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१८५ पजत्तबायरपत्तेयतरू असंखेज इति निगोयाओ। पुढवी आऊवाउ, बायरअपज्जत्ततेउ तथो ॥७२।। पादरतरूनिगोया, पुढवीजलवाउतेउ तो सुहुमा । तत्तो विसेसअहिया, पुढवीजलपवणकाया उ ॥७३॥ संखेज्जसुहुमपजत्त, तेउ किंचि(च)हियभुजलसमीरा । तत्तो असंखगुणिया, सुहुमनिगोया अपजत्ता ॥४॥ संखेजगुणा तत्तो पज्जत्ताणतया तओ भवा । पडिवडियसम्मसिद्धा, वणवायरजीवपजत्ता ॥७५॥ किंचि(च)हिया सामन्ना, एए उ असंखवणअपजत्ता एए सामन्नेणं, विसेसअहिया अपजत्ता ॥७६॥ सुहमा वणा असंखा, विसेसथहिया इमे उ सामन्ना। सुहुमवणा संखेजा, पजत्ता सव किंचि(च)हिया।।७७॥ पज्जत्तापजत्ता, सुहुमा किंचि(च)हिया भव्वसिद्धीया । तत्तो वायरसुहुमा, निगोयवणस्सइ जिया तत्तो ॥७॥ एगिंदिया तिरिक्खा, चउगइमिच्छा य अविरइजुया य सकसाया छउमत्था, सजोगसंसारि सव्वेवि ॥७९॥ उवसंतखवगजोगी अपमत्तपमत्तदेससासाणा ।
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