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सव्वविगप्पा सेसाण वावि अधुवा य साई य ॥ ५७ दाणाइ अचक्खूणं जेठा आइम्मि हीणलद्धिस्स । सुहुमस्स चक्खुणो पुण तेइंदिय सव्वपज्जते ॥ ५८ ॥ निदाइ पंचगस्स य मज्झिमपरिणाम संकिलिहस्स । अपुमादि असायाणं निरए जेठा ठिइसमते ॥५९॥ पंचिंदियतसवाय रपज्जत्तगसाइसुस्सरगईणं । वेव्वस्सासाणं देवो जेहिइसमत्तो ॥ ६० ॥ सम्मत्तमी सगाणं सेकाले गहिहिइत्ति मिच्छत्तं । हासरईणं सहस्सारगस्स पज्जत्तदेवस्स ॥ ६१ ॥ गइहुंडुवघायाणिखगइनीयाण दुहचउक्कस्स । निरनकस्ससमत्ते असमत्ताए नरस्संते ॥ ६२॥ कक्खडगुरुसंघयणात्थी पुमसंठाणतिरियनामाएं । पंचिदियो तिरिक्खो अट्टमवासद्ववासाओ ॥ ६३ ॥ मणुओरालियवज्जरिसहाण मणुओ तिपल्लपज्जत्तो । नियगठिई उक्कोसो पज्जन्तो आउगाएं पि ॥६४॥ हस्सट्ठि पज्जत्ता तन्नामा विगलजाइसुहुमाणं ॥ थावरनिगोयए गिंदियाणमवि बायरो नवरिं ॥ ६५ ॥
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