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(२४९) उकोसं डायठिई किंचूणा कंडगं जहणणं तु। पल्लासंखंसं डायठिई जत्तो परमबन्धो ॥१५॥ चरमं नो वट्टिजइ जाय अणंताणि फडगाणि तओ। उस्सकिय उबट्टइ उदया योवट्टणा एवं ॥ १६ ॥ अइत्थावणाइयाओ सन्नाओ दुसु वि पुववृत्ताओ। किंतु अणंतभिलावेण फङगा तासु वत्तव्वा ॥ १७ ॥ थोवं पएसगुणहाणि अंतरे दुसुविहीणनिक्लेवो। तुल्लो अणतगुणिओ दुसुवि अइत्थावणा चेवं ॥१८॥ तत्तो वाघायणुभागकंडगं एक्कवग्गणाहीणं । उक्कोसो निक्खेवो तुल्लो सविसेससंतं च ॥१९॥ आवन्धं उवट्टइ सव्वत्थोवट्टणा ठितिरसाणं । किट्टीवज्जे उभयं किट्टिसु ओवट्टणा एका ॥ २०॥
॥इति उद्वर्तनाऽपवर्तना ॥
॥ अद उदीरणा ॥ जं करणेणोकट्टिय दिजइ उदए उदीरणा एसा । पगइठिइमाइ चउहा मूलत्तरभेयओ दुविहा ॥ १ ॥
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