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मणवइउरला परिहारि सुहुमि नव ते उ मीसि सविउव्वा देसे सविउन्विदुगा, कम्मुरलमीस अहखाए ॥३२॥ तिअनाण नाण पण चउ, दंसण बार जिअलक्खणुवयोगा विणु मणनाण दुकेवल, नव सुरतिरिनिरयअजएसु ॥ ३३ तस जोअ वेळा सुक्काहार नर पर्णिदि सन्नि भवि सव्वे नयोअर पण लेसा, कसाय दस केवलदुगुणा ॥ ३४॥ चउरिंद असनि दुअनाणदंसण इग बिति थावरि अचख्कु । ति अनाण दंसणदुर्ग, अनाणतिगि अभन्नमिच्छदुगे३५ केवलदुगे निअदुगं, नव ति अनाण विणु खड़अअहखाए दंसणनाणतिगं देसि मीसि अन्नामिसं तं ॥ ३६ ॥ मणनाणचक्खुवज्जा, अणहारि तिन्निदंसण चउनाणा चउनाणसंजमोव समवेअगे ओहिदंसे अ ॥ ३७ ॥ दो तेर तेर बारस, मणे कमा अठ दु चउ चउ वयणे चउ दु पण तिन्नि काए, जिन्ागुणजोगोवओगन्ने ३८ छसु लेसासु सठाणं, एगिंदि असन्निभूदगवणेसु । पढमा चउरो तिन्नि उ, नारयविगलग्गिपवणेसु ॥ ३९
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