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गइसु य श्रव्वगमिवोच्छामि इंदिएसु पुणो ॥ १२९ ॥ इगि विगले पण बंधा अडवीसूणाउ अट्ठ इयरम्मि | पंच व एक्कारुदया पण पण बारस उ संताणि ॥१३०॥ नाणंतरायदंसण बन्धोदयसंतभंग जे मिच्छे | ते तेरस ठाणेसुं सन्निम्मि गुणासिया सव्ये ||१३१॥ तेरससु वेयणीयस्स आइमा हुति भंगया चउरो । निच्चुदए तिष्णि गोए सव्वे दोपहंपि सपिणस्स ॥ १३२ ॥ तिरिउदए नव भंगा जे ते सव्वे असणिपजते । नारयसुरचउ भंगा-रहिया इगविगलदुविहाणं ॥ १३३ ॥
सणि अप्पजते तिरिउवए पंच जह य तह मणुए। मणपज्जते सटवे इयरे पुए दस उ पुष्वुत्ता ॥ १३४ ॥ बन्धोदयसंताई पुण्णाई सन्निणो उ मोहस्स । बायरविगलासपिणसु पज्जेसु दु आइमा बंधा ॥ १३५ ॥
सु बावीसोच्चिय बन्धो अट्ठाइ उदय तिन्नेव । सत्तगजुया उ पंचसु अडसत्तछब्बीससंतम्मि ॥ १३६ ॥ सणिमि अड असण्णम्मि च्छाइमा तेऽवीस परिहीणा पज्जन्तविगलषायर सुहुमेसु तहा अपज्जाएं ॥ १३७॥
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