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चत्तारि देवनरएसु पंच तिरिएसु चउदस नरेसु।। इगिविगलेसुं दो दो, पंचिंदिसु चउदस वि॥२७॥ भूदगतरूसु दो दो, इगमगणिवाउसु चउद्दस तसेसु। जोए तेरस वेए तिकसाए नव दस य लोभे ॥२८ ॥ मइयओहिदुगे नव, अजयाइ जयाइ सत्त मणनाणे । केवलदुगंमि दो तिन्नि दो व पढमा अनाणतिगे॥२९॥ सामाइयएसु, चउरो परिहार दो पमत्ताई। देससुहुमे सगं पढमचरमचउ अजयअहखाए ॥३०॥ बारस अचक्खुचक्खुम, पढमा लेसास तिसु छ दुस सत्त सुक्काए तेरस गुणा, सव्वे भवे अभव्वेगं ॥ ३१ ।। वेयगखइगउवसमे, चउरो एक्कारसह तुरियाई । सेसतिगे सहाणं, सन्निसु चउदस असन्निस दो ॥३२ आहारगेसु पढमा, तेरसऽणाहारगेसु एंच इमे । पढमंतिमदुगअविरय, गइयाइसु इय गुणटाणा ॥३३॥ सच्चं मोसं मीसं, असच्चमोसं मणं तह वई य। उरलविउवाहारा; मीसा कम्मइगमिय जागा ॥३४॥ एकारस सुरनारयगईसु आहारउरलदुगरहिया ।
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