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( २०४ ) विगलासन्नीय कम्मा, जायइ जेठा व इयरा वा ॥ ठिठाणाई एगिंदियाण थोवाइं हांति सवाणं । बेंदीण असंखेजाणि, संखगुणियाणि जह उपिं ॥५६ सव्वजहन्ना विठिई असंखलोगप्पएस तुल्लेहिं ।
साहिं भवे, विसेस अहिएहिं उवरुवरिं ॥५७॥ अस्संखलोगखपएस तुल्लया हीणमनिमुक्कोसा । ठिई बंधनवसाया, तीए विसेसा असंखेजा ॥५८॥ सत्तण्हं अजहन्नो, चउहा ठिइबंधु मूलपगईणं | सेसा उ साइअधुवा, चत्तारि वि आउए एवं ॥ ५९ ॥ नाणंतराय दंसणच उक्कसंजलणठिई अजहन्ना । चउहा साई अधुत्रा, सेसा इयराण सबाओ ||६०|| अट्ठारसह खवगो, बायरए गिंदि सेसधुवियाणं । पज्जो कुणइ जहन्नं साई अधुवो अओ एसो ॥ ६१ ॥ अहाराणऽजहन्नो, उवसमसेढीए परिवडंतस्त्र । साई सेसवियप्पा, सुगमा धुवा धुवापि ॥६२|| सव्वाणवि गईणं, उक्कोसं सन्निणो कुणंति ठिइं । एगिंदिया जहन्नं असन्निखवगा य कापि ॥ ६३ ॥
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