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१०७ सत्ताइ दस उ मिच्ने, सासायणमीसए नवुक्कोसा। छाई नव उ अविरए, देसे पंचाइ अहेव ॥ ४९ ॥ विरए खओवसमिए, चउराई सत्त छच्च पुव्वंमि । अनियट्टिबायरे पुण, इक्कोव दुवे व उदयंसा ॥५०॥ एगं सुहुमसरागो, वेएइ अवेअगा भवे सेला। भंगाणं च पमाणं, पुव्वुद्दिद्वेण नायव्वं ।। ५१ ॥ एक्के बक्केक्कारे, सेव एक्कारसेव नव तिन्नि । एए चउवीसगया, बार दुगे पंच इक्कमि ॥५२॥ बारसपणसट्ठिसया, उदयविगप्पेहिं मोहिआ जीवा। चुलसीई सत्तुत्तरि, पयविंदसएहिं विन्नेआ॥ ५३॥ (अहग चन चउ चउरगाय चउरो अ हुंति चवीसा मिच्छाइ अपुव्वंता, बारस पणगं च अनिअट्टे ॥५४॥) जोगोवओगलेसाइएहिं गणिआ हवंति कायव्वा। जे जत्थ गुणहाणेसु; हेांति ते तत्थ गुणकारा ॥५५॥ अहट्ठी बत्तीस, बत्तीस सट्ठिमेव बावन्ना। चोयाल दोसु वीसा, मिच्छामाईसु सामन्नं ॥ ५६ ॥ तिन्नेगे एगेगं, तिग मीसे पंच चउसु नियटिए तिन्नि ।
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