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थावरदसगं अहुणा, थावर सुहुमं अपज्जत्तं ॥ १३१ ॥ होइ तहा साहारं, अथिरं असुभं च दूभगं चेव । दूसरणाइजेहिं अ, अजसेहिं य बीयदसगं तु ॥१३२।। आइम्मि थावरचऊ, सुहमतिगं उवरिमं भवे इत्थ । अथिराइछक्कमुवरिं, विवागभे अओ भणिमो ॥१३३ तसनामुदए जीवो, बेइदियमाइ जाइ जीवेसु । थावरनामुदए पुण, पुढवीमाईसु सो जाइ ।। १३४॥ बायरनामुदएणं, बायरकायो उ होइ सो नियमा । सुहुमेण सुहुमकाओ, अंतमुहुत्ताउओ होइ ॥ १३५॥ आहारसरीरिंदियपजत्तीआणपाणभासमणे ।
चत्तारि पंच छप्पि य, एगिंदियविगलसन्नीणं ॥१३६॥ ___ एयासिं निप्फत्ती, उदएणं जस्स होइ कम्मस्स ।
तं पजत्तं नामं, इयरुदए नस्थि निप्फत्ती ॥ १३७ ॥ इकिक्कयंमि जीवे, इकिक जस्स होइ उदएण। ओरालाइ सरीरं, तं नाम होइ पत्तेयं ॥ १३८ ॥ जीवाणमणताणं, इक्कं ओरालियं इह सरीरं । हवइ हु जस्सुदएणं, तं साहारं हवइ नामं ॥१३९॥
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