________________
९७
चउगइ उक्कड मिच्छा पन्नरसदुवे विसोहीए ॥७८॥ सम्महिठी मिच्छोव अह परियत्तमज्झिमो जयइ । परियत्तमाणमज्झिममिच्छद्दिही उ तेवीसं ॥ ७९ ॥ केवलनाणावरणं दंसणछक्कं च मोहबारसगं । ता सव्वधाइसन्नाहवंति मिच्छत्तवीसइमं ॥ ८० ॥ नाणावरणचउक्कं दंसणतिगमंतराइए पंच | पणुवीस देसघाई संजलणा नोकसाया य ॥ ८१ ॥ अवसेया पयडीओ अघाइया घाइयाहि पलिभागा । ता एव पुन्नपावा सेसा पावा मुणेयवा ॥ ८२ ॥ यावरणदेसघायंतराय संजलणपुरिससत्तरस | चउविहभावपरिणया तिविह परिणया भवे सेसा ॥ ८३ चउपच्च एग मिच्छत्त सोलस दुपच्चया य पणतीसं । सेसा तिपच्चया खलु तिथयराहारवज्जाश्रो ॥ ८४ ॥ पंचग छत्तिय छप्पंच दुन्नि पंचय हवंति अट्ठेव । सरिराई फासता, पयडीओ आणुपुवीए ॥ ८५ ॥ अगुरुलहुपराघ्रायोवघायउज्जोवआयवनिमेणं । पत्तेयथिरसुभेयरनामाणि य पोग्गलविवागा ॥ ८६ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org