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उक्कोसपर मणुया, सेढीरूवाहिया अवहरति । तइयमलाह एहिं, गुलमूलप्पएसेहिं ||२१|| सासायणाइचउरो, होति असंखा अणतया मिच्छा | कोटिसहस्सपुहुत्त, पमत्तइयरे उ थोवयरा ॥ २२ ॥ एगाइ चउप्पण्णा, समर्ग उवसामगा य उवसंता । अर्द्ध पडुच्च सेढीए, हांति सव्वेवि संखेज्जा ॥२३॥ खवगा वीणाजोगी, एगाइ जाव होंति असयं । अद्धाए सयपुहुत्तं, कोडिपुहुत्तं सजोगीओ ॥ २४॥
पज्जत्ता दोन्निवि, सुहुमा एगिंदिया जए सव्वे | सेसा य असंखेज्जा, वायरपवणा असंखेसु ॥ २५ ॥ सासायणाइ सव्वे, लोयस्स असंखयंमि भागम्मि । मिच्छा उ सव्वलोए, होइ सजोगीवि समुग्धाए ॥ २६ ॥ वेयणक सायमारण वे उब्वियते उहार केवलिया । सग पण चउ तिन्नि कमा, मणुसुरनेरइयतिरियाणं २७ पंचेंदियतिरियाणं, देवाण व होति पंच सन्नीणं । वे उब्वियवाऊणं, पढमा चउरो समुग्धाया ॥२८॥ चन्दसविहावि जीवा, समुग्धारणं फुसंति सव्वजगं ।
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