगड़, नराउ सुरसुभगतिगविउविदुगं । समचउरंसमसायं, वइरं मिच्छो व सम्मो वा ॥९१॥ निद्दापयलादुजुअलभयकुच्छातित्थ संमगो सुजई | Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० आहारदुर्ग सेसा, उक्कोसपएसगा मिच्छो ॥९२॥ सुमुणी दुनि असन्नी, नरयतिगसुराज सुरविउब्विदुगं सम्मो जिणं जहन्नं, सुहुमनिगोआइखणि सेसा ॥९३॥ दंसणछग भयकुच्छा बितितु रिअकसाय विग्घनाणाएं । मूलछगे एक्कोसो; चउह दुहा सेसि सव्वत्थ ॥२४॥ सेढिअसंखिज्जसे, जोग प्राणाणि पर्याडटिइ भेआ । ठिइबंधज्झवसायाणुभागठाणा असंखगुणा ॥ ९५ ॥ तत्तो कम्मपरसा, अंतगुणिया तो रसच्छेया । जोगा पयडिपएस, ठिइअणुभागं कसायाओ ॥ ९६ ॥ चउदसरज्जू लोगो, बुद्धिकओ होइ सतरज्जुघणो । तीगपएस, सेढी पयरो का तव्वग्गो ॥ ९७ ॥ अणदंसनपुंसित्थो, बेअछक्कं च पुरिसवे च । दोदो एगरिए, सरिसे सरिसं जंवसमेइ || ९८ ॥ अणमिच्छमीससम्मं, तिआउइगविगलथीणतिगुज्जो तिरिनरयथावरदुगं, साहारायवाडनपुथी ॥ ९९ ॥ छग पुंसंजलणा दोनिदविग्धवरणक्खए नाणी । देविंदसूरीलिहिं, सयगमि आयसरणा ॥ १०० ॥ ॥ इति शतकनामा पञ्च मकर्मग्रन्थः ॥ Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ अहम ॥ ®®®®®®®®®®®®®®®®® अथ प्राचीना: कर्मग्रन्थाः प्रारभ्यन्ते ॥ 02082898808809930008 श्वताम्बराग्रण्यश्रीमद्गर्गमहर्षिविरचितः ॥ कविपाकाख्यः प्रथमः कर्मग्रन्थः॥ ववगयकम्मकलंक, वीरं नमिउण कम्मगइकुसलं । वोच्छं कम्मविवागं, गुरुवइट्टं समासेणं ॥१॥ कीरइ जओ जिएणं, मिच्छत्ताईहिं चउगइगएणं । तेणिह भण्णइ कम्मं, अणाइयं तं पवाहेणं ॥२॥ तस्स उ चउरो भेया, पगईमाईउ हुंति नायव्या । मोयगदिहतेणं पगईभेओ इमो होइ ॥३॥ Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ मलपयडीउ अट्ठ उ, उत्तरपयडीण अहवन्नसयं । तासिं सभावभेया, हुंति हु भेया इमे सुणह ॥ ४॥ पढमं नाणावरण, बीयं पुण दसणस्स आवरण । तइयं च वेयणीयं, तहा चउत्थं च मोहणियं ॥५॥ आउ नाम गोयं, अट्ठमयं अंतराइयं होइ । मूलपयडीउ एया, उत्तरपयडीउ कित्तेमि ॥६ ॥ पंचविहनाणवरण, नव भेया सणस्स दो वेए । अहावीसं मोहे, चत्तारि य आउए हुंति ॥७॥ नामे तिउत्तरसयं, दो गोए अंतराइए पंच। एएसिं भेयाण, होइ विवागो इमो सुणह ॥८॥ पडपडिहारसिमजाहडिचित्तकुलालभंडगारि । जह एएसिं भावा, कम्माणवि जाण तह चेव ॥९॥ सरउग्गयससिनिम्मलयरस्स जीवस्स छायण जमिह । नाणावरणं कम्मं, पडोवम होइ एवं तु ॥ १० ॥ जह निम्मलावि चक्खू , पडेण केणावि छाइया सती मंद मंदतरागं, पिच्छा सा निम्मला जइवि ॥११॥ तह मइसुयणाणाण, श्रोहीमणकेवलाण आवरणं । Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४३ जीवं निम्मलरूवं, आवरइ इमेहि भेएहिं ॥ १२ ॥ अट्ठावीसइभेयं, मइनाणं इत्थ वणियं समए । त आवरेइ ज तं, मइआवरणं हवइ पढमं ॥ १३ ॥ चोइसभेएसु गयं, सुयनाणं इत्थ वणियं समए । तस्सावरण जं पुण, सुयआवरणं हवइ बीयं ॥ १४ ॥ अणुगामिवड्ढमाणयभेयाइसु वणिओ इह ओही । तं आवरेइ जं तं, अवहीबावरणयं जाण ॥ १५ ॥ रिउमइविउलमई हिं, मणपजवनाणवण्णणं समए । तं आवरियं जेणं, तं पि हु मणपजवावरणं ॥ १६ ॥ लोयालोयगएK, भावेसुं जं गयं महाविमलं । तं बावरियं जेणं, केवलआवरणयं तं पि ॥१७॥ एवं पंचविअप्पं, नाणावरणं समासओ भणियं । बीयं दसणवरणं, नवभेयं भण्णए सुणह ॥ १८ ॥ दसणसीले जीबे, दसणघायं करेइ जं. कम्मं । तं पडिहारसमाण, सणवरणं भवे बीयं ॥ १९ ॥ जह रन्नो पडिहारो, अणभिप्पेयरस सो उ लोगस्स। रणो तहिँ दरिसावं, न देइ दलृ पि कामस्स ॥२० Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४४ जह राया तह जीवो, पडिहारसमं तु दंसणावरणं । तेहि विबंधणं, न पिच्छए सो घडाईयं ॥ २१ ॥ निदापणगं तत्थ उ, चउभेया दंसणस्स आवरणे । सुहपडिवोहा निद्दा, बीया पुण निद्दानिद्दा य ॥२२॥ सा दुक्खबोहणीया, पयला पुण जा ठियस्स उद्धाइ । पलापयल चउत्थी, तीए उदओ न चंकमणे ॥ २३ ॥ थीणद्धी पुण दि चिंतियस्स अत्थस्स साहणी पायं । सा संकिलिट्ठकम्मस्स उदयओ होइ नियमेणं ॥२४॥ निद्दापणगं एयं, चक्खू आवरइ चक्खुआवरणं । सेसिंदियावरणं, होइ अचक्खुस्स आवरणं ।। २५ ।। सामन्नुवओगं जं, वरेइ तं ओहिदंसणावरणं । केवलसामन्नं जं, वरेइ तं केवलस्स भवे ॥ २६ ॥ भणियं दंसणवरणं, तइयं कम्मं तु होइ वेयणियं । तं असिधारासरिसं, जह होइ तहो निसामेह ||२७|| महुलित्तनिसियकरवालधारजीहाइ जारिसं लिहणं । तारिसयं वेयणियं, सुहदुहउप्पायगं मुणह ॥ २८ ॥ महुआसायणसरिसो, सायावेयस्स होइ हु विवागो । Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जं असिणा तहि छिजइ, सो उ विवागो असायस्स ॥ एयं सुहदुक्खकर, चउगइमावन्नयाण जीवाणं । सामन्नेणं भणिमो, सुहदुक्खं दुसु दुसु गईसु ॥३०॥ देवेसु य मणुएसु य, तत्थ विसिढेसु कामभोगेसु । जं उवभुंजइ जीवो, सो उ विवागो उ सायस्स ॥३१ नरएसु य तिरिएसु य, तेसु य दुक्खाइँ गरूवाई। जं उवभुंजइ जीवो, सो उ विवागो असायस्स ॥३२॥ एयमिह वेयणीयं, चनत्थकम्मं तु होइ मोहणियं । तं मजपाणसरिसं, जह होइ तहा निसामेह ॥३३॥ जह मजपाणमूढो, लोए पुरिसो परवसो होइ । तह मोहेणवि मुढो, जीवोवि परवसो होइ ॥ ३४ ॥ मोहेइ मोहणीयं, तं पि समासेण भण्णए दुविहं । दसणमोहं पढमं, चरित्तमोह भवे बोयं ॥ ३५ ॥ दसणमोहं तिविहं, सम्मं मीसं च तह य मिच्छत्तं । सुद्धं अद्धविसुद्धं, अविसुद्ध तं जहाकमसो ।। ३६ ॥ केवलनाणुवलद्धे, जीवाइपयत्थ सदहे जेणं । तं संमत्तं कम्म, सिवसहसंपत्तिपरिणामं ॥ ३७ ॥ Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ राग नवि जिणधम्मे, नवि दोसं जाइ जस्स उदएण। सो मीसस्स विवागो, अंतमुहुत्तं भवे कालं ॥ ३८ ॥ जिणधम्ममि पओसं, वहइ य हियएण जस्स उदएणं तं मिच्छत्तं कम्म, संकिट्ठो तस्स उ विवागो ॥ ३९ ॥ ज पि य चरित्तमोहं, तं पि हु दुविहं समासओ होइ। सोलस जाण कसाया, नव भेया नोकसायाणं ॥४०॥ कोहो माणो माया, लोभो चउरोवि हुंति चउभेया। अणअप्पच्चक्खाणा, पच्चक्खाणा य सजलणा ॥४१॥ कोहो माणो माया, लोभो पढमा अणंतबंधी उ। एयाणुदए जीवो, इह संमत्त न पावेइ ॥ ४२ ॥ जं परिणामो किट्ठो, मिच्छाओ जाव सासणो ताव । संमामिच्छाईसु, एसिं उदओ अओ नत्थि ॥४३॥ कोहो माणो माया, लोभो बीया अपञ्चखाणा उ । एयाणुदए जीवो, विरयाविरइं न पावेइ ॥ ४४ ॥ एसिं जाण विवागो, मिच्छाओ जाव अविरओ ताव परओ देसजयाइसु, नत्थि विवागो चउण्हंपि ॥४५॥ कोहो माणो माया, लोभो तइआ उ पञ्चखाणा उ। Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४७ एयाणुदए जीवो पावेइ न सव्वविरइं तु ॥ ४६॥ एसिं जाण विवागो, मिच्छाओ जाव विरयविरोउ। परओ पमत्तमाइसु, नस्थि विवागो चउण्हंपि ॥४७|| कोहो माणो माया, लोभो चरिमा उ हुंति संजलणा एयाणुदए जीवो, न लहइ अहखायचारितं ॥४८॥ एसिं जाण विवागो, मिच्छायो जाव बायरो तिण्हें । लोभस्त जाव सुहुमो, होइ विवागो न परओ उ ॥४९॥ नव नोकसाय भणिमो, वेया तिम्नेव हासछक्कं च । इत्थोपुरिसनपुंसग, तेसि सरूवं इमं होइ ॥ ५० ॥ पुरिस पइ अहिलासो, उदएणं होइ जस्स कम्मस्ल। सो फुफुमदाहसमो, इत्थीवेयस्स उ विवागो ॥ ५१ ॥ इत्थीए पुण उवरिं, जस्सिह उदएण रागमुप्पज्जे । सो तणदाहसमाणो, होइ विवागो पुरिसवेए ॥ ५२ ।। इत्थीपुरिसाणुवरिं, जस्सिह उदएण रागमुप्पज्जे। नगरमहादाहसमो, सो उ विवागो अपुमवेए ॥ ५३ ।। तिण्हवि होइ विवागो, मिच्छाओ जाव बायरो ताव। हासरईअरइभयं, सोगदुर्गुच्छा उ अह भणिमो ॥५४॥ Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सनिमित्तऽनिमित्तं वा, अं हास होइ इत्थ जीवस्त। सो हासमोहणीयस्स होइ कम्मस्त उ विवागो ॥५५॥ सच्चित्ताचित्तेसु य, बाहिरदव्वेसु जस्स उदए । होइ रई रइमोहे सो उ विवागो वियाणाइ ॥ ५६ ॥ सच्चित्ताचित्तेसु य, बाहिरदम्वेसु जस्स उदएणं । अरई होइ हु जीवे, सो उ विवागो अरइमोहे॥५७॥ भयवज्जियंमि जीवे, जस्सिह उदएणं हुंति कम्मस्स । सत्तवि भयठाणाई, भयमोहे सो विवागो उ ॥५८॥ सोगरहियंमि जीवे, जस्सिह उदएण होइ कम्मस्त। अक्कंदणाइसोगो, त जाणह सोगमोहणियं ॥५९॥ दुग्गंधमलिणगेसु य, अभितरबाहिरेसु दम्वेसु। जेण विलीयं जीवे उप्पजइ सा दुगुला उ ॥६०॥ छण्हवि होइ विवागो, मिच्चायो जा अपुवकरणस्स। चरमसमउ त्ति परयो, नथि विवागो उ उण्हंपि ॥६१॥ भणियो मोहविवागो, आउयकम्मं तु पंचमं भणिमो तं होइ चउपयारं नरतिरिय मणुदेवभेएहिं ॥ ६२ ॥ दुक्खं न देइ आउं, नेय सुहं देइ चउसुवि गइसु । Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दुक्ख सुहाणाहारं, धरेइ देहट्ठियं जीवं ॥६३ ॥ जं नेरइयं नारयभवम्मि तहिं धरइ उबियंत पि । जाणसु तं निरयाउं, हडिसरिसो तस्स उ विवागो ॥ एवं तिरियं मणुयं, देवं तिरियाइएसु भावेसु। जं धरइ तब्भवगयं, तं तेसिं आउयं भणियं ॥६५॥ भणिय आउयकम्मं, छठें कम्मं तु भण्णए नाम । तं चित्तगरसमाण, जह होइ तहा निसामेह ॥६६ ॥ जह चित्तयरो निउणो, अणेगरूवाइँ कुणइ रूवाई। सोहणमसोहणाई, चुक्खाचुक्खेहिँ वण्णेहिं ॥६७॥ तह नाम पि य कम्मं, अणेगरूवाइँ कुणइ जीवस्स । सोहणमसोहणाई, इट्ठाणिहाइँ लोयस्स ॥ ६८ ।। गइयाइएसु जीवं, नामइ भेएसु जं तओ नामं । तस्स उ बायालीसं, भेया अहवावि सत्तट्ठी ॥१९॥ अहवावि हु तेणउई, भेया पयडीण हुंति नामस्स । अहवा तिउत्तरसयं, सव्वेवि जहकमं भणिमो ॥७॥ पढमा बायालीसा, गइ जाइ सरीर अंगुवंगे य। बंधण संघायण संघयण संठाणनामं च ॥ ७१ ॥ Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तह वण्णगंधरसफासनाम अगुरुलहुयं च बोधव्वं । उवघायपराघायाणुपुवि उस्सासनामं च ॥ ७२ ॥ आयावुजोय विहायगई तसथावराभिहाणं च । बायर सुहुम पजत्तापजत्तं च नायव्वं ।। ७३ ॥ पत्तेयं साहारण, थिरमथिरसुभासुभं च नायव्वं । सूभगभगनाम, सूसर तह दूसरं चेव ॥ ७१ ॥ आइजमणाइज्जं, जसकित्तीनाममजसकित्ती य । निम्माणं तित्थयरं, भेयाण वि हुँतिमे भेया ॥ ७५ ॥ गइ होइ चउब्भेया, जाईवि य पंचहा मुणेयव्वा। पंच य इंति सरीरा, अंगोवंगाइँ तिन्नेव ॥ ७६ ॥ छस्संघयणा जाणसु, संहाणावि य हवंति छच्चेव । वण्णाईण चउक्कं, अगुरुलहुवघायपरघायं ।। ७७ ॥ अणुपुवी चउभेया, उस्सासं आयवं च उज्जोयं । सुहअसुहविहायगई, तसाइवीसं च निम्माणं ॥७८॥ तित्थयरेण य सहिया, सत्तट्ठी एव हुंति पयडीओ। सम्मा मीसेहि विणा, तेवन्ना सेसकम्माणं ॥७९॥ एवं विसुत्तरसयं बंधे पयडीण होइ नायव्वं । Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बंधणसंघायावि य, सरीरगहणेण इह गहिया ॥८॥ बंधणभेया पंच उ, संघायावि य हवंति पंचेव । पण वण्णा दो गंधा, पंच रसा अट्ट फासा य ॥८॥ दस सोलस छवीसा, एया मेलेहि सत्तसट्ठीए । तेणउई होइ तओ, बंधणभेया उ पण्णरस ॥ ८२ ॥ सव्वेहिँ वि छुढे हिं, तिगअहियसयं तु होइ नामस्स। एएसिं तु विवागं, वुच्छामि अहाणुपुवीए ।। ८३ ॥ नारयतिरियनरामरगइभेया चउबिहा गई होइ । एसा खवु ओदइए, होइ हु भावे जयो आह ॥८॥ जीऍ उदएण जीवो, नेरइओ होइ नरयपुढवीए । सा भणिया नरयगई, सेसगईयोवि एमेव ॥ ८५ ॥ इगदुगतिगचनरिदियजाई पंचिंदियाण पंचमिया । खयनवसमिए भावे, हुंति हु एया जओ आह ॥६॥ एगिदिएसु जीवो, जस्सिह उदएण होइ कम्मस्स । सा एगिदियजाई, जाईओ एव सेसा उ ॥ ८७ ॥ ओरालियवेउव्वियआहारयतेयकम्मए चेव । एवं पंच सरीरा, तेसि विवागो इमो होइ ॥ ८८॥ Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओरालियं सरीरं; उदएणं होइ जस्स कम्मस्त । तं ओरालियनाम, सेससरीरा वि एमेव ॥ ८९ ॥ अंगोवंगविभागो, उदएणं होइ जस्स कम्मस्त । तं अंगुवंगनाम, तस्स विवागो इमो होइ ॥ ९० ॥ सीसमुरोयरपिट्ठी, दो बाह उरुया य अटुंगा । अंगुलिमाइउवंगा, अंगोवंगाई सेसा ॥ ९१॥ आइल्लाणं तिण्हं, हंति सरीराण अंगुवंगाई। नो तेयगकम्माण, बंधणनाम इमं होइ ॥ ९२॥ ओरालियओरालिय, ओरालियतेयबंधणं बीयं । ओरालकम्मबंधण, तिण्हवि जोगे चउत्थं तु ॥९३॥ ओरालपुग्गला इह, बद्धा जीवेण जे उरालत्ते । अन्ने उ बज्झमाणा, ओरालियपुग्गला जे य ॥९४॥ तेसिं जं संबंधं, अवरोप्पर पुग्गलाणमिह कुणइ । तं जउसरिसं जाणसु, ओरालियबंधणं पढमं ॥९५॥ एवोरालियतेयग, ओरालियकम्मबंधण तह य । ओरालतेयकम्मगबंधणनामं पि एमेव ॥ ९६ ॥ वेउव्वियवेउव्विय, वेउव्यियतेयबंधणं बीयं । Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५३ वेउव्विकम्मबंधण, तिण्हवि जोए चउत्थं तु ॥९७॥ वेउव्विपुग्गला इह, बद्धा जीवेण जे विउव्वित्ते। अन्ने य बज्झमाणा, वेउव्वियपुग्गला जे उ ॥ ९८॥ तेसिं जं संबंध, अवरोप्पर पुग्गलाणमिह कुणइ । तं जउसरिसं जाणसु, वेउव्वियबंधणं पढमं ।।९९॥ एवं विउवितेयग, वेउब्वियकम्मबंधणं तह य । वेउठिवतेयकम्मगबंधणनामं पि एमेव ॥ १०० ॥ आहारगआहारग, आहारगतेयबंधणं बायं । आहारकम्मबंधण, तिण्हवि जोए चउत्थं तु ॥१०१॥ आहारपुग्गला इह, आहारत्तेण जे निबद्धा उ। अन्ने य बज्झमाणा, याहारगपुग्गला जे उ॥१०२॥ तेसिं ज संबधं, अवरोप्पर पुग्गलाणमिह कुणइ । त जउसरिस जाणसु, आहारगबंधणं पढमं ॥१०३॥ एवाहारगतेयग, आहारगकम्मबंधणं तह य । आहारतेयकम्मगबंधणनाम पि एमेव ॥ १०४ ॥ एवं तेयगतेयग, तेयगकम्मे य बंधणं तह य । कम्मइगं कम्मइगं, बधणनामं पि पनरसमं ॥१०५॥ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५४ संघायनाममहुणा, संघायइ जेण तेण संघायं । ओरालियसंघाय, वेउव्विय जाव कम्मइगं ॥ १०६ ॥ ओरालाई जे देहपुग्गला होंति जंमि ठामि । ते ठति तंमि ठाणे, सघायणकम्मणो उदए ॥१०७॥ वज्जरि सहनारायं, रिसहं नारायमद्धनारायं । कीलिय तह बेवट्ट, तेसि सरूवं इमं होइ ॥ १०८ ॥ रिसहो य होइ पट्टो, वज्जं पुण कीलिया मुणेयव्वा । उभओ मक्कडवंधं, नाराय तं त्रियाणाहि ॥ १०९ ॥ जस्सुदपणं जीवे, सघयां होइ वज्जरिसहं तु । त वज्जरिसहनामं, सेसावि हु एव संघयणा ॥११०॥ समचउरंसे नग्गोहमंडल साइवामणे खुज्जे | हुंडेवि य संठाणे, तेसि सरूवं इमं होइ ॥ १११ ॥ तुल्लं वित्थड बहुलं, उस्सेहबहुं च मडहकोठं च । हिडिल्लकायमडहं, सव्वत्थासंठियं हुंडं ॥ ११२ ॥ जस्सुदपणं जीवे, चउरंसं नाम होइ संठाणं । तं चउरंसं नामं, सेसावि हु एव संठाणा ॥ ११३ ॥ किण्हा नीला लोहिय, हालिद्दा तह य हुंति सुक्किलया Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५५ जियदेहाणं वण्णा, उदएणं वण्णनामस्स ।। ११४ ॥ गंधेण सुरभिगंधं, अहवा गंधेण दुरभिगंधं तु । होइ जियाणं देह, उदयं गंधनामस्स ॥ ११५ ॥ तित्तगकडुयकसाया, अंबिलमहुरा रसा वि पंच भवे विहु जियदेहाणं, रसनामुदएण खज्जंता ॥ ११६ ॥ गुरुहुमिउकढणावि य, निद्धा लुक्खा य होंति सीउन्हा जियदेहाणं फासा, उदएणं फासनामस्स ॥ ११७ ॥ गुरुं न होइ देहं न य लहुयं होइ सव्वजीवाणं । होइ हु अगुरुयलहुये, अगुरुलहुयनाम उदपणं ॥ ११८ ॥ अंगावयवो पडिजिब्भियाइ जो अप्पणी उवग्घायं । कुणइ हु देहमि ठिखो, सो उवघायस्स उ विवागो ११९ तयविसदंतत्रिसाई, अंगावयवो य जो उ अन्नेसिं । जीवाण कुणइ घायं, सो परघायस्स उ विवागो ॥ १२० ॥ नारयतिरियन रामरभवेसु जंतस्स अंतरगईए | अणुपुवीए उदयो, सा चउहा सुणसु जह होइ ॥ १२१ ॥ नरयाउयस्स उदए, नरए वक्केण गच्छमाणस्स । नरयापुव्वियाए, तर्हि उदओ अन्नहिं नत्थि ॥ १२२॥ Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६ एवं तिरिमणुदेवे, तेसु वि वक्केण गच्छमाणस्स । तेसिमणुपुबियाणं, तहिं उदयो अन्नहिं नत्थि ॥१२३॥ जस्सुदएण जीवे, निप्फत्ती होइ बाणपाणूणं । तं उसासं नामं, तस्स विवागो सरीरम्मि ॥ १२४ ॥ जस्सुदएणं जीवे होइ सरीरं तु ताविलं इत्थ । सो आयवे विवागो, जह रविबिंबे तहा जाण ॥ १२५॥ न भवइ तेयसरीरे. जेण उ नेयस्स उसिणफासस्स। होइ हु उदओ नियमा,तह लोहियवण्णनामस्स॥१२६॥ जस्सुदएणं जीवो अणुसिणदेहेण कुणइ उज्जोय । तं ऊजोय नाम, जाणसु खजोयमाइणं ॥ १२७ ॥ जस्सुदएणं जीवो, वरवसभगईए गच्छइ गईए । सा सुहया विहगगई, हंसाईण भवे सा उ ।। १२८ ॥ जस्सुदएणं जीवो, अमणिहाए उ गच्छइ गईए । सा असुहा विहगगई, उहाईण भवे सा उ ॥ १२९ ॥ तसबायरपजतं, पत्तेयथिरं सुभ च सुभगं च । सूलर बाइज्जजसं, तसाइदसगं इमं होइ ।। १३० ॥ आइम्मि तसचउक्कं, थिराइछक्कं तु उवरिमं होइ। Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थावरदसगं अहुणा, थावर सुहुमं अपज्जत्तं ॥ १३१ ॥ होइ तहा साहारं, अथिरं असुभं च दूभगं चेव । दूसरणाइजेहिं अ, अजसेहिं य बीयदसगं तु ॥१३२।। आइम्मि थावरचऊ, सुहमतिगं उवरिमं भवे इत्थ । अथिराइछक्कमुवरिं, विवागभे अओ भणिमो ॥१३३ तसनामुदए जीवो, बेइदियमाइ जाइ जीवेसु । थावरनामुदए पुण, पुढवीमाईसु सो जाइ ।। १३४॥ बायरनामुदएणं, बायरकायो उ होइ सो नियमा । सुहुमेण सुहुमकाओ, अंतमुहुत्ताउओ होइ ॥ १३५॥ आहारसरीरिंदियपजत्तीआणपाणभासमणे । चत्तारि पंच छप्पि य, एगिंदियविगलसन्नीणं ॥१३६॥ ___ एयासिं निप्फत्ती, उदएणं जस्स होइ कम्मस्स । तं पजत्तं नामं, इयरुदए नस्थि निप्फत्ती ॥ १३७ ॥ इकिक्कयंमि जीवे, इकिक जस्स होइ उदएण। ओरालाइ सरीरं, तं नाम होइ पत्तेयं ॥ १३८ ॥ जीवाणमणताणं, इक्कं ओरालियं इह सरीरं । हवइ हु जस्सुदएणं, तं साहारं हवइ नामं ॥१३९॥ Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५८ दंतट्ठाइथिराणं, अंगावयवाण जस्स उदएं । निप्पत्ती उ सरीरे, जायइ तं होइ थिरनामं ॥ १४० ॥ जीहाभमुहाईणं, अंगावयवाप जस्स उदरणं । निष्पत्ती उ सरीरे, जायइ तं अथिरनामं तु ॥ १४१ ॥ सिरमाईण सुहाणं, अंगावयवाण जस्स उदए । निष्पत्ती उ सरीरे, जायइ तं होइ सुभनामं ॥१४२॥ पायाई असुहाणं, अंगावयवाण जस्स उदए । निष्पत्ती उ सरीरे, जायइ तं असुभनामं तु ॥ १४३ ॥ सूभगकम्मुदपणं, हवइ हु जीवो उ सबजणइट्टो | दूहगकम्मुदए पुण, दुहओ सो सयललोयस्स ॥१४४॥ सूसर कम्मुदपणं, सूसरसहो य होइ इह जीवो । दूसर उदए विसरो, जंपतो होइ जणवेसो ॥१४५॥ आएज्जकम्मउदए, चिट्ठा जीवाण भासणं जं च । तं बहु मन्नइ लोखो, अबहुमयं इयर उदपणं ॥ १४६ ॥ जस्सुदपणं जीवो, लहइ हु कित्तिं जसं च लोगम्मि | तं जसनामं कम्मं; अजसुदए लहइ विवरीयं ॥ १४७ ॥ देहंगावयवाणं, लिंगागिइ जाइ नियमणं जं च । Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तहिं सत्तहारसरिसो, निम्माणे होइ हु विवागो ॥१४८ उदए जस्स सुरासुरनरवइनिवहेहिं पूईओ होइ। तं तित्थयरं नामं, तस्स विवागो उ केवलिणो ॥१४९॥ भणियं नामं कम्म, अहुणा गोयं तु सत्तमं भणिमो। तंपि कुलालसमाण, दुविहं जह होइ तह भणिमो ॥ जह इत्थ कुंभकारो, पुढवीए कुणइ एरिसं रूवं । ज लोयाओ पूयं, पावइ इह पुण्णकलसाई ॥ १५१॥ भुंभुलमाई अन्नं, सो च्चिय पुढवीए कुणइ रूवं तु । जं लोयाओ निंद, पावइ अकएवि मजमि ॥१५२॥ एव कुलालसमाणं, गोय कम्मं तु होइ जीवस्स । उच्चानीयविवागो, जह होइ तहा निसामेह ॥१५३॥ __ अधणी बुद्धिविउत्तो, रूवविहूणोवि जस्स उदएणं । लोयंमि लहइ पूर्य, उच्चागोयं तयं होइ ॥ १५४॥ संधणो रुवेण जुओ, बुद्धीनिउणो वि जस्स उदएणं लोयंमि लहइ निंदं, एयं पुण होइ नीय तु ॥ १५५ ॥ गोयं भणियं अहुणा, अट्ठमयं अंतराययं होइ । तं भंडारियसरिसं, जह होइ तहा निसामेह ॥ १५६ ॥ Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जह राया इह भंडारिएण विणिएण कुणइ दाणाई। तेण उ पडिकूलेणं, न कुणइ सो दाणमाईणि॥१५७॥ जह राया तह जीवो, भंडारी जह तहंतरायं च । तेण उ विबन्धएणं, न कुणइ सो दाणमाईणि ॥१५८॥ तं दाणलाभभोगोवभोगविरियंतराय पंचमयं ।। एएसिं तु विवाग, वोच्छामि अहाणुपुवीए ।।१५९॥ सइ फासुयंमि दाणे, दाणफलं तहय बुज्झई अउलं । __बंभच्चेराइजुयं, पत्तपि य विज्जए तत्थ ॥ १६० ॥ दाउं नवरि न सकइ, दाणविधायस्स कम्मणो उदए। दाणंतरायमेय, लाभे वि य भण्णए विग्धं ॥ १६१ ॥ __ जइ वि पसिद्धो दाया, जायणनिउणो वि जायगो जइ वि न लहइ जस्सुदएणं एवं पुण लाभविग्धं तु ॥१६२॥ मणुयत्ने वि य पत्ते, लद्धे वि हु भोगसाहणे विभवे । भुत्तु नवरि न सका, विरइविहूणो वि जस्सुदए ॥१६३ भोगस्स विग्धमेयं, उवभोगे आवि विग्यमेवेव।। भोगुवभोगाणेसिं, नवरि विसेसो इमो होइ ॥१६४॥ सइ भुजइ त्ति भोगो, सो पुण आहारपुप्फमाईयो । Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६९ उवभोगो य पुणो पुण, उवभुज्जइ भवणविलियाई ॥ बलवं रोगविउत्तो, वयसपण्णो वि जस्स उदएणं । विरिण होइ हीणो, वीरियविग्धं तु पंचमयं ॥ १६६ ॥ एवं पंचवियपं, मयं तराइयं होइ । भणिओ कम्मविवागो समास गग्गरिसिणा उ ॥ एय गाहाण सय, अहिय छावट्टिए उ पढिउणं । जो गुरु पुच्छर नाही, कम्मविवागं च सो इरा ॥ १६८ ॥ इति महर्षि गर्गर्षिप्रणीतः कर्मविपाकनामा प्रथमः कर्मग्रंथः ॥ 4 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ अहम् ॥ ॥ कर्मस्तवाख्यः द्वितीयः कर्मग्रन्थः ॥ नमिऊण जिणवरिंदे, तिहुयणवरनाणदंसणपईवे । बंधुदयसंतजुत्तं, वोच्छामि थयं निसामेह ॥ १॥ मिच्छदिछी सासायणे य तह सम्ममिच्छदिछी य । अविश्यसम्मदिछी, विरयाविरए पमत्ते य ॥ २ ॥ तत्तो य अप्पमत्ते नियट्टि अनियट्टिबायरे सुहुमे । उवसंत खीणमोहे, होइ सजोगी अजोगी य ॥३॥ मिच्छे सोलस पणुवीस सासणे अविरए य दस पयडी चउछक्कमेग देसे, विरए य कमेण वोच्छिन्ना ॥ ४ ॥ दुग तीस चउर पुव्वे, पंच नियहिमि बंधवोच्छेओ। सोलस सुहुमसरागे, साय सजोगी जिणवरिंदे ॥५॥ पण नव इग सत्तरसं, अड पंच य चउर बक छ च्चेय इग दुग सोलस तीसं, बारस उदए अजोगता ॥६॥ Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पण नव इग सत्तरसं, अ य चउर बक्क छ च्चेव । इग दुग सोल गुयालं, उदीरणा होइ जोगता ॥ ७॥ अणमिच्छमीससम्म, अविरयसम्माइअप्पमत्ता। सुरनरयतिरियआउं, निययभवे सव्वजीवाणं ॥ ८॥ सोलस अठेकेक्कं, छक्केक्केकेक खीणमनियट्टी। एगं सुहुमसरागे, खीणकसाए य सोलसगं ॥ ९ ॥ बावत्तरिं दुचरिमे, तेरस चरिमे अजोगिणो खीणे । अडयालं पयडिसयं, खविय जिणं निव्वुयं वंदे ॥१०॥ नाणस्स दसणस्स य, आवरणं वेयणीयमोहणियं । आउय नाम गोयं, तहंतरायं च पयडीओ ॥ ११ ॥ पंच नव दोन्नि अट्ठावीसा चउरो तहेव बायाला । दोषिण य पंच य भणिया,पयडीओ उत्तरा चेव ||१२|| मिच्छ नपुंसगवेयं नरयाउं तह य चेव नरयदुगं । इगविगलिंदियजाई, हुंडमसंपत्तमायावं ॥ १३ ॥ थावर सुहुमं च तहा, साहारणयं तहा अपजत्तं । एया सोलस पयडी, मिच्छंमि य बंधवोच्यो ॥१४॥ थोणतिगं इत्थी वि य, अण तिरियाउं तहेव तिरियदुगं । Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मज्झिम चउ संठाण, मज्झिम चउ चेव संघयण ॥१५॥ उज्जोयमप्पसत्था, विहायगइ दुभगं अणाएज्जं । दूसर नीयागोयं, सासणसम्ममि वोच्छिन्ना ॥ १६ ॥ बायकसायचउक्कं मणुयाउं मणुयदुग य ओरालं। तस्स य अंगोवंगं, संघयणाई अविरयमि ॥ १७॥ तइयकसायचउक्कं, विरयाविरयमि बंधवोच्छेओ। अस्सायमरइ सोय, तइ चेव य अथिरमसुभ च ॥१८॥ अजसकित्ती य तहा, पमत्तविरयमि बंधवोच्छेओ। देवाज्यं च एगं, नायठवं अप्पमत्तमि ॥ १९ ॥ निदापयला य तहा, अपुवपढमंमि बंधवोच्छेओ। देवदुग पंचिंदिय उरालवज्ज चनसरीरं ॥२०॥ समचउरं वेउवियआहारय अगुवंगनामं च । वण्णचनक्कं च तहा, अगुरुयलहुयं च चत्तारि ॥२१॥ तस चउ पसत्थमेव य, विहायगइ थिर सुभं च नायव्वं सुहयं सुस्सरमेव य, आएज्जं चेव निमिणं च ॥२२॥ तित्थयरमेव तीसं, अपुवछब्भाग बंधवोच्छेओ। हासरइभयदुरांछा, अपुव्वचरमंमि वोच्छिन्ना ॥ २३॥ Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५ पुरिसं चउ संजलणं, पंच य पयडीओ पंच भागंमि । अनियहीअद्धाए, जहक्कमं बंधवोच्छेओ ॥ २४ ॥ नाणंतराय दसगं, दसण चत्तारि उच्च जसकित्ती । एया सोलस पयडी, सुहुमकसायंमिवोच्छिन्ना ॥२५॥ उवसत खीणमोहे, जोगिंमि उ सायबंधवोच्छेओ । नाroat पडणं, बधस्सतो तो य २६ बंधो सम्मत्तो मिच्छत्त आयावं, सुहुम अपजत्तया य तह चेत्र । साहारणं च पंच य, मिच्छमि य उदयवोच्छेओ ॥२७॥ अण एगिदियजाई, विगलिंदियजाइमेव थावरयं । एया नव पयडीओ सासणसम्मंमि वोच्छिन्ना ॥२८॥ सम्मामिच्छत्तं गं, सम्मामिच्छंमि उदयवोच्छेओ । बीयकसायच उक्कं तह चैव य नरयदेवाऊ ॥ २९॥ मणुयतिरियाणुपुव्वी, वेउन्वियक दृहयं चेव । अणएजं चेव तहा, अज्जसकित्ती यविरयमि ॥३०॥ तइयकसायचउक्कं तिरियाऊ तह य चेव तिरियगई । उज्जोय नीयगोयं, विरयाविरयमिवोच्छिन्ना ॥३१॥ थीणतिगं चेव तहा, आहारदुगं पमत्तविरयंमि । Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ ६६ सम्मत्तं संघयणं, अंतिमतिगमप्पमत्तमि ॥ ३२ ॥ तह नोकसायछकं, अपुवकरणमि उदयवोच्नेयो। वेयतिग कोहमाणामायासंजलणमनियट्टी ॥ ३३ ॥ संजलणलोभमेगं, सुहुमकसायमि उदयवोच्छेयो । तह रिसहनारायं, नारायं चेव उवसंते ॥ ३४ ॥ निदा पयला य तहा, खीणदुचरिमंमि उदयवोच्छेओ। नाणंतरायदसगं, दंसण चत्तारि चरिमंमि ॥ ३५ ॥ अन्नयरवेयणीयं, ओरालियतेयकम्मनामं च । छ च्चेव य संठाणा, ओरालिय अगुवंगं च ॥ ३६ ॥ आइमसंघयणं खलु, वण्णचउक्कं च दो विहायगती। अगुरुयलहुयचउक्कं, पत्तेय थिराथिरं चेव ।। ३७ ॥ सुभसुस्सरजुयला वि य, निमिणं च तहा हवति नायवा एया तीसं पयडी, सजोगिचरिमंमि वोच्छिन्ना ॥३०॥ अन्नयरवेयणीयं, मणुयाऊ मणुयगइ य बोद्धव्वा । पंचिंदियजाई वि य, तस सुभगाएज पजत्तं ॥३९॥ बायर जसकित्ती वि य, तित्थयरं उच्चगोययं चेव । एया बारस पयडी, अजोगिचरिमंमि वोच्छिन्ना॥४०॥ उदयो सम्मत्तो॥ Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७ उदयस्सुदीरणाए, सामित्ताओ न विज्जइ विसेसो । मोत्तूण तिन्नि ठाणे, पमत्त जोगी अजोगी य ॥ ४१ ॥ तीसं बारस उदए, केवलिणो मेलणं च काऊ । सायासायं च तहा, मणुयाउं अवणियं किच्चा ॥४२॥ सेसं इगुयालीस, जोगिंमि उदीरणा य बोद्धव्वा । अवणीय तिन्नि पयडी, पमत्तउदयंमि पक्खित्ता ॥४३ तह चैव अह पयडी, पमत्तविरए उदीरणा होइ । नत्थि त्ति अजोगिजिणे, उदीरणा होइ नायवा ॥ ४४ ॥ उदीरणा सम्मत्ता ॥ अणमिच्छमीससम्मं, अविरयसम्माइयप्पमत्तंता । सुरनरयतिरिया उं, निययभवे सव्वजीवाणं ॥४५॥ थीणतिगं चेव तहा, नरयदुगं चैव तह य तिरियदुगं । इगिविगलिंदियजाई, आयावज्जोयथावस्थं ॥ ४६ ॥ साहारण सुहुमं चिय, सोलस पयडीओ होंति नायवा बीयकसायचउक्कं, तइयकसायं च अहेव ॥ ४७ ॥ एग नपुंसगवेयं, इत्थीवेयं तहेव एगं च । तह नोकसायछक्कं, पुरिसं कोहं च माणं च ॥ ४८ ॥ Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माय चिय अनियहीभाग गंतूण संतवोच्छेओ। लोहं चिय संजलणं, सुहुमकसायंमि वोच्छिन्ना ॥४९॥ __ खोणकसाय दुचरिमे, निहं पयलं च हणइ छउमत्थो। नाणंतरायदसंग, देसण चत्तारि चरिममि ॥ ५० ॥ देवदुग पणसरीरं, पंचसरीरस्स बंधणं चेव । पंचेव य संघाया, संठाणा तह य छक्कं च ॥ ५१ ॥ तिनि य अंगोवंगा, संघयणं तह य होइ छक्कं च । पंचेव य वण्णरसा, दो गंधा अट्ट फासा य ॥५२॥ अगुरुयलहुयचउक्कं, विहायगइदुग थिराथिर चेव । सुहसुस्सरजुयला वि य, पत्तेय भगं अजसं ॥५३॥ अणएज्जं निमिणं चिय, अपजत्तं तह य नीयगोयं च अन्नयरवेयणियं, अजोगिदुचरमंमि वोच्छिण्णा ॥५४॥ अन्नयरवेयणीय, मणुयाऊ मणुयदुवय बोद्धव्वा । पंचिंदियजाई वि य, तस सुभगाएज्ज पज्जतं ॥५५॥ बायर जसकित्ती वि य, तित्थयरं उच्चगोययं चेव । एया तेरस पयडी, अजोगिचरिमंमि वोच्छिन्ना ॥५६॥ सत्ता सम्मत्ता ॥ Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सो मे तिहुयणमहिओ, सिद्धो बुद्धो निरंजणो निच्चो । दिसउ वरनाणलंभ, सणसुद्धिं समाहिं च ॥५७॥ ॥ इति कर्मस्तवाख्यो द्वितीयः कर्मग्रंथः समाप्तः ॥ ॥ अहम् ॥ ॥बन्धस्वामित्वाख्यस्तृतीयः कर्मग्रन्थः॥ - नमिऊण वद्धमाण, गइयाईठाणदेसयं सिद्धं । गइयाइएसु वोच्छ, बंधस्सामित्तमोघेणं ॥१॥ Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गइ इंदिए य काए , जोए वेए कसायनाणे य । संजम सण लेसा , भव सम्मे सण्णि आहारे॥२॥ गुणठाणा सुरनिरए, चउ पण तिरिएसु चउदस नरेसु । जीवट्टाणा तिरिए, चउदस सेसेसु दुग दुगं जाण ॥३ निरयतिगं मिच्छत्तं,नपुंस इगविगलजाइ आयावं । बेव? थावरचऊ, हुंडं चिय मिच्छदिट्ठिम्मि ॥४॥ थाणतिगित्थी अण तिरितिग कुविहगई य नीयमुजोयं दूभगतिग पणुवीसा, मज्झिमसंठाणसंघयणा ॥५॥ थावरचउ जाई चउ, विउवाहारदुग सुरनिरतिगाणि । आयवजुयाऽऽहिं जणं, एगहियसयं नरयबंधे ॥६॥ तित्थोणं सय मिच्छा, साणा नपुहुंडडेयमिच्छोणं । मीसा नराउपणुवीसोणं सम्मा नराउतित्थजुयं ॥७॥ पंकाइसु तित्थोण, नराउहीण सयं तु सत्तमिए । मणुदुगउच्चेहिं विणा, मिच्छा बंधंति बण्णउइं ॥८ हुंडाईचउरहियं, साणा तिरियाउणा य इगनउइं । इगुणपणुवीसरहिया, सनरदुगुच्चा सयरि मीसे ॥९॥ तित्थाहारदुगूणा, तिरिया बंधंति सवपयडीओ। Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पजत्ता तह मिच्छा, साणा उण सोलसविहीणा ॥१०॥ नरतिगसुराउउसभं, उरलदुग मोत्तु पण्णवीसं च । अणुहत्तरं तु मीसा, सुराउणा सत्तरी सम्मा ॥ ११ ॥ बीयकसायूणा देस अपज्जत्ता सयं नवग्गं तु। मोत्तणमोघबन्धा, निरसुरआउं विउविछवं च ॥ १२ ॥ तिरिया व नरा पयडी बंधंती मिच्छमाइया पंच । अजयाइ पंच तित्थं, अपमत्तनियहि थाहारं ॥१३॥ कम्मत्थयबंधसमो, पमत्तमाईण होइ बन्धो उ । अप्पजत्ता मणुया, तिरया व सयं नवग्गं तु ॥ १४ ॥ वेउव्वाहारदुर्ग, नारयसुरसुहुमविगलजाइतिगं । मोत्त चउरग्गसयं, देवा बंधति ओहेणं ॥ १५ ॥ तित्थोणं तं मिच्छा, साणा डेवट्टहुंडनपुमिच्छं । एगिदिथावरायवपयडी मोत्तण छन्नउइं ॥ १६ ॥ ओघुत्तं पणुवीस, नराउजुत्तं विवजिङ मीसा । बंधंति सयरिमजया, तित्थनराऊहिं बिगसयरी ॥१७॥ मिच्चाइअविरयंता, देवोघ तित्थहीण बंधति । भवणवणजोइदेवा देवीथो चेव सवाओ ॥ १८॥ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२ सामन्नदेवभंगो, सोहम्मोसाण मिच्छमाईणं । सहसारंता इगिथावरायवोणं सणंकुमाराई ॥ १९ ॥ रयणानारयसरिसा, सहसारंता सर्पकुमाराई । इगिथावरायवतिरितिगुज्जोऊण तु आणयाईया ॥२०॥ तित्थं नपुचउ तिरितियउज्जोऊण पणवीस सनराउ । मोत्तण मिच्छमाई, नराउतित्थेहि अजया उ ॥ २१ ॥ तित्थाहारं निरयसुराउ मोत्तुं विउविछक्कं च ।। इगविगलिंदी बंधहि, नवुत्तरं ओघ मिच्छा य ॥२२॥ साणा बधहिं सोलस निरतिगहीणा य मोत्तू छन्नउई। ओघेणं वीसुत्तरसयं च पचिदिया बंधे ॥ २३ ॥ --- इगिविगलिंदी साणा तणुपज्जत्तिं न जति जं तेण । निरतिरियाउअवधा, मयंतरेणं तु चउणउई ॥ २४ ॥ भूदगवणकाया एगिंदिसमा मिच्छसाणदिहीओ। मणुयतिगुञ्चं मोत्तं, सुहुमतसा ओघ थूलतसा ॥२५॥ मणवइजोगचउक्के, ओघो उरले वि ओघनरभंगो । निरतिगसुराउथाहारगं, तु हिच्चा उ तं मीसे ॥२६॥ सुरदुगविउब्वियदुर्ग, तित्थं हिच्चा संयं नवग्गं तु । Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बंधंति उरलमिस्से, मिच्छा उ सजोगिणो सायं ॥२७ निरतिगहीणा सोलस, तिरिनरयाउं पि मोत्तु साणा वि तिरियाउविहीणं पण्णवीसमुज्झित्तु अविरए बंधे ॥२८॥ तित्थ वेउविदुगं, सुरदुगसहियं उरलमिस्से। सामन्नदेवनारयबंधो नेयो विउविजोगे वि ॥ २९ ॥ वेउवियमीसम्मि वि, तिरियनराउहिं वजिया सेसा । तित्थोणा ता मिच्छा, बंधहिं साणा उ चउणउइं ॥३० एगिदिथावरायवसंठाइचउकवजिया सेआ। तिरियाऊणं पणुवीस मोत्त अजया सतित्था उ ॥३१॥ तेवढाहारदुगे, जहा पमत्तस्स कम्मणे बंधो। आउतिगं निरयतिगं, आहारय वजिउं योघो ॥३२॥ सुरदुगतित्थविउवियदुगाणि मोत्तुण बंधहिं मिच्छा। निरतिगहीणा सोलस, वज्जित्ता सासणा कम्मे ॥३३ तिरियाऊणं पणवीस मोत्तु सुरदुगविउव्विदुगजुत्तं । अजया तित्थेण सम, सजोगि सायं समुग्घाए ॥३४॥ वेयतिएवोघेणं, बंधो जा बायरो हवइ ताव । कोहाइसु चउसोघो, मिच्छाओ जाव अनियर्टि ॥३५ Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१, अण्णाणतिएवोघो, मिच्छासाणेसु नवसु नाणतिए । मणपज्जवे वि सत्तसु, ओघं दुसु केवलिस्सावि ॥३६।। सामाइयएसुं, पमत्तमाईसु चउसु ओघो त्ति । परिहारस्त पमत्ते, अपमत्ते सुहुम सट्ठाणे ॥ ३७॥ जवसंताइसु अहखाय देसविरयस्स होइ सहाणे । मिच्छाईसु चउसु, ओघो अस्संजयस्सावि ॥३८॥ चक्खुधचक्खू ओघो, मिच्छाई खीणमोह ओहिस्स अजयाइनवसु केवलदसण केवलिदुगे चेव ॥ ३९ ॥ उच्चसु तिणि तासु, छण्हं सुक्का अजोगि अल्लेसा आहारूणा आइतिलेसी बंधंति सव्वपयडोओ !॥४०॥ मिच्छा तित्थोणा ता, साणा उण सोलसविहूणा । सुरनरयाऊ पणवीस मोत्तु बंधंति मीसा उ ॥४१॥ सुरनरआउयसहिया, अविरयसम्मा उ होंति नायवा। तित्थयरेण जुया तह, तेजसे परं वोच्छं ॥४२॥ विगलतिगं निरयतिगं सुहुमतिगूण सयं तु एकारं । तित्थाहारूणा मिच्छ साण इगितिगन पुचऊणा ॥४३ मोसाईपंचगुणा, योघं बंधंति पम्हलेसावि । Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विगलतिगं निरयतिगं, सुहमतिगेगिंदिथावराया ॥४४ हिच्चा सयमट्ठहियं, तित्थाहारदुगहीण मिच्छाआ। संढाइचउकोण, साणा मीसाइ पणगओघ तु ॥४५॥ बंधंति सुकलेसा, नारयतिरिसुहुमविगलजाइतिग ।। इगिथावरायवुजोय वज्जिय सयं तु चउरहियं ॥४६॥ तित्थाहारदुगणं, एगहियसयं तु बंधही मिच्छा। संढाइ चउकोणं, साणा बधति सगनउइ ॥ ४७॥ तिरितियन जोऊगं, पणुवीस मोत्तु सुरनराउजुयं । चउहत्तरं तु मीसा, बंधहिं कम्माण पयडीओ ॥४८ तित्थयरसुरनराउयसहिया अजयम्मि होइ सगसयरी। देसाइनवसु ओघो, भव्वेसु वि सो अभव मिच्छसमा ओघो वेयगसम्मे, अजयाइचउक्क खाइगेवोघो। अजयादजोगि जाव उ, ओघो उपसामिए होइ ॥५० जवसम्मे वटुंता, चउण्हमिक्कंपि आउयं नेय । बंधंति तेण अजया, सुरनरआऊहिं ऊणं तु ॥ ५१॥ ओघो देसजयाइसु, सुराउहीणा उ जाव उपसंतो । ओघो सपिणसु नेओ, मिच्छाभंगो असण्णीसु ॥५२॥ Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साणे वि असण्णिस्सा, भंगा सण्णुब्भवा मुणेयवा । आहारगेसु ओघो, इयरेसु य कम्मणो भंगो ॥५३॥ इय पुवमूरिकयपगरणेसु जडबुद्धिणा मए रइयं । बंधस्सामित्तमिणं, नेय कम्मत्थयं सोउं ॥ ५४ ॥ S ikkikti************* * ॥ समाप्तश्चायं बन्धस्वामित्वाख्यस्तृत कर्मग्रंथः॥ tra ॥अहम् ॥ ॥ श्रीमज्जिनवल्लभगणिप्रणीतः ॥ ॥ षडशीतिनामा चतुर्थः कर्मग्रन्थः॥ निच्छिन्नमोहपासं, पसरियविमलोरुकेवलपयासं । Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७ पणयजण पूरियासं, पयओ पणमित्तु जिपासं ॥ १ ॥ वोच्छामि जीवमग्गणगुणठाणुवओगजोगलेसाई । किंचि सुगुरूवएसा, सन्नाणसुझाणहेउ ति ॥ २ ॥ इह हुमबाय रेगिंदिवितिचउअसन्निसन्निपंचिंदी | अपजत्ता पज्जत्ता, कमेण चउदस जियद्वाणा ॥ ३ ॥ सव्वभणियव्वमूलेस तेसु गुणठाणगाइ ता भणिमो । पढमगुणा दो बायर बितिचउरासन्नि अपजन्ते ॥४॥ सन्नि अपज्जन्ते मिच्छदिट्टिसासाणअविरया तिन्नि । सव्वे सन्नि पजन्ते, मिच्छं सेसेसु सत्तसु वि ॥ ५ ॥ जोगा छसु अप्पज्जन्तएसु कम्मइगउरलमिस्सा दो । वेउब्वियमीसजुया, सम्नि अपज्जत्तए तिन्नि ॥ ६ ॥ विंति अपज्जत्ताणवि, तणुपज्जन्त्ताण केइ श्रोरालं । बायरपज्जते तिन्नि उरल वेउव्वियदुगं च ॥ ७ ॥ उरलं सुहुमे चउसु य, भासजुयं पनरसावि सन्निम्मि उवयोगा दससु तओ, अचक्खुदंसणमनाणदुगं ॥८॥ चक्खुजुया चउरिंदियअसन्नि पज्जत्तएसु ते चउरो । मणनाणचक्खु केवलदुगरहिया सन्नि अपजते ॥ ९ ॥ Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७ सव्वे सन्निसु एत्तो, लेसाओ छावि दुविह सन्निमि । चउरो पढमा बायर, अपजत्ते तिन्नि सेसेसु ॥१०॥ सत्तट्टअट्ठरसत्तदृ३अट्ठ४ बंधु१दयुरदीरणा३संता ४ । तेरससु जीवठाणेसु सन्निपज्जत्तए ओघो ॥ ११ ॥ एत्तो गइइंदियकायजोयवेए कसायनाणेसु । संजमदसणलेसाभवसम्मे सन्निआहारे ॥ १२ ॥ सुरनरतिरिनरयगई,इगबितिचउरिंदिया य पंचिंदी। पुढवीआऊतेजवाऊवणसइतसा काया ॥ १३ ॥ मणवइकाया जोगा, इस्थी पुरिसो नपुंसगो वेया । कोहो माणो माया, लोभो चउरो कसाय त्ति ॥१४॥ मइसुयोहीमणकेवलाणि मइस्यअनाणविभंगा। सामइययपरिहारसुहुमबहखायदेसजयअजया ॥१५॥ अच्चक्खुचक्खुओही, केवलदसणमओ य छल्लेसा। किण्हा नीला काऊ, तेक पम्हा य सुका य ॥ १६ ॥ भव्वअभवा खउवसमखइयजवसमियमीससासाणं । मिच्छो य सन्नसन्नी, आहारणहार इय भेया ॥ १७ ॥ सुरनिरए सन्निदुर्ग, नरेसु तइओ असन्निअपजस्तो। Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिरियगईए चउदस, एगिदिसु आइमा चउरो ॥१८॥ बितिचउरिंदिसु दो दो, अंतिम चउरो पणिदिसु भवंति थावरपणगे पढमा, चउरो चरमा दस तसेसु ॥१९॥ विगलतिअसन्निसन्नी, पज्जत्ता पंच होंति वइजोगे। मणजोगे सन्निको, पुमिथिवेए चरम चउरो ॥२०॥ काओगिनपुंसकसायमइसुयअनाणअविरयअचक्खू । आइतिलेसा भवियरमिच्छ आहारगे सव्वे ॥२१॥ मइसुयओहीदुगविभंगपम्हसुक्कासु तिसु य सम्मेसु । सन्निम्मि य दो ठाणा, सरिनअपज्जत्तपज्जत्त। ॥२२॥ मणपज्जवकेवलदुगसंजय देसजयमीसदिट्ठीसु। सन्नीपज्जो चक्खूमि तिन्नि छ व पज्जियर चरमा॥२३ सत्त उ सासाणे बायराइ छ अपज्ज सन्निपज्जो य । तेउल्लेसे बायरअपजत्तो दुविह सन्नी य ॥२४॥ अस्सन्नि आइ बारस, अणहारे अह सत्त अपजत्ता । सन्नी पजत्तो तह, इय गइथाइसु जियहाणा ॥२५॥ मिच्ने सासणमीसे, अविरयदेसे पमत्तअपमत्ते । नियटि अनियहि सुहुमुवसम खीणसजोगिअजोगि गुणा Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्तारि देवनरएसु पंच तिरिएसु चउदस नरेसु।। इगिविगलेसुं दो दो, पंचिंदिसु चउदस वि॥२७॥ भूदगतरूसु दो दो, इगमगणिवाउसु चउद्दस तसेसु। जोए तेरस वेए तिकसाए नव दस य लोभे ॥२८ ॥ मइयओहिदुगे नव, अजयाइ जयाइ सत्त मणनाणे । केवलदुगंमि दो तिन्नि दो व पढमा अनाणतिगे॥२९॥ सामाइयएसु, चउरो परिहार दो पमत्ताई। देससुहुमे सगं पढमचरमचउ अजयअहखाए ॥३०॥ बारस अचक्खुचक्खुम, पढमा लेसास तिसु छ दुस सत्त सुक्काए तेरस गुणा, सव्वे भवे अभव्वेगं ॥ ३१ ।। वेयगखइगउवसमे, चउरो एक्कारसह तुरियाई । सेसतिगे सहाणं, सन्निसु चउदस असन्निस दो ॥३२ आहारगेसु पढमा, तेरसऽणाहारगेसु एंच इमे । पढमंतिमदुगअविरय, गइयाइसु इय गुणटाणा ॥३३॥ सच्चं मोसं मीसं, असच्चमोसं मणं तह वई य। उरलविउवाहारा; मीसा कम्मइगमिय जागा ॥३४॥ एकारस सुरनारयगईसु आहारउरलदुगरहिया । Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१ जोगा तिरियगईए, तेरस आहारगदुग्णा ॥ ३५॥ नरगइपणिदितसतणु नर पुम कसायमइसुश्रोहिदुगे । अचक्खुछल्लेसा भवसम्म दुगसन्निसु य सव्वे ||३६|| एगिदिए पंच उ, कम्मइगविउ व्विउरलजुयलाणि । कम्मुरलदुगं अंतिम भासा विगलेसु चउरोत्ति ॥ ३७ ॥ कम्मुरलदुगं थावरकाए वाए विउविजुयलजुयं । पढमंतिममणवइदुगकम्मुरलदु केवलदुर्गामि ॥ ३८ ॥ थीवेच्खन्नाणोव समाजयसासणा भव्वमिच्छेसु । तेरस मणव मणनाणबेयसामइयचक्खुसु य ॥ ३९ ॥ परिहारसुहुम्मे नव, उरलवइमणा ते सकम्मुरलमिस्सा | अहखाए सविउवा, मीसे देसे सविउविदुगा ||४०|| कम्मुरलवि उव्विदुगाणि चरमभासा य छ उ असन्निम्मि जोगा अकम्मगाहारगेस कम्मणमणाहारे ॥ ४१ ॥ नाणं पंचविहं तह, अन्नाणतिगं ति अठ सागारा । चउदंसणमणगारा, बारस जियलक्खणुवओगा ॥ ४२ ॥ मनुयईए बारस, मणकेवलदुरहिया नवन्नासु । थावरइगिवितिइंदिसु, अचक्खुदंसणमनाणदुगं ॥ ४३ ॥ Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२ चक्खुजुयं चउरिंदिसु तं चिय बारसपर्णिदितसकाए । जोए वे सुक्काए भवसन्नीसु श्राहारे ॥ ४४ ॥ केवलदुगहीणा दस, कसायपणले सुचक्खुचक्खूसु । केवलदुगे नियदुगं, खड़गे नव नो नातिगं ॥४५॥ पढमचउनाणसंजमवेयगउवसमियओहिदंसेसु । नाच उदंसणतिगं, केवलदुजुयं वहक्खाए ॥ ४६ ॥ नाणतिगदंसणतिगं, देसे मीसे अनाणमीसं तं । केवलदुगमणपज्जववज्जा अस्संजयंमि नव ॥४७॥ अन्नाणतिगअभव्वे, सासणमिच्छे य पंच उवओोगा । दो दंसण तियनाणा, ते अविभंगा असन्निम्मि ||४८ || मणनाणचक्खुरहिया, दस उ अणाहारगेसु उवओगा। इय गइयाइस नयमयनाणत्तमिणं तु जोगेसु ॥ ४९ ॥ तणुवइमणेसु कमसो, दुचउतिपंचा दुअचउचउरो । तेरसदुवारतेरस, गुणजीवुवओगजोगति ॥ ५० ॥ लेसा उ तिन्नि पढमा, नारगविगलग्गिवाउकाए । एगिंदि भूतरूदगअसन्निसुं पढमिया चउरो ॥ ५१ ॥ केवलजुयलअहक्खाय सहुमरागेस सुकलेसेव । Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३ लेसासु बसु सठाणं, गइयाइसु छावि सेसेसु ॥ ५२ ॥ गइयाइसु अप्पबहु, भणामि सामन्नओ सठाणे वि । नरनिरयदेव तिरिया, थोवा दुसंखतगुणा ॥ ५३ ॥ पणचउतिदुएगिंदी, थोवा तिन्नि अहिया अनंतगुणो । तसतेउपुढ विजलवाउहरियकाया पुण कमेणं ॥ ५४ ॥ थोवा असंखगुणिया, तिन्नि विसेसाहिया अपंतगुणा । मणवयणकायजोगी' थोवा संखगुणि अणं तगुणा ॥५५॥ पुरिसेहिंती इत्थी, संखेज्जगुणा नपुंसणंतगुणा । माणी कोही मायी, लोभी कमसो विसेसहिया ॥ ५६ ॥ मणपजविणो थोवा, ओहीनाणी तओ असंखगुणा । मइसुयनाणी तत्तो, विसेसअहिया समा दो वि ॥५७॥ विभंगिणो असंखा, केवलनाणी तओ अनंतगुणा । ततोऽतगुणा दो, मइसुयअन्नाणिणो तुला ॥५८॥ सुहुमपरिहार अहखायबेयसामइयदेसजइजया । थोवा संखेज्जगुणा, चउरो अस्संखणंतगुणा ॥ ५९ ॥ इय हिचक्खु केवलअचक्खुदंसी कमेण विनेया । थोवा अस्संखगुणा, अनंतगुणिया अणंतगुणा ॥ ६०॥ Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुक्का पम्हा तेऊ, काऊ नीला य किण्हलेसा य। थोवा दोऽसंखगुणाऽणंतगुणा दो विसेसहिया ॥६१॥ थोवा जहन्नजुत्ताणतयतुल्ल त्ति इह अभव्वजिया । तेहिंतोऽणंतगुणा, भव्वा निवाणगमणरिहा ॥२॥ सासणउवसमियमिस्सवेयगक्खइयमिच्छदिट्ठीओ। थोवा दो संखगुणा, असंखगुणिया अणंता दो ॥६३॥ सन्नी थोवा तत्तो अणंतगुणिया असन्निणो हेति । थोवाणाहारजिया, तदसंखगुणा सआहारा ॥६४॥ मिच्छे सव्वे छ अपज सन्निपज्जत्तगो य सासाणे । सम्मे दुविहो सन्नी, सेसेसुं सन्निपजत्तो ॥६५॥ इय जिणठाणा गुणठाणएसु जोगाइ वोच्छमेत्ताहे । जोगाहारदुगणा, मिच्ने सासण अविरए य ॥६६॥ उरलविउव्ववइमणा, दस मीसे ते विउव्विमीसजुया । देसजए एक्कारस, साहारदुगा पमत्ते ते ॥६७॥ एकारस अपमत्ते, मणवइआहारउरलवेउवा। अप्पुबाइसु पंचसु, नव ओरालो मणवई य ॥६॥ चरमाइममणवइदुगकम्मुरलदुगं ति जोगिणो सत्त । Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गयजोगो य अजोगी, वोच्छमओ बारसुवोगे ||६९॥ अचक्खुचक्खुदसणमन्नाणतिगं च मिच्छसासाणे । अविरयसम्मे देसे, तिनाणदंसणतिगं ति उ ॥७॥ मीसे ते चिय मीसा, सत्त पमत्ताइसु समणनाणा। केवलियनाणदंसणउवओगा जोगजोगीसु ॥७१॥ सासणभावे नाणं, विउविगाहारगे उरलमिस्सं । नेगिस सासाणो, नेहाहिगयं सुयमयंपि ॥७२।। लेसा तिन्नि पमत्तं, तेउपम्हा उ अप्पमत्ता । सुक्का जाव सजोगी, निरुद्धलेसो अजोगि त्ति ॥७३॥ बंधस्स मिच्छअविरइकसायजोग त्ति हेयवो चउरो। पंच दुवालस पणुवीस पनरस कमेण भेया सिं । आभिग्गहियं अणभिग्गहं च तह अभिनिवेसियं चेव । संसइयमणाभोगं, मिच्छत्तं पंचहा एवं ॥७५॥ बारसविहा अविरई, मणइंदियअनियमो छकायवहो । सोलस नव य कसाया, पणुवीसं पन्नरस जोगा ॥७६॥ पणपन्नपन्नतियछहिय, चत्तउणचत्तछचउदुगवीसा । सोलसदसनवनवसत्त हेउणो न उ अजोगिम्मि ॥७७ Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६ तो नाणदंसणावरणवेयणीयाणि, मोहणिज्जं च । आउयनामं गोयंतरायमिइ अठ कम्माणि ॥७८॥ सत्तट्ठबेगबंधा संतुदया अठसत्त चत्तारि । सत्त छपंचदुगं, उदीरणाठाणसंखेयं ॥ ७९ ॥ अपमत्तंता सत्तट्ठ मीसअप्पुवबायरा सत्त । बंधंति छ सुमो एग मुवरिमाबंधगोऽजोगी ॥८०॥ जा सुहुमो ता अट्ठ वि, उदए संते यहांति डीथो सत्तहुवसंते खीणि सत्त चत्तारि सेसेसु ॥ ८१ ॥ सत्तट्ठ पमत्तंता, कम्मे उइरिंति मीसो उ । वेयणिओऊ विणा छ उ, अपमत्ता पुव्वअनियही ॥ ८२ ॥ सुहुमो छ पंच उइरेइ पंच उवसंतु पंच दो खीणो । जोगी उ नामगोए, जोगि अणुदीरगो भयवं ॥ ८३ ॥ | जवसंतजिणा थोवा संणेजगुणा उ खीणमोह जिला | सुहुम नियधिनियट्टी, तिन्नि वि तुल्ला विसेसहिया ॥ ८४|| जोगिअपमत्तइयरे, संखगुणा देससासणा मिस्सा । अविरया जोगिमिच्छा, असंख चउरो दुवेऽणंता ॥८५॥ ܢ Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जिणवल्लहोवणीयं, जिणवयणामयसमुद्दबिंदुमिमं । हियकंखिणो बुहजणा निसुणतु गुणंतु जाणंतु ॥८६॥ --- - - Kantitatt?******** ॥ समाप्तोऽयं जिनवल्लभगणिप्रणीत: षडशीतिनामा चतुर्थः कर्मग्रंथः ॥ ॥ अहम् ॥ श्रीमच्छिवशर्मसूरीश्वरसन्हब्धः ॥श्रीबन्धशतकनामा पञ्चमः कर्मग्रन्थः॥ अरहन्ते भगवन्ते अणुत्तरपरकमे पणमिऊणं । बन्धसयगे निबद्धं संगमिणमो पवक्खामि ॥ १॥ Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुणह इह जीवगुणसन्निएसु ठाणेसु सारजुत्तायो । वोच्छं कइवइयाओ गाहाओ दिहिवायाओ ॥ २ ॥ उवओगाजोगविही, जेसु अठाणेसु जत्तिया अस्थि । जप्पञ्चइओ बन्धो, होइ जहा जेसु ठाणेसु ॥३॥ बन्धं उदयमुदीरणविहिं च तिन्हं पि तसि संजोगं। बन्धविहाणे य तहा किंचि समासं पवक्खामि ॥४॥ तिरियगतीए चोदस हवंति सेसासु जाण दो दो उ। मग्गणठाणेसेवं, नेयाणि समासठाणाणि ॥५॥ एकारसेसु तिय तिय दोसु चउक्कं च बारसेकम्मि। जीवसमासेसेवं उवओगविही मुणेयवो ॥६॥ नवसु चउक्के एक्के जोगा एगो य दोन्नि पन्नरस । तब्भवगएसु एए भवन्तरगएसु काओगा ॥७॥ उवओगा जोगविही जीवसमासेसु वन्निया एवं । एत्तो गुणेहि सह परिगयाणि ठाणाणि मे सुणसु ॥८॥ मिच्छदिठीसासणमिस्से अजए य देसविरए य । नव संजएसु एवं चोदस गुणनामठाणाणि ॥९॥ सुरनारएसु चत्तारि होन्ति तिरिएसु जाण पंचेव । Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मणुयगईए उ तहा चोइस गुणनामठाणाणि ॥१०॥ दोण्हं पञ्च उ छच्चेव दोसु एगम्मि हेति वामिस्सा । सत्तुवओगा सत्तसु दो चेव य दोसु ठाणेसु ॥ ११॥ तिसु तेरस एगे दस नव जोगा हुंति सत्तसु गुणेसु । एक्कारस य पमने सत्त सजोगे अजोगेक्कं ॥१२॥ तेरस चउसु दसेगे पंचसु नव दोसु हेांति एकारा । एकमि सत्त जोगा अजोगि ठाणं हवइ एक्कं ॥१३॥ चउ पञ्चइओ बंधो पढमे उवरिमतिगे तिपच्चइओ । मीसगबीओ उवरिमदुगं च देसिकदेसम्मि ॥१४॥ उवरिल्लपंचगे पुण दुपच्चओ जोगपञ्चओ तिण्हं। सामन्नपच्चया खलु अहण्हं हेति कम्माणं ॥१५॥ पडणीययंतराइय उवघाए तप्पयोसनिन्हवणे। यावरणदुर्ग भूओ बंधइ अचासणाए य ॥१६॥ भूयाणुकंपवयजोगउज्जयो खंतिदाणगुरुभत्तो। बंधइ भूओ सायं विवरीए बंधए इयरं ॥१७॥ अरहंत सिद्ध चेइय तव सुयगुरुसाहुसंघपडणीओ। बंधइ दंसणमोहं अणंतसंसारिओ जेणं ॥१८॥ Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९० तिब्वकसाओ बहुमोहपरिणओ रागदोससंजुत्तो । बंधइ चरितमोहं दुविहंपि चरितगुणघाई ॥१९॥ मिच्छद्दिट्ठी महारंभपरिग्गहो तिव्वलोहनिस्सीलो । निरयाउयं निबंध पात्रमई रुदपरिणामो ॥ १० ॥ उम्मग्गदेसओ मग्गनासओ गूढ हिययमाइलो | सढसीलो य ससल्लो तिरियाउं बंधए जीवो ॥ २१ ॥ पयई तणुकसाओ दाणरओ सीलसंजमविणो । मज्झिमगुणेहि जुत्तो मणुयाउं बंधए जीवो ||२२|| अणुवमवएहि य बालतवाकामनिज्जराए य । देवाउयं निबंधइ सम्मद्दिपी उ जो जीवो ॥ २३॥ मणवयणकायको माइल्लो गारवेहि पडिबद्धो । असुहं बंधइ नामं तप्पविक्खेहि सुहनामं || २४॥ अरहंताइसु भत्तो सुत्तरुई पयणुमाण गुणपेही । बंधइ उच्चागोयं विवरीए बंधइ अ इयरं ॥ २५ ॥ पाणिहाईस रखो जिणपूयामोक्खमग्गविग्घकरो । अज्जेइ कतरायं न लहइ जेणिच्छियं लाभं ॥२६॥ छसु ठाणगेसु सत्तविहं बंधति तिसु य सत्त विहं । Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छविहमेगो तिन्नेगबंधगाऽबंधगो एगो ॥२७॥ सत्ताविहब (विह)बंधगा वि वेयंति अगं नियमा। एगविहबंधगा पुण चत्तारि व सत्त वेयंति ॥ २८॥ मिच्छादिहिप्पभिई अह उईरंति जा पमत्तो ति । अद्धावलियासेसे तहेव सत्तेवुदीरिंति ॥ २९॥ वेयणियाउयवज्जे छक्कम्म उदीरयंति चत्तारि । अद्धावलियासेसे सुहुमो उइरेइ पंचेव ॥३०॥ वेयणियाउयमोहे वज उईरेति दोन्नि पंचेव । अद्धावलियासेसे नाम गोयं च अकसाई ॥३१॥ उइरेइ नामगोए बक्कम्मविवजिया सयोगी उ । वटुंतो उ अजोगी न किंचि कम्मं उईरेइ ॥३२॥ अणुदीरंत अयोगी अणुहवइ चउव्विहं गुणविसालो। इरियावहं न बंधइ आसन्नपुरक्खडोतो ॥३३॥ इरियावहमाउत्ता चत्तारि व सत्त चेव वेयंति । उहरिति दोन्नि पंच व संसारगयम्मि भयणिज्नो॥३४॥ छप्पंच उईरंतो बंधइ सो छव्विहं तणुकसाओ। अट्ठविहमणुहवंतो सुक्कज्झाणे डहइ कम्मं ॥३५॥ Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अठविहं वेयंता छव्विहमुइरंति सत्त बधंति । अनियट्टी य नियट्टी अपमत्तजई य ते तिन्नि ॥३६॥ अवसेसट्टविहकरा वेयंति उदीरया वि अटुण्हं । सत्तविहगा वि वेइंति अगमुईरणे भजा ॥३७॥ नाणस्स दंसणस्स य आवरणं वेयणीयमोहणियं । आउयनामं गोयं तहंतरायं च पयडीयो ॥३८॥ पंच नव दोन्नि अट्टावीसा चउरो तहेव बायाला। दोन्नि य पंच य भणिया पयडीओ उत्तरा चेव ॥३९॥ साइअणोईधुवअद्भुवो य बंधो उ कम्मछक्कस्त । तइए साइगसेसो, अणाइधुवसेसओ आऊ ॥४०॥ उत्तरपगईसु तहा धुवियाणं बन्धचउविगप्पोय । साई अद्भुवियाओ सेसा परियत्तमाणीयो ॥४१॥ चत्तारि पगइठाणाणि तिन्नि भूगारअप्पतरगाणि । मुलपगडीसु एवं अवडिओ चउसु नायवो ॥४२॥ तिन्नि दस अट्ठठाणाणि दंसणावरणमोहनामाणं । एत्थ य भूओगारो सेसेसेगं हवइ ठाणं ॥४३॥ सव्वासि पयडीणं मिच्छविहीउ बंधगोभणिओ । Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९३ तित्थयराहारदुगं मोत्तणं सेसपयडीणं ॥ ४४ ॥ सम्मत्तगुणनिमित्तं तित्थयरं संजमेण आहारं । बंधंति सेसियाओ मिच्छत्ताई हि कहिं ॥ ४५ ॥ सोलसमिच्छत्तंता पणुवीसं हुंति सासणंताओ । तित्थयराउसेसा अविरइयंता उ मीसस्स ॥४६॥ अविरइयन्ताओ दस विरयाविश्यंतिया उ चत्तारि । छच्चेव पमत्तंता एगा पुण अप्पमत्तंता ॥४७॥ दोतीसं चत्तारि य भागे भागेसु संखसण्णाए । चरिमेय जहासंखं अपुव्त्रकरणंतिया होंति ॥४८॥ संखेज्जइमे सेसे वाढत्ता बायरस्स चरिमंते । पंचसु एक्केक्कतो सुहुमंता सोलस हवंति ॥ ४९ ॥ सायंतो जोगंते एतो परत्र उ नत्थि बंधोति । arrat vasti बन्धस्संतो तो य ॥ ५० ॥ गइयाइएस एवं तप्पओगाण मोहसिद्धाणं । सामित्तं नेयव्वं पयडी ठाणमासज्ज ॥ ५१ ॥ सत्तरि कोडाकोडी अयराणं होइ मोहणीयस्स । तीस आइतिगते वीसंनामे य गोए य ॥ ५२ ॥ Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तेत्तीसुदही आउंमि केवला होइ एवमुक्कोसा। मूल पयडीण इत्तो ठिई जहन्ना निसामेह ॥ ५३॥ मूलठिईण जहणणो सत्तण्हं साइयाइओ बन्धो। सेप्सतिगे दुविगप्पो आउचउक्केवि दुविगप्पो ॥ ५४ ॥ थट्ठारस पयडीणं अजहन्नो बन्ध चउविगप्पो उ। साइ अ अधुवबन्धो सेसतिगे होइ बोधव्वो ॥५५॥ उक्कोसाणुकोसो जहन्नमजहन्नगो य ठिइबन्धो। साईयाधुवबन्धो सेसाणं होइ पयडीणं ॥ ५६ ॥ सव्वासिपि ठिईओ सुभासुभाणं पि हेांति असुभाओ माणुसतिरिक्खदेवाउयं च मोत्तण सेसाणं ॥ ५७ ॥ सव्वहिइणमुक्कोसगो उ उक्कोससंकिलेसेगं। विवरीए उ जहन्नो आउगतिगवज्जसेसाणं ॥ ५८ ॥ सव्वुकोसठिईणं मिच्छदिट्ठी उ बन्धगो भणिओ। आहारगतित्थयरं देवाउं वावि मोत्तूणं ॥ ५९॥ देवाउयं पमत्तो आहारगमप्पमत्तविरको उ। तित्थयरं च मणसो अविरयसम्मो समज्जेइ ॥६० ॥ पन्नरसण्हं ठिइमुक्कोसं बन्धंति मणुयतेरिच्छा। Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छण्हं सुरनेरइया ईसाणंता सुरा तिण्हं ॥ ६१॥ सेसाणं चउगइया ठिइमुक्कोसं करति पयडीणं । नकोससंकिलेसेण ईसिअहमज्झिमेणावि ॥६२ ॥ आहारगतित्थयरं नियहि अनियट्टि पुरिससंजलणं । बन्धइ सुहुमसरागो सायजसुच्चावरणविग्घ ।। ६३॥ छण्हमसण्णी कुणइ जहन्नठिइमाउगाणमन्नयरो। सेसाणं पज्जत्तो बायर एगिदियविसुद्धो ॥६४॥ घातीणं अजहन्नोणुकोसो वेयणीयनामाणं ॥ । अजहन्नमणुक्कोसो गोए अणुभागबन्धंमि ॥६५॥ साई अणाई धुवअद्भुवो य बन्धो उ मूलपयडीणं । सेसम्मि उ दुविगप्पो आउचउक्के वि दुविगप्पो ॥६६॥ अठण्हमणुक्कोसो तेयालाणमजहन्नगो बन्धो। नेओ हि चउविगप्पो सेसतिगे होइ दुविगप्पो ॥६७ ॥ उक्कोसमणुक्कोसो जहन्नमजहन्नगोवि अणुभागो। साई अद्भुवबन्धो पयडीणं होइ सेसाणं ॥६८॥ सुभपयडीण विसोहीए तिवमसुभाण संकिलेसेणं । विवरीए उ जहन्नो अणुभागो सवपयडीणं॥६९ ॥ Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बायालं पि पसत्था विसोहिगुणउक्कडस्स तिवाओ। बासीइमप्पसत्था मिच्बुव्वुडसंकिलिट्ठस्स ॥ ७० ॥ आयव नामुजोयं माणुसतिरियाउयं पसस्थासु । मिच्छस्स हुंति तिव्वा सम्मदिहिस्स सेसाओ ॥७१ ॥ देवाउमप्पमंतो तिव्वं खवगा करेन्ति बत्तीस । बन्धंति तिरियमणुया एकारसमिच्छभावेण ॥७२ ॥ पंच सुरसम्मदिछी सुरमिच्छो तिनि जयइ पयडीओ। उज्जोयं तमतमगा सुरनेरइया भवे तिण्हं ॥ ७३ ॥ सेसाणं चउगइया तिवणुभागं करेन्ति पयडोणं । मिच्छदिछी नियमा तिबकसा उक्कडा जी ||७|| चोदससरागचरिमे पंचमनियहि नियहिएक्कारं । सोलसमं दुणुभागा संजमगुणपत्थिओ जयइ ॥७५ ॥ आहारमप्पमत्तो पमत्तसुद्धो उ अरइसोगाणं । सोलस माणुसतिरिया सुरनारगतमतमा तिन्नि ॥७६॥ एगिदियथावरयं मंदणुभागं करेंति ति गईया । परियत्तमाणमोज्झमपरिणामा नेरइयवजो ॥ ७७ ॥ आसोहम्मायावं अविरयमणुओ य जयइ तित्थयरं । Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७ चउगइ उक्कड मिच्छा पन्नरसदुवे विसोहीए ॥७८॥ सम्महिठी मिच्छोव अह परियत्तमज्झिमो जयइ । परियत्तमाणमज्झिममिच्छद्दिही उ तेवीसं ॥ ७९ ॥ केवलनाणावरणं दंसणछक्कं च मोहबारसगं । ता सव्वधाइसन्नाहवंति मिच्छत्तवीसइमं ॥ ८० ॥ नाणावरणचउक्कं दंसणतिगमंतराइए पंच | पणुवीस देसघाई संजलणा नोकसाया य ॥ ८१ ॥ अवसेया पयडीओ अघाइया घाइयाहि पलिभागा । ता एव पुन्नपावा सेसा पावा मुणेयवा ॥ ८२ ॥ यावरणदेसघायंतराय संजलणपुरिससत्तरस | चउविहभावपरिणया तिविह परिणया भवे सेसा ॥ ८३ चउपच्च एग मिच्छत्त सोलस दुपच्चया य पणतीसं । सेसा तिपच्चया खलु तिथयराहारवज्जाश्रो ॥ ८४ ॥ पंचग छत्तिय छप्पंच दुन्नि पंचय हवंति अट्ठेव । सरिराई फासता, पयडीओ आणुपुवीए ॥ ८५ ॥ अगुरुलहुपराघ्रायोवघायउज्जोवआयवनिमेणं । पत्तेयथिरसुभेयरनामाणि य पोग्गलविवागा ॥ ८६ ॥ Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बाऊणि भवविवागा खित्तविवागा य आणुपुत्वीओ। श्रवसेसा पयडीओ जीवविवागा मुणेयवा ॥ ८७॥ एगपएसोगाढं सव्वपएसेहि कम्मुणो जोग्गं ।। बन्धइ जहुत्तहेउं साइयमणाइयं वावि ॥ ८८ ॥ पंचरसपंचवन्नेहि संजुयं दुविहगंधचउफासं । दवियमणंतपएसं सिद्धेहि अणंतगुणहीणं ।। ८९ ॥ आउयभागो थोवो नामे गोए समो तओ अहिओ। यावरणमंतराए तुल्लो अहिओ य मोहे वि ॥१०॥ सव्वुवरि वेयणीए भागो अहिगो य कारणं किन्तु । सुहदुक्खकारणत्ता ठिई विसेसेण सेसाणं ॥९१ ॥ छहंपि अणुक्कोसो पएसबन्धे चउविहो बन्धो । सेसतिगे दुविगप्पो मोहाउय सव्वहिं चेव ॥ ९२॥ तीसण्हमणुक्कोसो उत्तरपयडीसु चउविहो बन्धो । सेसतिगे दुविगप्पो सेसासुं चउविगप्पो वि ॥१३॥ आउक्कस्स पएसस्स पंच मोहस्ल सत्त ठाणाणि । सेसाणि तणुकसाओ बन्धइ उक्कोसए जोगे ॥९४॥ सुहुमनिगोयापजत्तगस्स पढमे जहन्नए जोगे। Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तण्हं तु जहन्ना आउगबन्धे वि पाउस्स ॥९५|| सत्तर सुहुमसरागो पंचगमनियहि संमगो नवगं । अजई बीयकसाए देसजई तइयए जयइ ॥९६ ॥ तेरस बहुप्पएसा सम्मो मिच्छो व कुणइ पयडीओ। आहारमप्पमत्तो सेसपएसुक्कडं मिच्छो ॥ १७ ॥ सन्नी उक्कडजोगी पज्जत्तो पयडिवन्धमप्पयरो। कुणइ पएसक्कोसं जहन्नयं जाण विवरीयं ।। ९८ ॥ घोलणजोगि असन्नी बन्धइ चउ दुन्नि अप्पमत्तो य । पंचासंजयसम्मो भवाइसुहुमो भवे सेसा ॥ ९९ ॥ जोगा पयडिपएसं ठिइअणुभागं कसायओ कुणइ । कालभवखित्तवेक्खो उदयो सविवाग अविवागो ॥१०० सेढिअसंखेज्जइमे जोगहाणाणि हुंति सव्वाइं। तेसिमसंखेजगुणो पयडीणं संगहो सव्वो ॥ १०१ ॥ तासिमसंखेज्जगुणा ठिईविसेसा हवंति नायव्वा । ठिइबंधज्झवसाणाणि असंखगुणाणि एत्ताओ ॥१०२॥ तेसिमसंखेजगुणा अणुभागे हुंति बंधठाणाणि । एत्तो अणंतगुणिआ कम्मपएसा मुणेयव्या ॥१०३॥ Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० अविभागपलिच्छेआ अणंतगुणिआ हवंति इत्तो य । सुयपवरदिठिवाए विसिहमइयो परिकहति ॥ १०४ ॥ एसो बन्धसमासो पिंडुक्खेवेण वन्निओ कोवि । कम्मप्पवायसुयसागरस्स निस्संदमेत्तो य ॥ १०५ ॥ बन्धविहाणसमासो रइओ अप्पसुयमन्दमइणा उ । संबन्धमोक्खनिउणा पूरेऊणं परिकहिंतु ॥१०६॥ इयकम्मपयडिपगयं संखेवुट्ठिनिच्छियमहत्थं । जो उवजुंजइ बहुसो सो नाही बंधमोक्खत्थं ॥१०७॥ ॥इति श्रीशतकनामा पञ्चमः कर्मग्रन्थः ॥ Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ अर्हम || ॥ श्रीचंद्र महत्तराचार्यप्रणीतः ॥ सप्ततिकानामा षष्ठः कर्मग्रन्थः ॥ सिद्धपएहिं महत्थं, बंधोदयसंतपयडिठाणाएं । वुच्छं सुण संखेवं, नीसंदं दिट्ठिवायस्स ॥ १ ॥ कइ बन्धंतो वेअइ, कइ कइ वा पयडिसंतठाणाणि । मूलुत्तरपगईणं, भंगविगप्पा मुणेअव्व ॥ २ ॥ अट्ठविहसत्तछब्बन्धएसु अहेव उदयसंताई । एगविहे तिविगप्पो, एगविगप्पो अबन्धंमि ॥ ३ ॥ सत्तट्ठबन्धअह्रुदयसंत तेरससु जीवठाणेसु । एगंमि पंच भंगा, दो भंगा हुंति केवलियो ॥ ४ ॥ सुगविगप्पो, छस्सु विगुणसन्निएस दु विगप्पा पत्ते पत्तेय, बन्धोदयसंतकम्माणं ॥ ५ ॥ पंच नव दुािवीसा चउरो तहेव बायाला । Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२ दुण्णि य पंच य भणिया, पयडीयो आणुपुठवीए ॥६ बंधोदयसंतंसा, नाणावरणंतराइए पंच । बंधोवरमे वि तहा उदसंता हुंति पंचेव ॥ ७॥ बंधस्स य संतस्स य, पगइट्ठाणाइ तिन्नि तुल्लाइं ॥ उदयहाणाई दुवे, चउ पणगं दसणावरणे ॥८॥ बीयावरणे नवबंधएसु चउ पंच उदय नव संता । छच्चउ बंधे चेवं, चउ बंधुदए छलंसा य ॥ ९ ॥ उवरयबंधे चउपण, नवंस चउरुदय छच्च चऊसत्ता। वेयणियाउअगोए, विभज्ज मोहं परं वुच्छं ॥१०॥ (गोअम्मि सत्त भंगा, अध्य भंगा हवंति वेयणिए । पण नव नव पण भंगा,आउचउकवि कमसो उ ॥११) बावीस इक्कवीसा, सत्तरसा तेरसेव नव पंच। चउ तिग दुगं च इक्कं, बंधाणाणि मोहस्स ॥१२॥ एक्कं च दो व चउरो, एत्तो एगाहिआ दसुक्कोसा । ओहेण मोहणिज्जे, उदए ठाणाणि नव हुंति ॥१३॥ अगसत्तगछच्चउतिगदुगएगाहिआ भवे वीसा । तेरस बारिक्कारस, एत्तो पंचाइऐकूणा ॥१४॥ Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३ संतस्स पयडिठाणाणि ताणि मोहस्स हुंति पन्नरस । बन्धोदयसंते पुण, भंगविगप्पा बहू जाण ॥ १५॥ छब्बावीसे चउ इगवोसे सत्तरस तेरसे दोदो । नवबंधगे वि दुन्निउ, एक्केक्कमओ परं भंगा ॥१६॥ दस बावीसे नव इगवीसे सत्ताइ उदयठाणाई। छाई नव सत्तरसे, तेरे पंचाइ अहेव ॥ १७ ॥ चत्तारिमाइ नवबंधएसु उक्कोस सत्तमुदयंसा । पंचविहबन्धगे पुण, उदओ दोण्हं मुणेअवो ॥१८॥ एत्तो चउ बन्धाइ, एक्केक्कुदया हवंति सव्वे वि । बन्धोवरमे वि तहा, उदयाभावे वि वा होजा ॥१९॥ एक्कगछक्केकारस, दस सत्त चउक्क एक्कगं चेव । एए चउवीस गया, चउवीस दुगेक्कमेक्कारा ॥२०॥ नवतेसीइसएहिं, उदयविगप्पेहिं मोहिआ जीवा । अउणुत्तरिसीआला, पयविंदसएहिं विन्नेआ ॥२१॥ नवपंचाणउइसए, उदयविगप्पेहिं मोहिआ जीवा । अउणत्तरिएगुत्तरि, पयविंदसएहिं विन्नेआ ॥ २२ ॥ तिन्नेव उ बावीसे, इगवीसे अट्ठवीस सत्तरसे। Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छच्चेव तेर नव बन्धएमु पंचेव ठाणाणि ॥ २३ ॥ पंचविह चउविहेसु, छ छक्क सेसेणु जाण पंचेव । पत्तेयं पत्तेअं, चत्तारि उ बंध वोच्छेओ ॥२४॥ दसनवपन्नरसाइं, बंधोदयसंतपयडिठाणाई । भणिआणि मोहणिज्जे, इत्तो नामं परं वोच्छं ॥२५॥ तेवीसपन्नवीसा, छठवीसा अट्टवीस गुणतीसा। तीसेगतीसमेक्क, बंधहाणाणि नामस्स ॥ २६ ॥ चउ पणवीसा सोलस, नव बाणउईसया य अडयाल। एयालुत्तर छायालसया य एक्केकबंधविही ॥ २७ ॥ वीसिंगवीसा चउवोसिगाइ एगाहिआ उ इगतीसा। उदयहाणाणि भवे, नव अह य हुंति नामस्स ॥२८॥ एगबियालेकारस, तित्तीसा छस्सयाणि तित्तीसा। बारससत्तरससयाणहिगाण बियंचसीईहिं ॥ २९ ॥ अउणत्ती सेक्कारससयाहिगा सतरसपंचसहीहिं । एक्केकगं च वीसाठ्ठदयंतेसु उदयविही ॥३०॥ तिदुनउई गुणनउई, अट्ठच्छलसी असीई गुणसीई । अट्ठयछप्पन्नत्तरि, नव अच्य नाम संताणि ॥३१॥ Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ य बारस बारस, बंधोदयसंतपयडिठाणाणि । ओहेणाएसेण य, जत्थ जहासंभवं विभजे ॥३२॥ नव पंचोदयसंता, तेवीसे पण्णवीस छबीसे । अह चउरहवीसे, नवसत्तिगुणतीस तीसम्मि ॥३३॥ एगेगमेगतीसे, एगे एगुदय अट्ठ संतमि । उवरयबंधे दस दस, वेयगसंतमि ठाणाणि ॥ ३४ ॥ तिविगप्पपगइष्टाणेहिं जीवगुणसन्निएसु ठाणेसु । भंगा पउंजियवा, जत्थ जहा संभवो भवइ ॥ ३५॥ तेरससु जीवसंखेवएसु नाणंतरायतिविगप्पो । एगंमि तिदुविगप्पो, करणं पइ इत्थ अविगप्पो ॥३६ तेरे नव चउ पणगं, नव संतेगम्मि भंगमेक्कारो ॥ वेअणियाउयगोए, विभज मोहं परं वुच्छं ॥३७॥ (पजत्तगसन्निअरे, अह चउकं च वेगणिय भंगा। सत्तग तिगं च गोए, जीवहाणेसु वत्तव्वा ॥३८॥ पजत्तापजत्तग, समणे पज्जत्त अमण सेसेसु । अट्ठावीसं दसगं, नवगं पणगं च आउस्स ॥३९॥) असु पंचसु एगे, एग दुगं दस य मोह बंधगए । Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६ तिग चउ नवं उदय गए, तिग तिग पन्नरस संतंमि॥ पण दुग पणगं पणचउ, पणगं पणगा हवंति तिण्णेव पणछप्पणगं छच्छप्पणगं अहह दसगं ति ॥४१॥ सत्तेव अपजत्ता, सामी तह सुहुम बायरा चेव । विगलिंदिआ य तिन्नि य, तह असन्नी य सन्नी य||४२ नाणंतराय तिविहमवि, दससु दो हुंति दोसु ठाणेसुं। मिच्छासाणे बीए, नव चउ पण नव य संतसा ॥४३॥ मिस्साई नियट्टी उ, छ चउ पण नव य संतकम्मंसा। चउबंध तिगे चउ पण, नवंस दुसु जुअल छस्संता॥४४ उवसंते चउ पण नव, खीणे चउरुदय छच्च चउसंतं । वेअणियाउयगोए, विभज मोहं परं वुच्छं ॥ ४५ ॥ (चउ छस्सु दोन्नि सत्तसु, एगे चउगुणिसुवेअणिअभंगा गोए पण चउ दो तिसु, एगसु दोन्नि एक्कंमि ॥४६ अट्ठच्छाहिगवीसा, सोलस वीसं च बारस छ दोसु । दो चसु तीसु एक्कं, मिच्छोइसु आउए भंगा ॥४७) गुणठाणगेसु असु, एकिक्कं मोहबंधठाणेसु । पंचानिअघि ठाणे, बंधोवरमो पर तत्तो ॥४८॥ Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७ सत्ताइ दस उ मिच्ने, सासायणमीसए नवुक्कोसा। छाई नव उ अविरए, देसे पंचाइ अहेव ॥ ४९ ॥ विरए खओवसमिए, चउराई सत्त छच्च पुव्वंमि । अनियट्टिबायरे पुण, इक्कोव दुवे व उदयंसा ॥५०॥ एगं सुहुमसरागो, वेएइ अवेअगा भवे सेला। भंगाणं च पमाणं, पुव्वुद्दिद्वेण नायव्वं ।। ५१ ॥ एक्के बक्केक्कारे, सेव एक्कारसेव नव तिन्नि । एए चउवीसगया, बार दुगे पंच इक्कमि ॥५२॥ बारसपणसट्ठिसया, उदयविगप्पेहिं मोहिआ जीवा। चुलसीई सत्तुत्तरि, पयविंदसएहिं विन्नेआ॥ ५३॥ (अहग चन चउ चउरगाय चउरो अ हुंति चवीसा मिच्छाइ अपुव्वंता, बारस पणगं च अनिअट्टे ॥५४॥) जोगोवओगलेसाइएहिं गणिआ हवंति कायव्वा। जे जत्थ गुणहाणेसु; हेांति ते तत्थ गुणकारा ॥५५॥ अहट्ठी बत्तीस, बत्तीस सट्ठिमेव बावन्ना। चोयाल दोसु वीसा, मिच्छामाईसु सामन्नं ॥ ५६ ॥ तिन्नेगे एगेगं, तिग मीसे पंच चउसु नियटिए तिन्नि । Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८ एक्कार बायरंमि उ, सुहुमे चउ तिन्नि उवसंते ॥५७ छन्नव बक्कं तिग सत्त, दुगं दुगतिग दुगं तिगट्ठ चउ दुगछक्कचउ दुग पण चउ चउ, दुग चउ पणेग चउ ॥ एगेगम एगेगम छउमत्थकेवलिजिणाणं । एगचऊएगचऊ, अट्टचउ दु छक्कमुदयंसा ॥ ५९ ॥ ( चउ पणवीसा सोलस, नव चत्तालासयाय बाणउइ । बत्ती सुत्तर छायालसया मिच्छस्स बंधविही ॥६०॥ अठ सया चउसठी, बत्तीससयाय सासणे भेआ । अठावीसाईसु, सव्वाणाहि छन्नउइ ॥ ६१ ॥ एग चत्तिगार बत्तीस छसय इगतिसिगार नवनउइ सत्तरिगंसि गुत्तिस, चउद इगार चउसट्ठि मिच्छुदया ॥ बत्तीस दुनिअट्ठय, बासीइ सया य पंच नव उदया । बारहिआ तेवीसा, बावन्निक्कार ससयाय ॥ ६३ ॥ ) दो छक्क चउक्कं, पण नव एक्कार छक्कगं उदया । नेरइआईसु सत्ता, ति पंच एक्कारस चउक्कं ॥६४॥ इगविगलिंदिअ सगले, पण पंच य अट्ठ बंधठाणाणि । पण छक्केक्कारुदया, पण पण बारस य संताणि ॥६५ Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०९ इय कम्मपगइहाणाइं सुठु बन्धुदयसंतकम्माणं। गइयाइएहिं अहसु, चउप्पयारेण नेयाणि ॥ ६६ ॥ ( गइ इंदिए अ काए, जोए वेए कसाय नाणेध । संजमदसणलेसा, भव संमे सन्नि आहारे ॥ ६७ ॥ संतपयपरूवणया, दव्वपमाणं च खित्तफुसणा य। कालो य अंतरं भागभावे अप्पाबहुं चेव ॥६॥) उदयस्सुदीरणाए, सामित्ताओ न विज्जइ विसेसो । मोत्तूण य इगयालं, सेसाण सव्वपयडीणं ॥ ६९ ॥ नाणंतरायदसगं, दसणनव वेयणिज्जमिच्छत्तं । संमत्तं लोभवेधाउगाणि नव नाम उच्च च ॥७॥ मणुयगइ जाइ तस बायरं च पज्जत्त सुभगमाइज्ज। जसकित्ती तित्थयरं, नामस्स हवंति नव एया ॥७१॥ तित्थयराहारगविरहिआओ अज्झेइ सव्वपयडीओ। मिच्छत्तवेअगो सासाणो गुणवीससेसायो ॥७२॥ छायालसेस मीसो, अविरयसम्मो तिआलपरिसेसा। तेवन्नदेसविरओ, विरओ सगवन्नसेसायो॥७३॥ इगुसहिमप्पमत्तो, बन्धइ देवाउअस्स इअरो वि। Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अहावण्णमपुठवे, छप्पण्णं वा वि वीसा ॥७४॥ बावीसा एगणं, बन्धइ अहारसंतमनिअट्टी। सत्तरसुहुमसरागो, सायममोहो सजोगित्ति ॥७५॥ एसो उ बन्धसामित्तओहो गइथाइएसु वि तहेव । ओहाओ साहिजा जस्थ जहा पयडिसब्भावो ॥७॥ तित्थयरदेवनिरआउगं च तिसु तिसु गईसु बोधव्वं । अवसेसा पयडीयो, हवंति सव्वासु वि गईस ॥७७॥ पढमकसायचउक्कं, दसणतिग सत्तगा वि उवसंता । अविरयसम्मत्ताओ, जाव नियहित्ति नायव्वा ॥७८॥ (सत्त 6 नव य पनरस, सोलस अठारसेव इगवीसा। एगाहि दु चऊवीसा, पणवीसा बायरे जाण ॥७९॥ सत्तावीसं सुहुमे, अहावीसं पि मोहपयडीओ। उवसंतवीअरागे, उवसंता हुंति नायव्वा ||८०॥) पढमकसायचउक्कं, इत्तो मिच्छत्तमीससम्मत्तं । अविरयसम्मे देसे, पमत्ति अपमत्ति खोयंति ॥१॥ (थनिअट्टिबायरे थीणगिद्धितिगनिरयतिरिअनामायो । संखिज्जइमे सेसे, तप्पाओगाओ खीयंति ॥ ८२ ॥ Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एत्तो हणइ कसायट्ठगंपि पच्छा नपुंसगं इत्थी। तो नोकसायछक्कं, बुहइ संजलणकोहम्मि ॥८३॥) पुरिसं कोहे कोहं, माणे माणं च बुहइ मायाए। मायं च बुहइ लोहे, लोहं सुहुमं पि तो हणइ ॥४॥ (खीणकसायदुचरिमे,निदा पयला च हणइ छउमत्थो। आवरणमंतराए, छउमत्थो चरमसमयम्मि ||८५।।) देवगइसहगयाओ, दुचरमसमयभविश्रमि खीति । सविवागेअरनामा, नीयागोयं पि तत्थेव ॥८६॥ अन्नयरवेअणिज्जं, मणुयाउअ उच्चगोय नवनामा । वेएइ अजोगिजिणो, उक्कोसो जहन्न इकारं ॥८७॥ मणुअगइ जाइ तस बायरं च पजत्तसुभगमाइज्जं । जसकित्ती तित्थयरं, नामस्स हवंति नव एआ ॥८॥ तच्चाणुपुत्विसहिआ, तेरस भवसिद्धिअस्स चरमंमि। संतसगमुक्कोसं, जहन्नयं बारस हवंति ॥८९॥ मणुअगइसहगयाओ, भवखित्तविवागजिवविवागित्ति॥ वेअणियअन्नयरुच्च, चरमभवियस्स खीयंति ॥९॥ अह सुइयसयलजगसिहरमरुवनिरुवमसहावसिद्धिसुहं Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ अनिहणमव्वाबाहं; तिरयणसारं अणुहवंति ॥ ९१ ॥ दुरहिगम निउण परमत्थ रुइर बहुभंग दिठिवायाओ अत्था अणुसरिअवा, बंधोदयसंतकम्माणं ॥ ९२ ॥ जो जत्थ अपडिपुन्नो, अत्थो अप्पागमेण बद्धोवि । तं खमिउण बहुसुआ, पूरेऊणं परिकहंतु ॥ ९३ ॥ (गाहग्गं सयरीए, चंदमहत्तर मयाणुसारीए । टीगाइ नियमिआणं, एगणा होइ नईओ ॥ ९४ ॥) ॥ इति सप्ततिकानामा षष्ठः कर्मग्रन्थः ॥ Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || भईम || ॥ अथ श्रीमच्छिवशर्मसूरीश्वर - प्रणीता कर्मप्रकृतिः ॥ ॥ बन्धनकरणम् ॥ सिद्धं सिद्धत्थसुयं, वंदिय निद्धोयसव्वकम्ममलं । कम्मट्ठगस्स करण मुदयसंताणि वोच्छामि ॥ १ ॥ बंधण१ संकमणु २ वट्टणा य३अववट्टणा ४ उदीरणया५ । उवसामणा६ निहत्ती७निकायणा ८ च त्ति करणाई ||२ विरियंतराय देसक्खएण सव्वक्खएण वा लद्धी । अभिसंधिजमियरं वा, तत्तो विरियं सलेसस्स ||३|| परिणामालं बणगहण साहणं तेष लद्धनामतिगं । कज्जन्भासन्नोन्नप्पवेसविसमीकयपएसं ॥ ४ ॥ श्रविभागवग्गफडुगअंतरठाणं श्रणंतरोवणिहा । जोगे परंपरावुड्डिसमय जीवप्पबहुगं च ॥ ५ ॥ Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ पण्णायणछिन्ना, लोगासंखेजगप्पएससमा । अविभागा एक्केक्के, होति पएसे जहन्नेणं ॥६॥ जेसिं पएसाण समा, अविभागा सव्वतो य थोवतमा ते वग्गणा जहन्ना, अविभागहिया परंपर ॥७॥ सेढिअसंखिअमित्ता, फड्डगमेत्तो अणंतरा नस्थि । जाव असंखा लोगा, तो बीयाई य पुवसमा ॥८॥ सेडिअसंखिअमेत्ताई, फड्डगाइं जहन्नयं ठाणं । फड्डगपरिवुड्डिअओ, अंगुलभागो असंखतमो ॥९॥ सेढिअसंखियभाग, गंतुं गंतुं हवंति दुगुणाई। पल्लासंखियभागो, नाणागुणहाणिठाणाणि ॥१०॥ वुड्डीहाणिचउक्कं तम्हा कालोत्थ अंतिमल्लीणं । अंतोमुहुत्तमावलि असंखभागो य सेसाणं ॥ ११ ॥ चउराई जावगमित्तो जाव दुगं ति समयाणं । पजत्तजहन्नाओ जावुक्कोसं ति उक्कोसो ॥ १२ ॥ एगसमयं जहन्नं ठाणाणप्पाणि अट्ट समयाणि । उभयो असंखगुणियाणि समयसो ऊण ठाणाणि॥१३ सव्वत्थोवो जोगो साहारणसुहुमपढमसमयम्मि । Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११५ बायरवियतियचउरमणसन्नपज्जत्तगजहन्नो ॥ १४ ॥ आइकोसो सिं पज्जत्तजहन्नगेयरे य कमा | उक्कोसजहन्नियरो असमत्तियरे असंखगुणो ॥ १५ ॥ अमणाणुत्तर विज्जभोगभूमिगय तइयतणुगेसुं । कमसो असंखगुणिश्रो सेसेसु य जोगु उक्कोसो ॥१६ जोगेहिं तयणुरुवं परिणमइ गिव्हिऊण पंच तण । पाउग्गे वालंबइ भासाणुमणत्तणे खंधे ॥ १७ ॥ परमाणु संखऽसंखाऽणंतपएसा अभव्वतगुणा । सिद्धाणपतभागी आहारगवग्गणा तितणू ॥१८॥ अग्गहणंतरियाओ तेयगभासामणे य कम्मे य । धुवअधुवाच्चित्तासुन्नाचउतरेपि ॥ १९ ॥ पत्तेगतसु वायरसुहुमनिगोए तहा महाखंधे । गुणनिफन्नसनामा असंखभागंगुलवगाहो ॥ २० ॥ एगमवि गहणदव्वं सव्वष्पणयाइ जीवदेसम्म । सव्वष्णया सव्वत्थ वात्रि सव्वे गहणखंधे ॥ २१ ॥ नेह पच्चयफडगमेगं अविभागवग्गणा ता । हस्सेण बहू वद्धा असंखलोगे दुगुणहीणा || २२ ॥ Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नामप्पयोगपच्चयगेसु वि नेया अर्णतगुणणाए । धणिया देसगुणा सिं जहन्नजेटे सगे कटु ॥२३॥ मूलुत्तरपगईणं अणुभागविसेसओ हवइ भेओ। अविसेसियरसपगईउ, पगईबंधो मुणेयम्वो ॥२४॥ जं सव्वघाइपत्तं सगकम्मपएसणंतमो भागो। आवरणाण चउद्धा तिहा य अह पंचहा विग्घे ॥२५॥ मोहे दुहा चउद्धा य पंचहा वा वि बज्झमाणीणं । वेयणियाउयगोएसु बज्झमाणीण भागो सिं ॥२६॥ पिंडपगईसु बनंतिगाण वण्णरसगंधफासाणं । सबासि संघाए तणुम्मि य तिगे चउक्केवा ॥२७॥ सत्तेक्कारविगप्पा बंधणनामाण मूलपगईणं । उत्तरसगपगईण य अप्पबहुत्ता विसेसो सिं ॥२८॥ गहणसमयम्मि जीवो उप्पाएई गुणे सपच्चयओ। सम्वजियाणंतगुणे कम्मपएसेसु सव्वेसुं ॥२९॥ सव्वप्पगुणा ते पढमवग्गणा सेसिया विसेसूणा अविभागुत्तरियाओ सिद्धाणमणतभागसमा ॥३०॥ फड्डगमणंतगुणियं सवजिएहिं पि अंतरं एवं । Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेसाणि वग्गणाणं समाणि ठाणं पढममेत्तो ॥३१॥ अंतरतुल्लं अंतरमणंतभागुत्तरं बिइयमेवं । अंगुलयसंखभागो अणंतभागुत्तरं कंडं ॥ ३२॥ एगं असंखभागेणणंतभागुत्तरं पुणो कंडं । एवं असंखभागुत्तराणि जा पुव्वतुल्लाणि ॥३३॥ एग संखेज्जुत्तरमेत्तो तीयाण तिच्छिया बीयं । ताण वि पढमसमाई संखेजगुणोत्तरं एकं ॥ ३४ ॥ एत्तो तीयाणि अइच्छियाण बिइयमवि ताणि पढमस्स तुल्लाणसंखगुणियं एक्कं तीयाण एक्कम्म ॥३५॥ बिइयं ताणि समाइं पढमस्साणंतगुणियमेगं तो। तीयाणइच्छियाणं ताण वि पढमस्स तुल्लाइं ॥ ३६ ।। सव्वजियाणमसंखेजलोग संखेजगस्स जेहस्स। भागो तिसु गुणणा तिस छहाणमसंखिया लोगा ॥३७ वुड्डी हाणी छक्कं तम्हा दोण्हं पि अंतमल्लीणं । अंतोमुत्तमावलि असंखभागा उ सेसाणं ॥ ३८॥ चउराई जावगमेत्तो जावं दुगं तिसमयाणं । ठाणाणं उक्कोसो जहण्णओ सव्वहिं समओ ॥३९ ॥ Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दुसु जवमनं थोवाणि अट्ठसमयाणि दोसु पासेसु । समणियाणि कमसो असंखगुणियाणि उप्पिं च ॥४० सुहुमगणिपवेसणया अगणिकाया य तेसि कायठिई। कमसो असंखगुणियाणनवसाणाणि चणुभागे ॥४१|| कडजुम्मा अविभागा ठाणाणि य कंडगाणि अणुभागे पज्जवसाणमणतगुणाओ उप्पिं नणंतगुणं ॥४२॥ अप्पबहुमणंतरओ असंखगुणियाणणंतगुणमाई । तविवरीयमियरथो संखेज्जक्खेसु संखगुणं ।। ४३ ॥ थावरजीवाणंता एक्केक्के तप्तजिया असंखेज्जा । लोगा सिमसंखेज्जा अंतरमह थावरे नस्थि ॥४४॥ आवलिअसंखभागो तसा निरंतरं अहेगठाणम्मि । नाणा जीवा एवइकालं एगिंदिया निञ्च ॥ ४५ ॥ थोवा जहन्नठाणे जा जवमनं विसेसओ अहिया । एत्तो हीणा उक्कोसगं ति जीवा अणंतरओ ॥४६॥ गंतूणमसंखेज्जे लोगे दुगुणाणि जाव जवमतं । एत्तो य दुगुणहीणा एवं जकोसगं जाव ॥ ४७ ॥ नाणंतराणि श्रावलियअसंखभागो तसेसु इयरेसुं । Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११९ एगंतरा असंखिय गुणाइँ नाणंतराइं तु ॥ १८ ॥ फासणकालो तीए थोवो उक्कोसगे जहन्ने उ । होइ असंखेज्जगुणो य उ कंडगे तत्तिओ चेव ॥४९॥ जवमनकंडगोवरि हेट्ठा जवमनयो असंखगुणो। कमसो जवमझुवरि कंडगहेहा य तावइओ ॥५०॥ जवमझुवरि विसेसो कंडगहेट्ठा य सव्वहिं चेव । जीवप्पाबहुमेवं अनवसाणेसु जाणेज्जा ॥ ५१ ॥ एक्केक्कम्मि कसायोदयम्मि लोगा असंखिया होति। ठिइबंधठाणेसु वि अनवसाणाण ठाणाणि ॥५२॥ थोवाणि कसानदये अनवसाणाणि सव्वडहरम्मि । बिइयाइ विसेसहियाणि जाव उक्कोसगं ठाणं ॥५३॥ गंतूणमसंखेज्जे लोगे दुगुणाणि जाव उक्कोसं । आवलिअसंखभागो नाणागुणवुड्डिठाणाणि ॥५४॥ सव्वासुभपगईणं सुभपगईणं विवज्जयं जाण । ठिइबंधहाणेसु वि आजगवज्जाण पगडीणं ॥५५॥ पल्लासंखियभागं गंतुं दुगुणाणि आगाणं तु । थोवाणि पढमबंधे बिइयाइ असंखगुणियाणि ॥५६॥ Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० घाईणमसुभवण्णरसगंधफासे जहन्नठिइबंधे | जाणवणारं तदेगदेसो य अन्नाणी ॥ ५७ ॥ पल्लासंखिय भागो जावं विइयस्स होइ बिइयम्मि । आ उक्कस्सा एवं उवघाए वा वि अणुकड्ढि ॥ ५८ ॥ परघाउज्जोउस्सासायवधुव नाम तणुउवंगाणं । पडिलोमं सायस्स नं उक्कोसे जाणि समऊणे ॥५९॥ ताणि य अन्नाऐवं ठिइबंधो जा जहन्नगमसाए । हेडुज्जोयसमेवं परत्तमाणीण उ सुभाणं ॥ ६० ॥ जाणी असायजहन्ने उदहिपुहुत्तं ति ताणी अन्नाणी । आवरणसमं उपिं परित्तमाणीणमसुभाणं ॥ ६१ ॥ सेकाले सम्मतं पडिवज्जंतस्स सत्तमखिईए । जो ठिइबंधो हस्सो इत्तो आवरणतुल्लो य ॥ ६२ ॥ जा अभवियपाउग्गा उष्पिमसायसमया उ आ जेठा । एसा तिरियगतिदुगे नीयागोए य अनुकड्डी || ६३ ॥ तसवायर पज्जत्तगपत्तेयगाण परघायतुल्लाउ । जात्र द्वारसकोडाकोडी हेठा य साएणं ॥ ६४ ॥ तणुतुल्ला तित्थयरे कट्टि तिव्वमंदया एत्तो । Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सव्वपगईण नेया जहन्नयाई अणंतगुणा ॥६५॥ निव्वत्तणा ज एकिकस्स हेलोवरिं तु जेहियरे। चरमठिईणुक्कोसो परित्तमाणीण उ विसेसो ॥६६।। ताणन्नाणि त्ति परं असंखभागाहिं कंडगेकाण । उक्कोसियरा नेया जा तक्कंडकोवरि समत्ती ॥६७॥ ठिइबंधहाणाई सुहुमअपज्जत्तगस्त थोवाइं । बायरसुहुमेयरबितिचउरिंदियधमणसंन्त्रीणं ॥६८॥ संखेजगुणाणि कमा असमत्तियरे य बिंदियाइम्मि । नवरमसंखेजगुणाई संकिलेसाय सव्वस्थ ॥६९॥ एमेव विसोहीओ विग्यावरणेसु कोडिकोडीओ। उदही तीसमसाते अद्धं थीमणुयदुगसाए ॥७०॥ तिविहे मोहे सत्तरि चत्तालीसा य वीमई य कमा। दस पुरिसे हासरई देवदुगे खगइचेट्टाए ॥७१॥ थिरसुभपंचगउच्चे चेवं संठाणसंघयणमूले। तब्बीयाइ विवुड्डी अहारससुहुमविगलतिगे ॥७२॥ तित्थगराहारदुगे अंतो वीसा सनिच्चनामाणं। तेत्तीसुदही सुरनारयाउ सेसाउ पल्लतिगं ॥ ७३ ॥ Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ आउचउक्कुक्कोसो पल्लासंखेजभागममणेसु । सेसाण पुत्वकोडी साउतिभागो अबाहा सिं ॥७४॥ वाससहस्समबाहा कोडाकोडीदसगस्स सेसाणं । अणुवायो अणुवट्टणगाउसु छम्मासिगुक्कोसो ॥७५॥ भिन्नमुहुत्तं आवरणविग्घदसणच उक्कलोभते । बारस सायमुहुत्ता अट्ठ य जसकित्तिउच्चेसु ॥७६॥ दो मासा अद्धद्धं संजलणे पुरिस अह वासाणि । भिन्नमुहुत्तमबाहा सवासि सबहिं हस्से ॥७७॥ खुडागभवो आउसु उववायाउसु समा दस सहस्सा। उक्कोसा संखेज्जा गुणहीण आहारतित्थयरे ॥७८॥ वग्गुक्कोसठिईणं मिच्छत्तक्कोसगेण जं लद्धं सेसाणं तु जहन्नो पल्लासंखेजगेणूणो ॥७९॥ एसेगिंदियडहरो सवासिं ऊणसंजुओ जेट्ठो। पणवीसा पन्नासा सयं सहस्सं च गुणकारो ॥ ८० ॥ कमसो विगलयसन्नीण पल्लसंखेजभागहा इयरो । विरए देसजइदुगे सम्मचउक्केयसंखगुणो ॥८१|| सन्निपजत्तियरे अभितरओ य कोडिकोडोओ। Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२३ ओघुक्कोसो सन्निस्स होइ पज्जत्तगस्सेव ॥८२॥ मोत्तूण सगमवाहं पढमाइ ठिइ बहुतरं दव्वं । एत्तो विसेसहीणं जावुक्कोसं ति सव्वेसिं ॥८३॥ पल्लासंखियभागं गंतुं दुगुणूणमेवमुक्कोसा। नाणंतराणि पल्लस्त मलभागो असंखतमो ॥ ८४ ॥ मोत्तण आउगाइं समए समए अबाहहाणीए । पल्लासखियभागं कंडं कुण अप्पबहुमेसिं ॥८५॥ बंधाबाहाणुक्कस्सयरं कंडकअबाहबंधाणं । ठाणाणि एकनाणंतराणि अत्थेण कंडं च ॥ ८६ ॥ ठिइबंधे ठितिबंधे अप्नवसाणाणसंखया लोगा। हस्ताविसेसवुड्डी आऊणमसंखगुणवुड्डी ॥८॥ पल्लासंखियभागं गंतुं दुगुणाणि जाव उकोसा। नाणंतराणि अंगुलमलच्छेयणमसंखतमो ॥ ८८ ॥ ठिइदीहयाइकमसो असंखगुणियाणि गंतगुणणाए। पढमजहण्णुक्कोसं बितिय जहन्नाइ आ चरमा । बंधंता धुवपगडी परित्तमाणिग सुभाग तिविहरसं। चउ तिग विठाणगयं विवरीयतिगं च असुभाणं ॥९० Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२४ सव्वविसुद्धा बंधति मतिमा संकिलिहतरगा य । धुवपगडि जहन्नठिई सव्वविसुद्धा उ बंधंति ॥११॥ तिट्ठाणे अजहणणं विहाणे जेट्टगं सुभाण कमा। सहाणे उ जहन्नं अजहन्नुक्कोसमियरासिं ॥९२॥ थोवा जहन्नियाए हेति विसेसाहियोदहिसयाई । जीवा विसेसहीणा उदहिसयपुहुत्त मो जाव ॥२३॥ एवं तिहाणकरा बिट्ठाणकरा य आ सुभुक्कोसा । असुभाणं बिहाणे तिचउठाणे य उक्कोसा ॥ ९४ ॥ पदलासंखियमूलानि गंतुं दुगुणा य दुगुहीणा य । नाणंतराणि पल्लस्स मुलभागो असंखतमो ॥९५॥ अणगारप्पाउग्गा बिट्ठाणगया उ दुविहपगडीणं । सागारा सव्वत्थ वि हिहा थोवाणि जवमना ॥९॥ ठाणाणि चउहाणा संखेज्जगुणाणि उवरिमे एवं । तिहाणे बिठाणे सुभाणि एगंतमीसाणि ॥ ९७ ॥ उवरिं मिस्साणि जहन्नगो सुभाणं तओ विसेसहिओ होइ असुभाण जहण्णो संखेजगुणाणि ठाणाणि॥९८ बिठाणे जवमला हेट्ठा एगंत मीसगाणुवरिं। Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२५ एवं ति चउठाणे जवमनायो य डायठिई ॥९९॥ अंतो कोडाकोडी सुभबिट्ठाण जवमनो उवरि । एगंतगा विसिट्ठा सुभजिट्ठा डायठिइजेट्ठा ॥१०॥ संखेजगुणा जीवा कमसो एएसु दुविहपगईण । असुभाणं तिहाणे सव्वुवरि विसेसओ अहिया॥१०१॥ एव बंधणंकरणे परूविए सह हि बंधसयगेणं । बंधविहाणाहिगमो सुहमभिगंतुं लहुं होइ ॥१०२॥ ॥ इति बन्धनकरणम् ॥ ॥ अथ संक्रमकरणम् ॥ सो संकमो त्ति वुच्चइ जं बंधणपरिणओ पओगेणं । पगयंतरत्थदलियं परिणमयइ तयणुभावे जं ॥१॥ दुसु चेगे दिहिदुगं बंधण विणा वि सुद्धदिहिस्त । परिणामयइ जीसे तं पगईइ पडिग्गहो एसा ॥२॥ मोहदुगाउगमूलपगडीण न परोप्परंमि संकमणं । संकमबंधुदउव्वदृणालिगाईणकरणाई ॥३॥ Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२६ अंतरकरणम्मि कए चरित्तमोहे णुपुट्विसंकमणं । अन्नत्थ सेसिगाणं च सवहिं सबहा बंधे ॥४॥ तिसु आवलियासु समऊणियासु अपडिग्गहा उ संजलणा दुसु आवलियासु पढमठिईए सेसासु वि य वेदो॥५॥ साइअणाईधुवअधुवा य सव्वधुवसंतकम्माणं । साइअधुवा य सेसा मिच्छावेयणीयनीएहिं ॥६॥ मिच्छत्तजढाय पडिग्गहम्मि सव्वधुवबंधपगईयो । नेया चउव्विगप्पा साई अधुवा य सेसाओ ॥७॥ पगईठाणे वि तहा पडिग्गहो संकमो य बोधव्वो । पढमंतिमपगईणं पंचसु पंचण्ह दो वि भवे ॥८॥ नवगच्छक्कचउक्के नवगं छक्कं च चउसु बिइयम्मि । अन्नयरस्स अन्नयरा वि य वेयणीयगोएसु ॥९॥ अचउरहियवीसं सत्तरसं सोलसं च पन्नरसं। वजिय संकमठाणाई हेति तेवीसई मोहे ॥१०॥ सोलस बारसगट्ठग वीसग तेवीसगाइगे छच्च । वज्जिय मोहस्स पडिग्गहा उ अट्टारस हवन्ति ॥११ छव्वीससत्तवीसाण संकमो होइ चउसु ठाणेसु । Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२७ बावीसपन्नरसगे एकारसइगुणवीसाए ॥ १२ ॥ सत्तरस एकवीसासु संकमो होइ पन्नवीसाए । नियमा चउसु गईसु नियमा दिहि कए तिविहे ॥१३ बाबोसपन्नरसगे सत्तगएक्कारसिगुणवीसासु । तेवीसाए नियमा पंच वि पंचिंदिएसु भवे ॥१४॥ चोइसगदसगसत्तगयाहारसगे य होइ बावीसा । नियमा मणुयगईए नियमा दिही कए दुविहे ॥ १५ ॥ तेरसगनवगसत्तगसत्तरसगपणगएक्कवीसासु । एक्कावीसा संकमइ सुद्धसासाणमीसेसु ॥ १६ ॥ एत्तो अविसेसा संकमंति उवसामगे व खवगे वा । उवसामगेसु वीसा य सत्तगे छक्क पणगे य ॥१७॥ पंचसु एगुणवीसा अट्ठारस पंचगे चउक्के य। चउदस छसु पगईसु तेरसगं छक्कपणगम्मि ॥ १८ ॥ पंच चउक्के बारस एक्कारस पंचगे तिगचउक्के । दसगं चउक्कपणगे नवगं च तिगम्मि बोधव्वं ॥१९॥ अह दुगतिगचउक्के सत्तचउक्के तिगे य बोधव्वा । छक्कं दुगम्मि नियमा पंच तिगे एक्कगदुगे य ॥२०॥ Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ चत्तारि तिगचउक्के तिन्नि तिगे एक्कगे य बोधव्वा । दो दुसु एक्काए विय एक्का एक्काए बोधव्वा ॥२१॥ अणुपुव्विअणाणुपुत्वी झीणमझीणे य दिहिमोहम्मि उवसामगे य खवगे य संकमे मग्गणोवाया ॥२२॥ तिदुगेगसयं छप्पणचउतिगनउई य इगुणनउईया । अचउदुगेक्कसीइय संकमा बारस य छठे ॥२३॥ तेवीसपंचवीसा छवीसा अहवीसगुणतीसा। तीसेकतीसएगं पडिग्गहा अट्ठ नामस्स ||२४|| एक्कगदुगसय पणचउनउई तो तेरसूणिया वावि । परभवियबंधवोच्छेय उपरि सेढीइ एक्कस्स ॥२५॥ तिगदुगसयं छपंचगनउइ य जइस्स एक्कतीसाए । एगंतसेढिजोगे वज्जियतीसिगुणतीसासु ॥२६॥ अट्ठावीसाए वि ते बासीइतिसयवजिया पंच । ते चिय बासीइजुया सेसेसु छन्नउई य वज्जा ॥२७॥ ठिइसंकमो त्ति वुच्चइ मूलुत्तरपगइयो य जा हि ठिई। उध्वटिया व ओवट्टिया व पगई निया वऽणं ॥२८॥ तीसासत्तरि चत्तालीसावीसुदहिकोडि कोडीणं । Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२९. जेहा आलिगदुगहा सेसाण वि आलिगतिगूणा ॥२९ मिच्छत्तस्सुक्कोसो भिन्नमुहुत्तणगो उ सम्मत्ते । मिस्सेवंतोकोडाकोडी आहारतित्थयरे ॥३०॥ सव्वासिं जछिइगो सावलिगो सो अहाउगाणं तु । बंधुक्कोसुक्कोसो साबाहठिई य जडिगो ॥३१॥ आवरणविग्घदसणचउक्कलोभंतवेयगाऊणं । . . एगा ठिई जहन्नो जट्ठिइ समयाहिगावलिगा ॥३२॥ निदादुगस्स एक्का आवलिगदुगं असंखभागो य। जमिइ हासच्छक्के संखिज्जाओ समाओ य ॥३३॥ सोणमुहुत्ता जट्टिइ जहन्नबंधो न पुरिससँजलणे । जट्ठिइ सगळणजुत्तो आलिगदुगूणओ तत्तो ॥३४॥ जोगतियाण अंतोमुहुत्तियो सेसियाण पल्लस्स । भागो असंखियतमो जट्ठिइगो आलिगाइ सह । ३५॥ मूलठिई अजहन्नो सत्तह तिहा चउविहो मोहे । सेस विगप्पा तेसिं दुविगप्पा संकमे हेति ॥३६॥ धुवसंतकम्मिगाणं तिहा चउद्धा चरित्तमोहाणं । अजहन्नो सेसेसु य दुहेतरासिं च सव्वत्थ ॥३७॥ Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बन्धाओ उक्कोसो जासिं गंतूण आलिग परयो। उक्कोससामियो संकमेण जासिं दुगं तासिं ॥३८॥ तस्संतकम्मिगो बंधिजण उक्कोसगं मुहुत्तंतो। सम्मत्तमौसगाणं श्रावलिया सुद्धदिछी उ ॥३९॥ दसणचउक्कविग्यावरणं समयाहिगालिगा छउमो। निदाणावलिगदुगे आवलियअसंखतमसेसे ॥४०॥ समयाहिगालिगाए सेसाए वेअगस्स कयकरणो । सक्खवगचरमखंडगसबुभणादिट्ठिमोहाणं ॥४॥ समउत्तरालिगाए लोभे सेसाइ सुहुमरागस्स। पढमकसायाण विसंजोयणसंछोभणाए उ ॥४२॥ चरिमसजोगे जा अत्थि तासि सो चेव सेसगाणं तु । खवगक्कमेण अनियटिबायरो वेयगो वेए ॥४३॥ मुलुत्तरपगइगतो अणुभागे संकमो जहा बंधे । फडगनिदेसो सिं सव्वेयरघायऽघाईणं॥४४॥ सव्वेसु देसघाइसु सम्मत्तं तदुवरिंतु वा मिस्स। दारुसमाणस्साणंतमोत्ति मिच्उत्तमुप्पिमओ॥४५॥ तत्थापयं उव्वदिया व ओवद्विया व अविभागा । Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणुभागसंकमो एस अन्नपगई निया वावि ॥४६॥ दुविहपमाणे जेट्ठो सम्मत्तदेसघाइ दुधाणा। नरतिरियाऊयायवमिस्से विय सव्वघाइम्मि ॥४७॥ सेसासु चहाणे मंदो संमत्तपुरिससंजलणे । एगहाणे सेसासु सव्वघाइम्मि दुधाणे ॥४८॥ अजहण्णो तिण्ह तिहा मोहस्स चउन्विहो अहाउस्स एवमणुक्कोसो सेसिगाण तिविहो अणुक्कोसो ॥४९॥ सेसा मूलपगइसु दुविहा अह उत्तरासु अजहन्नो। सत्तरसण्ह चउद्धा तिविकप्पो सोलसण्हं तु ॥५०॥ तिविहो छत्तीसाए णुक्कोसो ह नवगस्स य चउद्धा । एयासि सेसगा सेसगाण सव्वे य दुविगप्पा ॥५१॥ उक्कोसगं पबंधिय आवलियमइच्छिऊण उक्कोसं । जाव न घाएइ तगं संकमइ य आमुहुत्तंतो ॥५२॥ असुभाणं अन्नयरो सुहुम अपज्जत्तगोइ मिच्छो य । वज्जिय असंखवासाउए य मणुओववाए य ॥५३॥ सव्वत्थायावुज्जोयमणुयगइ पंचगाण श्राऊणं । समयाहिगालिगा सेसयत्ति सेसाण जागंता ॥ ५४॥ Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३२ खवगस्संतरकरणे अकए घाईण सुहुमकम्मुवरि । केवलिणो णतगुणं असन्निओ सेसथसुभाणं ॥५५॥ सम्महिही न हणइ सुभाणुभागे असम्मदिही वि सम्मत्तमीसगाणं उक्कोसं वजिया खवणं ॥ ५६ ॥ अंतरकरणा उवरिं जहन्नठिइसकमो उ जस्त जहिं । घाईणं नियगचरमरसखंडे दिहिमोहदुगे ॥ ५७॥ आऊण जहन्नठिई बंधिय जावत्थि संकमो ताव । उचलणतित्थसंजोयणा य पढमालियं गंतु ॥ ५८ ॥ सेसाण सुहुम हयसंतकम्मिगो तस्स हेठओ जाव । बंधइ तावं एगिदिओ व णेगिंदियो वावि ॥५९॥ जं दलियमन्नपगई निज्जइ सो संकमो पएसस्स । उठवलणो विनाओ अहापवत्तो गुणो सव्वो ॥६०॥ आहारतणू भिन्नमुहुत्ता अविरइगयो पउव्वलए। जा अविरतो त्ति उव्वलइ पल्लभागे असंखतमे ॥६१ अंतोमुहुत्तमद्धं पल्लासंखिज्जमित्तठिइखंड । उकिकरइ पुणो वि तहा उणूणमसंखगुणहं जा ॥६२ तं दलियं सहाणे समए समए असंखगुणियाए । Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३३ सेढीए परठाणे विसेसहाणीए संतुभइ ॥ ६३ ॥ जं दुचरमस्स चरिमेान्नं संकमइ तेण सव्वं पि । गुलअसंखभागेण हीरए एस उव्वलणा ॥ ६४ ॥ चरममसंखिज्जगुणं अणुसमयमसंखगुणियसेढीए । देइ परत्थाणे एवं संतुभतीणमवि कसिणो ॥ ६५॥ एवं मिच्छद्दिस्ति वेयगं मीसगं ततो पच्छा । एगिंदियस्स सुरदुगमओ सव्वेउब्वि निश्यदुगं || ६६ ॥ सुहुमतसेगो उत्तममत्रो य नरदुगमहानियद्विम्मि । छत्तीसाए नियगे संजोयण दिट्ठिजुयले य ॥ ६७ ॥ जासि न बंधो गुणभवपच्चयओ तासि होइ विनाओ गुल संभागो ववहारो तेण सेसस्स ॥ ६८ ॥ गुणसंकमो अबतिगाण असुभाणपुव्वकरणाई | बंधे अहापवत्तो परित्तिओ वा अबंधे वि ॥ ६९ ॥ थोवोवहारकालो गुणसंकमणेण संखगुणणाए । सेसस्स अहापवत्ते विज्झाए उव्वलणनामे ॥ ७० ॥ पल्लासंखियभागेणहापवत्तेण सेसगवहारो । उव्वलणेण वि थिबुगो अणुड़न्नाए उ जं उदए ॥७१ Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३४ धुवसंकम अजहन्नो एक्कोसो तासि वा विवज्जिन्तु । आवरणनवगविग्धं ओरालियसत्तगं चैव ॥७२॥ साइयमाइ चउद्धा सेसविगप्पा य सेसगाणं च । सव्वविगप्पा नेया साई धुवा पएसम्मि ॥ ७३ ॥ जो बायरतसकालेणूएं कम्महिदं तु पुढवीए । वायर पज्जत्तापज्जत्तगदीहेयरद्धासु ॥ ७४ ॥ जोगकसाउक्कोसी बहुसो निच्चमवि उबंधं व । जोगजहणणेणुवरिल्ल ठिइनिसेगं बहुं किच्चा ॥ ७५ ॥ बायरतसेसु तक्कालमेवमंते य सत्तमखिईए । सबलहुं पज्जन्तो जोगकसायाहियो बहुसो ॥ ७६ ॥ जोगजवम उवरिं मुहुत्तमच्छित्तु जीवियवसाणे । तिचरिमदुचरिमसमए पूरित कसायउक्कस्सं ॥ ७७ ॥ जोगुक्कोसं चरिमचरिमे समए य चरिमसमयम्मि । संपुण्णगुणियकम्मो पगयं तेणेह सामित्ते ॥७८॥ तत्तो उघट्टित्ता आवलिगासमयतन्भवत्थस्स । आवरण विग्घचोद्दसगोरालियसत्त उक्कोसो ॥ ७९ ॥ कम्मचउक्के असुभाण बनमाणीण सुहुमरागंते । Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३५ संछोभणमि नियगे चउवीसाए नियटिस्स ॥८॥ तत्तो अणंतरागयसमयादुक्कस्स सायबंधद्धं । बंधिय असायबंधालिगंतसमयम्मि सायस्स ।।८१॥ संछोभणाए दोएहं मोहाणं वेयगस्स खणसेसे । उप्पाइय सम्मत्तं मिच्छत्तगए तमतमाए ॥२॥ भिन्नमुहुत्ते सेसे तच्चरमावस्सगाणि किच्चेत्थ । संजोयणा विसंजोयगस्त संछोभणा एसिं ॥३॥ ईसाणागयपुरिसस्स इस्थियाए व अहवासाए । मासपुहुत्तहिन्भए नपुंसगे सव्वसंकमणे ॥४॥ इत्थीए भोगभूमिसु जीविय वासाणऽसंखियाणि तओ हस्सठिई देवत्ता सव्वलहुं सवसंछोभे ।। ८५॥ वरिसवरित्थि पूरिय सम्मत्तमसंखवासियं लहियं । गंता मिच्छत्तमओ जहन्नदेवहिई भोच्चा ॥ ८६ ॥ आगंतु लहुं पुरिसं, संडभमाणस्स पुरिसवेयस्त । तस्सेव सगे कोहस्स माणमायाणमवि कसिणो ॥८७ चउरुवसमित्तु खिप्पं लोभजसाणं ससंकमस्संते । सुभधुवबंधिगनामाणावलिगं गंतु बंधता ॥ ८८ ॥ Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३६ निबसमा य थिरसुभा, सम्मदिद्विस्स सुभधुवायो वि सुभसंघयणजुयाओ, बत्तीससयोदहिचियायो ।८९॥ पूरितु पुवकोडीपुहुत्त संछोभगस्स निरयदुर्ग। देवगईनवगस्त य सगबंधंतालिगं गंतुं ॥१०॥ सव्वचिरं सम्मत्तं, अणुपालिय पूरइत्तु मणुयदुगं । सत्तमखिइनिग्गइए, पढमे समए नरदुगस्त ॥९१॥ थावरतज्जाआयावुज्जोयाओ नपुंसगसमाओ। आहारगतित्थयरं थिरसममुक्कस्स सगकालं ॥९२।। चउरुचसमित्तु मोहं मिच्छत्तगयस्स नीयबंधंतो। उच्चागोउकोसो तत्तो लहुसिनओ होइ ॥ ९३ ॥ पल्लासंखियभागोण कम्मठिइमच्छिओ निगोएसु । सुहुमेसुऽभवियजोग्गं जहन्नयं कटु निग्गम्म ॥१४॥ जोग्गेसु संखवारे सम्मत्तं लभिय देसविरयं च ।। अट्ठक्खुत्तो विरई संजोयणहा य तइवारे ॥ ९५ ॥ चउरुवसमित्तु मोहं लहुं खतो भवे खवियकम्मो । पाएण तहिं पगयं पडुच्च काई वि सविसेसं ॥ ९६॥ आवरणसत्तगम्मि उ सहोहिणा तं विणोहिजुयलम्मि Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३७ निदादुगंतराइयहासचउक्के य बंधते ॥ ९७ ॥ सायस्स णुवसमित्ता असायबंधाण चरिमबंधते । खवणाए लोभस्स वि अपुठवकरणालिगाअंते ॥९८ अयरछावट्ठिदुगं गालिय थीवेयथीणगिद्धितिगे। सगखवणहापवत्तस्संत एमेव मिच्छत्ते ॥१९॥ हस्सगुणसंकमद्धाए पूरयित्ता समोससम्मत्तं । चिरसम्मत्ता मिच्छत्तगयस्सुवलणथोगो सिं ॥१०॥ संजोयणाण चतुरुवसमित्तु संजोजइत्तु अप्पद्धं । अयरच्छावहिदुगं पालिय सकहप्पवत्तंते ॥१०१।। अट्ठकसायासाए य असुभधुवबंधि अस्थिरतिगे य । सव्वलहुं खवणाए अहापवत्तस्स चरिमम्मि ॥१०२॥ पुरिसे संजलणतिगे य घोलमाणेण चरमबद्धस्त । सगअंतिमे असाएण समा अरई य सोगो य ॥१०३॥ वेउव्विक्कारसंग उठवलिय बंधिउण अप्पद्धं । जिठिई निरयाओ उवट्टित्ता अबन्धित्तु ॥१०४॥ थावरगयस्त चिरउचलणे एयरस एव उच्चस्स । मणुयदुगस्स य तेउसु वाउसु वा सुहुमबद्धाणं ॥१०५:: Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३८ हस्सं कालं बन्धिय विरओ आहारसत्तगं गंतुं । थविरइ महुव्वलंतस्स तस्स जा थोव उव्वलणा॥१०६ तेवढिसयं उदहीण स चउपल्लाहियं अबन्धित्ता । अंते थहप्पवत्तकरणस्स उज्जोवतिरियदुगे ॥१०७॥ इगविगलिंदियजोग्गा अट्ट पजत्तगेण सह तासिं । तिरियगइसमं नवरं पंचासीउदहिसयं तु ॥१०८॥ छत्तीसाए सुभाणं सेढिमणारुहिय सेसगविहीहिं । कटु जहन्नं खवणं अपुवकरणालिया अंते ॥१०९॥ सम्मदिहिबजोग्गाण सोलसण्हं पि असुभपगईणं। थीवेएण सरिसगं नवरं पढमं तिपल्लेसु ॥११०॥ नरतिरियाण तिपल्लस्संते थोरालियस्त पाउग्गा । तित्थयरस्स य बन्धा जहन्नओ आलिगं गंतु ॥१११॥ ॥ इति संक्रमकरणम् ॥ ॥ अथ उद्वर्तनापवर्तनाकरणम् ॥ उब्वट्टणा ठिईए उदयावलियाए बाहिरठिईणं। Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १३९ होइ अवाहा इत्थावणाउ जा वालिया हस्सा ॥१॥ यावलियासंखभागाइ जाव कम्मडिइ ति निक्खेवो । समउत्तरालियाए साबाहाए भवे ऊणे ॥२॥ निवाघाएणेवं वाघाए संतकम्महिगबन्धो । आलियासंखभागादि होइ अइत्थावणा नवरं ॥ ३ ॥ उवहंतो य ठिडं उदयावलिबाहिरा ठिइविसेसा । निक्खिवइ तइअभागे समयहिए सेसमइवईये ॥४॥ वड्ढइ तत्तो अतित्थावणा उ जावालिगा हवइ पुन्ना । ता निक्लेवो समयाहिगालिग दुग्ण कम्मठिई ||५|| वाघाए समऊणं कंडगमुक्कस्सिया अइत्थवणा । डायठिई किंचूणा ठिइ कंडुक्करसगपमाणं ॥६॥ चरमं नोव्वट्टिज्जइ जावाताणि फडगाणि ततो । उस्सक्किय ओकड्डूइ एवं उबट्टणाईओ ॥७॥ थोवं पएसगुणहाणि अंतरे दुसु जहन्ननिक्खेवो । कमसो अांतगुणिओ दुसु वि अइत्थावणा तुला ॥८॥ वाघाएणणुभागक कंडगमेक्काए वग्गणाऊणं । उकोसो निraat ससंतबंधो य सविसेसो ॥ ९ ॥ Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० आबन्धा उक्कड्डइ सव्वहितोकड्डणा ठिइरसाणं । किट्टीवज्जे उभयं किद्विसु ओवट्टणा नवरं ॥१०॥ ॥ इति नहर्तनापवर्तनाकरणम् ॥ ॥ अथ उदीरणाकरणम् ॥ जं करणेणोकड्डिय उदए दिजइ उदीरणा एसा। पगइठिइअणुभागप्पएसमूलुत्तरविभागा ॥१॥ मूलपगईसु पंचण्ह तिहा दोण्हं चउव्विहा होइ । आउस्स साइ अधुवा दसुत्तरसउत्तरासिंपि ॥२॥ मिच्छत्तस्स चउद्धा तिहा य थावरणविग्घचउदसगे । थिरसुभ सेयर उवघायवज धुवबंधिनामे य ॥३॥ घाईणं छउमत्था उदोरगा रागिणो य मोहस्स। तइयाऊण पमत्ता जोगंता उत्ति दोण्हं च ॥४॥ विग्यावरणधुवाणं छउमत्था जोगिणो उ धुवगाणं । उवघायस्स तणुत्था तणुकिट्टीणं तणुगरागा ॥५॥ तसबायरपजत्तग सेयर गइजाइदिहिवेयाणं । Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४१ आऊण य तनामा पत्तेगियरस्स उ तणुस्था ॥ ६ ॥ आहारग नरतिरिया सरीरदुगवेयए पमोत्तणं । ओरालाए एवं तदुवंगाए तसजियाओ ||७|| वेउब्वियाए सुरनेरईया आहारगा नरो तिरिओ । सन्नी बायरपवणो य लद्धिपज्जन्त्तगो होज्जा ॥८॥ वेव्वि उवंगाए तणुतुल्ला पवणबायरं हिच्चा । आहारगाए विरओ विउव्वयंतो पमत्तो य ॥९॥ हं संठाणाणं संघयणाणं च सगलतिरियनरा | देहत्था पज्जत्ता उत्तमसंघयणिणो सेढी ॥ १०॥ चउरंसस्स तत्था उत्तरतणु सगलभोगभूमिगया । देवा इयरे हुंडा तसतिरियनरा य सेवा ॥११॥ संघयणाणि न उत्तरतनूसु तन्नामगा भवंतरगा । अणुपुव्वीणं परघायस्स उ देहेण पज्जन्ता ॥ १२॥ वायरपुढवी आयावस्स य वज्जित्त सुहुमसुहुमतसे । उज्जोयस्स य तिरिए उत्तरदेहो य देवजई ॥१३॥ सगलो य इहखगइ उत्तरतणुदेवभोगभूमिगया । इसराए तो वि य इयरासि तसा सनेरइया ||१४|| Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४२ उस्सासस्स सराण य पज्जत्ता आण पाणभासासु। सव्वन्नूणुस्सासो भासा वि य जा न रुज्झति ॥१५ देवो सुभगाएज्जाण गमवक्कंतिओ य कित्तीए । पज्जत्तो वज्जित्ता ससुहुमनेरइयसुहुमतसे ॥ १६ ॥ गोउत्तमस्स देव। नरा य वइणो चउण्हमियरासिं । तबइरित्ता तित्थगरस्स उ सव्वन्नुयाए भवे ॥१७॥ इंदियपज्जत्तीए दुसमयपज्जत्तगाए पाउग्गा । निदापयलाणं खीणरागखवगे परिच्चज्ज ॥ १८ ॥ निहानिदाईण वि असंखवासा य मणुयतिरिया य । वेउव्वाहारतण वजित्ता अप्पमत्ते य ॥ १९ ॥ वेयणियाण पमत्ता ते ते बंधतगा कसायाएं । हासाइछकस्स य अपुवकरणस्स चरमंते ॥२०॥ जावूणखणो पढमो सुहरइहासाणमेवमियरासिं । देवा नेरइया वि य भवछिइ केइ नेरइया ॥२१॥ पंचण्हं च चउण्हं बिइए एक्काइ जा दसण्हं तु । तिगहीणाइ मोहे मिच्छे सत्ताइ जाव दस ॥२२॥ सासणमीसे नव अविरए य ाई परम्मि पंचाई। Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठ विरए य चउराइ सत्त छच्चोवरिल्लंमि ॥२३॥ अनियट्टिम्मि दुगेगं लोभो तणुरागेगो चउवीसा । एकगछक्केक्कारस दस सत्त चउक्क एक्काओ ॥२४॥ एग बियालापण्णाइ सत्तपण्णत्ति गुणिसु नामस्त । नव सत्त तिन्नि अट्ठ य छ पंच य अप्पमत्ते दो ॥२५॥ एगं पंचसु एक्कम्मि अह हाणकामेण भंगा वि । एक्कग तीसेक्कारस इगवीस सबार तिप्लए य ॥२६॥ इंगवीसा छच्च सया छहि अहिया नवसया य एगहि २ अउणुत्तराणि च उदस सयाणि गुणनउइ पंचसया ॥ २७ ॥ पंच नव नवगछक्काणि गइसु ठाणाणि सेसकम्माणं । एगेगमेव नेयं साहित्तेगेगपगईउ ॥ २८॥ मंत्तिए अ उदए पओगओ दिस्सए उईरणा सा । सेचीका ठिइहितो जाहिंतो तत्तिगा एसा ॥ २९ ॥ मूलठिई अजहन्ना मोहस्स चनविहा तिहा सेसा । वेयणियाऊण दुहा सेसविगप्पा च सव्वासिं ॥३०॥ मिच्छत्तस्स चउद्धा अजहन्ना धुवउदीरणाण तिहा। सेस विगप्पा दुविहा सबविगप्पा य सेसाणं ॥३१॥ Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अद्धाच्यो सामित्तं पिय ठिइसंकमे जहा नवरं । तव्वेइसु निरयगईए वा वि तिसु हिहिमखिईसु ॥३२॥ देवगतिदेवमणुयाणुपुवी आयाव विगलसुहुमतिगे। अंतोमुहुत्त भग्गा तावइगुणं तदुक्कस्सं ॥ ३३ ॥ तित्थयरस्स य पल्लासंखिज्जइमे जहन्नगे इत्तो। थावरजहन्नसंतेण समं अहिगं व बन्धन्तो ॥३४॥ गन्तूणावलिमित्तं कसायबारसगभयदुगंछाणं । निदाइपंचगस्स य आयावुज्जोयनामस्त ॥ ३५ ॥ एगिदियजोग्गाणं इयरा बंधित्तु आलिगं गन्तुं । एगिदियागए तहिईए जाईणमवि एवं ॥ ३६ ॥ वेणिया नोकसाया समत्तसंघयणपंचनीयाण । तिरियदुग अयस दूभगणाइजाणं च सन्निगए ॥३७॥ अमणागयस्स चिरठिइ अंत सुरनरयगइउवंगाणं । अणुपुत्री तिसमइगे नराण एगिदियागयगे ॥ ३८॥ समयाहिगालियाए पढमठिईए उ सेसवेलाए । मिच्छत्ते वेएसु य संजलणासु वि य समत्ते ॥ ३९ ॥ पल्लासंखियभागृणुदहो एगिदियागए मिस्ते । Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४५ बेसत्तभागवेउव्वियाए पवणस्स तस्संते ॥ ४०॥ चरुवसमेत्तु पेज्जं पच्छा मिच्छं खवेत्तु तेत्तीसा। उक्कोससंजमद्धा अंते सुतणउवंगाणं ॥ ४१ ॥ छउमत्थखीणरागे चउदस समयाहिगालिगठिईए । सेसाणुदीरणंते भिन्नमुहुत्तो ठिईकालो ॥ ४२ ॥ अणुभागुदीरणाए सन्ना य सुभासुभा विवागो य । अणुभागबंधभणिया माणत्तं पञ्चया चेमे ॥ ४३ ॥ मीसं दुहाणे सव्वघाइदुहाणएगठाणे य । सम्मत्तमंतरायं च देसघाई अचक्कू य ॥ ४४ ॥ ठाणेसु चउसु अपुमं दुहाणे कक्कडं च गुरुकं च । अणुपुठवीओ तीसं नरतिरिएगंतजोग्गा य ॥ ४५ ॥ या एगठाणे दुधाणे वा अचक्खु चक्खू य। जस्सस्थि एगमवि अक्खरं तु तस्सेगठाणाणि ॥४६॥ मणनाणं सेससमं मीसगसम्मत्तमवि य पावेसु । छहाणवडियहीणा संतुक्कस्सा उदीरणया ॥ ४७॥ विरियंतरायकेवलदसणमोहणीयणाणवरणाणं । असमत्तपजएसु सव्वदव्वेसु उ विवागो ॥४८॥ Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४६ गुरुलघुगा णतपएसिएसु चक्खुस्स रूविदव्वेसु । ओहिस्स गहणधारणजोग्गे सेसंतरायाणं ॥ ४९ ॥ वेउध्वियतेयगकम्मवन्नरसगंध निद्धलुक्खायो । सीउण्ह थिरसुभेयर अगुरुलघुगो य नरतिरिए ॥ ५०॥ चउरं समउयल हुगापरघाउज्जोय इहखगइसरा । पत्तेगतणू उत्तरतणूसु दोसु वि य तणू तइया ॥ ५१ ॥ देस विरयविरयाणं सुभगाएज्जजस कित्तिउच्चाणं । पुव्वाणुपुव्विगाए संखभागो थियाईणं ॥ ५२ ॥ तित्थयरं घाईणि य परिणामपच्चयापि सेसाओ । भवपच्चइया पुव्वुत्ता वि य पुव्वत्तसेसाणं ॥ ५३ ॥ घाई अजहन्ना दोपहमणुक्कोसियाओ तिविहाओ । वेयणिए एक्कोसा अजहन्ना मोहणीए उ ॥ ५४ ॥ साइअणाई धुव अधुवा य तस्सेसिंगा य दुविगप्पा आउस्स साइ अधुवा सव्वविगप्पा उ विन्नेया ॥ ५५ मउलहुगाणुकोसा चउन्विहा तिण्हमवि य जहन्ना णाइगधुवा य धुवा वीसाए होयणुक्कोसा ॥ ५६ ॥ तेवीसाए अजहन्ना विय एयासि सेलगविगप्पा | Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४७ सव्वविगप्पा सेसाण वावि अधुवा य साई य ॥ ५७ दाणाइ अचक्खूणं जेठा आइम्मि हीणलद्धिस्स । सुहुमस्स चक्खुणो पुण तेइंदिय सव्वपज्जते ॥ ५८ ॥ निदाइ पंचगस्स य मज्झिमपरिणाम संकिलिहस्स । अपुमादि असायाणं निरए जेठा ठिइसमते ॥५९॥ पंचिंदियतसवाय रपज्जत्तगसाइसुस्सरगईणं । वेव्वस्सासाणं देवो जेहिइसमत्तो ॥ ६० ॥ सम्मत्तमी सगाणं सेकाले गहिहिइत्ति मिच्छत्तं । हासरईणं सहस्सारगस्स पज्जत्तदेवस्स ॥ ६१ ॥ गइहुंडुवघायाणिखगइनीयाण दुहचउक्कस्स । निरनकस्ससमत्ते असमत्ताए नरस्संते ॥ ६२॥ कक्खडगुरुसंघयणात्थी पुमसंठाणतिरियनामाएं । पंचिदियो तिरिक्खो अट्टमवासद्ववासाओ ॥ ६३ ॥ मणुओरालियवज्जरिसहाण मणुओ तिपल्लपज्जत्तो । नियगठिई उक्कोसो पज्जन्तो आउगाएं पि ॥६४॥ हस्सट्ठि पज्जत्ता तन्नामा विगलजाइसुहुमाणं ॥ थावरनिगोयए गिंदियाणमवि बायरो नवरिं ॥ ६५ ॥ Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आहारतणू पजत्तगो य चउरंसमउयलहुगाणं । पत्तेयखगइपरघायाहारतणूण य विसुद्धो ॥ ६६ ॥ उत्तरवेऽग्विजई उज्जोवस्सायवस्स खरपुढवी। नियगगईणं भणिया तइए समए णुपुवीणं ॥६७॥ जोगंते सेसाणं सुभाणमियरासि चउसु वि गईसु । पज्जत्तुक्कडमिच्छस्सोहीणमणोहिलद्धिस्स ॥ ६८ ॥ सुयकेवलिणो मइसुयचक्खुअचक्खूणुदीरणा मंदा । विपुलपरमोहिगाणं मणणाणोही दुगस्सावि ॥६९।। खवणाए विग्धकेवलसंजलणाण य सनोकसायाणं । सयसयउदीरणंते निदापयलाणमुवसंते ॥ ७२ ॥ निदानिदाईणं पमत्तविरए विसुनमाणम्मि । वेयगसम्मत्तस्स उ सगखवणोदीरणाचरमे ॥ ७१ ॥ सेकाले सम्मत्तं ससंजमं गिण्हओ य तेरसगं। सम्मत्तमेव मीसे आऊण जहन्नगठिईसु ।। ७२ ॥ पोग्गलविवागियाणं भवाइसमये विसेसमवि चासिं । आइतणूणं दोण्हं सुहुमो वाऊ य अप्पाऊ ॥ ७३ ॥ बेइंदिय अप्पाउग निरय चिरठिई असन्निणो वा वि Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंगोवंगाणाहारगाए जइणोप्पकालम्मि ॥७॥ अमणो चउरंसुसभाणण्पाऊ सगचिरट्ठिई सेसे । संघयणाण य मणुओ हुडुवघायाणमवि सुहुमो ॥७५॥ सेवट्टस्स बिइंदिय बारसवासस्स मउयलहुगाणं । सन्नि विसुद्धाणाहारगस्स वीसा अइकिलिहे ॥७॥ पत्तेगमुरालसमं इय हुंडेण तस्स परघाओ। अप्पाउस्स य आयावुज्जोयाणमवि तज्जोगो ॥७७॥ जा नाउज्जियकरणं तित्थगरस्स नवगस्त जोगते । कक्खडगुरूणमंथे नियत्तमाणस्त केवलिणो॥७॥ सेसाण पगइवेई मन्तिमपरिणामपरिणओ होजा। पच्चयसुभासुभा वि य चिंतिय नेओ विवागे य॥७९॥ पंचण्हमणुकोसा तिहा पएसे चउठिवहा दोण्हं । सेसविगप्पा दुविहा सव्वविगप्पा य आनस्स। मिच्छत्तस्स चउद्धा सगयालाए तिहा अणुक्कोसा। सेसविगप्पा दुविहा सव्वविगप्पा य सेसाणं ॥८॥ अणुभागुदीरणाए जहन्नसामी पएसजेठाए। घाईणं अन्नयरो ओहीण विणोहिलंभेण ॥ ८२ ॥ Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५० वेयणियाणं गहिहिइ से काले अप्पमायमिय विरओ। संघयणपणगतणुदुगउज्जोया अप्पमत्तस्स ॥८३॥ देवनिरयाउगाणं जहन्नजेटिई गुरुअसाए । इयराऊण वि अट्टमवासे णेयोऽट्ठवासाऊ ॥४॥ एगंत तिरियजोग्गा नियगविसिछेसु तह अपज्जत्ता । समुच्छिममणुयंते तिरियगई देसविरयस्स ॥८५॥ अणुपुट्विगइदुगाणं सम्मद्दिट्ठी उ भगाईणं । नीयस्स य से काले गहिहिइ विरय त्ति सो चेव ॥८६ जोगंतुदीरगाणं जोगते सरदुगाणुपाणूणं । नियगंते केवलिणो सव्वविसुद्धोए सव्वासिं ॥ ८७॥ तप्पगओदीरगतिसंकिलिभावो अ सव्वपगईणं । नेयो जहन्नसामी अणुभागुत्तो य तित्थयरे ।। ८८॥ योहीणं ओहिजुए अइसुहवेईयआउगाणं तु। पढमस्स जहन्नठिई सेसाणुकोसगठिईयो ॥८९॥ ॥ इति उदीरणाकरणम् ॥ Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ अथ उपशमनाकरणम् ॥ करणकया करणा वि य दुविहा उवसामण स्थ बिइयाए अकरणअणुइन्नाए अणुओगधरे पणिवयामि ॥ १ ॥ सवस्स य देसस्स य करणुवसमणा दुसन्नि एकिका । सव्वस्स गुणपसत्था देसस्स वि तासि विवरीया ॥२॥ सव्वुवसमणा मोहस्सेव उ तस्सुवसमक्किया जोग्गो। पंचेंदिओ उ सन्नी पजत्तो लद्धितिगजुत्तो ॥३॥ पुव्वं पि विसुनंतो गठियसत्ताणइक्कमिय सोहिं । अन्नयरे सागारे जोगे य विसुद्धलेसासु ॥ ४ ॥ ठिइ सत्तकम्म अंतोकोडीकोडी करेत्तु सत्तण्हं । दुहाणं चउहाणे असुभ सुभाणं च अणुभागं ॥५॥ बंधतो धुवपगडी भवपाउग्गा सुभा अणाऊ य । जोगवसा य पएसं उक्कोसं मनिम जहण्हं ॥६॥ ठिइबंधद्धापूरे नवबंध पल्लसंखभागूणं । असुभसुभाणणुभागं अर्थतगुणहाणिवुड्डीहिं ॥७॥ करणं अहापवत्तं अपुवकरणमनियट्टिकरणं च । Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५२) अंतोमुहुत्तियाइं उवसंतद्धं च लहइ कमा ॥८॥ अणुसमयं वटुंतो अनवसाणाण पंतगुणणाए। परिणामहाणाणं दोसु वि लोगा असंखिज्जा ॥९॥ मंदविसोही पढमस्स संखभागाहि पढमसमयम्मि । उक्कस्सं उप्पिमहो एक्के दोण्ह जीवाणं ॥१०॥ आचरमाओ सेसुक्कोसं पुव्वप्पवत्तमिइनाम । बिइयस्स बिइयसमए जहण्णमवि अणंतरुक्कस्सा११॥ निव्वयणगवि ततो से ठिइरसघायठिइबंधगद्धा उ। गुणसेढी वि य समगं पढमे समये पवत्तंति ॥१२॥ उयहिपुहत्तुक्कस्सं इयरं पल्लम्स संखतमभागो। ठिइकंडगमणुभागाणणंतभागा मुहुत्तत्ते ॥१३॥ अणुभागकंडगाणं बहुहिं सहस्सेहिं पूरए एक्कं ठिइकंड सहस्सेहिं तेसिं बीयं समाणेहिं ॥ १४ ॥ गुणसेढी निक्खेवो समये समये असंखगुणणाए । अद्धादुगाइरित्तो सेसे सेसे य निक्खेवो ॥ १५ ॥ अनियट्टिम्मि वि एवं तुल्ले काले समा तओ नाम । संखिजइमे सेसे भिन्नमुहुत्तं अहो मुच्चा ॥ १६ ॥ Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ किंचूणमुहत्तसमं ठिइबंधद्धाइ अंतरं किच्चा । आवलिदुगेकसेसे आगाल उदीरणा समिया ॥१७॥ मिच्छत्तुदए खीणे लहए सम्मत्तमोवसमियं सो। लंभेण जस्स लप्नइ आयहियमलद्धपुव्वं जं ॥१८॥ तं कालं बीयठिई तिहाणुभागेण देसघाइ स्थ । सम्मत्तं सम्मिस्स मिच्छत्तं सव्वघाईओ ॥ १९ ॥ पढमे समए थोवो सम्मत्ते मीसए असंखगुणो । अणुसमयमवि य कमसो भिन्नमुहुत्ता हि विनाओ२० ठिइरसघाओ गुणसेढी विय तावं पि आउवजाणं । पढमठिइए एगदुगावलिसेसम्मि मिच्छत्ते ॥२१|| उवसंतद्धा अंते विहिणा ओकट्टियस्स दलियस्स। अनवसाणणुरूवस्सुदओ तिसु एक्कयरयस्त ॥२२॥ सम्मत्तपढमलंभो सम्वोवसमा तहा विगिहोय। छालिगसेसाइ परं आसाणं कोइ गच्छेजा ॥ २३ ॥ सम्मदिठी जीवो उवइ8 पवयणं तु सदहइ । सदइह असब्भावं अजाणमाणो गुरुनियोगा ॥२४॥ मिच्छट्ठिी नियमा उवइ पवयणं न सहहइ । Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५४ सहइ असम्भावं नवइधं वा अणुवइटुं ॥ २५॥ सम्मामिच्छदिट्ठी सागारे वा तहा अणागारे । अह वंजणोग्गहम्मिय सागारे होइ नायवो ॥ २६ ॥ वेयगसम्मद्दिकी चरित्तमोहुवसमाए चितो । जओ देसजई वा विरतो व विसोहिअद्धाए ॥ २७ ॥ अन्नाणाणब्भुवगमजयणाहजओ वज्जविरईए । एगवयाइ चरिमो अणुमइमित्त त्ति देसजई ||२८|| अणुमइविरथो य जई दोपह वि करणाषि दोहि न उ तईयं । पच्छा गुणसेढी सिं तावइया आलिगा उपिं ॥ २९ ॥ परिणामपञ्चया उ णाभोगगया गया ाकरणा उ । गुणसेढी सिं निच्चं परिणामा हाणिवुढिजुया ॥३०॥ चउगइया पज्जत्ता तिन्नि वि संयोयणा विजोयंति । करणेहिं तीहिं सहिया नंतरकरणं उवसमो वा ॥ ३१ ॥ दंसणमोहे वि तहा कयकरणद्धाइ पच्छिमे होइ । जिणकालगो मस्सो पठवगो अट्ठवासुपिं ॥ ३२ ॥ अहवा दंसणमोहं पुण्वं उवसामइत्तु सामन्ने । Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमठिइमावलियं करेइ दोण्हं अणुदियाणं ॥३३॥ अद्धापरिवित्तीओ पमत्त इयरे सहस्ससो किच्चा । करणाणि तिन्नि कुणए तइयविसेसे इमे सुणसु ॥३४ अंतोकोडाकोडी संतं अनियट्टिणो य उदहीणं । बंधो अंतोकोडी पुवकमा हागि अप्पबहू ॥ ३५॥ ठिइकंडगमुकस्सं पि तस्स पल्लस्त संखतमभागो । ठिइबंधबहुसहस्से सेक्केक्कं जं भणिस्सामो॥३६॥ पल्लदिवट्ठबिपल्लाणि जाव पल्लस्स संखगुणहाणी । मोहस्स जाव पडलं संखेज्जइभागहाऽमोहा ॥३७॥ तो नवरमसंखगुणा एकपहारेण तीसगाणमहो। मोहे वीसग हेठा य तीसगागुप्पि तइयं च ॥ ३८॥ तो तीसगाणमुप्पिं च वीसगाइं असंखगुणणाए। तईयं च विसगाहि य विसेसमहियं कमेणेति ॥३९॥ अहुदीरणा असंखेजसमयवद्धाण देसघाइ त्थ । दाणंतराय मणपज्जवं च तो योहिदुगलाभो ॥४०॥ सुयभोगाचक्खूलो य ततो मई सपरिभोगा । विरियं च असेढिगया बंधंति उ सव्वघाईणि ॥४१॥ Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५६ संजमघाईतरमेत्थ उ पढमट्टिई य अन्नयरे । संजलणावेयाणं वेइज्जंतीण कालसमा ॥४२॥ दुसमयकयंतरे आलिगाण छण्हं उदीरणाभिनवे । मोहे एक्कठाणे बंधुदया संखवासाणि ॥४३॥ संखगुणहाणिबंधो एत्तो सेसाण संखगुणहाणी। पउवसमए नपुंसं असंखगुणणाइ जावंतो ॥४४॥ एवित्थी संखतमे गयम्मि घाईण संखवासाणि । संखगुणहाणि एत्तो देसावरणाणुदगराई॥४५॥ ता सत्तण्हं एवं संखतमे संखवासितो दोण्हं । बिइयो पुण ठिइबंधो सव्वेसिं संखवासाणि ॥४६॥ छस्सुवसमिज्जमाणे सेक्का उदयठिई पुरिससेसा। समऊणावलिगदुगे बद्धा वि य तावदद्धाए ॥४७॥ तिविहमवेओ कोहं कमेण सेसेवि तिविहतिविहे वि । पुरिससमा संजलणा पढमठिई आलिगा अहिगा ॥४८ लोभस्स बेतिभागा ठिइय विभागोत्थ किट्टकरणद्धा। एगफडगवग्गणअणंतभागो उ ता हेहा ॥४९॥ । अणुसमयं सेढीए असंखगुणहाणि जा अपुवाओ। Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५७ तविवरीयं दलियं जहन्नगाई विसेसूर्ण ॥५०॥ अणुभागो एंतगणो चाउम्मासाइ संखभागूणो। मोहे दिवसपुडुत्तं किट्टीकरणाइसमयम्मि ॥५१॥ भिन्नमुहुत्तो संखिज्जेसु य घाईण दिणपुहुत्तं तु। वाससहस्सपुहुत्तं अंतोदिवसस्स अंते सिं ॥ ५२॥ वाससहस्सपुहुत्ता विवस्स अंतो अघाइकम्माएं । लोभस्स अणुवसंत किट्टीयो जं च पुव्वुत्तं ॥५३॥ सेसद्ध तणुरागो तावईया किटिओ य पढमठिई। वजिय असंखभागं हेहुवरिमुदीरई सेसा ॥५४॥ गिण्हंतो य मुयंतो असंखभागं तु चरमसमयम्मि । उवसामेइय बिईय ठिई पि पुव्वं व सव्वद्धं ॥५५॥ उवसंतद्धा भिन्नमुहुत्तो तीसे य संखतमतुल्ला । गुणसेढी सव्वद्धं तुल्ला य पएसकालेहिं ॥५६॥ उवसंता य अकरणा संकमणोवट्टणा य दिहितिगे। पच्छाणुपुश्विगाए परिवडइ पमत्तविरतोत्ति ॥५७॥ ओकड्डित्ता बिइहिइहिं उदयादिसुं खिवइ दव्वं । सेढीइ विसेसूण आवलिउप्पिं असंखगुणं ॥५८॥ Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५८) वेइज्जतीणेवं इयरासिं आलिगाइ बाहिरओ। न हि संकमोणुपुर्दिव छावलिगोदीरणाउप्पिं ॥५९।। वेइज्जमाणसंजलणद्धाए अहिगा उ मोहगुणसेढी तुल्ला य जयारूढो अतो य सेसेहि से तुला ॥६०॥ खवगुवसामगपडिवयमाणदुगुणो तहिं तहिं बंधो । अणुभागो गंतगुणो असुभाण सुभाण विवरीओ॥ ६१॥ किच्चा पमत्ततदियरठाणे परिवत्ति बहुसहस्साणि । हिट्ठिल्लाणंतरदुगं आसाणं वा वि गच्छिज्जा ॥६२॥ उवसमसम्मत्तद्धा अंतो आउक्खया धुवं देवो । तिसु आउगेसु बद्धेसु जेण सेढिं न थारुहइ ॥६३।। उग्घाडियाणि करणाणि उदयट्ठिइमाइगं इयरतुटलं । एगभवे दुक्खुत्तो चरित्तमोहं उवसमेइ ॥६४॥ उदयं वज्जी इत्थी इत्थिं समयइ अवेयगा सत्त तह वरिसवरो वरिसवरिं इथि समगं कमारद्धे॥६५॥ ॥ इति सर्वोपशमना ॥ Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १५९ ॥ अथ देशोपशमना ॥ पगइठिई अणुभागप्पएसमूवुत्तराहि पविभत्ता । देसकरणोवसमणा तीए समियस्स अध्पयं ॥६६॥ नवट्टणओवट्टणसंकमणाइं च तिन्नि करणाइं। पगईतयासमईओ पहू नियट्टिमि वर्सेतो ॥ ६७ ॥ दसणमोहाणंताणुबंधिणं सगनियडिओ णुप्पिं । जा उवसमे चउद्धा मूलुत्तरणाइसंताओ ॥ ६८॥ चउरादिजुया वीसा एकवीसा य मोहठाणाणि । संकमनियटिपाउग्गाई सजसाई नामस्स ॥ ६९ ॥ ठिइसकम व ठिइउवसमणा णवरि जहनिया कज्जा अब्भवसिद्धि जहन्ना नवलगनियट्टिगे वियरा ॥७०|| अणुभागसंकमसमा अणुभागुवसामणा नियहिम्मि । संकमपए सतुल्ला पएसुवसामणा चेत्थ ॥७१ ॥ ॥ इति देशोपशमना ॥ Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ अथ निद्धत्तिनिकाचनाकरणम् ॥ देसोवसमणतुल्ला होइ निहत्ती निकाइया नवरं । संकमणं पि निहत्तीइ नत्थि सेसाण वियरस्स ॥१॥ गुणसेढिपएसग्गं थोवं पत्तेगसो असंखगुणं । उवसमणाइसु तीसु वि संकमणेहप्पवत्ते य ॥ २ ॥ थोवा कसायउदया ठिइबंधोदीरणा य संकमणा । उवसामणाइसु अप्नवसाया कमसो असंखगुणा ॥३॥ ॥ इति निद्धत्तिनिकाचनाकरणम् ॥ ॥ अथ उदयः॥ उदओ उदीरणाए तुल्लो मोत्तण एकचत्तालं । आवरणविग्यसंजलणलोभवेर य दिछिदुगं ॥ १ ॥ आलिगमहिगं वेएति आउगाणं पि अप्पमत्ता वि । वेयणियाण य दुसमय तणुपजत्ता य निदाओ ॥२॥ मणुयगइजाइतसबायरं च पजत्तसुभगमाएजं । Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६१ ) जसकित्तिमुच्चगोयं वाजोगी केइ तित्थयरं ॥३॥ ठिइउदओ वि ठिइक्खयपओगसाठिइउदीरणा अहिगो उदयठिईए हस्सो बत्तीसा एग उदयठिई ॥ ४ ॥ अणुभागुदओ वि जहन्न नवरि आवरण विग्घवेयाणं । संजलणलोभसम्मत्ताण य गंतूणमावलिगं ॥ ५ ॥ अजहन्नाणुकोसा चउ तिहा छण्ह चउव्विहा मोहे | आउस्स साइ अधुवा सेसविगप्पा य सव्वेसिं ॥६॥ अजहन्न। एक्कोसो सगयालाए चउत्तिहा चउहा । मिच्छत्ते से सासिं दुविहा सव्वे य सेसाणं ॥ ७॥ सम्मत्तप्पा सावय विरए संजोयणाविणासे य । दंसणमोहक्खवगे कसाय उवसामगुवसंते ॥८॥ खवगे य खीणमोहे जिणे य दुविहे असंखगुणसेढी । उदओ तव्विवरीओ कालो संखेज्जगुणसेढी ॥ ९ ॥ तिनि वि पढमिल्लाओ मिच्छत्तगए वि होज्ज अन्नभवे पगयं तु गुणियकम्मे गुणसेढीसीसगाणुदये ||१०|| आवरण विग्घमोहाण जिणोदइयाण वावि नियगंते । लहुखवणाए ओहीणणोहिलद्धिस्स उक्कस्सो ॥११॥ Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६२ उपसंतपढमगुणसेढीए निदादुगस्स तस्सेव । पावइ सीसगमुदयंति जायदेवस्स सुरनवगे ॥१२॥ मिच्छत्तमीसणंताणुबंधिअसमत्तथीणगिद्धीणं । तिरिउदएगताण य बिइया तइया य गुणसेढी ॥१३॥ अंतकरणं होहि ति जाय देवस्स तं मुहुत्तंतो। अहण्हकसायाणं छण्हं पि य नोकसायाणं ॥१४॥ हस्सठिई बंधित्ता अद्धाजोगाइठिइनिसेगाणं । उक्कस्सपए पढमोदयम्मि सुरनारगाऊणं ॥ अद्धाजोगुक्कोसो बंधित्ता भोगभूमिगेसु लहुँ। सव्वप्पजीवियं वज्जइत्तु ओवटिया दोण्हं ॥१६॥ भगणाएजाजस गइदुगअणुपुस्वितिगसनीयाणं । दसणमोहक्खवणे देसविरइ विरइगुणसेढी ॥१७॥ संघयणपंचगस्स य बिइयाईतिन्नि हेति गुणसेढी । आहारगउज्जोयाणुत्तरतणु अप्पमत्तस्स ॥१८॥ बेइंदिय थावरगो कम्मं काऊण तस्समं खिप्पं । आयावस्स उ तव्वेइ पढमसमयम्मि वटुंतो ॥१९॥ पगयं तु खवियकम्मे जहन्नसामी जहन्नदेवठिइ। Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भिन्नमुहुत्ते सेसे मिच्छत्तगतो अतिकिलिको ॥२०॥ कालगएगिंदियगो पढमे समये व मइसुयावरणे । केवलदुगमणपज्जवचक्खुअचक्खूण ओवरणा ॥२१॥ ओहीणसंजमाओ देवत्तगए गयस्स मिच्छत्तं । उक्कोसठिइबंधे विकड्डणा आलिगं गंतुं ॥२२॥ वेयणियंतरसोगारउच्च ओहि व्व निद्दपयला य । उक्कस्स ठिईबंधा पडिभग्गपवेइया नवरं ॥ २३ ॥ वरिसवरतिरियथावरनीय पि य मइसमं नवरि तिन्नि । निहानिदा इंदियपज्जत्ती पढमसमयम्मि ॥ २४ ॥ दसणमोहे तिविहे उदीरणुदए उ आलिगं गंतुं। सत्तरमण्ह वि एवं उवसमइत्ता गए देवे ॥ २५॥ चउरुवसमित्तु पच्छा संजोइय दोहकालसम्मत्ता । मिच्छत्तगए आवलिगाए संजोयणाणं तु ॥ २६ ॥ इत्थीए संजमभवे सव्वनिरुद्धम्मि गंतु मिच्छत्तं । देवीए लहुमिच्छी जेठठिइ आलिगं गंतुं ॥२७॥ अप्पद्धाजोगचियाणाऊणुक्कस्सगठिईणंते। उवरि थोवनिसेगे चिरतिव्वासायवेईणं ॥२८॥ Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संजोयणा विजोजिय देवभवजहन्नगे अइनिरुद्धे । बंधिय उक्कस्सठिई गंतूणेगिंदिया सन्नी ॥२९॥ सव्वलहुं नरयगए निरयगई तम्मि सव्वपज्जत्ते । अणुपुत्वीओ य गईतुल्ला नेया भवादिम्मि ॥३०॥ देवगई ओहिसमा नवरिं उज्जोयवेयगो ताहे । आहार जाय अइचिरसंजममणुपालिऊणंते ॥३१॥ सेसाणं चक्खुसमं तंमि व अन्नंमि व भवे अचिरा । तज्जोगा बहुगीओ पवेययं तस्स ता तायो ॥३२॥ ॥ इति उदयः॥ - ॥ अथ सत्ता ॥ मलुत्तरपगइगयं चउन्विहं संतकम्ममवि नेयं । धुवमद्भवणाईयं अहण्हं मूलपगईणं ॥ १॥ दिहिदुगाउगछग्गति तणुचोदसगं च तित्थगरमुच्चं । दुविहं पढमकसाया होति चउद्धा तिहा सेसा ॥२॥ छउमत्थता चउदस दुचरमसमयंमि अस्थि दो निहा । Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६५) बद्धाणि ताव आऊणि वेइयाइंति जा कसिणं ॥३॥ तिसु मिच्छत्तं नियमा अट्ठसु ठाणेसु होइ भइयव्वं । आसाणे सम्मत्तं नियमा सम्मं दससु भज्जं ॥४॥ बिइयतईएसु मिस्सं नियमा ठाणनवगम्मि भयणिज्ज संजोयणा उ नियमा दुसु पंचसु होइ भइयव्यं ॥५॥ खवगानियट्टिअद्धा संखिज्जा हांति यह वि कसाया। निरयतिरियतेरसग निदानिहातिगेणुवरि ॥६॥ अपुमित्थीए समं वा हासच्छक्कं च पुरिससंजलणा। पत्तेगं तस्स कमा तणुरागतो ति लोभो य॥७॥ मणुयगइजाइतसबायरं च पज्जत्तसुभगआएज्ज। जसकित्ती तित्थयरं वेयणिउच्चं च मणुयाणं ॥८॥ भवचरिमस्समयम्मि उ तम्मग्गिल्लसमयम्मि सेसाउ । आहारगतिस्थयरा भज्जा दुसु नत्थि तित्थयरं ॥९॥ पढमचरिमाणमेगं छन्नवचत्तारि बीयगे तिन्नि । वेयणियाउयगोएसु दोन्नि एगो त्ति दो होति ॥१०॥ एगाइ जाव पंचगमेक्कारस बार तेरसिगविसा। बिय तिय चउरो छ सत्त अहवीसा य मोहस्स ॥११॥ Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिन्नेग तिगं पणगं पणगं पणगं च पणगमहदोन्नि । तस तिन्नि दोन्नि मिच्छाइगेसु जावोवसंतो त्ति ॥१२॥ संखीणदिहिमोहे केई पणवीसई पि इच्छंति । संजोयणाण पच्छा नासं तेसिं उवसमं च ॥१३॥ तिदुगसयं छप्पंचगतिगनउई नउइ इगुणनउई य । चउतिगदुगाहिगासी नव अह य नामठाणाइं ॥१४॥ एगे छ दोसु दुगं पंचसु चत्तारि अगं दोसु। कमसो तीसु चउक्कं उत्तु अजोगम्मि ठाणाणि ॥१५ मलठिई अजहन्नं तिहा चउद्धा य पढमगकसाया। तित्थयरुव्वलणायुगवजाणि तिहा दुहाणुत्तं ॥१६॥ जेठठिई बंधसमं जेटुं बंधोदया उ जासि सह । अणुदयबंधपराणं समऊणा जहिई जे ॥१७॥ संकमओ दीहाणं सहालिगाए उ आगमो संतो। समऊणमणुदयाणं उभयासिं जहिई तुल्ला ॥१८॥ संजलणतिगे सत्तसु य नोकसाएसु संकमजहन्नो। सेसाण ठिई एगा दुसमयकाला अणुदयाणं ॥१९॥ ठिइसंतहाणाइं नियगुक्कस्सा हि थावरजहन्न । Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६७ नरंतरेण हेट्ठा खवणाइसु संतराई पि ॥ २० ॥ संक्रमसममणुभागे नवरि जहन्नं तु देसघाई | छन्नोकसायवजाए एगहामि देसहरं ॥ २१ ॥ मणनाणे दुद्वाणं देसहरं सामिंगो य सम्मत्ते । आवरणविग्घसोलसग किट्टिवेएसु य सगंते ॥२२॥ मइसुय चक्खुअचक्खूण सुयसमत्तस्स जेवलद्धिस्स । परमोहिस्सोहिदुगं मणनाणं विजलनाणस्स ॥ २३ ॥ बंधहयहयहउप्पत्तिगाणि कमसो असंखगुणियाणि । उदयोदीरणवज्जाणि होति अणुभागठाणाणि ॥ २४ ॥ सत्तण्हं अजहन्नं तिविहं सेसा दुहा पएसम्म | मूलपगईसु आउ साई अधुवा य सव्वे वि ॥ २५ ॥ बायालाणुक्कस्सं चउवीससया जहन्न चउतिविहं । होइह छण्ह चउद्धा अजहन्नमभासियं दुविहं ॥ २६ ॥ संपुन्नगुणियकम्मो पएसउक्करससंतसामी उ । तस्सेव उ उपिविणिग्गयस्स कासिंचि वन्नेहिं ॥२७॥ मिच्छन्ते मीसम्मि य संपक्खित्तम्मि मीससुद्धाणं । वरिसवरस्स उ ईसाणगस्स चरमम्मि समयम्मि ॥२८॥ Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ईसाणे पूरित्ता नपुंसगं तो असंखवासासु । पल्लासंखियभागेण पूरिए इत्थिवेयस्स ॥ २९॥ पुरिसस्स पुरिससंकमपएसउक्कस्स सामिगस्सेव । इत्थी जं पुण समयं संपक्खित्ता हवइ ताहे ॥३०॥ तस्सेव उ संजलणा पुरिसाइकमेण सव्वसंबोभे। चउरुवसमित्तु खिप्पं रागंते सायउच्चजसा ॥३१॥ देवनिरियाजगाणं जोगुक्कस्सेहिं जेगद्धाए। बद्धाणि ताव जावं पढमे समए उदिन्नाणि ||३२॥ सेसाउगाणि नियगेसु चेव यागम्म पुषकोडीए । सायबहुलस्स अचिरा बंधते जाव नोवट्टे ॥३३॥ पूरित्तु पुवकोडीपुहुत्त नारगदुगस्स बंधते। एवं पब्लतिगंते वेउव्विय सेसनवगम्मि ॥३४॥ तमतमगो सव्वलहुं सम्मत्तं लंभिय सव्वचिरमद्धं । पूरित्ता मणुयदुगं सवज्जरिसहं सबंधते ॥३५॥ सम्मदिति धुवाणं बत्तिसुदहीसयं चउक्खुत्तो । उक्सामइत्तु मोहं खतगे नीयगबंधते ॥ ३६॥ धुवबन्धीण सुभाणं सुभथिराणं च नवरि सिग्घयरं । Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तित्थगराहारगतण तेत्तीसुदही विरचिया य॥ ३७ ।। तुल्ला नपुंसवेएणेगिंदिय थावरायवुज्जोवा । विगलसुहमत्तियाविय नरतिरियचिरजिया होति ॥३८॥ खवियंसयम्मि पगयं जहन्नगे नियगसंतकम्मंते । खणसंजोइयसंजोयणाण चिरसम्मकालते ॥ ३९ ॥ उव्वलमाणीण उव्वलणा एगठिई दुसामइगा। दिहिदुगे बत्तीसे उदहिसए पालिए पच्छा ॥४०॥ अंतिमलोभजसाणं मोहं अणुवसइत्तु खीणाणं । नेयं अहापवत्तकरणस्स चरमम्मि समयम्मि ॥४१॥ वेउव्विकारसग खणबंध गते उ नरय जिहट्टिइं । उध्वहित्तु अबंधिय एगेंदिगए चिरुवलणे ॥४२॥ मणुयदुगुच्चागोए सुहुमखणबद्धगेसु सुहुमतसे । तित्थयराहारतणू अप्पद्धा बंधिया सुचिरं ॥४३॥ चरमावलियपविट्ठा गुणसेडा जासिमत्थि न य उदओ। आवलिगासमयसमा तासिं खलु फडगाइं तु ॥४४॥ संजलणतिगे चेवं अहिगाणि य आलिगाए समएहिं । दुसमयहीणेहिं गुणाणि जोगट्ठाणाणि कसिणाणि ४५ Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेएसु फड्डगदुर्ग अहिगा पुरिसस्स बे उ आवलिया। दुसमयहीणा गुणिया जोगट्ठाणेहिं कसिणेहिं॥४६॥ सव्वजहन्नाढतं खंधुत्तरओ निरंतरं उप्पिं । एगं उठवलमाणी लोभजसा नोकसायाणं ॥४७॥ ठिइखंडगविच्छेया खीणकसायस्स सेसकालसमा । एगहिया घाईणं निदापयलाण हिच्चेकं ॥ ४८ ॥ सेलेसिसंतिगाणं उदयवईणं तु तेण कालेणं । तुल्ला गहियाइं सेसाणं एगऊणाइं ॥ ४९ ॥ संभवतो ठाणाई कम्मपएसेहिं हेति नेयाइं। करणेसु य उदयम्मि य अणुमाणेणेवमेएणं ॥ ५० ॥ करणोदयसंताणं पगइहाणेसु सेसयतिगे य । भूयकारप्पयरो अवठियो तह अवत्तव्यो ॥५१॥ एगादहिगे पढमो एगाईऊणगम्मि बिइओ उ। तत्तियमेत्तो तईओ पढमे समये अवत्तव्यो॥५२॥ करणोदयसंताणं सामित्तोघेहिं सेसगं नेयं । गइयाइमग्गणासुं संभवयो सुछु यागमिय ॥५३॥ बंधोदीरणसंकमसंतुदयाणं जहन्नगाईहिं । Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७१ संवेहो पगइ ठिई अणुभागपएसओ नेओ ॥ ५४ ॥ करणोदयसंतविऊ तन्निज्जरकर संजमुज्जोगा । कम्म गुदयनिहाज लियम गिट्ठे सुहमुर्वेति ॥ ५५ ॥ इय कम्म पगडीओ जहासुयं नीयमप्पमइणा वि । सोहियणाभोगकयं कहंतु वरदिडिवायन्नू ॥ ५६ ॥ जस्स वरसासणावयवफरिसपविकसियविमलमइकिरणा विमलति कम्ममइले सो मे सरणं महावीरो ॥५७॥ । ॥ इति श्रीमच्छिवशर्मसूरीश्वरप्रणीता कर्मप्रकृतिः ॥ Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७२ ॥ अथ श्रीमच्चन्हर्षिमहत्तरसङ्कलितः ॥ ॥ पञ्चसङ्ग्रहः ॥ नमिण जिणं वीरं सम्मं दुकम्मनिट्ठवगं । वोच्छामि पंचसंगहमेयमहस्थं जहत्थं च ॥१॥ सयगाइ पंचगंधा जहारिहं जेण एत्थ संखित्ता । दाराणि पंच अहवा तेण जहत्थाभिहाणमिणं ||२|| एत्थ य जोगुवयोगाणमग्गणा बंधगा य वत्तवा । तह बंधियव्व य बंधयवो बंधविहिणो य ॥ ३ ॥ सच्चमसञ्चं उभयं असच्चमो मणोवई श्र० । वेउवाहारोराल मिस्स सुद्धाणि कम्मयगं ॥ ४ ॥ अन्नाणतिगं नाणाणि, पंच इइ अहा उ सागारो । अचख्खुदंसणाइचउहुवओगो अणागारो ॥ ५ ॥ विगलासन्नीपजत्तएसु लाभंति कायवइयोगा | सव्वेवि सन्निपजत्तएस सेसेसु काओगो || ६ || लद्वीप करणेहि य, ओरालियमीसगो अपजते । Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७३ पजते ओरालो, वेउब्विय मीसगो वावि ॥७॥ (कम्मुरलदुगमपज्जे, वेव्विदुगं च सन्निलद्धिल्ले । पज्जेसु उरलोच्चिय, वाए वे उवियदुगं च ॥ १ ॥ ) मइसुयअन्नाण, अचक्खुदंसणेकारसेस ठाणेसु । पज्जत्तच उपणिदिसु, सचक्खुसन्नीसु बारसवि ॥८॥ इगिविगलथावरे, न मणो दोभेय केवलदुगम्मि । इगिथावरे न वाया, विगलेसु असच्चामोसेव ॥९॥ सच्चा असच्चामोसा, दो दोसुवि केवलेसु भासाओ । अंतरगइ के लिए कम्मपन्नत्थ तं विवक्खाए ॥ १० ॥ मणनाणविभंगेसु, मीस उरलंपि नारयसुरेसु । केवलथावरविगले वे उव्विदुगं न संभवइ ॥ ११॥ आहारदुगं जायइ, चोइस पुब्विस्त इव विसेसणयो । मग पंचेन्दीयमाइए समईए जोएज्जा ॥ १२ ॥ मण्यगईए बारस, मणकेवलव जिया नवन्नासु । इगिथावरेसु तिन्नि उ, चउ विगले बार तससगले | १३ | जोए वेए सन्नी, आहारगभव्व सुक्कलेसासु । बारस संजम सम्मे, नव दस लेसाकसासु ॥ १४ ॥ Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७४) सम्मत्तकारणेहिं, मिच्छनिमित्ता न हेति उपयोगा । केवलदुगेण सेसा, संतेव अचख्खुचख्खूसु ॥१५॥ जोगाहारदुगुणा, मिच्ने सासायणे अविरए य । अपुव्वाइसु पंचसु नव योरालो मणवई य ॥१६॥ घेउव्विणा जुया ते, मीसे साहारगेण अपमत्ते। देसे दुविउविजुया, आहारदुगेण य पमत्ते ॥१७॥ अजोगो अजोगी, सत्त सजोगंमि होति जोगा । दो दो मणवइजोगा, उरालदुगं सकम्मइगं ॥१८॥ अचख्खुचख्खूदसणमन्नाणतिगं च मिच्छसासाणे । विरयाविरए सम्मे, नाणतिगं दसषतिगं च ॥१९॥ मिस्संमि वामिस्सं, मणनायजुयं पमत्तपुवाणं । केवलियनाणदसणउवओग अजोगिजोगीसु ॥२०॥ गइइंदिए य काए, जोगे वेए कसायनाणे य । संजमदसणलेसा, भवसम्मे सन्नि आहारे ॥ २१ ॥ तिरियगइए चोइस, नारयसुरनरगईसु दो ठाणा । एगिदिएसु चउरो, विगलपणिंदीसु छच्चउरो ॥२२॥ दस तसकाए चउ चउ, थावरकाएसु जीवठाणाई। Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्तारि अट्ठ दोन्निय, कायवई माणसेसु कमा ॥२३॥ चउ चउ पुमिथिवेए, सव्वाणि नपुंससंपराएसु । किण्हाइतिगाहारगभव्वाभब्वे य मिच्छे य ॥२४॥ तेक लेसाइसु दोन्नि, संजमे एकमट्ठमणहारे। सण्णी सम्ममि य दोन्नि सेसयाइं असंनिम्मि ॥२५॥ दुसु नाणदसणाई, सव्वे अन्नाणिणो य विन्नेया । सन्निमि अयोगिअवेइएवमाइ मुणेयव्वं ॥ २६ ॥ दोमइसुयोहिदुगे, एकं मणनाणकेवलविभंगे। बतिगं व चख्कुदंसणचउदस ठाणाणि सेसतिगे॥२७ सुरनारएसु चत्तारि, पंच तिरिएसु चोदस मणूसे । इगिविगलेस जुयलं, सव्वाणि पणिदिसु हवंति ॥२८॥ सव्वेसु वि मिच्छो, वाउतेउसुहुमतिगं पमोत्तृण । सासायणो उ सम्मो, सन्निदुगे सेससन्निमि ॥२९॥ जा बायरो ता वेएसु, तिसु वि तह तिसु य संपराएसु लोभंमि जाव सुहुमो, छल्लेसा जाव सम्मो त्ति ॥३० थपुवाइसु सुक्का, नथि अजोगिम्मि तिन्नि सेसाणं मीसो एगो चउरो, असंजया संजया सेसा ॥ ३१ ॥ Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अब्भविएसु पढम, सव्वाणियरेसु दो असन्नीसु । सन्नीसु बार केवलि नो सन्ना नो असण्णीवि ॥३२ अपमत्तुवसन्त अजोगि, जाव सव्वेवि अविरयाईया। वेयगउवसमखाइयदिट्ठी कमसो मुणेयव्वा ॥ ३३ ॥ थाहारगेसु तेरस, पंच अणाहारगेसु वि भवंति। भणिया जोगुवयोगाण, मग्गणा बंधगे भणिमो ॥३४ ॥इति योगोपयोगमार्गणाख्यं प्रथम द्वारम् ॥ ॥ अथ द्वितीयं बंधकद्वारम् ॥ घउदसविहा वि जीवा, विबंधगा तेसिमंतिमो भेश्रो चोदसहा सव्वेवि हु, किमाइसंताइपयनेया ॥ १ ॥ किं जीवा उवसममाइएहिं संजु दध्वं । कस्स सरूवस्स पहू, केणन्ति न केणइ कयाउ ॥ २ ॥ कत्थ सरीरे लोए व, हुंति केवचिर सबकालंतु । कइ भावजुया जीवा दुगतिगच उपंचमीसेहिं ॥ ३ ॥ Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुरनेरइया तिसु तिसु, वाउपणिदीतिरिक्ख चउ चउसु मणुया पंचसु सेसा, तिसु तणुसु अविग्गहा सिद्धा ४ पुढवाईचउ चउहा साहारणवणंपि संतयं सययं । पत्तेय पजपज्जा, दुविहा सेसा उ उववन्ना ॥५॥ मिच्छा अविरयदेसा, पमत्तअपमत्तया सजोगी य। सव्वद्धं इयरगुणा, नाणाजीवेसु वि न होति ॥६॥ इगदुगजोगाईणं, ठवियमहो एगणेग इइ जुयलं। इगि जोगाउ दु दु गुणा, गुणियविमिस्सा भवे भंगा ७॥ अहवा एकपईया, दो भंगा इगिबहुत्तसन्ना जे । एए च्चिय पयवुड्ढीए, तिगुणा दुगसंजुया भंगा ॥८॥ साहारणाण भेया, चउरो अणता असंखया सेसा। मिच्छाणता चउरो, पलियासंखससेससंखेज्जा ॥९॥ पत्तेय पज्जवणकाइआओ पयरं हरंति लोगस्स। अंगुलअसंखभागेण, भाइयं भूदगतण य ॥१०॥ श्रावलिवग्गो ऊणावलीए गुणिउ हु बायरा तेज। वाऊ य लोगसंखं, सेसतिगमसंखिया लोगा ॥११॥ पज्जत्तापज्जत्ता, बितिचउथसन्निणो अवहरंति । Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७८) अंगुलसंखासंखप्पएसभइयं पुढो पयरं ॥१२॥ सन्नी चउसु गईसु, पढमाए असंखसेढिनेरइया । सेढि असंखेज्जसो, सेसासु जहोत्तरं तह य ॥१३।। संखेज्जजोयणाणं, सूइपएसेहिं भाइयो पयरो। वंतरसुरेहिं हीरइ, एवं एकेक्कभेएणं ॥१४|| बप्पन्नदोसयंगुलसूइपएसिं भाइयो पयरो । जोइसिएहिं हीरइ, सहाणे त्थीय संखगुणा ॥१५॥ अस्संखसेढिखपएसतुल्लया पढमदुइयकप्पेसु । सेढिअसंखससमा, उवरिं तु जहोत्तरं तह य ॥१६॥ सेढीएकेकपएसरइयसूईणमंगुलप्पमियं । घम्माए भवणसोहम्मयाण माणं इमं होइ ॥१७॥ छप्पन्नदोसयंगुलभूओ भूओ विगत मूलतिगं । गुणिया जहुत्तरत्था, रासीओ कमेण सूईओ ॥१८|| अहवंगुलप्पएसा, समूलगुणिया उ नेरइयसूई । पढमदुइयापयाई, समूलगुणियाइं इथराणं ॥१९॥ अंगुलमूलासंखियभागप्पमिया उ होति सेढीओ । उत्तरविउठिबयाणं, तिरियाण य सन्निपज्जाणं ॥२०॥ Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७९ उक्कोसपर मणुया, सेढीरूवाहिया अवहरति । तइयमलाह एहिं, गुलमूलप्पएसेहिं ||२१|| सासायणाइचउरो, होति असंखा अणतया मिच्छा | कोटिसहस्सपुहुत्त, पमत्तइयरे उ थोवयरा ॥ २२ ॥ एगाइ चउप्पण्णा, समर्ग उवसामगा य उवसंता । अर्द्ध पडुच्च सेढीए, हांति सव्वेवि संखेज्जा ॥२३॥ खवगा वीणाजोगी, एगाइ जाव होंति असयं । अद्धाए सयपुहुत्तं, कोडिपुहुत्तं सजोगीओ ॥ २४॥ पज्जत्ता दोन्निवि, सुहुमा एगिंदिया जए सव्वे | सेसा य असंखेज्जा, वायरपवणा असंखेसु ॥ २५ ॥ सासायणाइ सव्वे, लोयस्स असंखयंमि भागम्मि । मिच्छा उ सव्वलोए, होइ सजोगीवि समुग्धाए ॥ २६ ॥ वेयणक सायमारण वे उब्वियते उहार केवलिया । सग पण चउ तिन्नि कमा, मणुसुरनेरइयतिरियाणं २७ पंचेंदियतिरियाणं, देवाण व होति पंच सन्नीणं । वे उब्वियवाऊणं, पढमा चउरो समुग्धाया ॥२८॥ चन्दसविहावि जीवा, समुग्धारणं फुसंति सव्वजगं । Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८० रिउसेढीए व केई, एवं मिच्दा सजोगीया ॥२९॥ मीसा अजया अड अड, बारस सासायणा छ देसजई सग सेसा उ फुसंति, रज्जू खीणा असंखसं ॥३०॥ सहसारंतियदेवा, नारयनेहेण जंति तइयभुवं । निज्जति अच्चुयं जा अच्चुयदेवेण इयरसुरा ॥३॥ छट्ठाए नेरइओ, सासणभावेण एइ तिरिमणुए। लोगंतनिरकुडेसु जंतत्ते(तो)सासणगुणस्था ॥३२॥ उवसामगउवसंता, सव्वळे अप्पमत्तविरया य । गच्छंति रिउगईए, पुंदेसजया उ बारसमे ॥३३॥ सत्तण्हमपज्जाणं, अंतमुहुत्तं दुहावि सुहमाणं । सेसाणंपि जहन्ना, भवठिई होइ एमेव ॥३४॥ बावीससहस्साइं, बारस वासाइं अउणपन्नदिणा। छम्मासपुवकोडीतेत्तीसयराइं उक्कोसा ॥३५॥ होइ अणाइ अणंतो, अणाइ संतो य साइसंतो य देसूणपोग्गलद्धं, अंतमुहुत्तं चरिममिच्छो ॥३६॥ पोग्गलपरियट्टो इह, दव्वाइ चउव्विहो मुणेयवो । एकेको पुण दुविहो, बायरसुहुमत्तभेएणं ॥३७॥ Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८१ संसारंमि अडतो, जाव य काले फुसिय सव्वाणू । इगू जीवु मुबइ बायर, अन्नयरतणुट्टिओ सुहुमो ||३८| लोगस्स पएसेसु, अणंतर परंपराविभत्तीहिं । खेत्तंमि बायरो सो सुमो उ अतरमयस्स ॥३९॥ उस्सप्पिणिसमएसु, अणंतरपरंपराविभत्ताहिं । कालम्मि बायरो सो सुमो उ अणंतरमयस्स ॥४०॥ अणुभागहाणेसुं णंतरपरंपराविभत्तीहिं । भावमि बायरो सो, सुमो सव्वेणुकमसो ॥४१॥ आवलियाणं छक्के, समयादारब्भ सासणी होइ । मीसुवसम अंतमुहू, खाइयदिठी अनंतद्धा ॥४२॥ वेयगविरयसम्मो, तेत्तीसयराइं साइरेगाइं । तमुहुत्ताओ पुण्त्रकोडी देसो उ देसूणा || ४३ ॥ समयाओ अंतमुह, पमत्तअपमत्तयं भयंति मुणी । देसूण व कोडिं, अन्नोन्नं चिहि भयंता ॥ ४४ ॥ समयायो अंतमुह, अपुव्वकरणाउ जाव उवसंतो । वीणाजोगीणतो, देसस्सव जोगिणो कालो ॥४५॥ एगिंदियाणांता, दोषिण सहस्सा तसाण कार्याठिई । Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८२) अयराण इगपणिंदिसु, नरतिरियाणं सगहभवा ॥४६। पुव्यकोडिपुत्तं, पल्लतियं तिरिनराण कालेणं । नाणाइगपजत्तमणूण पल्लसंखंस अंतमुह ॥४७॥ पुरिसत्तं सन्नित्तं, सयपुहुत्तं तु होइ अयराणं । थी पलियसयपुहुत्तं , नपुंसगत्तं अणंतद्धा ॥४८॥ बायरपज्जेगिंदियविगलाण य वाससहस्स संखेज्जा। अपज्जंतसुहुमसाहारणाण पत्तेगमंतमुह ॥४९॥ पत्तेयबायरस्स उ, परमा हरियस्स होइ कायठिई। ओसप्पिणी असंखा, साहारत्तं रिउगइयत्तं ॥५०॥ मोहठिइबायराणं, सुहुमाण असंखया भवे लोगा। साहारणेसु दोसद्धपुग्गला निविसेसाणं ॥५१।। सासणमासाओ हवंति, सन्तया पलियसंखइगकाला। उवसामगउवसंता, समयायो अंतरमुहुत्तं ॥५२॥ खवगा खीणा जोगी, हेांति अगिच्चावि अंतरमुहुत्तं । नाणाजीवे तं चिय, सत्तहिं समएहिं अब्भहियं ॥५३॥ एगिदित्तं सययं तसत्तण सम्मदेसचारित्तं । आवलियासखंसं, अडसमय चरित्तसिद्धीय ॥५४॥ Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवसमसेढीउवसंतया य मणुयत्तणुत्तरसुरतं । पडिवज्जते समया संखेया खवगसेढी य ॥५५॥ बत्तीसा अडयाला, सट्ठी बावत्तरी य चुलसीई। छन्नउइ दुअहसय, एगाए जहुत्तरे समए ॥५६॥ गम्भयतिरिमणुसुरनारयाण विरहो मुहुत्तवारसगं । मुच्छिमनराण चउवीस, विगलअमणाण अंतमुह ।५७ तसबायरसाहारणअसनिअपुमाण जो ठिईकालो। सो इयराणं विरहो, एवं हरियेयराणं च ॥५८॥ आईसाणं अमरस्स, अंतरं हीणयं मुहुत्तंतो । आसहसारे अच्चुयणुत्तर दिण मास वास नव ॥५९॥ थावरकासुकोसो, सबके बीयओ न उववाओ। दो अयरा विजयाइसु नरएसु वि याणुमाणेणं ॥६०॥ पलियासंखो सासायणंतरं सेसयाण अंतमुहू । मिच्छस्स बे छसही, इयराणं पोग्गलद्धं तो॥१॥ वासपुहुत्तं नवसामगाण विरहो छमास खवगाणं । नाणाजीएसु सासाणमीसाणं पल्लसंखंसो ॥६२॥ सम्माई तिन्नि गुणा, कमसो सगचोपन्नरदिणाणि । Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८४ छम्मास अजोगित्त, न कोवि पडिवजए सययं ॥३॥ सम्माइचउसु तिय चऊ, उसमगुवसंतयाण चउ पंच चउ खीणअपुवाणं, तिन्नि उ भावावसेसाणं ॥६॥ थोवा गब्भयमणुया, तत्तो इत्थीओ तिघणगुणियाओ। बायरतेउक्काया, तासिमसंखेज पज्जत्ता ॥६५॥ तत्तोणुत्तरदेवा, तत्तो संखेज जाणओ कप्पो । तत्तो असंखगुणिया, सत्तमछठी सहस्सारो ॥६६॥ सुक्कंमि पंचमाए, लंतय चोत्थीए बंभतच्चाए । माहिंदसणंकुमारे, दोच्चाए मुच्छिमा मणुया ॥६७॥ ईसाणे सव्वत्थवि, बत्तीसगुणाओ हांति देवीओ । संखज्जा सोहम्मे, तओ असंखा भवणवासी ॥६८॥ रयणप्पभिया खहयरपणिदि संखेज्ज तत्तिरिक्खीओ। सव्वत्थ तो थलयरजलयरवणजोइसा चेवं ॥६९॥ तत्तो नपुंसखहयरसंखेज्जा थलयरजलयरनपुंसा । चउरिंदितओ पणबितिइंदियपज्जत्त किंचि(च)हिया७० असंखा पण किंचि(च)हिय,सेस कमसो अपज ओभयओ पंचेंदिय विसेसहिया, चउतियबेइंदिया तत्तो॥ ७१ ॥ Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ P १८५ पजत्तबायरपत्तेयतरू असंखेज इति निगोयाओ। पुढवी आऊवाउ, बायरअपज्जत्ततेउ तथो ॥७२।। पादरतरूनिगोया, पुढवीजलवाउतेउ तो सुहुमा । तत्तो विसेसअहिया, पुढवीजलपवणकाया उ ॥७३॥ संखेज्जसुहुमपजत्त, तेउ किंचि(च)हियभुजलसमीरा । तत्तो असंखगुणिया, सुहुमनिगोया अपजत्ता ॥४॥ संखेजगुणा तत्तो पज्जत्ताणतया तओ भवा । पडिवडियसम्मसिद्धा, वणवायरजीवपजत्ता ॥७५॥ किंचि(च)हिया सामन्ना, एए उ असंखवणअपजत्ता एए सामन्नेणं, विसेसअहिया अपजत्ता ॥७६॥ सुहमा वणा असंखा, विसेसथहिया इमे उ सामन्ना। सुहुमवणा संखेजा, पजत्ता सव किंचि(च)हिया।।७७॥ पज्जत्तापजत्ता, सुहुमा किंचि(च)हिया भव्वसिद्धीया । तत्तो वायरसुहुमा, निगोयवणस्सइ जिया तत्तो ॥७॥ एगिंदिया तिरिक्खा, चउगइमिच्छा य अविरइजुया य सकसाया छउमत्था, सजोगसंसारि सव्वेवि ॥७९॥ उवसंतखवगजोगी अपमत्तपमत्तदेससासाणा । Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मीसा विरया चउ चउ जहुत्तरं संखसंखगुणा ॥८०|| उक्कोसपए संता मिच्छा तिसु गईसु हांतसंखगुणा । तिरिए सणंतगुणिया सन्निसु मणुएसु संखगुणा ॥१॥ एगिंदियसुहुमियरा सन्नियर पणिंदिया सबितिचऊ । पजत्तापज्जत्ताभएणं चोदसग्गामा ॥ ८२ ॥ मिच्छा सासणमिस्सा अविरयदेसा पमत्तअपमत्ता। अपुत्वबायरसुहमोवसंतखीणा सजोगियरा ॥ ८३ ॥ तेरसवि बंधगा ते अट्ठविहं बंधियव्वयं कम्मं । मुलुत्तरभेयं ते साहिमो ते निसामेह ॥ ८४ ॥ ॥ इति द्वितीयं बन्धकहार समाप्तम् ॥ ॥ अथ तृतीयं बन्धव्यहारं प्रारभ्यते ॥ नाणस्स दसणस्स य आवरणं वेयणीयमोहणीयं । आउ य नाम गोयं तहतरायं च पयडीओ ॥ १ ॥ पंच नव दोन्नि अट्ठावीसा चउरो तहेव बायाला । दोन्नि य पंचय भणिया, पयडीओ उत्तरा चेव ॥२॥ मइसुयओहीमणकेवलाण आवरणयं भवे पढमं । Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८७ तह दाणलाभभोगोवभोगविरियंतराययं चरिमं ॥३॥ नयणेयरोहिकेवल दसण आवरणयं भवे चउहा । निदापयलाहिं छहा निहाइदुरुत्तोणद्धो ॥ ४ ॥ सोलस कसाय नव नोकसाय दंसणतिगं च मोहणीयं सुरनरतिरिनिरयाऊ सायासायं च नीचं ॥५॥ गइजाइसीरंग, बंधणसंघायणं, च संघयणं । संठाणवन्नगंधरसफासअणुपुविविहगगई ॥६॥ अगुरुयलहु उवघायं,परघाउस्सास आयवुजोयं । निम्माणतित्थनामं च, चोदस अड पिंडपत्तेया । ७॥ तस बायरपज्जत्तं, पत्तेयथिरं सुभं च नायव्वं । सुस्सरसुभगाइज्जं, जसकित्ती सेयरा वीसं ll गईयाईयाणभेया, चउ पण पणति पण पंच छ छकं । पण दुग पण चउ दुग, पिंडुत्तरभेय पणसही ॥९॥ ससरीरंतरभूया, बंधणसंघायणाउ बंधुदए। वण्णाइविगप्पावि हु, बधे नो सम्ममीसाइं ॥१०॥ वेउवाहारोरालियाण सगतेय कम्मजुत्ताणं ।। नव बंधणाणि इयर, दुजुत्ताणं तिणि तेसिं च ॥११॥ Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८८ ) ओरालियाइणं, संघाया बंधगाणि य सजोगे । बंधसुभसंतउदया, आसज्ज अरोगहा नामं ॥ १२ ॥ नीलकसीणं दुगंधं, तित्तं कडुयं गुरुं खरं रुक्खं । सीयं च सुभनवगं, एगारसगं सुभं सेसं ॥१३॥ धुवबंधिधुवोदयसन्घाइपरियत्तमाणसुभाओ । पंच यसपडिववखा, पगई य विवागयो चउहा ॥ १४ ॥ नाणंतरायदंसण, धुत्रबंधि कसायमिच्छभयकुच्छा | अगुरुलघुनिमिणतेयं, उवघायं वण्णचउकम्मं ॥ १५ ॥ निम्माणथिराथिरतेय कम्मवण्णाइअगुरुसुहमसुहं । नाणंतरायदसगं, दंसणच उमिच्छ निच्चुदया ॥ १६ ॥ केवलियनाणदंसणआवरणं बारसाइमकसाया । मिच्छतं निद्दाओ, इय वीसं सव्वधाईओ ॥ १७ ॥ सम्मत्तनाणदंसणचरितघाइत्तणा उ घाईओ । तस्सेसदेस घाइतणा उ पुण देसघाईओ ॥ १८ ॥ नाणावरणचउक्कं दंसणतिगनोकसायविग्धपणं । संजलण देसघाई, तइयविगप्पो इमो अन्नो ॥ १९ ॥ नाणंतराय दंसणच उक्कं परघायतित्थउस्तासं । Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८९ मिच्चभयकुच्छधुवबंधिणी उ नामस्स अपरियन्ता ॥ २० ॥ मणुयतिगं देवतिगं, तिरिया ऊसास अठतणुयंगं । विहगइवण्णाइसुभं, तसाइद सतित्थनिम्माणं ॥ २१ ॥ चउरंसउसभआयवपराघायपर्णिदिअगुरुसा उच्चं । उज्जोयं च पसत्था, सेसा बासीइ अपसत्था ||२२|| ओयावं संठाएं, संघवणसरीरांगउज्जोयं । नामधुवोदय उवपरघायं पत्तेयसाहारं ॥ २३ ॥ उदइयभावा पोग्गलविवागिणो आउ भववित्रागीणि 1 खेत्तविवागणुपुत्री जीवविवागा उ सेसाओ ॥ २४ ॥ मोहस्सेव उवसमो खाओसमो चउण्ह घाईणं । खयपरिणामियउदया अण्ह वि होंति कम्माणं ||२५|| सम्मत्ताइ उवसमे खाओवसमे गुणा चरिताई । खइए केवलमाई, तव्ववएसो उ उदईए ॥ २६ ॥ नाणंतराय दंसणवेयणियाणं तु भंगया दोन्नि । साइसपज्जवसाणोवि होइ सेसाण परिणामो ॥ २७॥ चउतिहाणरसाई, सव्वघाईणि होति फडाई | दुहाणियाणि मीसाणि देसघाईणि सेसापि ॥ २८ ॥ Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निहएसु सबघाईरसेसु फड्डेसु देसघाईणं । जीवस्स गुणा जायंति मोहिमणचरूखुमाईया ॥२९॥ आवरणमसव्वग्धं, पुंसंजलणंतरायपयडीओ। चउठाणपरिणयाओ, दुतिचउठाणाउ सेसाओ ॥३०॥ उप्पलभूमीवालुयजलरेहासरिससंपराएसुं । चउठाणाई असुभाण, सेसयाणं तु वच्चासो ॥३१॥ घोसाडइनिंबुवमो, असुभाण सुभाण खीरखंडुवमो । एगहाणो उ रसो, अणंतगुणिया कमेणियरे ॥३२॥ उच्चं तित्थं सम्म, मीसं वेडविछक्कमाऊणि । मणुदुगआहारदुर्ग, अहारस अधुवसत्तायो ॥३३॥ पढमकसायसमेया, एयाओ आउतित्थवज्जाओ। सत्तरस्व्वलणाओ, तिगेसु गइआणुपुव्वाऊ ।। ३४ ॥ नियहेउसंभवे वि हु, भयणिज्जो जाण होइ पयडीणं। बंधो ता अधुवाओ, धुवा अभयणिज्जबंधाओ ॥३५॥ दवं खेत्तं कालो, भवो य भावो य हेयवो पंच । हेउसमासेणुदओ, जायइ सवाण पगईणं ॥३६|| अबोच्छिन्नो उदओ, जाणं पगईण ता धुवोदइया। Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९१ ) वोच्छिन्नो विहु संभवइ, जाण अधुवोदया ताश्रो ३७॥ असुभसुभत्तणघाइत्तणाई रसभेयत्रो मुणिज्जाहि । सविसयघायणभेण वा विघाइत्तणं नेयं ॥ ३८ ॥ जो घाइ सविसयं, सयलं सो होइ सव्वधाइरसो । सो निच्छिदो निद्धो, तणुओ फलिहप्भहरविमलो३९ ॥ देसविघाइत्तणओ, इयरो कडकंबलं सुसंकासो | विविहबहुछिदभरिओ, अप्पसिणेहो अमिलो य ॥४०॥ जाण न विसओ घाइतमि तापि सघाइरसो । जायइ घाइसगासेण, चोरया वेह चोराणं ॥ ४१ ॥ घाइखोव समेणं, सम्मचरित्ताई जाई जीवस्स । ताणं हणंति देस, संजलणा नोकसाया य ॥ ४२ ॥ विणिवारिय जा गच्छइ, बंधं उदयं च अन्नपगईए । साहु परियत्तमाणी, अणिवारेंती अपरियन्त्ता ॥ ४३ ॥ दुविहा विवागओ पुण, हेउविवागाउ रसविवागाउ । एक्केका विय चउहा, जओ च सद्दो विगप्पेणं ॥ ४४ ॥ जा जं समेच्च हेउ, विवागउदयं उवेंति पगईओ । ता तव्विवागसन्ना, सेसभिहाणाई सुगमाई ॥४५॥ Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ अरइरईणं उदओ, किन्न भवे पोग्गलाणि संपप्प । अप्पुढेहि वि किन्नो, एवं कोहाइयाणंपि ॥४६।। आउध्व भवविवागा, गई न आउस्स परभवे जमा । नो सव्वहा वि उदओ, गईण पुण संकमणत्थि ॥४७॥ अणुपुत्वीणं उदओ, किं संकमणेण नत्थि संते वि। जह खेत्त हेउयो ताण न तह अन्नाण सविवागो।४८॥ संपप्प जीयकाले, उदयं काओ न जंति पगईओ। एवमिणमोहहेडं, आसज्ज विसेसयं नस्थि ॥ ४९ ॥ केवलदुगस्स सुहमो हासाइसु कह न कुणइ अपुव्वो सुभगाईणं मिच्छो, किलिङ्कयो एगठाणिरसं ॥५०॥ जलरेहसमकसाए वि, एगठाणी न केवलदुगस्स । जं अणुयंपि हु भणियं आवरणं सव्वघाई से ॥ ५१॥ सेसासुभाण वि न ज, खवगियराणं न तारिसा सुद्धी। न सुभाणंपि हु जम्हा, ताणं बंधो विसुतंति ॥५२॥ उकोसठिई अनवसाणेहिं एगठाणियो होही । सुभियाण तन्न जे ठिइअसंखगुणियाउ अणुभागा ॥५३ दुविहमिह संतकम्मं, धुवाधुवं सूइयं च सहेण । Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९७ धुवसन्तं चिय पढमा, जओ न नियमा विसंजोगो ५४ देवनिरयाउवेउविछक्क आहारजुयल तित्थाएं | बंधो अणुदयकाले, धुवोदयाणं तु उदयम्मि ॥५५॥ गयचरिमलोभधुवबंधिमोहहासरइमनुयपुव्वीणं । सुहुमतिगआयवाणं, सपुरिसवेयाण बंधुदया ॥५६॥ वोच्छिज्जेति समं चिय, कमसो सेसाण उक्कमेणं तु हमजससुरतिगवेउवाहारजुयलाणं ॥ ५७ ॥ धुवबन्धिणी उ तित्थगरनाम आउ य चउक्क बावन्ना । एया निरंतरा उ, सगवीसुभ संतरा सेसा ॥ ५८ ॥ चउरंसउसभपरघाउसास पुंसगल साय सुभखगई। उब्विउरलसुरनर तिरिगोयदु सुसरतस तिचऊ ॥५९॥ समयाओ तमुहू, उक्कोसो जाए संतरा ताओ ! बन्धेहियंसि उभया, निरंतरा तम्मि उ जहन्ने ॥६०॥ उदर व अणुदए वा, बन्धाओ अन्नसंकमायो वा । ठिइ संतं जाण भवे, उक्कोसं ता तयक्खाओ ॥ ६१ ॥ मग सायं सम्मं, थिरहासाइछ वेयसुभखगई । रिसहचउरंसगाई, पणुच्च उदसंकमुक्कोसा ॥ ६२ ॥ Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९४) मणुयाणुपुठिवमीसगआहारगदेवजुगलविगलाणि । सुहुमाइतिगं तित्थं, अणुदयसंकमण उक्कोसा॥ ६३ ॥ नारयतिरिउरलदुर्ग, बेवगिदिथावराया। निदा अणुदयजेहा, उदउक्कोसा पराणाऊ ॥ ६४॥ चरिमसमयंमि दलियं, जासिं अन्नत्थसंकमे तायो। अणुदयवइ इयरीओ, उदयवई हेति पगईओ ॥६५॥ नाणंतराययाउगर्दसणचउवेयणीयमपुमित्थी। चरिमुदयउच्चवेयग, उदयवई चरिमलोभो य ॥ ६६ ॥ ॥ इति बन्धव्याभिधानं तृतीयं द्वारम् ॥ ॥ अथ बंधहेतुलक्षणं चतुर्थं द्वारम ॥ बन्धस्स मिच्छअविरइकसायजोगा य हेयवो भणिया ते पंच दुवालस पन्नवीस पन्नरस भेइल्ला ॥१॥ आभिग्गहियमणाभिग्गहं च अभिनिवेसियं चेव । संसइयमणाभोग, मिच्छत्तं पंचहा होइ ॥२॥ छक्कायवहो मणइंदियाण अजमो असंजमो भणियो इइ बारसहा सुगमो, कसायजोगा य पुव्वुत्ता ॥ ३॥ Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउपञ्चइयो मिच्ने, तिपच्चओ मीससासणाविरए । दुगपञ्चओ पमत्ता , उवसंता जोगपञ्चइयो ॥ ४॥ पणपन्न पन्न तियछहियचत्त गुणचत्त छक्कचउसहिया। दुजुया य वीस सोलस,दस नव नव सत्त हेऊ य॥५॥ दस दस नव नव अड पञ्च,जइतिगे दुदुग सेसयाणेगो अड सत्त सत्त सत्तग, छ दो दो दो इगि जुया वा ६ मिच्छत्तकायएगाइघायअन्नयरअक्खजुयलुदओ। वेयस्स कसायाण य , जोगस्सणभयदुगंछा वा ॥७॥ इच्चेसिमेगगहणे तस्संखा भंगया उ कायाणं । जुयलस्स जुयं चउरो , सया ठवेज्जा कसायाणं॥८॥ जा बायरो ता पाओ,विगप्प इइ जुगवबन्धहेकणं । अणबन्धिभयदुगंछाण चारणा पुण विमज्झेसु।। ९ ॥ अणउदयरहियमिच्छे,जोगा दस कुणइ जन्न सो कालं अणणुदयो पुण तदुवलगसम्मदिहिस्स मिच्छदए १० सासायणम्मि रूवं,चय वेयहयाणनियगजोगाण । जम्हा नपुंसउदए, वेउब्वियमीसगो नत्थि ॥ ११ ॥ चत्तारि अविरए चय,थीउदएविउव्विमीसकम्मइया । Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९६) इत्थिनपुंसगउदए, ओरालियमीसगो नत्थि ॥ १२ ॥ दोरूवाणि पमत्ते,चयाहि एगं तु अप्पमत्तंम्मि । ज इथिवेयउदए, आहारगमीसगा नस्थि ।। १३ ॥ सव्वगुणठाणगेसु, विसेसहेजण एत्तिया संखा। गयाललक्ख बासीई, सहस्स सय सत्त सयरी य ।१४ सोलसठारस हेऊ, जहन्न उकोसया असन्नीणं । चोदसठारसऽपज्जन्स सन्निणो सन्निगुणगहिओ ।१५। मिच्छत्तं एगं चिय, बक्कायवहो तिजोगसन्निम्मि। इंदियसंखा सुगमो, असन्निविगलेसु दो जोगा ॥१६॥ एवं च अपजाणं, बायरसुहमाण पजयाण पुणो। तिण्णेक्ककायजोगा, सण्णि अपज्जे गुणा तिन्नि १७॥ उरलेण तिन्नि छण्हं, सरीरपज्जत्तयाण मिच्डाण, सविजम्वेण सन्निस्स, सम्ममिच्छस्स वा पंच ॥१८॥ सोलस मिच्छनिमित्ता, बलहि पणतीस अविरईए य । सेसा उ कसाएहिं, जोगेहि य सायवेयणीयं ॥१९॥ तित्थयराहाराणं, बंधे सम्मत्तसंजमा हेऊ। पयडीपएसबंधा, जोगेहिं कसायओ इयरे ॥ २०॥ Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९७ ) खुष्पिवासुण्हसीयाणि, सेज्जा रोगो वहो मलो । तणफासो चरीया य, दंसेक्कारस जोगिसु ॥ २१ ॥ वेणीयभवा एए पन्नानाणा उ आइमे । अट्टमंमि अलाभोत्थो छउमत्थेसु चोद्दस ॥ २२ ॥ निसेज्जा जायगाकोसो, अरई इस्थिनग्गया । सक्कारो दंसणं मोहा, बावीसा चेव रागिसु ॥ २३ ॥ ॥ इति बंधहेतुलक्षणं चतुर्थ द्वारम् || ॥ अथ बन्धविधिलक्षणं पंचमं द्वारम् || बद्धस्सुदओ उदए, उदीरणा तदवसेसयं संतं । तम्हा बंधविहाणे, भन्नंते इइ भणियव्वं ॥ १॥ जा अपमत्तो सत्तट्ठबंधगा सुहुम छण्हमेगस्स । उवसंतखीणजोगी, सत्तण्हं नियट्टिमीसानियट्टी ॥२॥ जा सुहुमसंपराओ, उइन्न संताई ताव सव्वाई । सत्त वसंते खीणे, सत्त सेसेसु चत्तारि ॥ ३ ॥ बंधति सत्तअट्ठ व उन्नसत्तट्टगा उ सब्वे वि । Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १९८ सत्तट्ठबेगबंधगभंगा पज्जत्तसनिमि ॥ ४ ॥ जाव पमन्तो अट्टण्हुदीरगो वेयआउवज्जाएं । सुमो मोहेण य जा, खीणो तप्परओ नामगोयाणं ॥ जावुदओ ताव उदीरणा वि वेयणीयआउवजाएं । अद्धावलिया सेसे, उदए उ उदीरणा नत्थि ॥ ६ ॥ सायासायाऊणं, जाव पमत्तो अजोगि सेसुदयो । जा जोगि उईरिजइ, सेसुदया सोदयं जाव ॥ ७ ॥ निदाउदयवईणं, समिच्छपुरिसाण एगचत्ताणं । एयाणं चिय भज्जा, उदीरणा उदए नन्नासि ॥८॥ होइ अणाइअतो, णाइसंतो य साइसंतो य । बंधो अभव्यभव्वोवसंतजीवेसु इइ तिविहो ॥ ९ ॥ पयडीठीईपएसाणुभागभेया चउव्विक्वेक्को । उक्कोसाणुक्को सगजहन्ना जहन्नया तेसिं ॥ १०॥ ते विहु साइणाईधुवअद्धवभेयओ पुणो चउहा । ते दुविहा पुण नेया, मूलुत्तरपयइभेपणं ॥ ११ ॥ भूओगारप्पयरग, अव्वत्त अवट्ठियो य विन्नेया । मूलुत्तरपाई बंधणासिया ते इमे सुणसु ॥ १२ ॥ Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इगछाइ मलियाणं, बंधट्ठाणा हवंति चत्तारि । अबंधगो न बंधइ, इइ अवत्तो अओ नत्थि ॥१३॥ भूओगारप्पयरगअव्वत्तअवहिया जहा बंधे । उदए उदीरणाए, संते जह संभवं नेया ॥ १४ ॥ बंधहाणा तिदसह, दसणावरणमोहनामाणं । सेसाणेगमवठियबंधो सव्वत्थ ठाणसमो ॥ १५ ॥ भूयोगारा दो नव, छ यप्पतरा दु अह सत्त कमा । मिच्छामो सासणतं, न एकतीसेक्कगुरु जम्हा ॥१६॥ चउ छ बिइए नामंमि, एग गुणतीस तीस अव्वत्ता। इग सत्तरस य मोहे; एकेको तइयवज्जाणं ॥ १७ ॥ इगसयरेगुत्तर जा, दुवीस छठवीस तह तिपन्नाई। जा चोवत्तरि बावहिरहियबंधाओ गुणतीसं ॥१८॥ एक्कार बार तिचउक्कवीस गुणतीसओ य चउतीसा चउआला गुणसही, उदयहाणाई छठवोसं ॥ १९ ।। भूयप्पयरा इगिचउवीसं जन्नेइ केवली छउभं। अजओ य केवलितं, तित्थयरियरा व अन्नोन्नं ॥२० एक्कारबारसासी, इगि चउ पंचाहिया य चउणउई। Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०० एत्तो चउद्दहियसयं, पणवीसाओ य छायाले ॥२१॥ बत्तीस नत्थि सयं, एवं अडयाल संत ठाणाणि जोगिअघाइचउक्के, भण खिविउं घाइसंताणि ॥२२॥ साई अधुवो नियमा, जीवविसेसे अणाइ अधुव धुवो। नियमा धुवो अणाई, अधुवो अधुवोव साई वा ॥२३॥ उक्कोसा परिवडिए, साइ अणुक्कोसओ जहन्नायो। अबन्धाको वियरो, तदभावे दो वि अविसेसा ॥२४॥ तेणाई ओहेणं, उक्कोसजहन्नगो पुणो साई । अधुवाण साइ सव्वे, धुवाणणाइ वि संभविणो ॥२५॥ मुलुत्तरपगई, जहन्नओ पगइबन्ध उवसंते। तब्भहा अजहन्नो, उक्कोसो सन्निमिच्छमि ॥२६॥ बास्स साइअधुवो, बन्धो तइयस्स साइअवसेसो। सेसाण साइआई, भव्वाभग्वेसु अधुवधुवो ॥ २७॥ साई अधुवो सव्वाण, होइ धुवबन्धियाण गाइधुवो । निययअबन्धचुयाण, साइ अणाई अपत्ताणं ॥२८॥ नरयतिग देवतिगं, इगिविगलाणं विउवि नो बन्धे। मणुयतिगुच्चं च गईतसंमि तिरि तिस्थआहारं ॥२९॥ Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०१ वेउव्वाहारदुर्ग, नारयसुरसुहुमविगलजाइतिगं। बन्धहि न सुरा सायवथावरएगिदि नेरइया ॥ ३० ॥ मोहे सयरी कोडाकोडीओ वीस नामगोयाणं । तोसियराण चउण्हं, तेत्तीसयराइं आउस्स ॥ ३१॥ मोत्तुमकसाइ तणुया, ठिइ वेयणियस्स बारसमुहुत्ता। अ66 नाम गोयाण, सेसयाणं मुहुत्तंतो ॥ ३२॥ मुक्किलसुरभीमहुराण, दस उ तह सुभचउण्ह फासाणं अट्ठाइज पवुढी, अंबिलहालिहपुव्वाणं ॥ ३३ ॥ तीसं कोडाकोडी, असायआवरणअंतरायाणं । मिच्छे सयरी इत्थीमणुदुगसायाण पन्नरस ॥३४॥ संघयणे संठाणे, पढमे दस उवरिमेसु दुगवुड्डी। सुहुमतिवामणविगले, ठारस चत्ता कसायाणं ॥३५॥ पुंहासरईउच्चे, सुभखगतिथिराइछक्कदेवदुगे । दस सेसाणं वीसा, एवइयावाहवाससया ॥ ३६ ॥ सुरनारयाउयाणं, अयरा तेत्तीस तिन्नि पलियाई। इयराणं चउसु वि पुवकोडितंसो अबाहाओ ॥३७॥ वोलीणेसुं दोसु, भागेसु आउयस्स जो बन्धो। .. Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०२ भणिओ असंभवायो, न घडइ सो गइचउक्के वि ॥३८ पलियासंखेज्जसे, बंधंति न साहिए नरतिरिच्छा। छम्मासे पुण इयरा, तदाउ तंसो बहुं होइ॥ ३९ ॥ पुव्वाकोडी जेसिं, आऊ अहिकिञ्च ते इमं भणियं । भणिपि नियथबाहं, आउ बंधंति अमुयंता ॥४०॥ निरुवकमाण छमासा, इगिविगलाणं भवहिई तंसो । पलियासंखेज्जसं, जुगधम्मीण वयंतन्ने ॥ ४१ ॥ __अंतो कोडीकोडी, तित्थयराहार तीए संखाओ। तेतीसपलियसंखं, निकाइयाणं तु उक्कोसा ॥४२॥ अंतोकोडाकोडी, ठिइए वि कहं न होइ ? तित्थयरे। संते कित्तियकालं, तिरिओ अह होइ उ विरोहो ॥३॥ जमिह निकाइयतित्थं, तिरियभवे तं निसेहियं संतं । इयरंमि नत्थि दोसो, उवट्टणवणासने ॥४४|| पुवकोडीपरयो; इगि विगलो वा न बन्धए आउं। अंतो कोडाकोडीए आरउ अभवसन्नी उ ॥४५॥ सुरनारयाउयाणं, दसवाससहस्त लघु सतिस्थाणं। इयरे अंतमुहुत्तं, अंतमुहुतं अबाहायो ॥४६॥ Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०३) पुंए अह वासा अह मुहुत्ता जसुच्चगोयाणं । साए बारसहारगविग्यावरणाण किंचूणं ॥४७॥ दोमास एग अद्धं, अंतमहत्तं च कोहपुवाण । सेसाणुक्कोसाओ, मिच्छत्तठिईए जं लद्धं ॥४८॥ वेउविबक्कि तं, सहसताडियंजं असन्निषो तेसिं । पलियासंखंसूणं ठिई अबाहणियनिसेगो॥४९॥ मोत्तुमबाहासमए, बहुगं तयणंतरे रयइ दलियं। तत्तो विसेसहीण, कमसो नेयं ठिई जाव ॥५०॥ थाउस्स पढमसमया, परभविया जेण तस्त उ अबाहा। पल्लासंखियभागं, गंतुं अद्धद्धयं दलियं ॥५१॥ पलिओवमस्स मूला, असंखभागम्मि जत्तिया समया तावइया हाणीयो, ठिइबन्धुक्कोसए नियमा ॥५२॥ उक्कोसठिईबन्धा, पल्लासंखेजभागमित्तेहिं । हसिएहिं समएहिं हसइ अबाहाए इगसमओ ॥५३ जा एगिदिजहन्ना, पल्लासंखंससंजुया साउ। तेसिं जेठा सेसाण संखभागहिय जा सन्नी ॥५४॥ पणवीसा पन्नासा, सय दससयताडिया इगिदिठिई। Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २०४ ) विगलासन्नीय कम्मा, जायइ जेठा व इयरा वा ॥ ठिठाणाई एगिंदियाण थोवाइं हांति सवाणं । बेंदीण असंखेजाणि, संखगुणियाणि जह उपिं ॥५६ सव्वजहन्ना विठिई असंखलोगप्पएस तुल्लेहिं । साहिं भवे, विसेस अहिएहिं उवरुवरिं ॥५७॥ अस्संखलोगखपएस तुल्लया हीणमनिमुक्कोसा । ठिई बंधनवसाया, तीए विसेसा असंखेजा ॥५८॥ सत्तण्हं अजहन्नो, चउहा ठिइबंधु मूलपगईणं | सेसा उ साइअधुवा, चत्तारि वि आउए एवं ॥ ५९ ॥ नाणंतराय दंसणच उक्कसंजलणठिई अजहन्ना । चउहा साई अधुत्रा, सेसा इयराण सबाओ ||६०|| अट्ठारसह खवगो, बायरए गिंदि सेसधुवियाणं । पज्जो कुणइ जहन्नं साई अधुवो अओ एसो ॥ ६१ ॥ अहाराणऽजहन्नो, उवसमसेढीए परिवडंतस्त्र । साई सेसवियप्पा, सुगमा धुवा धुवापि ॥६२|| सव्वाणवि गईणं, उक्कोसं सन्निणो कुणंति ठिइं । एगिंदिया जहन्नं असन्निखवगा य कापि ॥ ६३ ॥ Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०५ सव्वाण ठिई असुभा, उक्कोसुक्कोससंकिलेसेणं । इयरा उ विसोहीए, सुरनरतिरियाउए मोत्तुं ॥६४॥ अणुभागोणुक्कोसो, नामतइजाण घाइ अजहन्नो गोयस्त दोवि एए, चउचिहा सेसया दुविहा ॥६५॥ सुभधुवियाणणुक्कोसो,चउहा अजहन्न असुभधुवियाणं साई अधुवा सेसा, चत्तारिवि अधुवबंधीणं ॥६६॥ असुमधुवाण जहणणं, बंधगचरमा कुणंति सुविसुद्धा । समयं परिवडमाणा, अजहणणं साइया दोवि ॥६७॥ सयलसुभाणुक्कोसं, एवमणुक्कोसगं च नायव्वं । वन्नाई सुभअसुभा, तेणं तेयाल धुवअसुभा ॥६॥ सयलासुभायवाणं, उज्जोयतिरिक्खमणुयआऊणं । सन्नी करेइ मिच्छो, समयं उक्कोस अणुभागं ॥२॥ आहार अप्पमत्तो, कुणइ जहन्नं पमत्तयाभिमुहो। नरतिरिय चोदसण्हं, देवाजोगाण साउण ॥७॥ ओरालियतिरियदुगे, नीउज्जोयाण तमतमा छण्हं । मिच्छनरयाणभिमुहो सम्मदिछी उ तित्थस्स ॥७१॥ सुभधुवतसाइचउरो, परघायपणिदिसास चउगइया । Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०६ उक्कडमिच्छा ते च्चिय, थीअपुमाणं त्रिसुता ॥ ७२ धिरसुभजससायाणं सडिवक्खाण मिच्छ सम्मो वा । मनिमपरिणामो कुणइ. थावरे गिंदिए मिच्छो ॥७३॥ सुसुराइतिन्नि दुगुणा, संठिइसंघयणमणुयविजुयले । उच्चे चउगइमिच्छा, अरईसोगाण उ पमत्तो ॥ ७४ ॥ सेढिअसंखेजसो, जोगठाणा तओ असंखेजा । पयडीभेचा तत्तो, ठिइभेया हांति तत्तो वि ॥७५॥ ठिइबंधनवसाया, तत्तो अणुभागबंधठाणाणि । तत्तो कम्मपएसातगुणा तो रसच्छेया ॥ ७६ ॥ एगपएसोगाढे, सव्वपएसेहिं कम्मणो जोगे । जीवो पोग्गलदव्वे, गिण्हइ साई अणाई वा ॥७७॥ कमसो बुड्ढठिईणं, भागो दलियस्स होइ सविसेसो । तइयस्स सव्वजेहो, तस्स फुडत्तं जओ एप्पे ॥७८॥ जं समयं जावइयाई, बंधए ताण एरिसविहीए । पत्तेयं पत्तेयं, भागे निवत्तए जीवो ॥ ७९ ॥ जह जह य अप्पपगईण, बंधगो तह तहत्ति उक्कोसं । कुव्वइ पएसबंधं, जहन्नयं तस्स वच्चासा ॥ ८० ॥ Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाणंतराइयाण, परभागा आउगस्स नियगायो। परमो पएसबन्धो सेसाणं उभयओ होइ ॥ ८१ ॥ उक्कोसमाइयाणं, आउम्मि न संभवो विसेसाण । एवमिणं किंतु इमो, नेओ जोग हइविसेसा ॥२॥ मोहाउयवजाणं, अणुक्कोसो साइयाइओ होइ । साई अधुवा सेसा, आगमोहाण सव्वेवि ।। ८३ ॥ छब्बन्धगस्स उक्कस्स, जोगिणो साइअधुवउक्कोसो अणुक्कोस तच्चुयायो, अणाइअधुवाधुवा सुगमा ८४ होइ जहन्नोऽपजत्तगस्स सुहुमगनिगोयजीवस्स । तस्समउप्पन्नगसत्तबंधगस्सप्पविरियम्स ||८५॥ एक्कं समयं अजहन्नयो तओ साइबद्धवा दोवि । मोहेवि इमे एवं, ओउम्मिय कारणं सुगमं ॥८६॥ मोहस्स अइकिलिटे उक्कोसो सत्तबंधए मिच्छे ॥ एक्कं समयंणुकोसयो तओ साइअधुवाओ ॥८७॥ नाणंतरायनिदाअणवज्जकसायभयदुगंबाण।। दसणचउपयलाणं,चनवि(वि)गप्पो अणुकोसो ॥८॥ सेसा साई अधुवा, सव्वे सव्वाण सेसपयईणं । Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०८) जाण जहिं बंधतो । उक्कोसो ताण तत्थेव ॥८९॥ निययअबंधचुयाणं, णुकोसो साइणाइतमपत्ते । साइ अधुवोऽधुवबंधियाण धुवबंधणा चेव ॥९०॥ अप्पतरपगइबन्धे, उक्कडजोगी उ सन्निपज्जत्तो। कुणइ पएसुक्कोसं, जहन्नयं तस्स वच्चासे ॥९१॥ सत्तविहबन्धमिच्छे, परमो अणमिच्छथीणगिद्धीणं । उक्कोससंकिलिके, जहन्नओ नामधुवियाणं ॥९२॥ समयादसंखकालं, तिरिदुगनीयाणि जाव वनंति । वेउवियदेवदुर्ग, पल्लतिगं आउ अंतमुह ॥ ९३ ॥ देस्णपुठकोडी, सायं तहऽसंखपोग्गला उरलं । परघाउस्सासतसचउपणिंदि पगतिय अयरसयं।।९४॥ चउरंसउच्चसुभखगइपुरिससुस्सरतिगाग छावही। बिनणा मणुहुगउरलंगरिसहतित्थाण तेत्तीसा ९५॥ सेसाणंतमुहुत्तं, समया तित्थाउगाण अंतमुहू । बन्धो जहन्नओवि हु, भंगतिगं निच्चबन्धीणं ॥१६॥ होइ अणाइ अणंतो, अणाइसंतो धुवोदयाणुदओ। साइसपज्जवसाणो, अधुवाणं तह य मिच्छस्स ॥९७॥ Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०९ पयडिठिइमाईया, भेया पुव्वत्तया इहं नेया । उदीरणउदयाणं, जन्नाणत्तं तयं वोच्छं ॥ ९८ ॥ चरमोदयमुच्चाणं, अजोगिकालं उदीरणाविरहे । देसूणपुव्वकोडी, मणुयाउ गवेयणीया ॥ ९९ ॥ तइयच्चियपज्जत्ती, जा ता निद्दाण होइ पंचन्हं । उदओ आवलिअंते, तेवीसाए उ सेसा ॥१००॥ मोहे चउहा तिविहोव सेससत्तण्ह मूलपगईणं । मिच्छत्तदओ चउहा, अधुवधुवाणं दुविहतिविहो ॥१०९ उदयो ठिइक्खएणं, संपत्तीए सभावतो पढमो । सति तमि भवे बीओ, पओगओदीरणा उदओ १०२ उदीरणजोग्गाणं, अभहियठिईए उदयजोग्गाओ । हस्सुद एगठिईणं, निहुणा एगियालाए ||१०३ ॥ अणुभादवि उदीरणाए तुल्लो जहन्नयं नवरं । आवलिगंते सम्मत्तवेयखीणंतलोभाणं ॥ १०४ ॥ अजहन्नोऽणुकोसो, चउहतिहा छण्ह चउविहो मोहे । आउस्स साइ अधुत्रा, सेसविअप्पा य सव्वेसि ॥ १०५ अजहन्ने णुक्कोसो, धुवोदयाणं चउत्तिहा चउहा । Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१०) मिच्छत्ते सेसासिं, दुविहा सव्वे य सेसाणं ॥ १०६ ॥ संमत्तदेस संपुन्नविरइउप्पत्तिअणविसंजोगे । दंसणखवणे मोहस्स, समणेउवसंतखवगे य ॥ १०७॥ वीणाइतिगे असंखगुणियगुणसेढिदलिय जहक्कमसोः । सम्मत्ताईका रसह कालो उ संखसे ॥१०८॥ झन्ति गुणाओ पडिए, मिच्छत्तगयंमि आइमा तिनि । संभंति न सेसाओ, जं झीपासुं असुभमरणं ॥ १०९ ॥ उक्को सपएसुदयं, गुणसेढीसीस गुणिकम्मो | सव्वासु कुणइ ओहेण, खवियकम्मो पुण जहन्नं ११० सम्मत्तवेयसंजलणयाण खीणंतदुजिणांताणं । लहु खवणार ते, अवहिस्स अणोहिएककोसो १११ पढमगुणसेढिसीसे, निद्दापयलाण कुणइ उवसंतो । देवत्तं झत्ति गयो, वेउव्वियसुरदुग स एव ॥ ११२ ॥ तिरिए गंतुदयाणं, मिच्छत्तणमीसथीणगिद्धीणं । अपजत्तस्स य जोगे, दुतिगुणसेढी सीसाणं ॥ ११३ ॥ से कालेंतरकरणं, होही अमरो य अंतमुहुपरयो । उक्कोसपरसुदओ, हासाइसु मनिमडण्हं ॥ ११४॥ Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २११ हस्सठिई बंधित्ता श्रद्धाजोगाइठिइनिसेगाणं । उकोसपए पढमोदयम्मि सुरनारगाऊणं ॥ ११५ ॥ अद्धा जोगुक्कोसे, बंधित्ता भोगभूमिगेसु लहुं । सव्वप्पजीवियं वज्जइत्त ओवट्टिया दोण्हं ॥१९६।। नारयतिरिदुगदुभगाइनीयमणुयाणुपुबिगाणं तु। दसणमोहक्खवगो, तइयगसेढीउ पडिभग्गो ॥११७॥ संघयणपंचगस्स उ, बिइयादितिगुणसेढिसीसम्मि । थाहारुज्जोयाणं, अपमत्तो आइगुणसीसे ॥११८॥ गुणसेढीए भग्गो, पत्तो बेइंदिपुढविकायत्तं । आयावस्स उ तव्वेइ, पढमसमयंमि वटुंतो ॥११९॥ देवो जहन्नयाज, दीहुव्वट्टित्तु मिच्छ अन्तम्मि । चउनाणदसणतिगे, एगिदिगए जहन्नुदयं ॥१२०॥ कुव्वइ ओहिदुगस्स उ, देवत्तं संजमाउ संपत्तो। मिच्छक्कोसुक्कट्टिय, श्रावलिगंते पएसुदयं ॥१२१ ॥ वेयणियउच्चसोयंतराय अरईण होइ ओहिसमो। निदादुगस्त उदए, उक्कोसठिईउ पडियस्स ॥१२२॥ मइसरिसं वरिसवरं, तिरियगई थावरं च नीयं च । Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इंदियपज्जत्तीए, पढमे समयंमि गिद्धितिगे ॥१२३॥ अपुमिस्थिसोगपढमिल्लयरइरहियाण मोहपगईणं । अंतरकरणाउ गए, सुरेसु उदयावलीअंते ॥ १२४ ॥ उवसंतो कालगओ, सव्वढे जाइ भगवई सिद्धं । तत्थ न एयाणुदओ, असुभुदए होइ मिच्छस्स ॥१२५ उवसामइत्तु चउहा, अन्तमुह बंधिऊण बहुकालं । पालिय सम्म पढमाण, आवलीयंतमिच्छगए ॥१२६॥ इत्थीए संजमभवे, सव्वनिरुद्धंमि गंतु मिच्छतो ॥ देवी लहु जिठिई, उध्वट्टिय आवलीअंते ॥ १२७ ॥ अप्पद्धाजोगसज्जियाण, आऊण जिठिइअंते।। उवरिं थोनिसेगे, चिर तिव्वासायवेईणं ॥ १२८ ॥ संजोयणा विजोजिय, जहन्नदेवत्तमंतिममुहुत्ते बंधिय उक्कोस्सटिइं, गंतूणे गिदियासन्नी ॥ १२९ ।। सव्वलहुं नरयगए. नरयगई तम्मि सव्वपजते । अणुपुविसगइतुल्ला, ता पुण नेया भवाइम्मि ॥१३०॥ देवगई मोहिसमा, नवरं उज्जोयवेयगो जाहे । चिरसंजमिणो अंते, आहारे तस्स उदयम्मि ॥१३१॥ Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१३ सेसाणं चख्खुसम, तमिव अन्नंमि वा भवे अ चिरा। तज्जोगा बहुयायो, ता ताओ वेयमाणस्स ॥१३२॥ पढमकसाया चउहा । तिहा धुर्व साइ अध्धुवं संतं दुचरिमखीणभवन्ता । निहादुगचोदसाऊणि ॥१३३॥ तिसु मिच्छत् नियमा, अहसु ठाणेसु होइ भइयव्वं । सासायणं मि नियमा, सम्मं भज दससु संतं ॥१३४॥ सागणमीसे मीसं सन्तं नियमेण नवसु भइयव्वं । सासायणंत नियमा, पंचम भज्जा अयो पढमा ॥१३५ मल्झिल्लहकसाया, ताजा अणियहिखवगसंखेया । भागा तो संखेया, ठिइखंडा जाव गिद्धितिगं ॥१३६॥ थावरतिरिगइदोदो, थायावेगिंदिविगलसाहारं ।। नरयदुगुज्जोयाणि य, दसाइमेगंततिरिजोग्गा ॥१३७॥ एवं नपुंसइत्थी सन्तं छक्कं च बायर पुरिसुदए । समऊगाओ दोन्निउ, थावलियायो तथो पुरिसं ॥ इस्थीउदए नपुंसं, इत्थीवेयं च सत्तगं च कमा। अपुमोदयंमि जुगवं, नपुंसइत्थी पुणो सत्त ॥१३९।। संखेजा ठिइखंडा, पुणोवि कोहाइलोभसुहुमत्ते। Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आसज्ज खवगसेढी, सव्वा इयराइ जा संतो ॥१४॥ सवाणवि आहार, सासणमीसेयराण पुण तित्थं । उभये संति न मिच्छे, तित्थगरे अंतरमुहुत्तं ॥१४१॥ अन्नयरवेयणीयं, उच्चं नामस्स चरमउदयाओ। मणुयाउ अजोगंता सेसा उ दुचरिमसमयंता ॥१४२॥ मूलठिई अजहन्ना तिहा चउद्धा उ पढमयाण भवे। धुवसंतीणंपि तिहा, सेसविगप्पाऽधुवा दुविहां ॥१४३॥ बंधुदउक्कोसाणं उक्कोसठिई उ संतमुक्कोसं । तं पुण समयेणूणं अणुदयउक्कोसबंधीणं ॥१४४॥ उदसकमउक्कोसाण, आगमो सालिगो भवे जेहो। सन्तं अणुदयसंकमऊक्कोसाणं तु समऊणो ॥१४५॥ उदयवईणेगठिई अणुदयवइयाणु दुसमया एगा। होइ जहन्नं सत्तं दसह पुण संकमो चरिमो ॥१४६॥ हासाइ पुरिसकोहाइ, तिन्नि संजलण जेण बंधुदए वोछिन्ने संकामइ तेण इहं संकमो चरिमो ॥ १४७॥ जावेगिंदिजहन्ना नियगुक्कोसा हि ताव ठिइठाणा। नेरंतरेण हेठा खवणाइसु संतराइंपि॥ १४८ ॥ Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २१५) संकमतुल्लं अणुभागसंतयं नवरि देसघाईणं । हासाईरहियाणं जहन्नयं एगठाणं तु ॥ १४९ ॥ मणनाणे दुट्ठाणं देसघाई य सामिणो खवगा। अंतिमसमये सम्मत्तवेयखीणत्तलोभाणं ॥ १५० ॥ महसुयचख्खुधचख्खू, सुयसम्मत्तस्स जेट्ठलद्धिस्स । परमोहिस्सोहिदुगे, मणनाणे विपुलनाणिस्त ॥१५१॥ अणुभागहाणाई तिहा कमा ताणसंखगुणियाणि । बंधा उध्वट्टोवट्टणाउ अणुभागघायाओ॥ १५२ ॥ सत्तण्हं अजहन्नं, तिविहं सेसा दुहा पएसंमि। मूलपगईसु उस्स, साइ अधुवाय सव्वेवि ॥१५३॥ सुभधुवबधितसाई, पणिंदिचउरंसरिसभसायाणं । संजलणुस्साससुभखगइपुंपराघायणुक्कोसं ॥ १५४ ॥ चउहा धुवसंतीणं, अणजससंजलणलोभवजाणं । तिविहमजहण्ण चउहा, इमाण छण्हं दुहाणुत्त।१५५॥ संपुण्णगुणियकम्मो, पएसउक्कस्ससंतसामीओ। तस्सेव सत्तमीनिग्गयस्स काणं विसेसो वि ॥१५६॥ मिच्छमीसेहिं कमसो, संपक्खित्तेहिं मीससम्मेसु । Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१६ वरिसधरस्स उ ईसाणगस्स चरिमम्मि समयम्मि ॥ ईसाणे पूरित्ता, नपुंसर्ग तो असंखवासीसु । पल्लासखियभागेग, पुरए इत्थीवेयस्त ॥१५८|| जो सबसंकमेणं,, इस्थिपुरिसम्मि बुहइ सो सामी। पुरिसस्स कम्मसंजलणयाण सो चेव संछोभे ॥१५९॥ चउरुवसामिय मोहं, जसुच्चसायोण सुहुमखवगंते । जं असुभपगइदलियरस संकमो होइ एयासु ॥१६॥ अद्धाजोगुक्कोसेहिं देवनिरयाउगाण परमाए। परमं पएस संतं, जा पढमो उदयसमओ सो॥१६॥ सेसाउगाणि नियगेसु, चेव योगंतु पुवकोडीए। सायबहुलस्स अचिरा, बंधते जाव नो वट्टे ॥१६२॥ पूरित्त पुवकोडी-पुहुत्तनारयदुगस्स बंधते । एवं पलियतिगंते, सुरदुगवेउवियदुगाणं ॥१६३॥ तमतमगो अइखिप्पं, सम्मत्तं लभिय तंमि बहुगद्धं । मणुयदुगस्सुक्कोसं, सवज्जरिसभस्स बंधते ॥१६४॥ बेछावहिचियाण, मोहस्सुवसामगस्स चउखुत्तो। सम्मधुवंबारसण्हं, खवगंमि सबंधअंतम्मि ॥१६५। Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१७ सुभथिरसुभधुवियाणं, एवं चिय होइ संतमुक्कोसं । तित्थयराहाराणं, नियनियगुक्कोसबंधते ॥ १६६ ॥ तुल्ला नपुंसगेणं, एगिंदिय थावरायवुजोया । सुहुमतिगं विगलावि य, तिरिमणुयचिरच्चिया नवरिं ॥ ओहेण खवियकम्मे, पएससंतं जहन्नयं होइ । नियसंकमस्स विरमे, तस्सेव विसेसियं मुणसु ॥१६८॥ उव्वलमाणीणेगठिई, उव्वलए जया दुसामइगा। थोवद्धम जियाणं, चिरकालं पालिआ अंते ॥१६९॥ अंतिमलोभजसाणं, असेढिगाहापवत्तअन्तमि। मिच्छत्तगए आहारगस्स सेसाणि नियगंते ॥१७०॥ चरमावलिप्पविद्या, गुणसेढी जासि अस्थि न य उदओ आवलिगा समयसमा, तासिं खलु फडगाई तु ।। सव्वजहन्नपएसे, पएसवुड्डीएणतया भेया । ठिइठाणे ठिइठाणे, विन्नेया खवियकम्माओ ॥१७२ ।। एगहिइयं एगाए, फड्डुगं दोसु होइ दोडिइगं । तिगमाईसुवि एवं, नेयं जावंति जासिं तु ॥ १७३ ॥ श्रावलिमेत्तक्कोसं, फड्डुगमोहस्स सव्वघाईणं । Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २१८ तेरसनामतिनिहाण, जाव नो आवली गलइ १७४ खीणद्धासखंस, खीणताणं तु फड्डुगुक्कोसं । उदयवईणेगहिथं, निदाणं एगहीणं तं ॥ १७५ ॥ अज्जोगिसंतिगाणं, उदयवईणं तु तस्स कालेणं । एगाहिगेण तुल्लं, इयराणं एगहीणं तं ॥ १७६ ॥ ठिइखंडाणइखुड्डं, खीगसजोगीण होइ जं चरिम । तं उदयवईणहियं, अन्नगए तूणमियराणं ॥ १७७॥ जं समयं उदयवई, खिज्जइ दुचरिमयन्तु ठिइठाणं । अणुदयवइए तम्मी, चरिमं चरिमंमि जं कमइ ।१७८ जावइयाउ ठिईओ, जसंतलोभाणहापवत्तंते । तं इगिकड्डु संते, जहन्नयं अकयसेढिस्स ॥ १७९ ॥ अणुदयतुल्लं उव्वलणिगाण जाणिज दीहउव्वलणे । हासाईणं एगं, संछोभे फड्डगं चरमं ॥१८०॥ बन्धावलियाईयं, आवलिकालेण बीइठिइहिंतो । लयठाण लयठाणं, नासेई संकमेणं तु ॥१८॥ संजलणतिगे दुसमय-हीणा दो आवलीण उक्कोसं। फड्डु बिईय ठिइए, पढमाए अणुदयावलिया ॥१८२॥ Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१९) श्रावलियदुसम ऊणा-मेत्तं फहूं तु पढमठिइविरमे । वेयाण वि बे फड्डा ठिई दुर्ग जेण तिण्हं पि ॥१८॥ पढ मठिईचरमुदये, बिइयठिईए व चरमसंछोमे। दो फड्डा वेयाणं, दो इगि संतंहवा एए ॥१८४|| चरमसंछोभसमए, एगाठिई होइ स्थीनपुंसाणं। पढमठिईए तदंते, पुरिसे दोश्रालिदुसमूणं ॥१८५॥ ॥ इति श्रीपञ्चमं बन्धविधिद्वारम् ॥ ॥ अथ कर्मप्रकृतिसंग्रहः ॥ बंधनकरणम् ॥ मिऊण सुयहराणं वोच्छं करणाणि बंधणाईणि । संकमकरणं बहुसो अइदिसियं उदयसंते जं ॥१॥ आवरणदेससव्वक्खएण दुविहेहवीरियं होइ। अहिसंधिअणहिसंधी अकसाइ सलेसउभयपि ॥२॥ होइ कसाइ वि पढम इयरमलेसी विजंसलेसं तु। गहणपरिणामफंदणरूवं तं जोगयो तिविहं ॥३॥ जोगो विरियं थामो उच्छाह परक्कमो तहा चेट्ठा। सत्ती सामत्थं ति य जोगस्स हवंति पजाया ॥४॥ Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २२०) पन्नाए अविभागं जहन्नविरियस्स वीरियं छिन्नं । एक्केकस्स पएसस्स असंखलोगप्पएससमं ॥५॥ सवप्पवीरिएहिं जीवपएसाह वग्गणा पढमा । बीयाइ वग्गणाओ रूवुत्तरिया असंखायो ॥६॥ ताओ फगडमेगं अओ परं नत्थि रूववुड्डिए । जाव असंखा लोगा पुत्वविहाणेण तो फड्डा ॥७॥ सेढी असंखभागिय फड्डेहिं जहण्णयं हवइ ठाणं । अंगुल असंखभागुत्तराहिं भूओ असंखाई ॥८॥ सेढीयसंखियभागं गंतुं गन्तुं भवंति दुगुणाई। फड्डाइं ठाणेसु पलियासखंसगुणयारा ॥ ९ ॥ वटुंति व हायंति व चउहा जीवस्स जोगठाणाई । आवलिअसंखभागंतमुहत्तमसंखगुणहाणी ॥१०॥ जोगहाणठिईओ चउसमया अह दोणि जा तत्तो अगुभयठिइजायो नायव्वा परमसंखगुणियाणं ॥११ सुहुमेयराइयाणं जहण्णउक्कोसपज्जपजाण । __ आसज्ज असंखगुणाणि होति इह जोगठाणाणि ॥१२॥ जोगणुरूवं जीवा परिणामंतीह गिहिउं दलियं । Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२१ भासाणापाणमणोचियं च अवलंबए दव्वं ॥१३॥ एक्कपएसाइ अणतजाओ होऊण होति उरलस्स ।। अजोगंतरिआओ वग्गणाओ अणंताओ ॥ १४ ॥ ओरालविउबारहारश्तेय४भासा ५णुपाणक्ष्मणकम्मेट अह दव्ववग्गणाणं कमो विवज्जासयो खित्ते ॥१५॥ कम्मोवरि धुवेयर सुन्नापत्तेय सुन्नबायरगा। सुन्ना सहुमे सुन्ना महखंधे सगुणनामाओ ॥१६॥ सिद्धाणंतसेणं अहव अभव्वेह पंतगुणिएहिं । जुत्ता जहन्नजोग्गा उरालाईणं भवे जेठा ॥ १७ ॥ पंचरस पंचवणेहिं परिणया अहफासदोगंधा । जावाहारगजोग्गा चउफासविसेसिया उवरिं ॥१८॥ अविभागाइनेहेण जुत्तया ताव पोग्गला अस्थि । सव्वजियाणंतगुणेण जाव नेहेण संजुत्ता ॥ १९ ॥ जे एगनेहजुत्ता ते बहवो तेहिं वग्गणा पढमा। जे दुगनेहाइजुया असंखभागूण ते कमसो ॥२०॥ इय एरिसहाणीए जति अणंताउ वग्गणा कमसो । संखसूणा तत्तो संखगुणूणा तओ कमसो ॥ २१ ॥ Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२२ तत्तो असंखगुणणा अणंतगुण ऊणिया वि तत्तो वि । गंतुमसंखलोगा श्रद्धद्धा पोग्गला भूय ॥२२॥ पढमहाणीए एवं बीयाए संखवग्गणा गंतुं । अद्धं उवरित्थाम्रो हाणीओ होति जा तीए ॥२३॥ थोवाओ वग्गणायो पढमहाणीए उवरिमासु कमा। होति अणंतगुणाओ अणंतभागो पएसाणं ॥२४॥ पंचण्हसरीराणं परमाणूणं मतीए अविभागो। कप्पिययाणेगंसो गुणाणु भावाणु वा होति ॥२५॥ जे सबजहण्णगुणा जोग्गा तणुबंधणस्स परमाण । तेवि य संखासंखगुणपलिभागे अइक्कंता ॥२६॥ सबजीयाणंतगुणेण जे उ नेहेण पोग्गला जुत्ता। स ते वग्गणा उ पढमा बंधणनामस्स जोग्गायो ॥२७॥ अविभागुत्तरियाओ सिद्धाण अणंतभागतुल्लाओ। ताओ फड्डगमेगं अणंतविवराई इय भूय ॥२८॥ जइम इच्छसि फड्ड तत्तियसंखाए वग्गणा पढमा। गुणिया तस्साइल्ला रूवुत्तरियाओ अणंताथो ॥२९॥ अभवाणंतगुणाई फड्डाइं अंतराउ रूवुणा । Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२३ दोतरडीओ परंपरा हांति सव्वा ॥ ३० ॥ पढमा उ अणंतेहिं सरीरठाणं तु होइ फडेहिं । तयांतभागवुड्डी कंडगमेत्ता भवे ठाणा ॥ ३१ ॥ एक्कं असंखभागुत्तरेण पुरा पंतभागवुड्ढीए । कंडगमेत्ता ठाणा असंखभागुत्तरं भूय ||३२|| एवं असंखभागु - तराणि ठाणाणि कंडमेनापि । संखेज्जभागवुडुं पुण अन्नं उठए ठाणं ॥ ३३ ॥ अमुयंतो तह पुव्वुत्तराइं एयंपि नेसु जा कंडं । इय एयविहाणेणं च्छविहवुड्डी उ. ठाणेसु ॥ ३४ ॥ अस्संखलोग तुला अपंतगुणरसजुवाय इयठाया । कंडति एत्थ भन्नइ अंगुलभागो असंखेजो ||३५|| होत ओगो जोगो तहाणवित्रडूणाए जो उ रसो परिवढेइ जावो-पओगफडं तयं बेंति ॥ ३६ ॥ अविभाग वग्गफड्डुगांतरठाणाई एस्थ जह पुष्वि । ठाणाई वग्गणाओ अयंतगुणणाएं गच्छति ॥ ३७॥ तिपहंपि फड्डगाणं; जहण्णउक्कोसगा कमा ठविउं । या तगुणाओ वग्गणा मेहफा 1 ||३८|| Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२४ अणुभागविसेसायो मूवुत्तरपगइभेयकरणं तु । तुल्लस्साविदलस्सा पयईओ गोणनामायो ॥३९॥ ठितिबंधो दलस्स ठिई पएसबंधो पएसगहणं जं । ताण रसो अणुभागो तस्समुदायो पगतिबंधो ॥४०॥ मुलुत्तरपगईणं पुट्विं दलभागसंभवो वुत्तो। रसभेएणं इत्तो मोहावरणाण निसुणेह ॥४१॥ सव्वुक्कोसरसो जो मूलविभागस्सणंतिमो भागो । सव्वघाईण दिज्जइ सो इयरो देसघाईणं ॥ ४२ ॥ उक्कोसरसस्सद्धं मिच्ने अद्ध तु इयरघाईणं । सञ्जलणनोकसाया सेसं अद्धद्धयं लेति ॥ ४३ ॥ जीवस्सझवसाया सुभासुभासंखलोगपरिमाणा। सव्वजीयाणन्तगुणा एक्केक्के होति भावाणू ॥४४॥ एक्कज्झवसायस-मज्झियस्स दलियस्स किंरतो तुल्लो न हु हेति गन्तभेया साहिजन्ते निसामेह ॥४५॥ सव्वप्परसे गेण्हइ जे बहवे तेहिं वग्गणा पढमा । अविभागुत्तरिएहिं अन्नाओ विसेसहीणेहिं ॥ ४६ ॥ दव्वेहिं वग्गणाओ सिद्धाणमणन्तभागतुल्लाओ। Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२५ एयं पढम फडं अश्रो परं नस्थि रूवहिया ॥४७॥ दारं सम्वजियाणंतगुणा पलिभागा लंघिउं पुणो अन्नो। एवं हवंति फड्डा सिद्धाणमणंतभागसमा ॥४८॥ एयं पढमं ठाणं एवमसंखेजलोगठाणाणं । समवग्गणाणि फडाणि तेसिं तुल्लाणि विवराणि १९ ठाणाणं परिवुड्डी-छहाणकमेण तं गयं पुट्वि ।। भागो गुणो य कीरति जहुत्तरं एत्थ ठाणाणं ॥५०॥ बाणगअवसाणे अन्नं ठाणयं पुणो धन्नं । एवमसंखा लोगा छहाणाणं मुणेयव्वा ॥५१॥ सव्वासिं वुड्ढीण कंडगमेत्ता अणंतरा वुड्डी। एगंतरा उ वुड्डी वग्गो कंडस्स कंडं च ॥ ५२ ॥ कंडं कंडस्स घणो वग्गो दुगुणो दुगंतराए उ । कंडस्स वग्गवग्गो घणवग्गा तिगुणीआ कंडं ॥५३॥ थड कंडवग्गवग्गा वग्गा चत्तारि छग्घणा कंडं । चउअन्तर वुड्डीए हेहाणपरूवणया ॥ ५४॥ परिणामपच्चएणं एसा णेहस्स छव्विहा वुड्डी । हाणी व कुणंति जिया आवलिभागं असंखेज ॥५५॥ Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२६) अन्तमुहुत्तं चरिमा दोवि समयं तु पुण जहण्णेणं । जवमज्झविहाणेणं एत्थ विगप्पा बहुठिईया ॥५६॥ कलिबारतेयकडजुम्म- सन्निया हेति रासिणो कमसो एगाइसेसगा चउहियंमि कडजुम्म इह सव्वे ॥५७॥५ हुमगणिं पविसन्ता चिटुंता तेसि कायठितिकालो कमसो असंखगुणिया तत्तो अणुभागठाणाई ॥५८॥५॥ सव्वत्थोवा ठाणा अणंतगुणणाए जे उ गच्छंति । तत्तो असंखगुणिया--णतरवुड्डीए जह हेट्ठा ॥ ५९ ॥ होति परंपरबुड्डीए थोवगाणतभागवुढा जे । अस्संखसंखगुणिआ एक दो दो असंखगुणा ॥६॥ एगट्टाणपमाणं अंतर ठाणा निरन्तरा ठाणा। कालो वुझी जवमज्झ फासणा अप्पबहु दारा ||६१॥ एक्केक्कंमि असंखा तसेयराणतया सपाउगे। एगाइ जाव थावलिथसंखभागो तसा ठाणे ॥ ६ ॥ तसजुत्तठाणविवरेसु सुण्णया हांति एक्कमाईथा। जाव असंखा लोगा निरन्तरा थावरा ठाणा ॥३॥ दो आइ जाव श्रावलि असखभागो निरन्तरतसेहिं । Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२७) नाणा जिएहिं ठाणं असुण्णयं आवलिअसंखं ॥ ६४ ॥ जवमज्झम्मि य बहवो विसेसहीणाओ उभयओ कमसो गंतुमसंखा लोगा अद्धद्धा उभयओ जीवा ॥ ६५ ॥ आवलि असंखभागं तसेसु हाणीण होइ परिमाणं । हाणिदुगन्तरहाणा थावरहाणी असंखगुणा ॥ ६६ ॥ जवमज्झे ठाणाइं असंखभागो उ सेसठाणाणं । हेमि हांति थोवा उवरिंमि संखगुणियाणि ॥ ६७ ॥ दुग चउरट्ठतिसमइग सेसा य असंखगुणणया कमसो कालेऽईए पूछा जिएण ठाणा भमंते ॥ ६८ ॥ तत्तो विसेस हियं जवमज्झा उवरिमाइं ठाणाई । तत्तो कंडगट्ठा तत्तो वि हु सवठाणाई ॥ ६९ ॥ फासणकालप्पबह जह तह जीवाण भणसु ठाणेसु । अणुभागबन्धठाणा अज्झवसाया व एगट्ठा ॥ ७० ॥ ठितिठाणे ठिइठाणे कसाय उदया असंखलोगसमा एक्क्कसाद एवं अणुभागठाणाई ॥ ७९ ॥ थोवाणुभागठाणा जहण्णठितिपढमबंधहेउम्मि । तत्तो विसेसमहिया जाचरमाए चरमहेऊ ॥ ७२ ॥ Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२८) गंतुमसंखा लोगा पढमाहितो भवंति दुगुणाणि । आवलियसंखभागो दुगणठाणाण संवग्गो ॥ ७३ ॥ असुभपगईणमेवं इयराणुक्कोसगम्मि ठिइबन्धे । सव्वुक्कोसगहेज उ होइ एवंचिय असेसं ॥ ७४ ॥ थोवाणुभागठाणा जहण्णठितिबंध असुभपगईणं । समयवुड्डीए किंचि हिवाई सुहियाण विवरीयं ॥७५॥ पलिया संखियमेत्ता ठितिठाणा गंतु गंतु दुगुणाई । आवलिअसंखमेत्ता गुणा गुणंतरमसंखगुणं ॥ ७६ ।। सव्वजहण्णठिईए सव्वाण वि आउगाण थोवाणि । ठाणाणि उत्तराखं असंखगुणणाए सेढीए ॥ ७७॥ गंठीदेसे सण्णी अभठवजीवस्स जो ठिईबंधो। ठिइवुड्डीए तस्स उ बन्धा अणुकड्डिओ तत्तो ॥७८॥ वग्गे वग्गे अणुकड्डि तिव्वमंदत्तणाइं तुल्लाइं। उवधाय घाइपयडी कुवण्णनवगं असुभवग्गो ॥७९॥ परघाय बन्धणतणू अंगसुवण्णाइतित्थनिम्माणं । अगुरुलहसासतिगं संघाय छयालसुभवग्गो ॥ ८० ॥ सायं थिराइ उच्चं सुर-मणुदोदो पणिदि चउरंसं । Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२९) रिसहपसत्थविहगइ सोलस परियत्तसुभवग्गो ॥ ८१॥ अस्सायथावरदसं नरयदुर्ग विहगई य अपसत्था। पंचिंदिरिसभचउरंसगेयरा असुभघोलणिया ॥८२।। मोत्तुमसंखं भागं जहन्नठिइठाणगाण सेसाणि । गच्छंति उवरिमाए तदेकदेसेण अण्णाणि ॥ ८३ ॥ एवं उवरिं हुत्ता गंतूणं कंडमेत्तठितिबंधा।। पढमठितिठाणाणं अणुकड्डी जाइ परिणिहं ॥ ८४ ॥ तदुवरिम आइयासु कमसो बीयाईयाण निहाइ । ठितिठाणाणणुकड्डी बाउक्फरसं ठिई जाव ॥ ८५ ॥ उवघायाईणेवं एसा परघायमाइसु विसेसो। उक्कोसठिईहिंतो हेट्ठमुहं कीरइ असेसं ॥ ८६ ।। सप्पडिवक्खाणं पुण असायसायाईयाण पगईणं । ठावेत्थ ठिईठाणा अन्तोकोडाइ नियनियगा ॥८७॥ जा पडिवक्खक्कंता ठिईओ ताणं कमो इमो होई। ताणन्नाणि य ठाणा सुद्धठिईणं तु पुवकमो ॥८८॥ मोत्तण नियमियराऽसुभाण जो जो जहन्नठितिबन्धो नियपडिवक्खसुभाणं ठावेयवो जहण्णयरो ॥८९॥ Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३० पडिवक्खजहन्नयरो तिरिदुगनीयाण सत्तममहीए । सम्मत्ताईए तओ अणुकड्डी उभयवग्गे ॥ ९० ॥ अारस कोडी परघायकमेण तसचउक्के वि । कंडं निवत्तणकंडगं च पलस्सऽसंखंसो ॥ ९१ ॥ जा निव्वत्तणकंडं जहपठितिपढमट्टाएगेहिं तो । गच्छंति उवरिहत्तं णंतगुणणाए सेढीए ॥ ९२ ॥ तत्तो पढमठितीए नक्कोसं ठाणगं अनंतगुणं । तत्तो कंडग उवरिं यउक्कस्से नए एवं ॥ ९३ ॥ उक्कोसाएं कंडं अनन्तगुणणाए तन्नाए पच्छा । उवघायमाइयाणं इयराणुक्कोसगाहिंतो || ९४ ॥ अस्सायजहण्णडिइठाणेहिं तुल्लयाई सव्वाणं । आपडिवक्खक्कंतगठिई ठाणाई हीणाई ॥९५॥ तत्तो अनंतगुणणाए जति कंडस्स संखिया भागा ॥ ततो अनंतगुणियं जहण्णठिति उक्कसं ठाणं ॥ ९६ ॥ एवं उक्करसाणं अंतगुणणाए कंडगं वयइ । एक्कं जहण्णठाएं जाइ परककंतठाणायं ॥ ९७ ॥ उवरिं उवघावसमं सायस्स वि नवरि उक्कसट्टिईओ Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३१) ते सुवघायसमं मज्झे नीयस्स सायसमं ॥९८॥ संजयबायरसुहुमग पज अजाण हीणमुक्कोसो । एवं विगलाsसन्नि सञ्जयउक्कोसगो बन्धो ॥ ९९ ॥ देसदुगविरय चउरो सण्णीपञ्चेन्दियस्स चउरो य । संखेज्ज गुणा कमसो सञ्जयउक्कोसगाहिंतो ॥१००॥ थोवा जहन्नबाहा उक्कोसा बाहठाण कंडाणि । उक्कोसिया अवाहा ना पएसन्तरा तत्तो ॥ १०१ ॥ एगं पसविवरं अब्बाहाकण्डगस्स ठाणाणि । ही ठिई ठिठाणा उक्कोसठिई तो यहिया १०२ या उसु जहन्नवाहा जहन्नबन्धो अवाह ठापाणि । उक्कोसवाहणाणंतराणि एगन्तरं तत्तो ॥ १०३ ॥ ठितिबन्धठाणाई उक्कोसटिई तओ वि अम्भहिआ । सण्णिसु अप्पाबहुयं दसभेयं इमं भणियं ॥ १०४॥ ठिठाणे ठिइठाणे अज्झवसाया असंखलोगसमा । कमसो विसेस हिय। सत्तण्हाउस्सऽसंखगुणा ॥ १०५ पल्लासंखसमायो गन्तृण ठिईइ होति ते दुगुणा । सत्तण्हऽज्झवसाया गुणगारा ते असंखेजा ॥ १०६ ॥ Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३३ ठितिदीहयाए कमसो असंखगुणणाए हेति पगईणं अज्झवसाया आउग-नामगदुविहमोहाणं ॥१०७॥ सवजहन्नस्स रसो अणतगुणियो य तस्स उक्कोसो ठितिबन्धे ठिइबन्धे अज्झवसाओ जहाकमसो ॥१०८ धुवपगडीबन्धंता चउठाणाई सुभाण इयराणं । दो ठाणगाइतिविहं सहाणजहन्नगाईसु ॥१०९॥ चउदुट्ठाणाइ सुभासुभाण बन्धे जहन्नधुवठिईसु । थोवा विसेसअहियो पुहुत्तपरओ विसेसूणा ॥११०॥ पल्लाऽसंखियमूला गन्तु दुगुणा हवन्ति अद्धा य । नाणा गुणहाणीणं असंखगुणमेगगुणविवरं ॥ १११ ।। चउठाणाईजवमज्झ हेउवरिं सुभाण ठितिबन्धा ॥ संखेज्जगुणा ठिइठाणगाई असुभाण मीसाय ॥११२॥ ॥ इति बन्धनकरणम् ॥ ॥ अथ संक्रमकरणम् ॥ Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३३) ॥अथ संक्रमकरणम् ॥ बज्झंतियासु इयरा ताओ वि य संकमंति अन्नोन्नं । जा संतयाए चिहहिं बंधाभावे वि दिट्ठीओ ॥१॥ संकमइ जासु दलियं ताओ उ पडिग्गहा समक्खाया। जा संकमावलियं करणासज्झं भवे दलियं ॥२॥ नियनिय दिट्टि न केइ दुइया तइज्जा न दसतिगंपि । मीसम्मि न सम्मत्तं दसकसाया न अन्नोन्नं ॥३॥ संकामंति न आउ उवसंतं तहय मूलपगईथो। पगइठाणविभेया संकमणपडिग्गहा दुविहा ॥४॥ खय उवसमदिहीणं सेढीए न चरिमलोभसंकमणं । खवियहगस्स इयराइ जंकमा होइ पंचण्हं ॥५॥ मिच्ने खविए मीसस्स नस्थि उभए वि नत्थि सम्मस्स। उबलिएसुं दोसु पडिग्गहया नत्थि पिच्छस्स ॥६॥ दुसु तिसु आवलियासु समयविहीणासु थाइमठिईए। सेसास संजलणयाएं न भवे पडिग्गहया ॥७॥ धुवसंतीणं चउहेह-संकमो मिच्छणीयवेयणीए। साईअधुवो बंधोव होइ तह अधुवसंतीणं ॥८॥ साअणजसदुविहकसायसेसदोदसणाजइपुव्वा । Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३४) संकामगंत कमसो समुच्चाणं पढमदुइया ॥९॥ चउहा पडिग्गहत्तं धुवबंधीणं विहाय मिच्छत्तं। मिच्छाऽधुवबंधीणं साइ अधुवा पडिग्गहया ॥१०॥ संतहाणसमाइं संकमठाणाई दोणि बीयस्स। बंधसमा पडिग्गहया अहहिया दो वि मोहस्स ॥११॥ पण्णरस सोलसत्तर अडचउवीसा य संकमे नत्थि । अदुवालस सोलस वीसा य पडिग्गहे नत्थि ॥१२॥ संकमणपडिग्गहया पढमतइज्जहमाण चउभेया । इगवीसो पडिग्गहगो पणवीसो संकमो मोहे ॥१३॥ दसणवरणे नवगो संकमणपडिग्गहो भवे एवं । साई अधुवा सेसा संकमणपडिग्गहट्ठाणा ॥ १४ ॥ नवछक्कचउक्केसु नवगं संकमइ उवसमगयाणं । खवगाण चउसु छक्कं दुइए मोहं अयो वोच्छं।।१५॥ लोभस्स असंकमणा उठवलणा खवणतो च्छ सत्तण्हं उवसंताणवि दिछीणं संकमा संकमा नेया ॥ १६ ॥ आमीसं पणवीसो इगवीसो मीसगाओ जा पुत्वो । मिच्छखवगे दुवीसो मिच्छे य तिसत्तच्छव्वीसा ॥१७॥ Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २३५ ) खवगस्स सबन्धच्चिय उवसमसेढीए सम्ममीसजुया मिच्छखवगे ससम्मा अट्ठारस इय पडिग्गहया || १८ || दसगद्वारसगाई चनचउरो संकमंति पंचमि । सत्तठ चउ दसिगारस बारसद्वारा चउक्कम्मि ॥ १२ ॥ तिन्नि तिगाइसत्तड नव य संकमिगारस तिगंमि । दो बगदुपंच य इगि एक्कं दोणि तिष्णिपणा ॥ २ पणवीसो संसारिसुइगुवीसे सत्तर से य संकमइ । तेरस चोदस छक्के वीसा छक्के य सत्तेय ॥ २१ ॥ बावीसे गुणवीसे पन्नरसेक्कारसेसु छ०वीसा । संकमइ सत्तावीसा मिच्छे तह अविरयाईणं ॥ २२ ॥ बावी सेगुणवीसे पण्णरसेक्कारसे य सत्ते य । तेवीसा संकमई मिच्छा विरयाइयाण कमा ॥ २३ ॥ अहारस चोदसदससत्तगेसु बावीस खीणमिच्छाएं । सत्तरस तेरनवसत्त- गेसु इगवीस संकमइ ॥ २४ ॥ दसगाइ चउक्कं एक्कवीसखवगस्स संकमहिं पंचे दस चत्तारि चउक्के तिसु तिन्नि दु दोसु एक्केक्कं ॥ २५८ ॥ अट्ठाराइ चउक्कं पंचे अद्वार बार एक्कारा । Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३६ चउसु इगारस नव अड तिगे दुगे अच्छप्पं च ॥२६॥ पण तिषण दोषिण एक्के जवसमसेढीए खइयदिहिस्स इयरस्स उ दो दोसु सत्तसु वासाइ चत्तारि ॥२७॥ छसु वीस चोदतेरस तेरेकारस य दस य पंचम्मि । दस अड सत्त चउक्के तिगम्मि सग पंच चउरो य गुणवीस पन्नरेकारसाइ तिति सम्मदेसविरयाणं । सत्त पणाइड पंच उ पडिग्गहा उभयसेढीसु ॥२९॥ पढमचउक्कं तित्थयर-वज्जियं अधुवसंततियजुत्तं । तिगपण छठवीसेसु संकमइ पडिग्गहेसु तिसु ॥३०॥ पढमं संतचउक्कं इगतीसे अधुवतिगजुर्थतं तु । गुणतीसतीसएसु जसहीणा दो चउक्क जसे ॥३१॥ पढमचउकं आइल्ल-वजियं दो अणिच्च आइल्ला। संकमहि अहवीसे सामी जहसंभवं नेया ॥ ३२ ॥ संकमइ नन्नपगई पगईओ पगइसंकमे दलियं । ठिति अणुभागा चेवं ठंति तहत्था तयणुरूवं ॥३३॥ दलियरसाणं जुत्तं मुत्तत्ता अन्नभावसंकमणं । ठितिकालस्स न एवं उउसंकमणमिव अदुई ॥३४॥ Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३७) ॥ इति प्रकृतिसङ्क्रमः ॥ उठवणं च श्रोणं च पगड़ंतरम्मि वा नयणं । बंधे व अबन्धे वा जं संकामो इइ ठिईए ॥ ३५॥ जासि बन्धनिमित्तो उक्कोसो बन्ध मूलपगईणं । ता बन्धुको साथ सेसा पुण संकमुक्कोसा ॥ ३६ ॥ बन्धुकोसाण ठिई मोन्तं दो यावलीए संकमइ । सेसा इयराणं पुण आवलियतिगं पमोत्तृणं ॥ ३७॥ तित्थयराहाराणं संकमणे बन्धसंतसुं पि । तो कोडाकोडी तहा वि ता संकमुक्कोसा ||३८|| एवइय संतया जं सम्मद्दिट्ठीण सव्वकम्मेसु । आऊणि बन्धउक्कोसगाणि जं नन्नसंकमणं ॥ ३९ ॥ गंतुं सम्मो मिच्छं तस्सुक्कोस ठि च काकणं । मिच्छियराणुक्कोसं करेति ठितिसंकमं सम्मो ॥४०॥ तोमुहुत्तहीणं आवलियदुहीण तेसु सट्टाणे । उक्कोस संकमपहू उक्कोसगबन्धगन्नासु ॥ ४१ ॥ बन्धुक्को साणं वलिए आवलिदुगेण इयराणं । हीणा सव्वा वि ठिई सो जहिइ संकमो भणिओ ४२ Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३८) साबाहा आउठिई आवलिगूणा उ जठिइ सट्ठाणे । एक्का ठिई जहन्नो अणुदइयाणं निहयसेसा ॥४३॥ जो जो जाणं खवगो जहन्नठिइसकमस्त सो सामी सेसाणं तु सजोगी अंतमुहुत्तं जओ तस्स ॥४४॥ उदयावलिए छोभो अन्नपगईए जो उ अतिमयो। सो संकमो जहन्नो तस्स पमाणं इमं होइ ॥४५॥ संजलणलोभनाणंतरायदंसणचउक्क आऊणं । सम्मत्तस्स य समयो सगआवलियातिभागम्मि॥४६॥ खविऊण मिच्छमीसे मणुयो सम्मंमि खविय सेसम्मि। चउगईओ वि उ होउ जहन्नठिति संकमस्सामी ॥४७ निदादुगस्स साहिय आवलियदुगं तु साहिए तंसे । हासाईणं संखेज वच्छरा ते य कोहम्मि ॥४८॥ पुंसंजलणेण ठिई जहणिया आवलिदुगेगूणा। अंतो जोगतीणं पलियासखंसइयराणं ॥ ४९ ।। मूलठिईण अजहण्णो सत्तण्हतिहा चउविहो मोहे । सेसविगप्पा साईअधुवा ठितिसंकमे होति ॥ ५० ॥ तिविहो धुवसंतीणं चउव्विहो तह चरित्तमोहाणं । Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३९ Cy अजहन्नो सेसासु दुविहा सेसा वि दुविगप्पा ॥५१॥ ॥ इति स्थितिसंक्रमः ॥ ठितिसंकमोव्व तिविहो रसंमि उठवणांइ विन्नेओ । रसकारणो नेयं घाइत्तविसेसण भिहाणं ॥५२॥ देसघाइरसेणं पगईओ होति देसघाईओ। इयरेणियरा एमेव ठाणसन्ना वि नेयव्वा ॥५३॥ सव्वघाई दुठाणो मीसायवमणुयतिरियआऊणं । इगदुठाणो सम्मम्मि तदियरो नासु जह हेहा ॥५४॥ दुछोणो चिय जाणं ताणं उक्कोसओ वि सो चेव । संकमइ वेयगे वि हु सेसासुक्कोसो परमो ॥५५!। एगहाणजहन्नं संकमइ पुरिससम्मसंजलणे। इयरासुं दोठाणिय जहन्न रससंकमे फडं ॥ ५६ ॥ बंधिय उक्कोसरस श्रावलियाओ परेण संकामे । जावंतमुहू मिच्छो असुभाण सव्वपयडीणं ॥५७॥ आयावुजोवोरालपढमसंघयणमणदुगाऊणं । मिच्छसम्मा य सामी सेसाणं जोगि सुभियाणं ॥५०॥ खवगस्संतरकरणे अकए घाईण जो उ अणुभागो। Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४० तस्स अणतो भागो सुहुमेगिंदिय कए थोवो ॥५९॥ सेसाणं असुभाणं केवलिणो जोउ होइ अणुभागो । तस्स अणंतो भागो असणिपंचिदिए होइ ॥६॥ सम्मदिछी न हणइ सुभाणुभागं दुवेवि दिट्ठीणं । सम्मत्तमीसगाणं उक्कोसं हणइ खवगोवि ॥६१॥ घाईणं जे खवगा जहण्णरससकमस्स ते सामी । आऊण जहण्णठिईबन्धाओ आवली सेसा ॥१२॥ अणतित्थुव्वलणाणं संभवणा आवलीइ परएणं । सेसाणं इगि सहुमो घाइयअणुभागकम्मंसो ॥६३॥ साइयवज्जो अजहण्णसंकमो पढमदुइयचरिमाणं । मोहस्स चउविगप्पो आउस्सऽणुक्कोसओ चउहा॥६४ साइयवज्जो वेणियनामगोयाण होइ अणुक्कोसो । सव्वेसु सेसभेया साई अधुवा य अणुभागे ॥६५ ॥ अजहन्नो चउभेओ पढमगसंजलणनोकसायाणं। साइयवजो सोच्चिय जाणं खबगो खवियमोहो ॥६६॥ सुभधुवचउवीसाए होइ अणुक्कोस साइपरिवज्जो । उज्जोयरिसभओरालियाण चउहा दुहा सेसा ॥६७ Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४१) ॥ इति रससंक्रमः ॥ विज्झाउव्वलणअहापवन्तगुणसव्वसंकमेहि अणू | जन्ने अण्णपगई पएससंकामणं एयं ॥ ६८ ॥ जाणं न बन्धो जायइ आसज्ज गुणं भवं व पगईणं । विज्झाओ ताणगुलअसंखभागेण अन्नत्थ || ६९ ॥ पलियस्सऽसंखभागं अंतमुहुत्तेण ठिईए उव्वलइ । एवं पलिया संखियभागेणं कुणइ निल्लेवं ॥ ७० ॥ पढमा बीखंड विसेसही ठिईए अवणेइ । एवं जाव दुरिमं असंखगुणियं तु अंतिमयं ॥ ७१ ॥ खंडदलं सट्टा समए समए असंखगुणणाए । सेढीए परठाणे विसेसहीणाए संतुभइ ॥ ७२॥ दुचरिमखंडस्स दलं चरिमे जं देइ सपरठाणम्मि । तम्माणेणस्स दलं पल्लंगुल संख भागेहिं ॥ ७३ ॥ एवं उब्वलणासकमेण णासेइ अविरो हार । सम्मोऽणमिच्छमीसे छत्तीस नियहि जा माया ॥७४॥ सम्ममीसाई मिच्छो सुरदुगवे उचिछक्कमेगिंदी | सुहुमतसुच्च मणुदुगं अंतमुहुतेण अनिट्टी ॥ ७५ ॥ Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४२ संसारत्था जीवा सबन्धजोगाण तहलपमाणा । संकामंतणुरूवं अहापवत्तीए तो नामं ॥ ७६ ।। असुभाण पएसग्गं बझंतीसु असंखगुणणाए। सेढीए अपुव्वाई छुभन्ति गुणसङ्कमो एसो ॥७७॥ चरमठिईए रइयं पइसमयमसंखियं पएसग्गं । ता छुभइ अन्नपगई जावंते सव्वसंकामो ॥७॥ वाहिय अहापवत्तं सहेउणाहो गुणो व विज्झाओ। उव्वलणसंकमस्सवि कसिणो चरमम्मि खंडम्मि ॥७९ पिंडपगईण जा उदयसंगया तीए अणुदयगयाओ। संकामिऊण वेयइ जं एसो थिबुगसंकामो ॥८॥ गुणमाणेणं दलिय हीरन्तं थोवएण निहाइ। कालोऽसंखगुणेणं अहविज्झाउव्वलणगाणं ॥ ८१ ॥ जं दुचरिमस्स चरिमे सपरहाणेसुं देइ समयम्मि। ते भागे जहकमसो अहापवत्तव्वलणमाणे ॥ ८२ ॥ चउहा धुव छठवीसगसयस्स अजहन्नसंकमो होइ। अणुक्कोसो विहु वजिय उराल आवरणनवविग्धं ॥८३॥ सेसं साई अधुवं जहन्न सामी य खवियकम्मंसो। Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४३) ओरालाइसु मिच्छो उक्कोसस्सा गुणियकम्मो ॥८४ घायर तस कालूणं कम्मठिइ जो उ बायरपुढवीए। पज्जत्तापजत्तगदीहेयरबाउगो वसिउं॥ ८५॥ जोगकसा उक्कोसो बहसो आउं जहन्न जोगेण । बन्धिअ उवरिल्लासु ठिइसु निसेगं बहुं किच्चा ॥८६॥ बायरतसकालमेवं वसित्तु अंते य सत्तमखिईए । लहु पजत्तो बहुसो जोगकसायाहिओ होइ ॥८॥ जोगजवमज्झ उवरिं मुहुत्तमच्छित्त जीविअवसाणे । तिचरिमदुचरिमसमए पूरितु कसायमुक्कोसं ॥८॥ जोगुक्कोसं चरिमे दुचरिमसमए उ चरिमसमयम्मि। संपुन्नगुणियकम्मो पगयं तेणेह सामित्ते ।। ८९ ।। तत्तो तिरियागय आलिगोवरिं उरलएकवीसाए। सायं अणंतर बन्धिऊण आलीपरमसाए ॥ ९ ॥ कम्मचउक्के असुभाण बज्झमाणीण सुहुमरागन्ते । संबोभणम्मि नियगे चउवीसाए नियटिस्स ॥ ९१ ॥ संछोभणाए दोण्हं मोहाणं वेयगस्स खणसेसे । .. उप्पाइय सम्मत्तं मिच्छत्तगए तमतमाए ॥ ९२ ॥ Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २४४ ) भिन्नमुहुत्ते सेसे जोगकसाउक्कसाई काऊण | संजोयणा विसंजोयगस्स संछोभणा एसिं ॥ ९३ ॥ ईसाणागयपुरिसस्स इत्थियाए व अहवासाए । मास पुहुत्तन्भहिए नपुंसगस्स चरिमछोभो ॥ ९४ ॥ पूरित भोगभूमीसु जीविय वासाणिसंखयाणि तओ हस्तठि देवागय लहुछोभे इथिवेयस्स ॥९५॥ वरिलवरिस्थि पूरिय सम्मत्तमसंखवासियं लभिय । गन्तु मिच्छत्तमओ जहन्नदेवठिनं भोच्चा ॥ ९६॥ आगन्तु लहु पुरिसं संतुभमाणस्स पुरिसवेअस्स । तस्सेव सगे कोहस्स माणमायाणमवि कसिणो ॥ ९७ ॥ चउरुवसमित्त खिष्पं- लोभजसाणं ससंकमस्संते । चउसमगो उच्चस्स खवगो नीया चरिमबन्धे ॥ ९८ ॥ परघाय सकलतसचउ सुसरादिति सासखगति चउरंसं सम्मधुवा रिसभजुया संकामइ विरचिया सम्मो ॥९९ नरयदुगस्स विछोभे पुव्वको डीपुहुत्तनिचियस्स । थावरउज्जोयायवएगिंदीणं नपुंससमं ॥ १०० ॥ तेत्तीसयरा पालिय-तमुहुत्तृणगाई सम्मत्तं । Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४५) बन्धित सत्तमा निग्गम्म समए नरदुगस्स ॥ १०१ ॥ तित्थयराहाराणं सुरगइनवगस्स थिरसुभाणं च । सुभधुवबन्धीण तहा सगबन्धा आलिगं गन्तुं ॥१०२॥ सुहुमेसु निगोपसु कम्मठितिं पलियऽसंखभागूणं । सिउं मंदकसा जहन्नजोगो उ जो एइ ||१०३ ॥ जोग्गेसु तो तसेसु सम्मत्तमसंखवार संपप्प | देसविरइं च सव्यं ण उव्वलणं च अडवारा ॥ १०४ चउरुवसमित्त मोहं लहुं खवेंतो भवे खवियकम्मो | पाए तेण पयं पहुच काओ वि सविसेसं ॥ १०५ ॥ हा सदुभयकुच्छाणं खीणंताएं च बन्धचरिमम्मि । समए हापवत्तेण हिजुगले अणोहिस्स ॥ १०६ ॥ थीणतिगइत्थिमिच्छाण पालिय बे छसहि सम्मत्तं । सगखवणाए जहन्नो अहापवत्तस्स चरमम्मि ॥१०७ भधुवबन्धि अथिरतियगाणं । रइ सोग कसाय अस्सायरस य चरिमे यहापवत्तस्स लहु खवगे ॥ १०८ हस्तगुणपूरिय सम्मं मीसं च धरिय उक्कोस । काले मिच्छत्तगए चिरउव्वलगस्स चरिमम्मि ॥१०२ Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४६ संजोयणाए चउरुवसमित्त संजोयइत्तु अप्पद्धं । छावट्ठिदुर्ग पालिय अहापवत्तस्त अंतम्मि ॥११०॥ हस्सं कालं बंधिय विरओ याहारमविरइं गन्तुं । चिरउव्वलणे थोवो तित्थं बन्धालिगापरयो ॥१११॥ वेउविक्कारसगं उठवलियं बन्धिऊण अप्पद्धं । जेट्टहितिनारयाओ उध्वट्टित्ता अबन्धित्तु ॥११२।। थावरगसमुव्वलणे मणुदुगउच्चाण सुहुमबद्धाणं । एमेव समुव्वलणे तेजवाऊसुवगयस्स ॥ ११३ ॥ अणुवसमित्ता मोहं सायस्स असायचंतिमे बन्धे । पणतीसाए सुभाणं अपुवकरगालिगाअंते ॥११॥ तेवळं उदहिसयं गेविजाणुत्तरे अबन्धित्ता। तिरिदुग उज्जोयाइं अहापवत्तस्स अन्तम्मि ॥११५॥ इगिविगलायवथावरचउक्कमबन्धिऊण पणसीयं । अयरसयं छट्ठीए बावासयरे जहा पुव्वं ॥ ११६ ॥ दुसराइतिन्निनायासुभखगइसंघयणसंठिअपुमाणं । सम्मा जोगाणं सोलसहसरिसस्थिवेएणं ॥११७॥ समयाहि आवलीए आऊण जहन्नजोगबद्धाणं । Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (2819) उक्कोसा कांते नरतिरिया उरलसत्तस्स ॥ ११८ ॥ पुंसंजलपतिगाणं जहन्नजोगिस्स खवगसेढीए । सगचरिमसमयबद्धं जं छुभइ सगतिमे समए ॥ ११९॥ ॥ सङ्गमकरणं समाप्तम् ॥ ॥ अथ उद्वर्त्तनाऽपवर्त्तनाकरणम || उदयावलिवज्झाणं ठिईण उव्वहणा उ ठितिविसया सोक्कोस बाहाओ जावावलि होइ अइत्थवणा ॥ १ ॥ इच्छियठितिठाणाओ आवलियं संघिऊण तद्दलियं । सव्वेसु विनिक्खिप्पड ठितिठाणेसु उवरिमेसु ॥२॥ यावलिअसंखभागासु जाव कम्मठितित्ति निक्खेवो । समउत्तरावलीए साबाहाए भवे कणो ||३|| अबाहो वरिठाणगदलं पडुच्चेह परमनिक्खेवो । चरिमुव्वट्टणठाणं पडुच्च इह जायइ जहण्णो ॥ ४ ॥ उकोसगठितिबन्धे बन्धावलिया अबाहमेतं च । निक्खेवं च जहन्नं मोतुं उव्वट्टए सेसं ॥५॥ निव्वाघाए एवं वाघाची संतकम्महिगबन्धो । Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४८ आवलिअसंखभागा जावावलि तत्थ अइत्थवणा ॥६ आवलिदोसंखसा जति वड्डइ अहिणवो उ ठितिबन्धो उव्वदृति तो चरिमा एवं जावलिय अइत्थवणा ॥७॥ अइत्थावणालियाए पुण्णाए वड्डइत्ति निक्खेवो। ठितिउठवट्टणमेवं एत्तो ओव्वट्टणं वोच्छं ॥८॥ ओवटुंतो उ ठिति उदयावलिबाहिरा ठिईठाणा । निक्खिवति से तिभागे समयहिगे लंघिउं सेसं ॥९॥ उदयावलि उवरित्था एमेवोवट्टए ठितिठाणा । जावावलितिभागो समयहिगो सेसठितिणं तु ॥१०॥ इच्छोरदृणठिइठाणगायो उल्लंघिऊण आवलियं । तदलियं निक्खवइ अह ठितिठाणेसु सम्वेसु ॥११॥ उदयावलिउवरित्थं ठाणं अहिकिञ्च होइ अइहीणो। निक्खेवो सम्वोवरि ठिइठाणवसा भवे परमो ॥१२॥ समयाहिय अइत्थवणा बन्धावलिया य मोत्तु निक्खेवो कम्मठिई बन्धोदय आवलिय मोत्तु योवट्टे ॥ १३ ॥ निवाघाए एवं ठितिघाओ एत्थ होइ वाघाओ। वाघोए समजणं कंडगमइत्थावणा होइ ॥ १४ ॥ Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२४९) उकोसं डायठिई किंचूणा कंडगं जहणणं तु। पल्लासंखंसं डायठिई जत्तो परमबन्धो ॥१५॥ चरमं नो वट्टिजइ जाय अणंताणि फडगाणि तओ। उस्सकिय उबट्टइ उदया योवट्टणा एवं ॥ १६ ॥ अइत्थावणाइयाओ सन्नाओ दुसु वि पुववृत्ताओ। किंतु अणंतभिलावेण फङगा तासु वत्तव्वा ॥ १७ ॥ थोवं पएसगुणहाणि अंतरे दुसुविहीणनिक्लेवो। तुल्लो अणतगुणिओ दुसुवि अइत्थावणा चेवं ॥१८॥ तत्तो वाघायणुभागकंडगं एक्कवग्गणाहीणं । उक्कोसो निक्खेवो तुल्लो सविसेससंतं च ॥१९॥ आवन्धं उवट्टइ सव्वत्थोवट्टणा ठितिरसाणं । किट्टीवज्जे उभयं किट्टिसु ओवट्टणा एका ॥ २०॥ ॥इति उद्वर्तनाऽपवर्तना ॥ ॥ अद उदीरणा ॥ जं करणेणोकट्टिय दिजइ उदए उदीरणा एसा । पगइठिइमाइ चउहा मूलत्तरभेयओ दुविहा ॥ १ ॥ Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५० वेयणियमोहणीयाण होइ चउहा उदीरणाउस्स । साई अधुवा सेसाण साइवज्जा भवे तिविहा ॥ २ ॥ धुवोदयाण दुविहा मिच्छस्स चउविहा तिहन्नासु । मूलुत्तरपगईणं भणामि उदीरगा - एन्तो ॥ ३ ॥ घाईणं छमत्था उदीरगा रागिणो उ मोहस्स । वेयाऊण पमत्ता सजोगिणो नामगोयाणं ॥ ४ ॥ उवपरघायसाहारणं च इयरं तणए पज्जन्त्ता । छउमत्था चउदंसणनाणा वरणंतरायाणं ॥ ५ ॥ तसथावराइ तिगतिगआउ गतिजातिदिद्विवेयाणं । तन्नामा अणुपुवीपि किंतु ते अंतरगईए ॥ ६ ॥ याहारी उत्तरतणु-नरतिरितव्वेयए पमोत्तणं । उहीरंती उरलं ते चैव तसा उवंगं से ॥ ७॥ आहारी सुरनारगसन्नी इयरे निलो उ पज्जत्तो । लद्धीए बायरोदीरगाथो वेउब्वियतस्स ॥ ८ ॥ तदुवंगस्य वि तेचिय पवणं मोत्तूण केइ नरतिरिया | आहारसत्तगस्स वि कुणइ पमत्तो विउठतो ॥९॥ तेत्तीसं नामधुवोदयाण उदीरगा सजोगीओ | Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५१ लोभस्स य तणुकिट्टीण होति तणुरागिणो जीवा ॥१०॥ पंचेदियपज्जत्ता नरतिरि चरंस उसभपुव्वाण । चउरंसमेव देवा उत्तरतणुभोगभूमी य ॥ ११ ॥ आइमसंघयणं चिय सेढीमारूढगा उदीरोंत। इयरे हुंडं वहगं तु विगला अपजत्ता ॥ १२॥ वेउब्वियआहारगउदये न नरा वि होति संघयणी। पजत्त बायरोच्चिय थायावुद्दीरगो भोमो ॥ १३ ॥ पुढवी आउवणस्सइ बायरपजत्तउत्तरतणू य । विगलपणिंदियतिरिआ उज्जोवुदोरगा भगिया ॥१४॥ सगला सुगतिसराणं पज्जत्ताऽसंखवासदेवा य । इयराणं णेरइया नरतिरि सुसरस्स विगला य ॥१५॥ उस्सासस्स सरस्स य पज्जत्ता आणपाणभासासु । जा न निरंभइ ते ताव हेति उद्दीरगा जोगी ॥१६॥ नेरईआ सुहुमतसा वजिय सुहुमाय तह अपजत्ता । जसकीत्तुदीरगाएज्जसुभगनामाण सपिणसुरा ॥१७॥ उच्चं चिय जइ अमरा केई मणुआ व नीयमेवण्णे। चउगईआ दुभगाई तिस्थयरो केवली तित्थं ॥१८॥ Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२५२) मोत्तण खीणरागं इंदियपज्जत्तगा उदीरेंति । निदा पयला सायासायाइं जे पमत्तत्ति ॥ १९ ॥ अपत्ताई उत्तरतण य अस्संखया उ वज्जित्ता । सेसनिहाण सामी संबंधगता कसायाणं ॥२०॥ हासरईसायाणं अन्तमुहुत्तं तु आइमं देवा । इयराणं नेरईया उड्डे परियत्तणविहीए ॥२१॥ हासाईछक्कस्स उ जाव अपुवो उदीरगा सव्वे । उदउखुदीरणाए इव ओघेणं होइ नायव्वो ॥२२|| पगइठाणविगप्पा जे सामी हांति उदयमासज्ज । तेच्चिय उदीरणाए नायव्वा घातिकम्माणं ॥२३॥ मोत्तं अजोगिठाण सेसा नामस्स उदयवन्नेया। गोयस्स य सेसाणं उदीरणा जा पमत्तोत्ति ॥२४॥ ॥ अथ स्थित्युदीरणा ॥ पत्तोदयाए इयरा सह वेयइ ठिइ उदीरणा एसा। बेधावलिया हीणा जावुक्कोसत्ति पाउग्गा ॥२५॥ Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३५३ वेयाणियाऊग दुहा चउबिहा मोहणीय अजहण्णा । पंचण्हं साइ वज्जा सेसा सव्वेसु दुविगप्पा ॥२६॥ मिक्छत्तस्स चउद्धा धुवोदयाणं तिहा उ अजहण्णा। सेसविगप्पा दुविहा सम्वविगप्पाउ सेसाणं ॥२७॥ सामित्तद्धा डेया इह ठिइसकमेण तुल्लाओ। बाहुल्लेण विसेसं जं जाणं ताण तं वोच्छं ॥२८॥ अंतो मुहुत्तहीणा सम्मे मिस्संमि दोहि मिच्उस्स । आवलिदुगेण हीणा वन्धुक्कोसाण परमठिई ॥२९॥ मणुयाणुपुब्धि आहार देवदुगसुहुमविगलतियगाणं । आयावस्स य परिवडणमंतमुहुहीणमुक्कोसा ॥३०॥ हयसेसा तित्थठिई पल्लासंखेजमेत्तिया जाया। तीसे सजोगिपढमे समए उद्दीरणुक्कोसा ॥ ३१॥ भयकुच्छ थायवुज्जोय सव्वघाई कसायनिहाणं । अतिहीणसंतबन्धो जहण्ण उद्दीरगो अतसो ॥३२॥ एगिदियजोगाणं पडिवक्खा बंधिऊण तव्वेई ॥३३॥ धन्धालि चरमसमए तदागए सेसजाईणं । दुमगाइणीयतिरिदुग अपढम संघयणनोकसायाणं । Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५४ मणुपुव्वऽपज्जतइए सन्निस्सेवं इगागयगे ॥ ३४ ॥ अमणागसस्स चिरठिइ अंते देवस्स नारयस्सा वा । वेउव्वंगगईणं अणुपुठवीणं तइयसमये ॥३५॥ यतिगं दिहिदुगं संजलणाणं च पढमगठितीए । समयाहिगालियाए सेसाए उवसमे वि दुसु ॥३६।। एगिंदागय अइहीणसंत सण्णीसु मीस उदयंते । पवणो सठिइजहण्णग समसंत विउव्विछस्सते ॥३७ चउरुवसमितु मोहं मिच्छं खविउ सुरोत्तमो हो । उक्कोससंजमंते जहण्णगाहारगदुगाणं ॥३८॥ खीणंताण खीणे मिच्छत्तकमेण चोदसण्हंपि । सेसाण सजोगते भिन्नमुहुत्तछिईगाणं ॥ ३९॥ ॥ श्रथ रसोदीरणा ॥ अणुभागुदीरणाए घाईसण्णा य ठाणसण्णा य । सुभया विवागहेऊ जोत्थ विसेसो तयं वोच्छं ॥४०॥ पुरिसिस्थिविग्घअचक्खु चक्खुसम्माणइगिदुठाणे वा Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२५५) मणपज्जनपुंसाणं वच्चासो सेसबन्धसमा ॥ ४१ ॥ देसोवघाइयाण उदए देसोव होइ सव्वो वा। देसोवघायओ चिय थचक्खुसम्मत्तविग्घाणं ॥ ४२ ॥ घाइं ठाण पडुच्चं सव्वघाईण होइ जह बन्धे । अग्घाईणं ठाणं पडुच्च भणिमो विसेसोत्थ ॥ ४३ ॥ थावरचउ थायवनरलसत्ततिरिविगलमणुयतियगाणं । नग्गोहाइ चउण्हं इगिंदिउसभाइछण्हंपि ॥ ४४ ॥ तिरिमणुपाओगाणं मीसगुरुय खरनरयदेवपुठवीणं । दुहाणि उ च्चिय रसो उदए उद्दीरणाए य ॥ ४५ ॥ सम्मत्तमीसगाणं असुभरसो सेसयाण बन्धुत्तं । उक्कोसुदीरणा संतयंमि छहाणवडिए वि ॥ ४६ ॥ मोहणियनाणवरणं केवलियं दंसणं विरयविग्छ । संपुन्नजीवदव्वे न पज्जवेसु कुणइ पाकं ॥ ४७ ॥ गुरुलहुगाणंतपएसिएसु चक्खुस्त सेसविग्घाणं । जोग्गेसु गहणधरणे ओहीणं रूविदव्वेसु ॥ १८ ॥ सेसाणं जह बन्धे होइ विवागोउ पच्चओ दुविहो । भवपरिणामकयो वा निगुणसगुणाण परिणईओ ४९॥ Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २५६) उत्तरतणुपरिणामे अहिय अहोतावि हुंति सुसरजुया मिउलहुपरघाउज्जोव खगइचउरंस पत्तेया ॥ ५० ॥ सुभगाइ उच्चगोयं गुणपरिणामाउ देसमाइणं । अइहोणफडगाओऽणतंसो नोकसायाणं ॥ ५१ ॥ जा जम्मि भवे नियमा उदीरए ताओ भवनिमित्तायो परिणामपच्चयाओ सेसायो सई स सव्वस्थ ॥५२॥ तिस्थयरं घाईणि य आसज्ज गुणं पहाणभावेण । भवपच्चइआ सव्वा तहेव परिणामपच्चइया ॥५३॥ वेयणीएणुक्कोसा अजहण्णा मोहणीए चउभेया। सेसघाईण तिविहा नामागोयाण णुक्कोसा ॥ ५४ ॥ सेसविगप्पा दुविहा सव्वे आउस्स होउमुवसंतो। सव्वट्ठगओ साए उक्कोसुद्दीरणं कुणइ ॥ ५५ ॥ कक्खडगुरुमिच्छाणं अजहण्णा मिउलहणणुक्कोसा चउहा साइयवज्जा वीसाए धुवोदयसुभाणं ॥ ५६ ॥ अजहण्णा असुभधुवोदयाण तिविहा भवे तिवीसाए साई अधुवा सेसा सव्वे अधुवोदयाणं तु ॥ ५७ ॥ दाणाइ अचक्खूणं उक्कोसाइम्मिहीणलद्धिस्स । Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२५७) सुहुमस्त चक्खुणो पुण तिइंदिए सव्वपज्जते ॥ ५८॥ निद्राणं पंचहत्रि मज्झिमपरिणामसंकि लिट्ठस्स । पण नोकसायऽसाए नरए जेठि त सम्मत्तो ॥ ५९ ॥ सम्मत्तमी सगाणं से काले गहिहितित्ति मिच्छत्तं । हासरईणं पज्जत्तगस्ल सहस्सारदेवस्स ॥६०॥ पंचिंदी तसवायर पज्जत्तगसाय सुस्सर गईं। dogस्सासस्स य देवो जेठिति सम्मत्तो ॥ ६१ ॥ गइ हुंडुवघायाणिट्ठखगतिदुभगाइ (च)नीयगोयाणं । रईओ जेडटिई मणुओ ते अपजस्स ||६२|| कक्खडगुरुसंघयणथी पुंमसंठाणतिरिगईणं च । पंचिदियो तिरिक्खो अहमवासे हवासाऊ ॥ ६३॥ तिगपलियाऊ सम्मत्तो मणुअगतिउसभउरलसत्ताणं । ( मणुओ मणुयगइउसभऊर लाएं पाठांतर ) पज्जत्ता चउगईआ नक्कोससगाउयाणं तु ॥ ६४ ॥ हस्सठिईपज्जन्त्ता तन्नामा विगलजाइसुहुमाणं । थावरनिगोळा एगिं - दिआणमिह बायरा नवरिं ॥६५॥ आहारतण पज्जन्त्तगो य चउरंसमउ य लहुयाणं । Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५८ पत्तेयखगइपरघाय तइयमुत्तीण य विसुद्धो ॥६६॥ उत्तरवेउविजई उज्जोवस्सायवस्स खरपुढवी । नियगगईणं भणिया तइए समए णुपुठवीणं ॥६७॥ जोगते सेसाणं सुभाणमियराण चउसु वि गईसु। पज्जत्तुकडमिच्छे सुलद्धिहीणेसु ओहीणं ॥६॥ सुयकेबलिणो मइसुयचक्खुअचक्खुणुदीरणा मंदा । विपुलपरमोहिगाणं मणनाणोहीदुगस्सावि ॥६९॥ खवगम्मि विग्घकेवलसंजलगाणं सनोकसायाणं । सगसगउदीरणंते निहापयलाणमुवसंते ॥७०|| निहानिहाइणं पमत्तविरए विसुज्झमाणम्मि । वेयगसम्मत्तस्स उ सगखवणोदीरणा चरमे ॥७१॥ सम्मपडिवत्तिकाले पंचण्हवि संजमस्स चउचउसु । सम्माभिमुहो मीसे आउण जहण्णठितिगोत्ति ॥७२ पोग्गलविवागियाणं भवाइसमए विसेसमुरलस्स। सुहुमापजो वाज बादरपज्जत्त वेनवे ॥ ७३ ॥ अप्पाऊ बेइंदी उरलंगे नारओ तदियरंगे । निल्लेवियवेउव्वा असण्णिणो आगओ कूरो ७४॥ Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५९ मिच्छातरे किलिट्ठो वीसाए धुवोदयाण सुभियाणं । आहारजई आहारगस्स अविसुद्ध परिणामो ॥७५॥ अप्पाउरिसभचउरंसगाण अमणो चिरठिइचउन्हं । संठाणाण मणुओ संघयणाणं तु सुविसुद्धो ॥ ७६ ॥ हुंडो घायसाहरणाण सुहुमो सुदीहपज्जत्तो । परघाए लहुपज्जो आयावज्जोय तज्जोगो ॥ ७७ ॥ बेवस बेहंदी बारसवासाऊ मउयलहुआ । सण विसुद्ध णाहारगो य पत्तेयमुरलसमं ॥ ७८ ॥ कक्खडगुरूण मंथे विणियट्टे णाम असुहधुवियाणं । जोगंतंमि नवहं तित्थस्साउज्जियाइम्मि ॥ ७९ ॥ सेसाणं वेयंतो मज्झिमपरिणामपरिणाओ कुणइ । पच्चयसुभासुभावि य चिंतिय णेओ विवागीओ ॥ ८० ॥ ॥ अथ प्रदेशोदीरणा ॥ पंचहमणुकोसातिहा चउद्धा य वेयमोहाणं । सेसविगवा दुविहा सव्वविगप्पा आउस्स ॥८१॥ Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६० तिविहा धुवोदयाणं मिच्छस्स चउब्विहा अणुक्कोसा। सेसविगप्पा दुविहा सव्वविगप्पा य सेसाणं ॥८२॥ अणुभागुदीरणाए होति जहण्णाए सामिणो जे उ । जेहपएसुदीरणसामी ते घाइकम्माणं ॥ ८३ ॥ वेयणियाण पमत्तो अपमत्तत्तं जया उ पडिवज्जे । संघयणपणगतणुदुगउजोवाणं तु अपमत्तो ॥ ८४ ॥ तिरियगईए देसो अणुपुश्विगईण खाइयो सम्मो। दुभगाई नीयाणं विरई अब्भुट्ठिओ सम्मो ॥८५॥ देवनिरयाउयाणं जहन्नजेहिई गुरुअसाए । इयराऊणं इयरा अट्ठमवासे वासाऊ ॥८६॥ एगंतेणं चिय जा तिरिक्खजोग्गाओ ताण ते चेव । नियनियनामविसिट्ठा अपज्जनामस्स मणु सुद्धो ॥८७ जोगंतुदीरगाणं जोगते दुसरसुसरसासाणं । नियगंतकेवलीणं सव्वविसुद्धस्स सेसाणं ॥ ८८ ॥ तप्पायोगकिलिहा सव्वाणं हेति खवियकर्म सा। ओहीणं तब्वेई मंदाइ सुही य आऊणं ॥ ८९ ॥ ॥ इति उदीरणा ॥ Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६१) ॥ अथ उपशमनाकरणम् ॥ देसुवसमणा सव्वाण होइ सम्वोवसामणा मोहे । अपसत्थपसत्था जा करणुवसमणाए अहिगारो ॥१॥ सव्वुवसमणा जोगो पज्जत्तपणिदिसण्णिसुभलेसो। परियत्तमाणसुभपगइ बन्धयोतीव सुज्झतो ॥२॥ असुभसुभे अणुभागे अणंतगुणहाणिवुड्डिपरिणामो । अंतो कोडाकोडी ठिइओ बाउं अबंधंतो ॥ ३ ॥ बंधादुत्तरबंधं पलिओवमसंखभागकणं । सागारे उवओगे वट्टतो कुणइ करणाइं ॥४॥ पढमं अहापवत्तं बायं तु नियहि तइयमणियट्टी। अंतोमुहुत्तियाइं उपसमबद्धं च लहइ कमा ॥५॥ आइल्लेसुं दोसु जहण्णउक्कोसिआ भवे सोही जं पइसमयं अज्झवसाया लोगा असंखेजा ॥६॥ पइसमयमणंतगुणा सोही उड्डामुही तिरिच्छायो । छट्ठाणा जीवाणं तइए उड्ढामुही एक्का ॥ ७॥ गंतु संखिज्जंसं थहापवत्तस्स हाण जा सोही । Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६२ तीए पढमे समए अणंतगुणिआओ उक्कोसा !!८|| एवं एक्कंतरिया हेवरिं जाव हीण पज्जत्ते । तत्तो उक्कोसाओ उवरुवरि होइ गंतगुणा ॥९॥ जा उक्कोसा पढमे तीसे गंता जहन्निया बीए। करणे तीए जेट्ठा एवं जा सव्वकरणंपि ॥ १०॥ अपुवकरणसमगं कुणइ अपुठवे इमे उ चत्तारि । ठितिघायं रसघायं गुण सेढी बंधगद्धा य ॥११॥ उक्कोसेणं बहुसागराणि इयरेण पल्लऽसंखंसं । ठितिअग्गाओ घायइ अंतमुहुत्तेण ठितिखडं ॥१२॥ थसुभाणतमुहुत्तेणं हणइ रसखंडगं अणतंसं । किरणे ठितिखंडाणं तम्मि उ रसकंडगसहस्सा ॥१३ घाइयठिइओ दलियं घेत्तं घेत्तुं असंखगुणणाए । साहिअ दुकरणकाले उदयाओ रयइ गुणसेटिं ॥१४॥ करणाइए अपुठवो जो बन्धो सो न होइ जा अण्णो। बंधगअद्धा सा तुल्लिगा उ ठिइकंडगाए ॥१५॥ जा करणाईए ठिई करणंते तीए होइ संखंसो। अनियट्टीकरणमओ मुत्तावलिसंठियं कुणइ ॥१६॥ Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६३) एवमणियट्टिकरणे ठितिघायाईणि हुंति चउरो वि। संखेज्जसे सेसे पढमठिइ अंतरं च भवे ॥ १७ ॥ अंतमुहुत्तियमेत्ताई दोवि निम्मवइ बन्धगद्धाए । गुणसेढीसंखभागं अंतरकरणेण उकिरइ ॥ १८ ॥ अंतरकरणस्स विही घेत्तुं घेत्तुं ठिईओ मज्झाओ। दलियं पढमठिईए विबुभइ तहा उवरिमाए ॥१९॥ इगदुग श्रावलिसेसाए णत्थि पढमाए दीरणागाला। पढमठिईए उदीरण बीयाउ एइ आगालो ॥ २० ॥ आवलिमेत्तं उदएण वेइउं ठाइ उवसमद्धाए । उपसमियं तत्थ भवे सम्मत्तं मोक्खबीयं जं ॥ २१ ॥ उवरिमठिइअणुभागं तिहा तओ कुणइ चरिममिच्छदए देसघाएण सम्म इयरेणं मिच्छमीसाइं ॥ २२ ॥ सम्मे थोवो मीसे असंखओ तस्स असंखओ सम्मे। पइसमयं इइ खेवो अंतमुहुत्ताउ विज्झाओ ॥२३॥ गुणसंमेण एसो संकमो होइ सम्ममीसेसु । अंतरकरणम्मि ठिओ कुणइ जओ सपसस्थगुणो॥२४॥ गुणसंकमेण समगं तिणि वि थक्कंति आउवजाणं । Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६४) मिच्छत्तस्स उ इगिदुगआवलिसेसाए पढमाए ॥२५ उवसंतद्धा अंते विहीए उक्कड्डियस्स दलियस्स। अज्झवसाणविसेसा एक्कस्सुदयो भवे तिण्हं ॥२६॥ बावलिए सेसाए उसमअद्धाए जाव इगिसमयं । असुहपरिणामतो कोई जाइ इह सासणत्तंपि ॥२७॥ सम्मत्तेणं समग सव्वं देसं च कोइ पडिवज्जे । उवसंतदसणी सो अंतरकरणठिओ जाव ॥ २८॥ वेयगसम्मदिछी सोहीअद्धाए अजयमाईआ। करणदुगेण उवसमं चरित्तमोहस्स चेति ॥ २९॥ जाणण गहणणुपालण-विरओ विरईइ अविरउन्नेसिं थाइमकरणदुगेण पडिवजइ दोण्हमण्णयरं ॥३०॥ उदयावलिए उप्पि गुणसेढिं कुणइ सह चरित्तेण । अंतो असंखगुणणाए तत्तियं वड्डए कालं ॥३१॥ परिणामपच्चएणं गमागमं कुणइ करणरहियो वि। आभोगनच्चरणो करणे काऊण पावेइ ॥ ३२ ॥ परिणामपच्चएणं चउव्विहं हाइ वड्डई वावि । परिणामवघ्याए गुणसेढिं तत्तियं रयइ ॥ ३३ ॥ Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६५ ) सम्मुप्पायणविहीणा चउगइया सम्मदिठी पजत्ता । संजोयणा विजोयंति न उण पढमठिति करेंति ॥ ३४ ॥ उवरिगे करणदुगे दलियं गुणसंकमेण तेसिं तु । नासेइ तओ पच्छा अंतमुहुत्ता सभावस्थो ॥ ३५ ॥ दंसणखवगस्सरिहो जिणकालीओ पुमठवासुवरिं । अण्णासकमा करणाइं करि गुणसंकर्म तह य ॥ ३६ ॥ पुत्रकरणसमगं गुणनवलणं करेइ दोण्हं पि । तक्करणाइ जं तं ठितिसंत संखभागोंते ॥ ३७ !! एवं ठितिबंधो विहु पविसइ अणियहिकरणसमयम्मि । अपुव्वा गुणसेटिं ठितिरसकंडाणि बन्धं च ॥ ३८॥ सुवसमनिकायण निहन्तिरहियं च होइ विडितिगं कमसो असणिचउरिंदियाइ तुल्लं च ठिइसंतं ३९ ठितिखंड सहस्साइं एक्केक्के अंतरंमि गच्छति । पलिओवभसंखंसे दंसणसंते तओ जाए ॥ ४० ॥ संखेज्जा संखेज्जा भागा खंडेइ सहससो ते वि । तो मिच्छस्स असंखा संखेजा सम्ममीसा ॥४१॥ तत्तो बहुखंडते खंड उदयावलीरहिअमिच्छं । Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६६ तत्तो असंखभागा सम्मा मीसाण खंडेइ ॥ ४२ ॥ बहुखंडते मीसं उदयावलि बाहिरं खिवइ सम्मे । अडवाससंतकम्मो सणमोहस्स सो खवगो ॥४३॥ अंतमुहुत्तियखंडं तत्तो उक्किरइ उदयसमयायो । निक्खिवइ असंखगुणं जाव गुणसेढि परे हीणं ॥४४|| उक्किरइ असंखगुणं जाव दुचरिमंति अंतिमे खडे । संखेज्जं सो खंडइ गुणसेढीए तहा देइ ॥४५॥ कपकरणोतक्काले कालंपि करेइ चउसुविगइसु। वेइअसेसो सेढी अण्णयरं वा समारुहइ ॥४६।। तइयचउत्थे तमिव भवम्मि सिझंति दसणे खीणे। जं देवनिरयसंखाउ चरमदेहेसु ते हुंति ॥४७॥ अहवा दसणमोहं पढम उवसामइत्तु सामण्णे। ठिच्चा अणुदइयाणं पढमठितिआवलीनियमा ॥४८॥ पढमुवसमुत्व सेसं यंतमुहुत्ताओ तस्स विज्झाओ। संकेसविसोहीओ पमत्तइयरत्तणं बहुसो।।४९॥ । पुणरवि तिपिणउ करणाई करेइ तइयम्मि एत्थ पुण भेओ अंतो कोडाकोडी बंधं संतं च सत्तण्हं ॥५०॥ Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६७ ) ठितिखंडं उक्करसं पि तस्स पल्लस्स संखतमभागं । ठितिखंड बहुसहस्से सेक्वेक्कं जं भणिस्सामो ॥ ५१ करणस्स संखभागे सेसे असण्णिमाइयाण समो । बन्धो कमेग पल्लं वी सगतीसाण उ दिवङ्कं ॥ ५२॥ मोहस्त दोणि पल्ला संते वि हु एवमेव अप्पबहू | परियमित्तंम्म बन्धे अण्णो संखेज्जगुणहीणो ॥ ५३ ॥ एवं तीसाण पुणो पल्लं मोहस्स होइ उ दिवङ्कं । एवं मोहे पल्लं सेसाणं पलसंखंसो ॥ ५४ ॥ वीसगतीसगमोहाण संतयं जहकमेण संखगुणं । पल्लअसंखेज्जंसो नामागोयाण तो बन्धा ॥ ५५॥ एवं तीसापि हु एक्कपहारेण मोहणीयस्स । तीसग संभागो ठितिबन्धो संतयं च भवे ॥ ५७ ॥ वीस असंखभागे मोहं पच्छाओ घाइ तइयस्स । वीसाण तओ घाइ संखभागम्मि बज्झति ॥५७॥ असंखसमयबद्धाणु-दीरणा होइ तम्मि कालम्मि । देसे घाइरसंतो मणपज्जव अंतरायाणं ॥ ५८ ॥ लाभोहीणं पच्छा भोगा चक्खूसुया तो चक्खू | Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२६८) परिभोगमईणं तो विरियस्स असेढिगा घाई ॥५९॥ संजमघाईण तो अंतरमुदओ उ जाण दोण्हं तु । वेयकसायण्णयरे सोदयतुल्लाय पढमठिई ॥६०॥ थीअपुमोदयकाला संखेजगुणो उ पुरिसवेयस्स । तस्स वि विसेसअहिओ कोहे तत्तो वि जहकमसो ॥६१। अंतकरणेण समं ठितिखंडगबंधगद्धनिप्फत्ती। अंतरकरणाणंतरसमये जायंति सत्त इमे ॥२॥ एगट्ठाणणुभागो बंधो उद्दीरणा य संखसमा । अणुपुव्वीसंकमणं लोहस्स असंकमो मोहे ॥६॥ बद्धं बद्धं छसु आवलीसु उवरेणुदीरणं एइ । पंडगवेउवसमणा असंखगुणाए जावंतं ॥४॥ अंतरकरणपविहो संखासंखस मोह इयराणं । बंधादुत्तर बंध एवं इत्थीए संखसे ॥६५॥ उवसंते घाईणं संखेजसमा परेण संखसो। बन्धो सत्तण्हेव संखेजतमंमि उवसंते ॥ ६६ ॥ नाम गोयाण संखा बन्धो वासा असंखियो तइए। तो सव्वाण वि संखा तत्तो संखेजगुणहाणी ॥६७॥ Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६९ जं समए उवसंतं छक्कं उदयठिई तया सेसा । पुरिसे समजणावलिदुगेण बद्धं अणुवसंतं ॥ ६८ ॥ आगालेणं समगं पडिग्गहया फिडइ पुरिसवेयस्स । सोलसवासियबन्धो चरमो चरमेण उदयेण ॥ ६९ ॥ तावइ काले चिय पुरिसं उवसामए अवेदो सो । बन्धो बत्तीससमा संजलणियराण उ सहस्सं ॥७०॥ अव्वेय पढमसया कोहतिगं खाढवेइ उवसमिउं । तिसु पडिगहया एक्काए उदओ य उदीरणा बन्धो७१ फिट्टेति आवलीए सेसाए सेसयंतु पुरिससमं । एवं सेसकसाया वेयइ थिबुगेण आवलिया ॥ ७२ ॥ चरमुदयम्मि जहण्णो वन्धो दुगुणो उ होइ उवसमगे । तयणंतर पराईए चउग्गुणोन्नेसु संखगुणो ॥ ७३ ॥ लोहस्स उ पढमठि बीयठिईओ उ. कुणइ तिविभागं । दोसु दलनिक्खेव तइओ पुण किट्टिवेया ॥७४॥ संताणि वज्झमाणगसरूवओ फड्डगाणि जं कुणइ । सा अस्सकपणकरणद्ध मज्झिमा किट्टिकरणद्धा ॥७५॥ अपुव्वविसोही अणुभागोणणविभयणं किट्टी । Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२७०) पढमसमयम्मि रसफडडवग्गणाणतभागसमा ॥७६॥ सव्वजहण्णगफड्डग अणंतगुणहीणियाउ तो रसओ पइसमयमसंखसो थाइमसमयाउ जावंतो ॥७७॥ अणुसमयमसंखगुणं दलियमणतंसयो उ अणुभागो सव्वेसु मंदरसमाइयाण दलियं विसेसूणं :७८॥ आइमसमयकयाण मंदाईणं रसो अणंतगुणो। सव्वुक्कस्सरसा वि हु उवरिमसमयस्सणतंसे ॥७९॥ किट्टीकरणद्धाए तिसु आवलियासु समयहीणासु । न पडिग्गहया दोण्हवि सहाणे उवसमिति ॥८॥ लोभस्स अणुवसंत किट्टी उदयावली य पुव्वुत्तं । बायरगुणेण समगं दोण्ह वि लोभा समुवसंता । ८१ सेसद्ध तणुरागो ताओ आकड्डियाओ पढमठिई। वज्जिय असंखभागं हेळुवरिमुदीरए सेसा ॥ ८२॥ गेण्हंतो य मुयंतो असंखभागं तु चरिमसमयम्मि । उवसामिय बीयठिई उवसंतं लभइ गुणठाणं ॥८३॥ थन्तोमुहुत्तमेत्तं तस्स वि संखेजभागतुल्लाओ। गुणसेढी सव्वद्ध तुल्ला य पएसकालेहिं ॥ ८४ ॥ Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७१ करणाय नोवसंत संकमणोवट्टणं तु दिट्ठितिगं । मोत्तण विलोमेणं परिवडइ जा पमत्तोत्ति ॥८६॥ उक्कड्डित्ता दलियं पढमठितिं कुणइ बीयठितिहिंतो। उदयाइ विसेसूणं श्रावलिउप्पि असंखगुणं ॥८७॥ जावइया गुणसेढी उदयवई तासु हीणगं परयो । उदयावलीमकाउं गुणसेढी कुणइ इयराणं ।।८८॥ संकम उदीरणाणं णस्थि विसेसो उ एत्थ पुव्वुत्तो। ज जत्थ उ वोच्छिण्णं जायं वा होइ तं तत्थ ॥८९॥ वेइजमाणसंजलण कालओ अहिअमोहगुणसेढी । पडिवत्ति कसाउदए तुल्ला सेसेहिं कम्मेहिं ॥९॥ खवगुवसामगपच्छागयाण दुगुणो तहिं बन्धो । अणुभागोऽणतगुणो असुभसुभाण विवरीयो ॥११॥ परिवाडीए पडिउं पमत्तइयरत्तणेण बहुं किच्चा। देसजई संजमं वा सासणभावं च कोइ वयइ ॥१२॥ उवसमसम्मत्तद्धा अंतो आउक्खया भवे देवो। जेण तिसु आउएसु बद्धसु न सेढिमारुहइ ॥९३॥ सेढी पडिओ तम्हा छडावली सासणो वि देवेसु । Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७२ एगभवे दुक्खुत्तो चरित्तमोहं उवसमेजा ॥९॥ दुचरिमसमये नियगोदयस्स इत्थी नपुंसगोनोन्नं । समइत्तु सत्त पच्छा किंतु नपुंसोकमारद्धे ॥९५॥ ॥ इति सर्वोपशमना ॥ ॥ अथ देशोपशममा ॥ मूलुत्तरकम्माणं पगडीठितिमादि होइ चउभेया । देसकरणेहिं देसं समेइ जं देससमणातो ॥१६॥ उधट्टणओवट्टणसंकमकरणाइं हुंति नन्नाई। देसोवसामिथस्सा जा पुष्यो सव्वकम्माणं ॥९७॥ खवगो व सामगो वा पढमकसायाण दसणतिगस्स। देसोवसामगो सो अपुवकरणंतगो जाव ॥९८॥ साइयमाइ चउद्धा देसुवसमणा अणाइसंतीण । मूलुत्तरपगईणं साईअधुवाओ अधुवाओ ॥९९॥ गोयाउयाण दोण्हं चउत्थ छहाण होइ छ सत्तण्हं । साइयमाइ चउद्धा सेसाणं एगठाणस्स ॥१०॥ उवसामणा ठिईए उक्कोसा संकमेण तुल्लायो । Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७३ इयरावि किंतु अभवी उव्वलग अपुवकरणेसु ॥१०१ अणुभागपएसाणं सुभाणं जा पुव्वमित्थ इयराण। उक्कोसियरं अभविय एगिंदी देससमणाए ॥१०२॥ ॥ इति उपशमनाकरणम् ॥ ॥ अथ निद्धत्तिनिकाचनाकरणम् ॥ देसुवसामणतुल्ला होइ निहत्ती निकायणा नवरिं। संकपणंपि निहत्तीए नस्थि सवाणि इयरीए ॥१॥ गुणसेटीपएसग्गं थोवं उवसामियं असंखगुणं । एवं निहयनिकाइय अहापवत्तेण संकेत ॥२॥ ठितिबंध उदोरण तिविहसंकमे हेोतिऽसंखगुणकमसा। अज्झवसाया एवं उवसामणमाइएसु कमो ॥३॥ ।' इत्यष्टौ करणानि ॥ समाप्तः कर्मप्रकृतिसङ्ग्रहः ॥ . ॥ अथ सप्ततिकासङ्ग्रहः ।। मूलुत्तरपगईणं साइअणाईपरूवणाणुगयं । भणियं बंधविहाणं अहुणा संवेहगं भणिमो ॥१॥ Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२७४) आउम्मि अट्ठ मोहेहसत्त एक्कं व छाइ वा तइए। बझंतयंम्मि बझंति सेसएसु छ सत्त: ॥२॥ मोहस्सुदये अह वि सत्तय लब्भंति सेसयाणुदए । संतोइण्णाणि अघाइयाण अड सत्त चउरो य ॥३॥ बंधइन सत्त बह य मोहुवए सेसयाण एक्कं च । पत्तेयं संतेहिं बंधइ एग छ सत्त: ॥४॥ सत्तबंधेसु उदयो अट्ठण्ह होइ पयडीणं । सत्तण्हं चउहं वा उदओ सायस्स बंधम्मि ॥५॥ दो संतठाणाइं बंधे उदए य ठाणय एक्कं । वेयणियाउयगोए एगं नाणंतराएसु ॥६॥ नाणंतरायबंधो आसुहुमं उदयसंतया खीणं । आइमदुगचउसत्तमनारयतिरिमणुसुराऊणं ॥७॥ नारयसुराउ उदओ चउ पंचम तिरि मणुस्स चोइसम। आसम्मदेसजोगी उवसंता संतयाजणं ॥८॥ अब्बंधे इगिसंतं दो दो बद्धाउ बज्झमाणाल । घउसु वि एक्कसुदओ पणनवनव पंच इइ भेया ॥९॥ नव छञ्चउहा बज्झइ दुगट्ठदसमेसु दसणावरणं । Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२७५) नव बायरम्मि संतं छक्कं चउरो य खीणम्मि ॥१०॥ नव भेए भंगतियं बेच्छावट्ठी उ छव्धिहस्त ठिई । चउ समयायो अंतो अंतमुहत्तान नवछक्के ॥११|| दंसणसनिहदसणउदओ समकं तु होइ जा खीणो। जाव पमत्तो नवण्हं उदो छसु चउसु जा खीणो॥१२ चउपण उदओ बंधेसु तिसु वि अबंधगेवि उवसंते। नव संतं अद्वैवं उइण्णसंताई चउ खीणे ॥१३॥ खवगे सुहुमंमि चउबंधगम्मि अबंधगम्मि खीणम्मि । छस्संतं चउरुदयो पंचण्ह वि केइ इच्छंति ॥१४॥ बन्धो आदुगदसगं उदओ पणचोदसं तु जा ठाणं। निच्चुच्चगोत्तकम्माण संतया होइ सठवेसु ॥१५॥ बन्धइ उइण्णयं चियं इयरं वा दोविसंत चउ भंगो। नीएसु तिसु वि पढमो श्रबंधगे दोषिण उच्चुदए ।१६ तेरसमछ एसुसायासायाण पंधवुच्छेओ। संतउइण्णाई पुण सायासायाई सव्वेसु ॥१७॥ बंधइ उइण्णयं चिय इयरं वा दोवि संत चउभंगा। संतमुइण्णमबंधे दो दोणि दुसंत इइ अट्ठ ॥१८॥ Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २७६ ) 1 दुगइगवीसास सर तेरस नवपंचचउ तिगदुगेगो । बंधो इगिदुधउत्थय पण नवमेसु मोहस्स ||१९|| हासरइअरइसोगाण बंधगा आनवं दुहा सव्वे | वेयविभज्जता पुण दुगइगवीसा छहा चउहा ||२०|| मिच्छावन्धिगवीसो सत्तरतेरो नवो कसायाणं । अरईदुगं पमत्ते ठाइ चउक्कं नियमि ||२१|| देसूण पुचकोडी नवतेरे सत्तरे य तेत्तीसा । बावीसे भंगतिगं ठिति सेसेसु मुहुत्ततो ॥२२॥ इगिदुगच उत्तर दसगं उदयमाहु मोहस्स । संजलणवेयहासरइ भयदुगंछतिक सायदिडीए ॥ २३॥ दुगाइ दसंतुदया कसायभेया वउविहा ते उ । बारसहा व्यवसा अदुगा पुण जुगल खो दुगुणा ॥२४॥ अणसम्मभयदुगंछाण णोदओ संभवे वि वा जम्हा । उदया चवीसाविय एक्केकगुणे छाओ बहुहा ॥ २५ ॥ मिच्छे सगाइ चउरो सासणमीसे सगाइ तिष्णुदया । बप्पंचचउरपुव्वा चउ चउरो अविरयाईणं ॥ २६ ॥ दसगाईसु चवीसा एकाच्बेक्कार दस सगचउकं । Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७७ एक्का य नवसयाइं सहाई एवमुदयाणं ॥ २७ ॥ बारस चउरोतिदुएक्कगाओ पंचाइ बन्धगे उदया। अबन्धगे वि एको तेसीया नवसया एवं ॥२८॥ चउबन्धगे वि बारस दुगोदया जाण तेहि बूढे हिं। बन्धगभेएणेवं पंचूणसहस्समुदयाणं ॥२९॥ बारस दुगोदएहिं भंगा चउरो य संपराएहिं । सेसा तेञ्चिय भंगा नवसयछावत्तरा एवं ॥३०॥ मिच्छाइ अप्पमत्तंतयाण अ65 इंति उदयाणं । चउवीसाओ सासणमीसअपुवाण चउचउरो ॥३१॥ चउवीस गुणा एए बायरसुहमाण सत्तरसअन्ने । सम्वेसु वि मोहुदया पण्णहा बारससयाओ ॥३२॥ उदयविगप्पा जे जे उदीरणाए वि हुंति ते ते उ। अंतमुहुत्तिय उदया समयादारब्भ भंगा य ॥३३॥ मिच्छत्तं श्रणमीसं चउरो चउरो कसाय वा सम्मं । ठाइ अपुटवे छक्कं वेयकसाया परे तओ लोभो ॥३४॥ अगसत्तगछक्कग चउतिगदुगएकगाहिया वीसा। तेरस बारेकारस संते पंचाइ जा एक्कं ॥३५॥ Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७८ अणमिच्छमीससम्माण थविरया अप्पमत्त जा खवगा। समकं अकसाए नपुंस इत्थीकमाछक्कं ॥३६॥ पुंअं कोहाइ नियट्टि नासेइ सुहुमतणुलोभं । तिन्नेगति पण चउसु तिक्कारस चउ ति संताणि ॥३७ छवीसणाइ मिच्ने उठवलणा एव सम्ममोसाणं । चउवीस अणविजोए भाषो भूओ वि मिच्छायो ।३८॥ सम्ममीसाण मिच्छो सम्मो पढमाण होइ उठवलगो। बन्धावलिया उप्पि उदओ संकंतदलियस्स ॥३९॥ बावीसं बन्धंते मिच्छे सत्तोदयंमि अडवीसा । संतं छ सत्तमीसा य हेांति सेसेसु उदएसु॥४०॥ सत्तरसबन्धगे छोदयम्मि संत इगट्ठचउवीसा । सगतिदुवीसाय सगगोदए णेयरिगवीसा ॥४१॥ देसाइसु चरिमुदए इगवीसा वजियाई संताई। सेसेतु होति पंचवि तिसु वि अपुवंमि संततिग॥४२॥ पंचाइ बन्धगेस इगट्ठचउवीसऽबन्धगेक्कं च । तेरस बारेक्कारस यहोति पण बन्धि खवगस्स॥४३॥ एगाहिया य बन्धा चउबन्धगमाइआण संतंसा। Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बन्धोदयाण विरमे जं संत बुभइ अण्णस्थ ॥४४॥ सत्तावीसे पल्लासंखसो पोग्गलद्धछठवीसे । घे छावही अडचउवीसिगवीसे उ तित्तीसा ॥४५॥ अंतमुहुत्ता उ ठिई तमेव दुहयोविसेससंताणं । होइ अणाइ अणंतं अगाइसंतं च छठवीसा ॥४६॥ अप्पजत्तग जाई पजत्तगईहिं पेरिआ बहुसो । बन्ध उदयं च उति सेसपगईओ नामस्स ॥४७|| उदयप्पत्ताणुदओ पएसयो अणुवसंतपगईणं । अणुभागोदय निच्चोदयाण सेसाण भइयव्यो॥४८॥ अथिरासुभचउरंस परघाइदुगं तसाइधुवबन्धी। अजसपणिवीवि उपाहारगसुखगइसुरगइया ॥४९॥ बन्धइ तिस्थनिमित्ता मणुउरलदुरिसभदेवजोगायो। नो सुहमतिगेणजसं नो अजसथिरासुभाहारे ॥५०॥ अप्पमत्तगवन्धं दूसरपरघायसालपजत्तं । तस अपसस्था खगई घेउव्वं नरयतिगइहेज ॥५१॥ हुंडोरालं धुवबन्धिणीओ अथिराइ दूसरविणा। गइआणुपुठियजाई बायरपत्तयअपज्जत्ते ॥५२॥ Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २८०) वन्धइ सुहुम साहारणं च थावरं तसंगवई। पज्जते उसमथिरसुभजससासुज्जोवपरघायं ॥५३॥ आयावं एगिदिय थपसस्थविहदूसरं च विगलेसु । पंचिदिएसु सुसराइखगइसंघयणसंठाणा ॥५४॥ तेवीसा पणवीसा छठवीसा अहवीसिगुणतीसा । तीसेगतीस एगा बन्धट्ठाणाई नामेट्ट ॥५५॥ मणुअआईए सव्वे तिरियगईए छ आइमा बन्धा। नरएतोसतीसा पणछठवीसायदेवेसु ॥५६॥ अडवीस नरयजोग्गा थडवीसाई सुराण चत्तारि। सिंगपणठव्वीसेगिदियाण तिरिमणुअ बन्धतिगं ।५७॥ मिच्छमिसासणाइसु तिअहवीसादिमामबन्धाओ। छतिणि दोति दोदो चउ.पण सेसेसु जसबन्धो।५८॥ तग्गयणुपुष्विजाई थावरमाई य दूसरविहूणा । धुवन्धि हुंडविग्गह तेवीसाऽपज्जयावरए ॥५९॥ पगईणं वच्चासो होइ गईइंदियाई आसज्ज । सपराघाऊसासा पणवीसछच्चीस सायावा ॥३०॥ तग्गइथाइ दुवीसा संघयपतसंगतिरियपणुवीसा । Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८१ दूसर परघाऊस्सास खगइगुणतीस तीसुज्जोवा ॥ ६१ ॥ तिरि बन्धा मणुश्रणं तिस्थयरं तीसमंति इइ भेओ । संघयणिगुणतीसा अडवीसा नारए एक्का ||६२ ॥ तित्थयराहारगदो तिसंजुश्रो बन्धु नारयसुराणं । नियही सुहुमाणं जसकितीए स इगबन्धो ॥ ६३ ॥ साहारणाइ मिच्छो सुहुमायवथावरं सनरयदुगं । इगिविगलिंदियजाई हुंडगपज्जतठेव ॥ ६४ ॥ सासायणो पसस्था विहगगईदुसरदुभगुज्जोवं । अणएजतिरियदुगं मज्झिमसंघयणसंठाणा ॥ ६५ ॥ मीसो सम्मो उरलमणुयदुवयाइं श्राइसंघयणं । बंधइ देसो विरओ अथिरासुभा जसपुत्राणि ॥६६॥ अपमत्तो सनियही सुरदुववेउवजुगलधुवबन्धी । परघाऊसासखगई तसाईचउ रंसपंर्वेदी ॥६७॥ fare आहारुदओ बन्धो पुण जा नियहि अपमन्ता । तिरथस्स विरया जा सुहुमो तात्र कित्तीए : ६८ ॥ उज्जोयआयवाणं उदओ पुव्विपि होइ पच्छावि । ऊसाससरेहितो सुहुमतिगुज्जोयनायावं ॥ ६९ ॥ Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २८५) उज्जोवे नायावं सुहमतिगेणं न बज्झए उभयं । उज्जोव जसाणुदए जायइ साहारणस्सुदओ ॥७॥ दुभगाईणं उदए बायरपज्जो विउव्वए पवणो। देवगईए उदयो दुभगअणाएज्ज उदएवि ॥७॥ सुसरउदयो विगलाण होइ विरयाण देसविरयाणं । । उज्जोवुदओ जायइ वेउब्वाहारगाए ॥७२॥ अडनववीसिगवीसा चउवीसेगहिय जाव इगतीसा। चउगईएसु बारस उदयठाणाई नामस्स ॥७३॥ मणुएसु चउवासा वीसडनववज्जियाथो तिरिएसु। इगपण सगह नववीस नारए सुरे सतीसा ते ॥७॥ इगिवीसाइमिच्छे सगळ वीसाए सासणे हीणा। चवीसूणा सम्मे पंचवीसाए जोगिम्मि ॥७५॥ पणवीसाई देसे छठवीसूणा पमसि पुण पंच ।। गुणतीसाई मीसे तीसुगतीसा य अपमत्ते ॥७॥ अहो नवो धजोगिस्स वीसयो केवलीसमुग्घाए । इगवीसो पुण उदयो भवंतरे सव्वजीवाणं ॥७७॥ चउवीसाइचउरो उदया एगिदिएसु तिरिमणुए । Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८३ अडवीसाइछवीसा एक्केक्कूणा विउठवते ॥७८॥ गइथाणुपुबिजाई थावरदुभगाई तिणि धुवउदया। एगिदिय इगवीसा सेसाणवि पगइवच्चासो ॥७९॥ सा आणुपुविहीणा अपज एगिदितिरियमणुआणं । पत्तेउवघायसरीर हुंडसहिआ चउव्वीसा ॥८॥ परघाय सास आयवजुत्तापणउक्कसत्तवीसासा। संघयण अंगजुत्ता चपीस छब्बीस मणुतिरिए ॥८१॥ परघायखगइजुता अडवीसा गणतीस सासेणं । तीसा सरेण सुजोवतित्थ तिरिमणुअ इगतासा ॥८२|| तिरिउदयछवीसाइ संघयणविवजिआओ ते चेव । उदया नरतिरियाणं विउठिवगाहारगजईणं ॥३॥ देवाणं सव्वे वि हु त एव विगलोदया असंघयणा। संघयणुज्जीव विवज्जियाउ ते नारएसु पुणो ।।८४॥ तसबायरपज्जत्तं सुभगाएज्ज पणिदिमणुयगई । जसकित्ती तित्थयरं अजोगिजिणबहगं नवगं ॥८५॥ निच्चोदयपगइजुया चरिमुदया केवलासमुग्याए । संठाणेसु सव्वेसु हेांति दुसरा वि केवलिणो ॥८६॥ Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२८४) पत्तेउवघायउरालदुवयसंठाणपढमसंघयणे । बूढे छससवीसा पुस्ता सेसया उदया ॥८७॥ तित्थयरे इगसीसा तीसा सामण्णकेवलीयं तु । खीणसरे गुणतीसा खीणुस्सासंमि अडवीसा ॥ ८८ ॥ साहारणस्स मिच्छे सुहुम अपज्जत्तआयवाणुदश्रो । सासायणम्मि थावरए गिदियविगलजाई ॥ ८९ ॥ सम्मे विउच्छिकस्स दुभग अणाएज्ज अजसपुव्वीणं । विरयाविरए उदओ तिरिग उज्जोवपुव्वाणं ॥ ९०॥ विरथापमन्तसुं अंततिसंघयणपुव्वगाणुषो । अपुण्यकरणमाबिसु दुइयत इज्जाणखीणाओ ॥ ९९ ॥ नामधुवोदयसूसर खगई ओराल दुवयपत्तेयं । उबघायतिसंठाणा उसभमजो गिम्मि पुव्वता ॥९२॥ पिंडे तिस्थगरूणे आहारूणे तोभयविणे । पढमचउकं तस्स उ तेरसगखए भवे बीयं ॥ ९३ ॥ सुरदुगवे उब्वियगइ दुगे य उव्वहिए चउत्थाओ । मण्यदुगे य नवहय दुहा भवे संतयं एकं ॥ ९४ ॥ थावर तिरिगड़ दोदो आयावेगिदिविगलसाहारं । Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८५ नरयदुगुज्जोवाणि यदसाइमेगंततिरिजग्गा || ९५|| एर्गिदिसु पढमदुगं वाऊतेऊसु तइयगमणिच्चं । अहवा पण सिरिएस तस्संतेगिंदियासु ॥ ९६ ॥ पढमं पढमगहीणं नरए मिच्छम्मि धुवतिगजुतं । देवे सा (आ) इचक्क तिरिएस अतित्थमिच्छसंताणि । ९७ पढमच उबकं सम्मा बीयं खीणाश्रो बायरसुहुमे य । सासणि मीसि वितित्थं पढभमओगिम्मि अट्ठ नघ ॥ ९८ ॥ नवोदयसंता तेवीसे पण्णवीसछठवीसे । अ चउरहवीसे नवसत्तिगुती सती से य ||१९|| एक्क्कं इगिती से एक्के एक्कुदय अट्टसंतंसा । उवरयबंधे दसदस नामोदयसंतठाणाणि ॥ १०० ॥ बम्धोदयसंतेसुं पणपण पढमंतिमाण जा सुहुमो । संतोइण्णाइं पुण उवसमखीणे परे नत्थि || १०१ || मिच्छा सासायणेसु नवबन्धुवलक्खियाउ दो भंगा । मीसाओ य नियही जा छब्बंघेण दो दो उ ॥ १०२ ॥ उबंधे नवसंते दोणि अपुव्बाउ सुहुमरागं जा । बन्धे नवसंते उवसंते हुति दो भंगा ॥१०३॥ Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ चउबन्धे छस्संते बायरसुहुमाणमेगखवगाणं । छसु चउसु व संतेसु दोणि अबन्धम्मि खीणस्स ।१०४ चारि जा पमत्तो दोणिण उ जा ओगि सायबन्धेणं सेलेसि अबन्धे चउ इगिसंते चरमसमए दो || १०५॥ अट्ठछलाहियबीसा सोलसवीसं च वारस छ दोसु । दो चउसु तीसु एक्कं मिच्छाइसु श्राउए भंगा । १०६ । नरतिरिउदए नारयबन्धविहूणा य सासणि बवीसा । बग्ध सम ऊण सोलस मीसे चउबंधजुअ सम्मे |१०७ देसविरयम्मि बारस तिरिमभंगा छ बन्धपरिहीणा । मणुभंग तिबन्धूणा दुसु सेसा उभयसेढीसु ॥१०८॥ पंचादिमा उ मिच्छे आदिमहीणाउ सासणे चउरो । उच्चबन्धेण दोन्निड मीसाओ देसविरयं जा ॥१०९ ॥ उच्चेण बन्धुदए जा सुमो अबन्धिबट्टओ भंगो । उवसंता जा जोगी दुचरिमं चरमम्मि सत्तमओ । ११०॥ हम्म मोहणी बंधोदयसंतयाणि भणियाणि । अहुणाऽवोग्गडगुणउदय पयसमूहं पवक्खामि ||१११ जा जम्मि चवीसा गुणयाओ ताओ तेण उदएण । Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २८७) मिलिया चउवासगुणा इयरपएहिं च पयसंखा ।११२। सत्तसहस्सा सट्ठीए वजिया अहव ते तिवण्णाए । गुणतीसाए अहवा बंधगभेएण मोहणीए ॥११३॥ अहही बत्तीसा बत्तीसा सहिमेव बावण्णा । चोयाला चोयाला वीसा मिच्छाउ पयधुवगा ॥११४॥ तिन्निसया बावन्ना मिलिया चउवीस ताडिया एए । बायर उदयपएहिय सहियायो गुणेसु पयसंखा ।११५। तेवीसूणा सत्तरस वजिया अहव सत्त अहियाइं । पंचासीइ सयाई उदयपयाइं तु मोहस्स ।।११६।। एवं जोगुवओगा लेसाईभेयओ बहू भेया। जाजस्त जम्मि उ गुणे संखा सातम्मि गुणागारो॥११७ उदयाणुवोगेसु सगसयरिसया तिउत्तरा हुंति । पण्णासपयसहस्सा तिणि सया चेव पण्णारा ।।११८॥ तिगहीणा तेवण्णा सया उ उदयाण हेति लेसाणं । अडतीस सहस्साइं पयाण सगदोयसगतीसी ॥११९॥ वोइसउ सहस्साइ सयं च गुणहत्तरं उदयमाणं । सत्सरसा सत्तसया पणनउइसहस्सपयसंखा ॥१२०॥ Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२८८) मीसदुगे कम्मइए अणउदयविवजियाउ मिच्छसि । चउवीसा ऊण चउरो तिगुणाओ तो रिणं ताओ।१२१॥ वेउवियमीसम्मि नपुंसवेश्रो न सासणे होइ । चउवीस चउकाओ अओ तिभागो रिणं तस्स ॥१२२ कम्मयविउविमीसे इत्थीवेओ न होइ सम्मस्स । अपुमिस्थिउरलमीसे तञ्चउवीसाण रिणमेयं ॥१२३॥ आहारगमीसेसु इत्थीवेओ न होइ उ पमत्तो । दोणि तिभागा उ रिणं अपमत्तजइस्स उ तिभागो॥ उपएसु पउवीसा धुवगाउ पदेसु जोगमाईहिं। गुणिया मिलिया चउवीस ताडिया इयरसंजुत्ता ॥१२५॥ अपमत्तसासणेसु अड सोल पमत्ते सम्मि बत्तीसा। मिच्छम्मि छन्नउई ठावेजा सोहणनिमित्तं ॥१२६॥ जोगतिगेणं मिच्छे नियनियचउवीसगाहिं सेसाणं । गुणिऊणं फेडेजा सेसा उदयाण परिसंखा । १२७॥ चउवीसाए गुणेजा पयाणि अकिच्चा मिच्छ उण्णउई। सेसाणं धुवगेहिं एगीकिच्चा तओ सोहे ॥१२८॥ वन्धोदयसंताई गुणेसु कहियाइं नामकम्मस्स । Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८९ गइसु य श्रव्वगमिवोच्छामि इंदिएसु पुणो ॥ १२९ ॥ इगि विगले पण बंधा अडवीसूणाउ अट्ठ इयरम्मि | पंच व एक्कारुदया पण पण बारस उ संताणि ॥१३०॥ नाणंतरायदंसण बन्धोदयसंतभंग जे मिच्छे | ते तेरस ठाणेसुं सन्निम्मि गुणासिया सव्ये ||१३१॥ तेरससु वेयणीयस्स आइमा हुति भंगया चउरो । निच्चुदए तिष्णि गोए सव्वे दोपहंपि सपिणस्स ॥ १३२ ॥ तिरिउदए नव भंगा जे ते सव्वे असणिपजते । नारयसुरचउ भंगा-रहिया इगविगलदुविहाणं ॥ १३३ ॥ सणि अप्पजते तिरिउवए पंच जह य तह मणुए। मणपज्जते सटवे इयरे पुए दस उ पुष्वुत्ता ॥ १३४ ॥ बन्धोदयसंताई पुण्णाई सन्निणो उ मोहस्स । बायरविगलासपिणसु पज्जेसु दु आइमा बंधा ॥ १३५ ॥ सु बावीसोच्चिय बन्धो अट्ठाइ उदय तिन्नेव । सत्तगजुया उ पंचसु अडसत्तछब्बीससंतम्मि ॥ १३६ ॥ सणिमि अड असण्णम्मि च्छाइमा तेऽवीस परिहीणा पज्जन्तविगलषायर सुहुमेसु तहा अपज्जाएं ॥ १३७॥ Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९० इगवीसाई दो चउ पणदयाऽपज्जसुहुमवाराणं । सण्णिस्स अचउवीसा इगछडवीसाइसेसाणं ॥१३८॥ तेरससु पंच संता तिणि धुवासीइ बाणउई। सपिणस्स होति बारस गुणठाणकमेण नामस्स ॥१३९॥ बज्झति सत्त यह य नारयतिरिसुरगईसु कम्माई । उद्दीरणा वि एवं संतोइण्णाइं अह तिसु ॥१४०॥ गुणभिहियं मणुएसु सगलतसाणं च तिरिय पडिवक्खा। मणजोगी छउमा इव कायवई जहा सजोगीणं ।१४१॥ वेई नवगुणतुल्ला तिकसाइवि लोभे बसगुणसमाणं । सेसाणिवि ठाणाई एएण कमेण नेयाणि ॥१४२॥ सत्तरसुत्तरमेगुत्तरं तु चोहत्तरी उ सगसयरी। सत्तट्ठी तिगसट्ठी गुणसही अट्ठवण्णा य ॥१४३।। निहादुगेछवण्णा छठवीसा तीसबंधविरमम्मि । हासरईभयकुच्छा विरमे बावीसपुवम्मि ॥ १४४ ॥ पुंवेय कोहमाइसु अषज्झमाणेसु पंच ठाणाणि । बारे सुहुमे सत्तरस पगतिओ सायमियरेसु ॥१४५|| मिच्छो नरएसु सयं छन्नवई सासणो सयरिमीसो। " Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२९१) बावन्तरिं तु सम्मो चउराइसु बंधति अतित्था ॥ ९४६ ॥ मणुयदुगुच्चा गोयं भवपच्चयत्रो न होइ चरिमाए । गुणपच्चयं तु बज्झइ मणुआउ न सव्वहा तत्थ १४७॥ सामण्णसुराजोग्गा आजोइसिया न बंधहिं सतित्था । इगिथावरायवजुया सणकुमारा न बंधंति ॥ १४८॥ तिरितिगउज्जोवजुआ आणयदेवा अणुत्तरसुरा उ । अणमिच्छणीयद्भग थीणतिगं अपुमधीवेयं ॥ १४९ ॥ संघया संठाणा पणपणअपसत्थविहगइ न तेसिं । पज्जत्ता बन्धंति उ देवाउमसंखवासाऊ ॥ १५०॥ तित्थायवउज्जोवं नारयतिरिविगलतिगतिगेगिंदी | आहारथावरचऊ आऊण असंखऽपज्जन्त्ता ॥ १५१ ॥ पज्जत्तिगया दुभगतिगणीयअपसत्थविह नपुंसाएं । संघपणउरल मणुदुगपणसंठाणाण अब्बंधी ॥१५२॥ किण्हाइतिगे असंजमे य वे विजुगे न आहारं । बन्धइ न उरलमासे नरयतिगं छट्टममराजं ॥१५३॥ कम्मगजोगे अणहारगे य सहिया दुगाउ ऐयाओ । सगवण्णा तेवही बन्धइ आहार उभयेसु ॥ १५४ ॥ Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९२ तेज लेसाईया बंधंति न नरविगल सुहुमसिंगं । सेगिंदि थावयव तिरियतिगुज्जोय नव बार ॥१५५॥ सुयदेवी पसायाओ पगरणमेयं समासओ भणियं । समयाओ चंदरिसिया समईविभवाणुसारेणं ॥१५६॥ **** ॥ इति पंचसंग्रहः समाप्तः ॥ 一 ॥ अथ परिशिष्टम् ॥ एग चारि वीस सोलस भंगा एगिंदियाण चत्ताला । विगलिंदियाण इगवण्ण तिपि ॥१॥ गुणतीसे तीसेवि य भंगाणट्ठाहियाच्छया लसया । पंचिदियतिरिजोगे पणुवीसे बन्धभंगेकं ॥ २ ॥ पणवीसयम्मिएको छायालसया अडुत्तरिगुणतीसे । म जोगट्ट उ सव्वे छायालसया सत्तरसा ॥३॥ 除 Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९३ अट्ठ एक्क एक्कग भंगा अट्ठारदेवजोगेसु । एको नारयजोगे एको जसकित्तिभंगाओ ॥ ४ ॥ तेरस सहस्सनवसय पणयालभंगयाण बन्धम्मि । नामस्स उदयसंखा पणयालहत्तरिसयाओ ॥ ५॥ एगिदिय उदएसु पंच य एक्कार सत्ततेरसयं । छक्कं कमसो भंगा बायाला हुंति सव्वे वि ॥६॥ तिगतिगदुगचउच्चउ विगलाण च्छसहि होइ तिण्हंपि अट्टष्ट सोलसोलस अ6 घेउव्वितिरियस्त ॥७॥ नव नव सीया दोसय पंचच्छावत्तरीय पणतिरिए । ते दुगुणतिगुणदुगुणा गुणतीसाइसु उदएसु ॥८॥ नवनव सीया दोसय च्छावत्तर पञ्चपञ्च उदयदुगे । एक्कारस्स य बावन्न नराण उदएसु भंगसया ॥९॥ अड अड नव नव एक्के वेउव्विनराण होइ पणतीसा एक्केक्कदोदुगेक्के आहारजईण सत्तेव ॥१०॥ अहह अह सोलस सोलट्ठय देवओ य भंगाओ। नारयकेवलिउदएसु पञ्चबावहिभंगाओ ॥११॥ Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ श्रथ शुद्धिपत्रकम् ॥ पृष्ठ. पक्ति . शुद्ध. २० १७ अशुद्ध. ताजुभ मिन्सम अधरकु चरकुसु केवलीणा मिच्छि गुरुअ इच्छी परघुच्च गुज्जोअ गुरुवा भंडगारि तावजुअं मिच्छसमा अचखु चक्खुसु केवलीणो मिच्छि गुरु इत्थी परघुच्चं गुजो गुरुवइ, भंडगारिणं पढम सजलणा संमत्त पढम सजलणा संमत्तं उदएणं १० दुगुछा अगुवंग तेसि बायं दुगुंछा अंगुषंगे तेसिं बीयं घायण संघायण छेवढे छेवट्ठ Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृष्ठ. पङ्क्ति . अशुद्ध शुद्ध. our P नग्गोहमंडल देहमि बेइदिय" संधणो विवाग ५९ . १४ नग्गोहमंडले देहम्मि बेईदिय सथणो विधागं मेय संपण्णो मेय सपण्णो एवं arur roomn 9 9 9 min सय दसणस्त सम्मभि बाय सोय तइ मसुभ देवदुग दसण उवसत बधस्सस्तो हवति चरिममि थाणअबधा सेआ मिच्छाआ इंसणस्त सम्मति बीय सोयं तह मसुभं देवदुर्ग दसण उवसंत बंधस्संती हवंति चरिमम्मि थीणअबंधा सेसा मिच्छाओ 9 ૭૨ ૨૨ ७५ २ Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९८ पृष्ठ पङ्क्ति. अशुद्ध. शुद्ध. पृष्ठ. पङ्क्तिः अशुद्ध शुद्ध. ७५ ४ तिग तिगं |२१६ १६ चियाण चियाणं लेसास लेसासु (२३० ९ तनाए तन्नए ८० १६ जागा जोगा २४१ १३ हार हारं ९२ १ बधंति बंधति २४१ १४ नाया नीया १०२ ११ चउक्क चउक्के २४८ ११ निक्खवह निक्खिषा १२५ ४ पगईण पगईणं २४९ ३ जाय जाव १३१ १७ जागता जोगता २५३ ३ मिक्छत्तस्स मिच्छत्तरस १३५ २पुहुत्तहिब्भर पुहुत्तब्भहिए २५३ १७ दुमगाइ दुभगाइ १४९ ६ इय इयर २५७ १७ आहारतण आहारतणु १५५ ११तीसगागुपि तीसगाणुप्पि २५९ ११ परिणाओ परिणओ १५७ २ गंतगणो . णतगुणो . २५९ १५ विगवा विगप्पा १६९ १४ गुणसेढा गुणसेढी २६१ १० बाय बीयं १७६ २ सन्ना सन्नी । २६१ १६ हाण हीण १८२ १२ मासाओ मीसाओ | २६३ १५ गुणसंमेण गुणसंकमेण १८८ १ओरालियाइणं भोरालि- २७३ १० कमसा कमसो याइयाणं २७४ ९ ठाणय ठाणय २०३ ३ अंतमहुत अंतमहत २७४ १५ बज्झमाणाण बज्झमाणाण २०३ ६ अबाहणिय अबाहूणिय २८२ ९ चउवासा चउवीसा २०३ ८ बिसेसहीण विसेसहीणं २८३ ९ इगतासा इगतीसा २०९ १७ अजहन्ने अजहन्नी | २८३ १६ केवला केवली २१३ ७ सागण सासण २८७ १ चउव्वास चउव्वीस २१५ ४. खीणत खीणंत २८७ ११ गुणागारो गुणगारो २१५ ११ धुपबधि धुषबंधि Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OBS سو