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१०३ संतस्स पयडिठाणाणि ताणि मोहस्स हुंति पन्नरस । बन्धोदयसंते पुण, भंगविगप्पा बहू जाण ॥ १५॥ छब्बावीसे चउ इगवोसे सत्तरस तेरसे दोदो । नवबंधगे वि दुन्निउ, एक्केक्कमओ परं भंगा ॥१६॥ दस बावीसे नव इगवीसे सत्ताइ उदयठाणाई। छाई नव सत्तरसे, तेरे पंचाइ अहेव ॥ १७ ॥ चत्तारिमाइ नवबंधएसु उक्कोस सत्तमुदयंसा । पंचविहबन्धगे पुण, उदओ दोण्हं मुणेअवो ॥१८॥ एत्तो चउ बन्धाइ, एक्केक्कुदया हवंति सव्वे वि । बन्धोवरमे वि तहा, उदयाभावे वि वा होजा ॥१९॥ एक्कगछक्केकारस, दस सत्त चउक्क एक्कगं चेव । एए चउवीस गया, चउवीस दुगेक्कमेक्कारा ॥२०॥ नवतेसीइसएहिं, उदयविगप्पेहिं मोहिआ जीवा । अउणुत्तरिसीआला, पयविंदसएहिं विन्नेआ ॥२१॥ नवपंचाणउइसए, उदयविगप्पेहिं मोहिआ जीवा । अउणत्तरिएगुत्तरि, पयविंदसएहिं विन्नेआ ॥ २२ ॥ तिन्नेव उ बावीसे, इगवीसे अट्ठवीस सत्तरसे।
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