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बंधणसंघायावि य, सरीरगहणेण इह गहिया ॥८॥ बंधणभेया पंच उ, संघायावि य हवंति पंचेव । पण वण्णा दो गंधा, पंच रसा अट्ट फासा य ॥८॥ दस सोलस छवीसा, एया मेलेहि सत्तसट्ठीए । तेणउई होइ तओ, बंधणभेया उ पण्णरस ॥ ८२ ॥ सव्वेहिँ वि छुढे हिं, तिगअहियसयं तु होइ नामस्स। एएसिं तु विवागं, वुच्छामि अहाणुपुवीए ।। ८३ ॥ नारयतिरियनरामरगइभेया चउबिहा गई होइ । एसा खवु ओदइए, होइ हु भावे जयो आह ॥८॥ जीऍ उदएण जीवो, नेरइओ होइ नरयपुढवीए । सा भणिया नरयगई, सेसगईयोवि एमेव ॥ ८५ ॥ इगदुगतिगचनरिदियजाई पंचिंदियाण पंचमिया । खयनवसमिए भावे, हुंति हु एया जओ आह ॥६॥ एगिदिएसु जीवो, जस्सिह उदएण होइ कम्मस्स । सा एगिदियजाई, जाईओ एव सेसा उ ॥ ८७ ॥ ओरालियवेउव्वियआहारयतेयकम्मए चेव । एवं पंच सरीरा, तेसि विवागो इमो होइ ॥ ८८॥
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