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नरंतरेण हेट्ठा खवणाइसु संतराई पि ॥ २० ॥ संक्रमसममणुभागे नवरि जहन्नं तु देसघाई | छन्नोकसायवजाए एगहामि देसहरं ॥ २१ ॥ मणनाणे दुद्वाणं देसहरं सामिंगो य सम्मत्ते । आवरणविग्घसोलसग किट्टिवेएसु य सगंते ॥२२॥ मइसुय चक्खुअचक्खूण सुयसमत्तस्स जेवलद्धिस्स । परमोहिस्सोहिदुगं मणनाणं विजलनाणस्स ॥ २३ ॥ बंधहयहयहउप्पत्तिगाणि कमसो असंखगुणियाणि । उदयोदीरणवज्जाणि होति अणुभागठाणाणि ॥ २४ ॥ सत्तण्हं अजहन्नं तिविहं सेसा दुहा पएसम्म | मूलपगईसु आउ साई अधुवा य सव्वे वि ॥ २५ ॥ बायालाणुक्कस्सं चउवीससया जहन्न चउतिविहं । होइह छण्ह चउद्धा अजहन्नमभासियं दुविहं ॥ २६ ॥ संपुन्नगुणियकम्मो पएसउक्करससंतसामी उ । तस्सेव उ उपिविणिग्गयस्स कासिंचि वन्नेहिं ॥२७॥ मिच्छन्ते मीसम्मि य संपक्खित्तम्मि मीससुद्धाणं । वरिसवरस्स उ ईसाणगस्स चरमम्मि समयम्मि ॥२८॥
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