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(२०८) जाण जहिं बंधतो । उक्कोसो ताण तत्थेव ॥८९॥ निययअबंधचुयाणं, णुकोसो साइणाइतमपत्ते । साइ अधुवोऽधुवबंधियाण धुवबंधणा चेव ॥९०॥ अप्पतरपगइबन्धे, उक्कडजोगी उ सन्निपज्जत्तो। कुणइ पएसुक्कोसं, जहन्नयं तस्स वच्चासे ॥९१॥ सत्तविहबन्धमिच्छे, परमो अणमिच्छथीणगिद्धीणं । उक्कोससंकिलिके, जहन्नओ नामधुवियाणं ॥९२॥ समयादसंखकालं, तिरिदुगनीयाणि जाव वनंति । वेउवियदेवदुर्ग, पल्लतिगं आउ अंतमुह ॥ ९३ ॥ देस्णपुठकोडी, सायं तहऽसंखपोग्गला उरलं । परघाउस्सासतसचउपणिंदि पगतिय अयरसयं।।९४॥ चउरंसउच्चसुभखगइपुरिससुस्सरतिगाग छावही। बिनणा मणुहुगउरलंगरिसहतित्थाण तेत्तीसा ९५॥ सेसाणंतमुहुत्तं, समया तित्थाउगाण अंतमुहू । बन्धो जहन्नओवि हु, भंगतिगं निच्चबन्धीणं ॥१६॥ होइ अणाइ अणंतो, अणाइसंतो धुवोदयाणुदओ। साइसपज्जवसाणो, अधुवाणं तह य मिच्छस्स ॥९७॥
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