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(२५२)
मोत्तण खीणरागं इंदियपज्जत्तगा उदीरेंति । निदा पयला सायासायाइं जे पमत्तत्ति ॥ १९ ॥ अपत्ताई उत्तरतण य अस्संखया उ वज्जित्ता । सेसनिहाण सामी संबंधगता कसायाणं ॥२०॥ हासरईसायाणं अन्तमुहुत्तं तु आइमं देवा । इयराणं नेरईया उड्डे परियत्तणविहीए ॥२१॥ हासाईछक्कस्स उ जाव अपुवो उदीरगा सव्वे । उदउखुदीरणाए इव ओघेणं होइ नायव्वो ॥२२|| पगइठाणविगप्पा जे सामी हांति उदयमासज्ज । तेच्चिय उदीरणाए नायव्वा घातिकम्माणं ॥२३॥ मोत्तं अजोगिठाण सेसा नामस्स उदयवन्नेया। गोयस्स य सेसाणं उदीरणा जा पमत्तोत्ति ॥२४॥
॥ अथ स्थित्युदीरणा ॥ पत्तोदयाए इयरा सह वेयइ ठिइ उदीरणा एसा। बेधावलिया हीणा जावुक्कोसत्ति पाउग्गा ॥२५॥
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