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छविहमेगो तिन्नेगबंधगाऽबंधगो एगो ॥२७॥ सत्ताविहब (विह)बंधगा वि वेयंति अगं नियमा। एगविहबंधगा पुण चत्तारि व सत्त वेयंति ॥ २८॥ मिच्छादिहिप्पभिई अह उईरंति जा पमत्तो ति । अद्धावलियासेसे तहेव सत्तेवुदीरिंति ॥ २९॥ वेयणियाउयवज्जे छक्कम्म उदीरयंति चत्तारि । अद्धावलियासेसे सुहुमो उइरेइ पंचेव ॥३०॥ वेयणियाउयमोहे वज उईरेति दोन्नि पंचेव । अद्धावलियासेसे नाम गोयं च अकसाई ॥३१॥ उइरेइ नामगोए बक्कम्मविवजिया सयोगी उ । वटुंतो उ अजोगी न किंचि कम्मं उईरेइ ॥३२॥ अणुदीरंत अयोगी अणुहवइ चउव्विहं गुणविसालो। इरियावहं न बंधइ आसन्नपुरक्खडोतो ॥३३॥ इरियावहमाउत्ता चत्तारि व सत्त चेव वेयंति । उहरिति दोन्नि पंच व संसारगयम्मि भयणिज्नो॥३४॥ छप्पंच उईरंतो बंधइ सो छव्विहं तणुकसाओ। अट्ठविहमणुहवंतो सुक्कज्झाणे डहइ कम्मं ॥३५॥
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