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मिच्चभयकुच्छधुवबंधिणी उ नामस्स अपरियन्ता ॥ २० ॥ मणुयतिगं देवतिगं, तिरिया ऊसास अठतणुयंगं । विहगइवण्णाइसुभं, तसाइद सतित्थनिम्माणं ॥ २१ ॥ चउरंसउसभआयवपराघायपर्णिदिअगुरुसा उच्चं ।
उज्जोयं च पसत्था, सेसा बासीइ अपसत्था ||२२|| ओयावं संठाएं, संघवणसरीरांगउज्जोयं । नामधुवोदय उवपरघायं पत्तेयसाहारं ॥ २३ ॥ उदइयभावा पोग्गलविवागिणो आउ भववित्रागीणि 1 खेत्तविवागणुपुत्री जीवविवागा उ सेसाओ ॥ २४ ॥ मोहस्सेव उवसमो खाओसमो चउण्ह घाईणं । खयपरिणामियउदया अण्ह वि होंति कम्माणं ||२५|| सम्मत्ताइ उवसमे खाओवसमे गुणा चरिताई । खइए केवलमाई, तव्ववएसो उ उदईए ॥ २६ ॥ नाणंतराय दंसणवेयणियाणं तु भंगया दोन्नि । साइसपज्जवसाणोवि होइ सेसाण परिणामो ॥ २७॥ चउतिहाणरसाई, सव्वघाईणि होति फडाई | दुहाणियाणि मीसाणि देसघाईणि सेसापि ॥ २८ ॥
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