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मणनाणि सग जयाई, समइअअ चउ दुन्नि परिहारे केवलदुगि दो चरमाजयाइ नव मइसुओहिदुगे ॥२४॥ अड उवसमि चउ वेअगि, खइए इक्कार मिच्छतिगि देसे सुहुमे य सहाणं तेरस जोगे आहारसुक्काए ॥ २५ ॥ असन्निसु पढमदुर्ग, पढमतिलेसासु छच्च दुसु सत्त । पढमतिमदुगअजया, अणहारे मग्गणासु गुणा ॥२६॥ सच्चेअर मीस असञ्चमोस मण वइ विउविधाहारा । उरलं मीसा कम्मण, इअ जोगा कम्ममणहारे ॥२७॥ नरगइ पणिदि तस तणु, अचख्कु नर नपु कसाय
सम्मदुगे। सन्नि छलेसाहारग, भव मइ सुथ ओहिदुगि सम्बे २८ तिरि इथि अजय सासण,अनाण उवसम अभवमिच्छेसु तराहारदुगुणा, ते उरलदुगण सुरनरए ॥ २९ ॥ कम्मुरलदुर्ग थावरि, ते सविउविदुग पंच इगि पवणे। छ असन्नि चरिमवइजुअ,ते विउविदुगण चउ विगले३० कम्मुरलमीस विणु मण,वइ समइअ अ चक्खु मणनाणे उरलदुगकम्म पढमंतिममणवइ केवलदुगंमि ॥ ३१ ॥
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