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( २५६) उत्तरतणुपरिणामे अहिय अहोतावि हुंति सुसरजुया मिउलहुपरघाउज्जोव खगइचउरंस पत्तेया ॥ ५० ॥ सुभगाइ उच्चगोयं गुणपरिणामाउ देसमाइणं । अइहोणफडगाओऽणतंसो नोकसायाणं ॥ ५१ ॥ जा जम्मि भवे नियमा उदीरए ताओ भवनिमित्तायो परिणामपच्चयाओ सेसायो सई स सव्वस्थ ॥५२॥ तिस्थयरं घाईणि य आसज्ज गुणं पहाणभावेण । भवपच्चइआ सव्वा तहेव परिणामपच्चइया ॥५३॥ वेयणीएणुक्कोसा अजहण्णा मोहणीए चउभेया। सेसघाईण तिविहा नामागोयाण णुक्कोसा ॥ ५४ ॥ सेसविगप्पा दुविहा सव्वे आउस्स होउमुवसंतो। सव्वट्ठगओ साए उक्कोसुद्दीरणं कुणइ ॥ ५५ ॥ कक्खडगुरुमिच्छाणं अजहण्णा मिउलहणणुक्कोसा चउहा साइयवज्जा वीसाए धुवोदयसुभाणं ॥ ५६ ॥ अजहण्णा असुभधुवोदयाण तिविहा भवे तिवीसाए साई अधुवा सेसा सव्वे अधुवोदयाणं तु ॥ ५७ ॥ दाणाइ अचक्खूणं उक्कोसाइम्मिहीणलद्धिस्स ।
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