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एयाणुदए जीवो पावेइ न सव्वविरइं तु ॥ ४६॥ एसिं जाण विवागो, मिच्छाओ जाव विरयविरोउ। परओ पमत्तमाइसु, नस्थि विवागो चउण्हंपि ॥४७|| कोहो माणो माया, लोभो चरिमा उ हुंति संजलणा एयाणुदए जीवो, न लहइ अहखायचारितं ॥४८॥ एसिं जाण विवागो, मिच्छायो जाव बायरो तिण्हें । लोभस्त जाव सुहुमो, होइ विवागो न परओ उ ॥४९॥ नव नोकसाय भणिमो, वेया तिम्नेव हासछक्कं च । इत्थोपुरिसनपुंसग, तेसि सरूवं इमं होइ ॥ ५० ॥ पुरिस पइ अहिलासो, उदएणं होइ जस्स कम्मस्ल। सो फुफुमदाहसमो, इत्थीवेयस्स उ विवागो ॥ ५१ ॥ इत्थीए पुण उवरिं, जस्सिह उदएण रागमुप्पज्जे । सो तणदाहसमाणो, होइ विवागो पुरिसवेए ॥ ५२ ।। इत्थीपुरिसाणुवरिं, जस्सिह उदएण रागमुप्पज्जे। नगरमहादाहसमो, सो उ विवागो अपुमवेए ॥ ५३ ।। तिण्हवि होइ विवागो, मिच्छाओ जाव बायरो ताव। हासरईअरइभयं, सोगदुर्गुच्छा उ अह भणिमो ॥५४॥
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