________________
१२७
बावीसपन्नरसगे एकारसइगुणवीसाए ॥ १२ ॥ सत्तरस एकवीसासु संकमो होइ पन्नवीसाए । नियमा चउसु गईसु नियमा दिहि कए तिविहे ॥१३ बाबोसपन्नरसगे सत्तगएक्कारसिगुणवीसासु । तेवीसाए नियमा पंच वि पंचिंदिएसु भवे ॥१४॥ चोइसगदसगसत्तगयाहारसगे य होइ बावीसा । नियमा मणुयगईए नियमा दिही कए दुविहे ॥ १५ ॥ तेरसगनवगसत्तगसत्तरसगपणगएक्कवीसासु । एक्कावीसा संकमइ सुद्धसासाणमीसेसु ॥ १६ ॥ एत्तो अविसेसा संकमंति उवसामगे व खवगे वा । उवसामगेसु वीसा य सत्तगे छक्क पणगे य ॥१७॥ पंचसु एगुणवीसा अट्ठारस पंचगे चउक्के य। चउदस छसु पगईसु तेरसगं छक्कपणगम्मि ॥ १८ ॥ पंच चउक्के बारस एक्कारस पंचगे तिगचउक्के । दसगं चउक्कपणगे नवगं च तिगम्मि बोधव्वं ॥१९॥ अह दुगतिगचउक्के सत्तचउक्के तिगे य बोधव्वा । छक्कं दुगम्मि नियमा पंच तिगे एक्कगदुगे य ॥२०॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org