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२३३ ठितिदीहयाए कमसो असंखगुणणाए हेति पगईणं अज्झवसाया आउग-नामगदुविहमोहाणं ॥१०७॥ सवजहन्नस्स रसो अणतगुणियो य तस्स उक्कोसो ठितिबन्धे ठिइबन्धे अज्झवसाओ जहाकमसो ॥१०८ धुवपगडीबन्धंता चउठाणाई सुभाण इयराणं । दो ठाणगाइतिविहं सहाणजहन्नगाईसु ॥१०९॥ चउदुट्ठाणाइ सुभासुभाण बन्धे जहन्नधुवठिईसु । थोवा विसेसअहियो पुहुत्तपरओ विसेसूणा ॥११०॥ पल्लाऽसंखियमूला गन्तु दुगुणा हवन्ति अद्धा य । नाणा गुणहाणीणं असंखगुणमेगगुणविवरं ॥ १११ ।। चउठाणाईजवमज्झ हेउवरिं सुभाण ठितिबन्धा ॥ संखेज्जगुणा ठिइठाणगाई असुभाण मीसाय ॥११२॥
॥ इति बन्धनकरणम् ॥
॥ अथ संक्रमकरणम् ॥
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